मैं एग्जाम्स की तैयारी कर रहा था। इस कारण मेरा ध्यान सिर्फ पढ़ाई करने में लगा हुआ था। हालांकि मेरा लण्ड बार बार चूत मांग रहा था लेकिन फिर भी मैं लण्ड के इशारे की तरफ नहीं बढ़ रहा था।
फिर कुछ महीनो के बाद मेरी जॉब लग गई और फिर मुझे दूसरे शहर जाना पड़ा। अब मैं यहाँ कमरे का जुगाड़ करने लगा। फिर मेरी मम्मी की ऋतू आंटी से बात हुई और मेरे रहने का जुगाड़ ऋतू आंटी के यहाँ हो गया। ऋतू आंटी हमारी उस टाइम की पड़ोसन है जिस टाइम हम वहां रहा करते थे।
फिर मैं सामान लेकर ऋतू आंटी के घर पहुंचा। मुझे देखते ही ऋतू आंटी बहुत ज्यादा खुश हुई। वो मेरी तारीफ करने लगी।
ऋतू आंटी– ओह रोहित तू तो बहुत बड़ा हो गया है।मेने तो तूझे बहुत छोटा सा देखा था।
मैं– हां आंटी।
फिर आंटी ने मुझे कमरा बताया और फिर वो मेरे साथ ही मेरे सामानों को सेट करने लगी। फिर शाम को अंकल और उनकी लड़की कृतिका के साथ मैंने खूब बाते की। अब मैं जॉब पर चला गया और फिर शाम को आया।
अब मैं जॉब पर पूरा ध्यान लगाने लगा लेकिन साला मेरा लण्ड बार बार मेरा ध्यान भटका रहा था। मेरा लण्ड अब मुझसे चूत मांगने लगा था। अब मैं चूत के लिए बहुत परेशान होने लगा। अब मैं मेरे ऑफिस और इधर उधर चूत ढूढने की कोशिश करने लगा लेकिन मेरे लण्ड को चूत नहीं मिल रही थी।
अब मैं लण्ड का पानी निकालकर काम चला रहा था। लेकिन इससे मेरे लण्ड की प्यास नहीं बुझ रही थी। बस ऐसे ही दिन निकलते जा रहे थे।
तभी एक दिन ऋतू आंटी तैयार होकर कहीं जा रही थी। वो अंकल के आने का वेट कर रही थी।फिर लास्ट में जब अंकल नहीं आये तो उन्होंने मुझे उनके साथ चलने के लिए कहा।मैं फ्री बैठा था तो मैं आंटी के साथ जाने के लिए तैयार हो गया।
अब आंटी मेरे साथ बाइक पर बैठ गई। आज तो आंटी के जिस्म से गज़ब की महक आ रही थी। मैं उनकी जिस्म की खुशबु से पागल सा होने लगा। तभी मैंने लण्ड को मसल दिया। बीच बीच में आंटी मेरे साथ चिपक रही थी इससे मेरे लण्ड में जबरदस्त आग लगने लगी। आंटी के बोबो की रगड़ आग में घी डालने का काम कर रही थी।
फिर हम प्रोग्राम में पहुचे।अब मेरी नज़र आंटी पर ही टिकी हुई थी। मेरा लण्ड आंटी को ही ढूंढ रहा था। तभी मुझे लगा आंटी ही वो औरत है जो मेरे लण्ड की प्यास बुझा सकती है।
ऋतू आंटी लगभग 38 साल की हॉट और सेक्सी गौरी चिकनी है। उन्हें देखकर लगता ही नहीं कि वो 38 साल की है।वो गौरा चिकना जिस्म हर किसी को पागल कर सकता है। आंटी की कंधो से नीचे आती हुई गौरी चिकनी कलाइयां, फूली हुई गांड, टाइट बोबे, गौरा चिकना पेट किसी को लण्ड मसलने पर मजबूर कर सकता है।
ऋतू आंटी के बोबे लगभग 32 साइज के है। उनके टाइट बोबो का उभार उनके बलाउज में से नज़र आता है। आंटी हमेशा अपने बोबो को अच्छी तरह से ढककर रखती है। आंटी की चिकनी कमर लगभग 32 साइज की है। उनकी कमर बल खाई हुई है।
कमर के ऊपर आंटी का गौरा चिकना पेट किसी भी लंड में आग लगा सकता है। कमर के नीचे आंटी की हॉट सेक्सी उभरी गांड 34 साइज की है। उनकी गांड की कसावट साड़ी में साफ साफ दिखती है। आंटी की गांड की कसावट मेरे लण्ड को उकसा रही थी।
