संजू के होठों पर मेरी लिपस्टिक लग गयी थी। मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसके होंठ पोछने लगी। उसने तुरंत मेरी कमर में हाथ डाला और पकड़ कर अपनी तरफ खिंच कर नीचे से मुझको अपने से चिपका दिया। हम दोनों के नाजुक अंग कपड़ो के अंदर से ही एक दूंसरे को छू रहे थे।
उसने अब पीछे हाथ ले जाकर मेरे नितम्बो को पकड़ लिया और कहने लगा, शुरू से इच्छा थी इनको पकडू और बिना कपड़ो के देखु, मेरी एक इच्छा पूरी कर दो।
मैंने अपने आप को छुड़ाया और उसकी और पीठ करके खड़ी हो गयी और कहा, कर लो अपनी इच्छा पूरी। वो मुझे धकियाते हुए बिस्तर के पास ले गया और पेट के बल उल्टा लेटा दिया।
उसने अब मेरा पेटीकोट साड़ी सहित ऊपर उठाया, जब तक की मेरी पैंटी पूरी ना दिख गयी। फिर उसने मेरी पैंटी पकड़ कर नीचे खींच दी और मेरे बड़े नितम्बो पर दोनों हाथों को फेरते हुए दबाने लगा।
अब उसने मेरी पैंटी पैरो से पूरी बाहर निकाल दी। मैं तुरंत उठ खड़ी हुई और अपने पेटीकोट साडी को नीचे कर दिए।
मैंने कहा बात सिर्फ देखने और छूने की हुई थी तो हो गया।
वो बोला किस अंग से छूना हैं वो थोड़े ही ना डीसाईड हुआ था। ऐसा कह कर उसने अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल दी।
मैं उसका लंड देखने लगी जो कड़क होकर तैयार था। इतना आगे बढ़ने के बाद मुझे भी पीछे मुड़ना ठीक नहीं लगा।
उसने कहा, अब ओर मत तड़पाओ, मिलन होने जाने दो, बहुत सालो से तड़पा हूँ।
मैंने पूछा प्रोटेक्शन कहाँ हैं?
उसने कहा वो तो नहीं हैं, मैंने और बीवी ने बच्चा प्लान किया था तो प्रोटेक्शन की जरुरत ही नहीं थी कुछ महीनो से।
मैंने कहा सिर्फ तुम्हारे लिए मैं थोड़ा रिस्क लेने को तैयार हूँ बिना प्रोटेक्शन के पर तुम बहुत ध्यान रखना, कुछ गड़बड़ नहीं होनी चाहिए।
समय भी कितना तेजी से बदलता हैं, कुछ समय पहले मैं और पति एक बच्चे के लिए कितने लोगो से मदद ली और दुआ करते थे अब कुछ हो जाए और आज मैं कोशिश करती हूँ कि कुछ ना हो।
खैर मैंने अब उसको बिस्तर पर लेटा दिया। सारी जिम्मेदारी मुझे ही लेनी थी। मैंने अपने कपडे नीचे से ऊपर किये और अपने दोनों पाँव उसके दोनों तरफ फैला कर उसके लंड पर इस तरह बैठी की मेरी पीठ उसके मुँह की तरफ रहे।
मैंने उसको कहा तुम्हारी पसंद के अनुसार मिलन के समय तुम मेरे नितंब देखते रह पाओगे और छू भी पाओगे। मैं थोड़ा ऊपर उठी और उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत में घुसा दिया।
इतनी देर की छुअन से वैसे भी मेरे अंदर गीला हो चूका था, तो उसका फट से अंदर फिसलता हुआ घुस गया। उसकी एक जोर की आह निकली। जिसको दिल से प्यार करते हो तो शारीरिक सम्बन्ध के वक़्त वैसे भी मजा कुछ ओर होता हैं।
मैं ऊपर नीचे होने लगी, उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर बाहर होने लगा। उसकी जोर जोर से सिसकिया चालु हो गयी। उसकी आवाज़ सुन मुझे भी मजा आने लगा।