अब जैसे तैसे मैं आंटी को लेकर वापस घर पहुँचा। फिर मैंने लण्ड को खूब हिलाया। अब मैं आंटी की चूत लेने का निश्चय कर चुका था। अब मैं रोजाना आंटी को हवस भरी नज़रो से ताड़ने लगा। मैं जब भी आंटी को देखता था तो मेरी नज़र हमेशा उन पर ही टिकी रहती थी।
धीरे धीरे आंटी भी मेरी हवस भरी नज़रो को पहचाने लगी थी लेकिन वो कुछ कह नहीं रही थी। आंटी को देखकर मुझे भी लगने लगा था कि आंटी को भी लण्ड की सख्त आवश्यकता है क्योंकि अंकल भी वैसे जॉब के सिलसिले में अक्सर घर से बाहर ही रहते है। मुझे आंटी की आँखों में एक चमक सी नज़र आ रही थी।
अब मैंने सोचा अगर ऋतू आंटी को चोदना है तो आंटी पर विशेष ध्यान देना होगा। अब मैं आंटी के ज्यादा से ज्यादा करीब रहने लगा। उन्हें किसी न किसी बहाने से टच करने लगा। आंटी अब सबकुछ साफ साफ समझ रही थी। बस वो आगे से कूछ नहीं करने की कोशिश कर रही थी। अब मेरा लण्ड जल्दी से आंटी की चूत में घुसने की जिद कर रहा था।
अब एक दिन नहाने के बाद मैं रूम में अंडरवियर पहनकर खड़ा था। तभी ऋतू आँटी उनका मोबाइल लेकर मेरे रूम में आई। जैसे ही उन्होंने मुझे अंडरवियर में देखा तो वो एकदम से सकपका गई और वापस जाने लगी तभी मेने आवाज़ देकर आँटी को वापस बुला लिया। अब आँटी ने उनके मोबाइल में कुछ प्रॉब्लम बताई और मै आँटी के मोबाइल में प्रॉब्लम ठीक करने लगा।
नीचे मेरा लण्ड आँटी को इतने करीब देखकर आग बबूला हो रहा था। वो मेरी अंडरवियर में तम्बू बना चुका था। दिल कर रहा था आँटी को अभी के अभी चोद दूँ। आँटी की नज़रे बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी। माहौल धीरे धीरे गर्म हो रहा था लेकिन आँटी को चोदने की मेरी हीम्मत नहीं हो रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद आँटी मोबाइल लेकर वापस चली गई। आज फिर से मेरा लण्ड प्यासा ही रह गया।
अब मेने आगे बढ़ने की सोची। अब अगले दिन मैं बाथरूम में नहाने गया और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया। फिर मेने आँटी को टॉवल लेकर बुलाया। जैसे ही आँटी टॉवल लेकर आई तो वो मेरे मोटे तगड़े लण्ड को देखकर सकपका गई। फिर उन्होंने खुद को सम्हाला और तुरंत वापस चली गई।
अब तो आंटी मेरे हथियार को देख चुकी थी। अब इसके आगे दो ही बातें हो सकती है या तो आंटी ये बात अंकल को बता दे या फिर आंटी की चूत में आग लग जाये।
अब मैं नहाकर टॉवल लपेटकर आंटी के पास गया। वो किचन में खाना बना रही थी। उनका जिस्म पसीने से भीगा हुआ था। आंटी बिलकुल चुप थी। तभी मैं मौके की नजाकत को समझते हुए आंटी की गांड के पीछे खड़ा हो गया।अब मैं आंटी की रोटी बनाने में हेल्प करने का नाटक करने लगा।
आंटी– अरे रहने दे रोहित मैं ख़ुद बना लुंगी।
मैं– अरे आंटी मुझे भी सिखाओ ना।
आंटी मुझे दूर हटाने की कोशिश तो कर रही थी लेकिन मैं आज आंटी का पानी निकालने की फ़िराक में था। मेरा लण्ड लगातार आंटी की गांड पर दबाव बना रहा था। तभी मेरा टॉवल खुल गया और अब मेरा लण्ड खुली हवा में तूफान मचा रहा था।
मैं कसकर आंटी से चिपक चूका था। तभी मैं आंटी के बोबो को दबाने की कोशिश करने लगा लेकिन आंटी बार बार मेरे हाथों को दूर हटा रही थी।