वो मेरे नीचे के कपड़ो को अपने हाथ से बार बार उठा कर ऊपर रखने की कोशिश कर रहा था। उसने शिकायत की के मेरे कपडे नीचे गिर रहे हैं जिससे वो मेरा पसंदीदा अंग देख नहीं पा रहा हैं।
मैंने अब अपनी साडी के प्लीट्स पेटीकोट से बाहर निकालने लगी। वो भी मदद करते हुए साड़ी को पेटीकोट से अलग करने लगा।
साडी निकाल कर अलग रखने के बाद मैंने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और टीशर्ट के भांति सर के ऊपर से निकाल दिया।
जिससे अब वो मेरी पतली कमर और नितम्बो को अब आसानी से देख सकता था। वो मेरी कमर और कूल्हों पर हाथ फेराने लगा।
अब मैं उसके पैरो की तरफ आगे झुक गयी और ऊपर नीचे हरकत करते हुए उसके लंड को अंदर बाहर करते हुए उसको मजा दिलाती रही।
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उसने भी मेरे नितम्बो को पकड़ के चौड़ा कर दिया, जिससे वो अपने लंड को मेरे छेद में अंदर बाहर होते हुए देख पाए। वो सिसकिया मारते हुए बोले जा रहा था, आज तो मजा आ गया, तुम्हारे सेक्सी कूल्हों को नंगा देखा और मेरे लंड को अंदर बाहर होते हुए देख कर जन्नत मिल गयी।
थोड़ी देर हम दोनों ऐसे मजे लेते रहे। अब मैं फिर सीधी बैठ गयी। मैंने अपने हाथ पीछे किये और पीछे झुकते हुए दोनों हाथ उसके सीने पर रख दिए।
अब मैं एक बार फिर ऊपर नीचे होने लगी। उसने अपने दोनों हाथ मेरे ब्लाउज पर रख चुचियाँ दबाने लगा। फिर पीछे से मेरे ब्लाउज और ब्रा के हुक खोल दिए।
मैंने एक एक करके हाथ सीधा किया और उसने ब्लाउज और ब्रा को मेरे हाथों से पूरा निकाल दिया। मैं अब पूरी नंगी हो चुकी थी।
मेरा सीना छत की तरफ था और वो अपने दोनों से मेरे आगे पीछे उछलते हुए चूँचियो को दबा कर मसलने लगा।
मेरी चुत में अंदर बाहर होते लंड के साथ चूंचियो के दबने से मुझे भी मजा आने लगा। पर फिर मैंने सोचा ज्यादा देर करना भी थोड़ा रिस्की हैं। मैं सीधा बैठ गयी और उसके ऊपर से उठ गयी।
हालांकि दोनों का झड़ना बाकी था पर रिस्क भी नहीं लेना था। मेरा बाहर निकालना उसको भी पसंद नहीं आया। जैसे ही मैं बिस्तर से उतरी वो भी उतर गया और मुझे पीछे से पकड़ लिया।
उसने मुझे बिस्तर पर धक्का देते हुए उल्टा लेटा दिया और दोनों टाँगे ऊपर उठा कर चौड़ी करते हुए, अपनी कमर के दोनों तरफ ले गया, जिससे उसका लंड फिर मेरी चुत को छू गया।
मैं सिर्फ कोहनियो के बल बिस्तर पर थी और बाकी का शरीर हवा में था। वो मेरी दोनों जांघो को हवा में पकडे अपने कड़क लंड से मेरी चुत में निशाना लगाने लगा। थोड़ी ही देर में उसका निशाना लगा और उसने फिर मेरे अंदर अपना लंड डाल दिया।
वो मेरी दोनों जांघो को पकडे आगे पीछे करते हुए मजे लेने लगा। हवा में इतनी करतबबाजी से मैंने पहले कभी नहीं चुदवाया था और मुझे मजे आने लगे। मैं जोर जोर से आई ऊई करने लगी।
थोड़ी ही देर में फचाक फचाक की आवाज़े आने लगी और मैं झड़ने को आई तो सिसकिया चीखों में बदलने लगी।
अह्ह्ह्हह्ह संजू आज कर लो अपनी इच्छा पुरी अह्ह्ह्हह ठोको मेरी चूत को ऐसे ही अह्ह्ह्हह्ह ऐसे ही करो मेरी चूत की ठुकाई!