अब मेरे हाथ भी आटे में सन चुके थे। तभी मैंने हिम्मत करते हुए आंटी का एक हाथ पकड़ा और उसे पीछे मोड़कर आंटी को मेरा मोटा तगड़ा गरमा गरम लण्ड पकड़ा दिया। लण्ड हाथ में आते ही आंटी एकदम से चौंक गई और तुरंत आंटी ने हाथ को वापस खीच लिया।
अब तो मेरा लण्ड आंटी की चूत के लिए पागल हो चूका था। तभी मैंने आंटी का फिर से हाथ खिंचा और उन्हें फिर से लण्ड पकड़ा दिया। तभी आंटी फिर से हाथ को हटाने के लिए कसमसाने लगी। तभी मैंने मौका देखकर आंटी के बोबो को ज़ोर से मसल दिया। अब आंटी बोबो को बचाने की कोशिश करने लगी।
तभी डोर बेल बजी और मुझे फटाफट से आंटी के पीछे से हटना पड़ा। अब मैं मेरे कमरे में चला गया। देखा तो कृतिका स्कूल से वापस आ चुकी थी। मुझे कृतिका पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था। आज कृतिका की वजह से मैं उसकी मम्मी को नहीं चोद पाया। मैं बड़ी मुश्किल से लंड को कंट्रोल कर पा रहा था।
आंटी को चोदने के लिए मेरा लण्ड उछाले मार रहा था। लेकिन आज मुझे आंटी को चोदने का मौका नहीं मिल रहा था।फिर जैसे तैसे रात निकली और सुबह हो गई। फिर कृतिका के स्कूल जाने के बाद अंकल भी जॉब पर चले गए। अब मैं आंटी को चोदने की तैयारी करने लगा।
अब मैं पूरा नंगा होकर लण्ड पर तेल लगा रहा था। तभी आंटी नाश्ता लेकर मेरे रूम में आई। वो मुझे पहले भी नंगा देख चुकी थी इसलिये आँटी को इसबार ज्यादा परेशानी नहीं हुई। लेकिन उनके हाथ में प्लेट ऐसे की ऐसे ही रह गई। आंटी ने कुछ नहीं कहा। वो नाश्ते की प्लेट रखकर जाने लगी तभी मैंने आंटी से कहा– आंटी रुको ना। कहाँ जा रही हो? खाना तैयार है।
तभी आंटी रुक गई। आज ऋतू आँटी चुदवाने के फूल मूड में थी। अब मैंने आंटी को पकड़कर मेरी तरफ घुमाया। उनका चेहरा शर्म से लाल हो चूका था। तभी मैंने आंटी से मेरे लण्ड की मालिश करने के लिए कहा। अब आंटी ने हाथ में तेल लिया और वो मेरे लण्ड की मालिश करने लगी।मेरा लण्ड आंटी के हाथ लगते ही बहुत भयंकर गर्म हो गया।
आंटी अच्छी तरह से मेरे लण्ड की मालिश कर रही थी। तभी मैने लण्ड को पकड़ा और आंटी के मुंह में देने लगा। आंटी लण्ड नहीं लेने का नाटक करने लगी।
मैं– अरे आंटी ले लो। शरमाओ मत।
तभी आंटी ने मुँह खोल दिया और फिर मैंने झट से आंटी के मुँह में लण्ड डाल दिया। अब आंटी भूखी शेरनी की तरह मेरे लण्ड पर टूट पड़ी और झमाझम मेरे लण्ड को चूसने लगी। मैं आंटी के बालो को संवार रहा था। आंटी खचाखच मेरे लण्ड को चूस रही थी।
“ओह आंटी, आह्ह मज़ा आ रहा है।”बससस्स ऐसी ही चूसती रहो।”
आंटी को देखकर लग रहा था कि वो बहुत ज्यादा प्यासी है। वो मेरे लण्ड को चुसी जा रही थी। मुझे भी आंटी को लण्ड चुसाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आंटी चुस चूसकर मेरे लण्ड को लाल कर चुकी थी।
आंटी को मेरा लण्ड चूसते हुये बहुत देर हो थी।अब मैंने आंटी के सिर को पकड़ा और फिर आंटी के मुँह को चोदने लगा। आंटी के मूंह को चोदने में मुझे अलग ही मज़ा आ रहा था। मैं गांड हिला हिलाकर आंटी के मुंह में लण्ड पेल रहा था। आंटी मज़े से मूंह को चुदवा रही थी।
“ओह ऋतू, आह्ह , बहुत तड़प रहा था तुझे चोदने के लिए। फाड़ दूंगा आज तो तेरी चूत को।”