ये सब बड बडाते हुए, थोड़ी ही देर में चीखते चिल्लाते हुए मैं झड़ गयी।
वो अब भी मुझे बुरी तरह से चोदे जा रहा था। मैंने उसको कहा अब छोड़ दो वरना कुछ हो जायेगा। वो भी इतनी देर से मुझे आधा उठाये उठाये अब थकने लगा था तो मुझे छोड़ दिया। मैंने चैन की सांस ली।
उसका अभी हुआ नहीं था, तो मेरी तरफ तरसती निगाहो से देख रहा था।
मैंने कहा अभी मुझे रिस्क नहीं लेना हैं, तुम्हारा काम मैं हाथ से ही कर देती हूँ। उसको तो पूरा अंदर घुस कर ही करना था पर उसने हां बोल दिया, भागते भूत की लंगोटी ही सही।
उसने कहा, वाश रूम में कर लेते हैं यहाँ कमरे में गन्दा हो जायेगा। वाशरूम नीचे की तरफ था।
मैंने अपने सारे कपडे वापस पहन लिए। वो अपनी पैंट हाथ में पकडे मेरे साथ सीढ़ियों से होते हुए नीचे आने लगा।
मैंने उसको पूछा कोई अंदर आ तो नहीं जायेगा।
उसने कहा नहीं आएगा, मम्मी चाबी लेकर नहीं गए हैं। हम दोनों अब वाशरूम में घुस गए।
मैंने देखा इतनी देर में उसका लंड मुरझा कर लटक रहा था। मैंने थोड़ा नीचे झुकी और उसका लंड अपनी मुट्ठी में भरकर आगे पीछे खींचने लगी।
कुछ मिनटों की इस खींचातानी से वो फिर से खड़ा होने लगा। एक बार खड़ा हुआ तो मैंने उसको हाथ से रगड़ने लगी। थोड़ी ही देर में उसकी सिसकिया निकलनी शुरू हो गयी।
उसकी फरमाइश थी कि वो मेरे मम्मो के बीच में लंड रख कर रगड़ना चाहता है। मैंने कहा ठीक हैं पर कैसे करोगे, यहाँ तो बैठने की भी जगह नहीं।
उसने कहा बाहर हॉल में सोफे पर करते हैं।
मैंने पूछा वहा गन्दा नहीं होगा क्या, तुम्हारा पानी कहाँ निकालोगे।
उसने कहा वो मेरी चूचियों पर ही पानी निकालेगा।
पर मैंने मना कर दिया कि ऐसी गन्दगी मुझे नहीं चाहिए। आखिर में ये डीसाईड हुआ कि वो मेरे मम्मो के बीच लंड रगड़ेगा पर पानी वाशरूम में आकर ही निकालेगा।
अब हम लोग सोफे पर आ गए। मैंने अपना पल्लू हटा कर ब्लाउज और ब्रा निकाल दिया। उसने मुझे सोफे पर लेटाया और मुझ पर झुक कर अपना लंड मेरे दोनों मम्मो के बीच रख दिया।
मैंने अब अपने दोनों मम्मो को साइड से दबाते हुए उसका लंड को बीच में झकड़ लिया। वो अब आगे पीछे होता हुआ मेरे मम्मो के बीच चोदने लगा।
थोड़ी देर तक ऐसे ही करते करते वो आहें भरने लगा। मेरे सीने पर रगड़ से पसीना होने लगा या वो उसका रिसता हुआ पानी था ये पता नहीं चला।
मैंने उसको फिर चेताया पानी निकलने से पहले उठ जाना, मेरे ऊपर मत डालना। उसने बोला अभी टाइम हैं और जोर से झटके मारने लगा।
कुछ मिनट तक ऐसे करते रहने के बाद उसने अपना लंड पीछे खिंच लिया। मैंने अपने मम्मे छोड़ दिए और कहा अब वाशरूम में जाकर कर आओ।
मैंने अपना वाक्य पूरा ही किया था कि उसके लंड से एक पानी का फव्वारा छूटा और मेरी आँख पर टकराया। फिर दूंसरा फव्वारा मेरे होंठ पर आया। फिर बड़ी बड़ी बुँदे मेरी चूचियों पर आ गिरी।
मैं उसको गुस्सा में कुछ बोलती उससे पहले ही वो कान पकड़ कर सॉरी बोलने लगा और कहा कि क्या करू कण्ट्रोल नहीं हुआ। तुम्हारे मम्मे हैं ही इतने जबरदस्त।
फिर मैं भी क्या कर सकती थी। उसको कुछ साफ़ करने के लिए लाने को कहा। वो भागता हुआ गया और नैपकिन ले आया। मैंने नैपकिन से गन्दा पानी साफ़ किया। मेरा मुँह और चूचियाँ चिपचिपी हो गयी थी।
मैंने अपना ब्लाउज और ब्रा उठाया और वाशरूम में जाकर पानी से पोछ कर चिकनाई मिटाई। उसने भी अपने आप को साफ़ किया और हम कपडे पहन कर हॉल में आ गये।
उसने 5 मिनट में जल्दी जल्दी खाना खा लिया। फिर बाहर की घंटी बजी। दरवाजा खोला तो हम दोनों की मम्मिया आ गयी थी।
उन्होंने कहा सब जगह थोड़ी थोड़ी देर रुकना पड़ा और चाय नाश्ता करना पड़ा इस कारण बहुत देर हो गयी। आंटी ने पूछा तुम दोनों भी खाना खाकर ही जाओ। मेरी भूख प्यास तो वैसे ही उनके बेटे ने मिटा दी थी।
हम लोग इजाजत लेकर वहां से निकल पड़े। मम्मी ने पूछा हम गए थे तब तुम्हारी शक्ल पे बारह बजे थे, अभी आये तो एकदम खुश लग रही थी।
कुछ शक हो उसके पहले ही मैंने बोल दिया आपका इंतज़ार करते करते इतना टाइम हो गया, तो आपको देख कर ही खुश हो गयी।
आगे की हिन्दी चुदाई स्टोरी में पढ़िए घर में फंक्शन के दौरान मुझे कैसा झटका लगा।