मैं झमाझम आंटी के मूंह को चोद रहा था।मेरा लण्ड पूरा गिला हो चूका था। अब मैंने आंटी को खड़ा किया और अब मैंने आंटी को उठाकर बेड पर पटक दिया।अब मै फटाफट से आंटी के ऊपर चढ़ गया। अब मै आंटी के रसीले होंठो पर टूट पड़ा और झमाझम आंटी के रसीले होंठों को चूसने लगा।
कुछ देर में ही कमरे में ऑउच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च की जोर ज़ोर से आवाज़े आने लगी। मैं भुखे शेर की तरह आंटी के होंठों को चुस रहा था। आंटी के राशिले होंठो को चूसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आंटी लम्बी लम्बी सांसे ले रही थी।
अब मैं आंटी के गले पर ताबड़तोड़ किस करने लगा। तभी आंटी मुझे बाहो के घेरे में कसने लगी। मैं आंटी के गौरे चिकने गले पर झमाझम किस कर रहा था।आंटी अब बहुत ज्यादा बेचेने हो रही थी। वो कभी बेड की चादर को मुट्ठियों में कस रही थी तो कभी मेरी पीठ को नाखुनो से घायल कर रही थी।
इधर मेरा लण्ड आंटी की चूत में घुसने के लिए बहुत ज्यादा तड़प रहा था। अब मैं नीचे सरका और फिर आंटी के टाइट बोबो को आंटी के बलाउज के ऊपर से ही दबाने लग गया। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। मैं आंटी के बोबो को नंगा करना चाहता था।
तभी मैंने आंटी के बलाउज के हुक खोल दिए और फिर ब्रा को ऊपर सरकाकर आंटी के बोबो को नंगा कर दिया। आंटी के बोबो को नंगा देखते ही मेरे मुँह में पानी आ गया। आहा! क्या मस्त चिकने बोबे थे आंटी के !
अब मैं आंटी के बोबो पर टूट पड़ा और बुरी तरह से आंटी के बोबो को रगडने लगा।अब आंटी दर्द से कसमसाने लगी। मैं आंटी के टाइट बोबो को ज़ोर ज़ोर से कस रहा था।
“ओह आह्ह सिससस्स आह्ह आहहह ओह उन्ह सिससस्स आहहह धीरे धीरे।”
मैं–ओह ऋतू , आह्ह बहुत शानदार माल है।
मुझे आंटी के बोबो को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आंटी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। मैं आंटी के बोबो का पूरा मज़ा ले रहा था।
“उँह सिससस्स आईईईईई आहाहाह मर गैईईईई। आहाहाह ओह सिसस्ससस्स।”
फिर मैंने बहुत देर तक आंटी के बोबो को दबाया। अब मैंने आंटी के बोबो को मुंह में भर लिया और फिर झमाझम आंटी के बोबो को चूसने लगा। आहा! बहुत ही टेस्टी बोबे थे आंटी के! अहा! मज़ा आ गया था यारो। अब आंटी मेरे बालो को सहलाते हुए मुझे बोबे चुस्वा रही थी। मैं आंटी के बोबो को जमकर चुस रहा था।
बहुत दिनों की मेहनत के बाद आज मुझे आंटी के बोबे चूसने का मौका मिला था।आज मैं मौके का जमकर फायदा उठा रहा था। मैं रगड़ रगड़कर आंटी के बोबो को चुस रहा था।
मैं– उन्ह, ऋतू आह्ह बहुत ही मस्त है तेरे कबूतर।
आंटी चुपचाप बोबो को चुस्वा रही थी। मैं भी आंटी के बोबो की जमकर लंका लूट रहा था। फिर मैंने आंटी के बोबो को चुस चूसकर लाल कर दिया। अब मै आंटी की साड़ी को एक तरफ हटाकर उनके गौरे चिकने मक्खन जैसे पेट पर टूट पड़ा और फिर आंटी के पेट पर ताबड़तोड़ किस करने लगा।
आंटी के मक्खन जैसे पेट पर किस करने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आंटी बहुत ज्यादा कसमसा रही थी। वो इधर उधर हिल रही थी लेकिन मैने आंटी को दबोच रखा था।फिर मैंने बहुत देर तक आंटी के पेट पर किस किया।
अब मेरा लण्ड आंटी की चूत की सैर करना चाहता था। अब मै फटाफट से आंटी की टांगो में आ गया और झट से आंटी की टांगो को ऊपर उठा दिया। अब मैं आंटी की चड्डी खोलने लगा।फिर मैंने आंटी की चड्डी को खोलकर आंटी के मुँह पर फेंक दिया।
मैं–ले ऋतू , रख ले इसे तेरी गांड में।
आंटी की चड्डी पूरी गीली हो रही थी। इसका मतलब आंटी पहले ही झड़ चुकी थी। अब मै आंटी की टांगो को मेरे कंधो पर रखकर उनकी चुत में लण्ड सेट करने लगा। आंटी की चूत पानी में भीगी हुई थी। उनकी चूत से महक फुट रही थी। आंटी की चूत काली घनी झांटो से घिरी हुई थी।
अब मेरा लंड आंटी की चूत में सेट हो चूका था। अब मैंने ज़ोर का झटका लगाया और मेरा लण्ड एक ही झटके में आंटी की चूत को फाड़ता हुआ पूरा अंदर घुस गया। चूत में मोटा तगड़ा लंड ठुकते ही आंटी बुरी तरह से चीख पड़ी।
“आईईईई मर्रर्रर्र गाईईई आईईईई आईईईईई।”
आंटी की छोटी सी चुत पर मेरा मोटा तगड़ा लंड बहुत भारी पड़ रहा था। आंटी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। तभी मैंने फिर से आंटी की चूत में लंड जा ठोका। आंटी फिर से बुरी तरह से बौखला गई। अब मै आंटी की चूत में लण्ड डाल कर आंटी को बुरी तरह से चोदने लगा। आंटी दर्द से चीख़ रही थी।।
“आह्ह सिससस्स आईईईईई आईईईईई बहुत दर्द हो रहा है यार।आईईईईई आईईईई ओह आह्ह आह्ह ओह मम्मी।”
मैं ज़ोर ज़ोर से आंटी की चूत में लण्ड पेल रहा था। आंटी को चोदने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था। मेरा लण्ड सकासक आंटी की चूत में घुस रहा था। आंटी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। मैं आंटी को बुरी तरह से चोद रहा था।
“आईएईई आईईईई आह्ह आहः आह्ह आह्ह धीरे ,,,,, धीरे,,,,, आह्ह मर्र्रर्रर्र गाईईई। सिससस्स आहाहाह आह्ह।”
मैं जमकर आंटी को चोद रहा था।मेरा मोटा तगड़ा लंड आंटी की चूत के परखचे उड़ा रहा था। मैं आंटी को लपक लपककर चोद रहा था। आंटी की चूत में मेरे लण्ड को बहुत ज्यादा ठंडक मिल रही थी। मेरे लंड के धक्कों से बेड भी चुड़ चुड़ बोलने लगा था।
“उन्ह आहाहाह सिसस्ससस्स आहाहाह आह्ह ओह धीरे,,,, धीरे,,,,, आहहह आह्ह आहाः आहः ओह आह्ह आहाहा।”
मेरे लण्ड की ताबड़तोड़ ठुकाई से आंटी को दिन में तारे नज़र आने लगे थे। आज तो मेरा लंड आंटी की लंका लूट चुका था। मै जमकर आंटी की चूत में लण्ड ठोक रहा था।मेरा लण्ड बुरी तरह से आंटी को चोद रहा था। आंटी की चीखे पुरे बैडरूम में गुजं रही थी।
“ओह अहाहः आह्ह आह्ह सिससस्स आईईईई आईईईई ओह सिसस्ससस्स आहाहा आहहह ओह मम्मी।”
मेरे लंड के धक्कों से आंटी बहुत बुरी तरह से हिल रही थी। मैं आंटी को ताबड़तोड़ बजा रहा था। मैं गांड हिला हिलाकर आंटी की चूत में लण्ड डाल रहा था। आंटी की चूत में मेरे लण्ड को जन्नत का सुख मिल रहा था। मेरा लण्ड आंटी की के ऊपर कहर बनकर टूट रहा था।
“ओह आहाहाह आह्ह आहाहाह अहाहः आहः अआहः सिससस्स ओह आह्ह आहहह ओह।”
अब आंटी ज्यादा देर तक मेरे लण्ड के कहर को सहन नहीं कर सकी और फिर आंटी का पानी निकल गया। पानी निकलते ही आंटी पसीने में नहा गई। वो बुरी तरह से पानी पानी हो चुकी थी।
कहानी जारी रहेगी……….
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