पिछला भाग पढ़े:- टक्कर से फ़क कर तक-2
राजन ने वैसे भी मुझे मेरी ब्रा में देख ही लिया था, और दीदी भी मुझे बार-बार उकसा कर कह रही थी। तो मैं नीचे झुक कर मेरे फ्रॉक को निकालने की कोशिश करने लगी। राजन ने जब यह देखा तो फ़ौरन नीचे डुबकी लगा कर मेरी कमर के इर्द-गिर्द पानी में फैले हुई मेरी फ्रॉक को मेरे पाँव के नीचे तक ले आये। जब राजन पानी में नीचे मेरे पाँव के पास मेरी फ्रॉक निकालने के लिए बैठ गए, तब मैंने भी हिम्मत कर अपने एक के बाद एक पाँव ऊपर उठा कर राजन को मेरी फ्रॉक को निकालने दिया।
मेरे पाँव में से फ्रॉक निकालते हुए राजन कई बार मेरी करारी जाँघों को बड़े प्यार से अपने हाथ ऊपर-निचे फिराते हुए सहलाते रहते थे। एक बार तो जाने-अनजाने पानी में डूबे हुए राजन ने मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत के उभार पर भी हाथ फिरा कर उसे सहला दिया, जिससे मेरा पूरा बदन मचल उठा। उस वक्त मेरी चूत का क्या हाल हो रहा था, मैं क्या बताऊँ?
आखिर में मेरी फ्रॉक को हाथ में लेकर पानी की सतह से ऊपर उठ कर राजन ने गीले फ्रॉक को फैला कर किनारे रख दिया। मैं वहां ब्रा और पैंटी में खड़ी राजन के सामने थी। राजन की आँखें मेरे स्तनों बल्कि पूरे बदन को ऊपर से नीचे तक ऐसे घूर रही थी, जैसे वह मुझे उसी समय नंगी कर मुझ पर वहीं टूट पड़ेंगे।
मैं ऐसी अजीब स्थिति में थी कि मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या बोलूं। मैंने अपनी नजरें उनकी नज़रों से हटा दी, और लाज के मारे नीचे नजरें झुका कर बोली, “मुझे तैरना तो आता नहीं। तो मैं पानी में क्या करूँ? मैं बाहर निकल जाऊं?”
मैं यह बात समझ रही थी कि मेरी आवाज में पूल से बाहर निकलने की इच्छा कम और वहां रुकने की इच्छा कुछ ज्यादा ही दिख रही होगी। राजन ने पानी में ही मेरे करीब आ कर दीदी को दूसरे छौर पर पानी में सर डूबा कर तैरते हुए देखा। तब मुझे खींच कर अपनी बाँहों में जकड़ लिया। अपने हाथ मेरे पीछे मेरी पीठ और गांड के गालों को सहलाते हुए मेरे पूरे बदन पर फिराते हुए बड़े प्यार से धीमी आवाज में बोले, “रोमा, देखो। अब तुम पानी में आ ही गयी हो, और तुम और मैं सब जानते हैं हम अपने मन से क्या चाहते हैं। तो यह सब शर्म और हया का ड्रामा छोड़ दो। ना मुझे, ना तुम्हें यह पता था और ना ही हमारा कोई इरादा था कि आज हम ऐसे मिलेंगे और यह सब होगा। यह सब होनी ने किया। इसका मतलब जानती हो?”
मैं अवाक सी खड़ी उनकी आँखों में प्रश्नात्मक दृष्टि से देखती हुई चुप रही। राजन ने कहा, “होनी ने हमें इस हालात में इसलिए मिलाया क्यूंकि होनी चाहती है कि जो हमारे मन में है वह हो जाए, और हम अंजाम तक पहुंचे। हमारी बात सिर्फ एक दूसरे से टकरा कर खत्म ना हो। यह आगे बढ़े। जब दो दिल और दो बदन एक-दूसरे से मिलन की उत्कट चाह रखते हों तो तकदीर भी रास्ता दिखाती है। तुम प्लीज जब इस मंजर तक पहुँच ही चुकी हो, तो अब पीछे मत हटो और जो होनी चाहती है वह होने दो। बोलो, मेरी बात ठीक है की नहीं?”
मैं कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं थी। राजन का कसरती लगभग नंगा बदन और उनकी छोटी सी निक्कर में उनका वह सख्त लम्बा और मोटे कद के लंड के आकार को देख कर ही मेरे होश उड़े हुए थे। मेरे पाँव ढीले पड़ रहे थे। मैं पानी में बड़ी ही मुश्किल से खड़ी रह पा रही थी। तक़दीर से मैं पानी में थी वरना जिस तरह मेरी चूत में से झर झर रस रिस रहा था, राजन आसानी से देख लेते कि मैं उस समय कितनी चुदासी हो रही थी।
जब मैं राजन के सवाल का जवाब दिए बिना राजन से थोड़ा सा खिसक कर एक मूक बुत की तरह चुप-चाप खड़ी रही, तब राजन ने मुझे ताकत से अपनी और खींचा और मुझे एक झटके में उठा कर पूल के किनारे पारी में ऐसे बिठा दिया, जिससे मेरे पाँव पानी में लटक रहे थे। राजन खुद मेरी जाँघों के बीच आ कर खड़े हो गए, और अपना सर मेरे स्तनों के बीच में रख कर बोले, “रोमा, अब जब तुम पानी में आ ही गयी हो, तो प्लीज रुक जाओ। मैंने सोचा भी नहीं था कि यहां इस वीरान इलाके में मेरी तुम्हारे जैसी सुन्दर अप्सरा से इन हालात में मुलाक़ात होगी, पर अब जब तुम मिल ही गयी हो तो प्लीज जल्दबाजी मत करो।
इतने कम समय में मैं तुम्हें तैरना तो नहीं सीखा पाउँगा। पर मैं तुम्हें पानी में कैसे डूबा नहीं जाए यह सिखाता हूँ। बाद में हम मेरे कमरे में चलेंगे जहां तुम नहा धो कर, थोड़ा आराम कर, चाय नाश्ता करना, हम कुछ गप-शप मारेंगे और फिर बाद में तुम तैयार होकर फिर निकल जाना।” हालांकि राजन ने यह नहीं बताया कि कमरे में ले जा कर वह मेरी चुदाई करना चाहते थे, पर उन्होंने बिना कहे सब कह दिया और मैं बिना सुने सब समझ गयी।
मैंने राजन की आँखों में भी वही कामुक प्यास देखी जो मेरे जहन में तूफ़ान पैदा कर रही थी। ना मैं राजन से दूर जाना चाह रही थी, ना वह मुझे छोड़ना चाह रहे थे। मैंने हलकी सी मुस्कान देते हुए मेरी मुंडी हिला कर हाँ का इशारा किया और धीरे से बोला, “राजन, मुझे पानी से बहुत डर लगता है। मैं एक बार पहले पानी में डूबने से बच गयी थी। तब से पानी से मैं हमेशा दूर रहती हूँ।”
राजन ने मेरा हाथ थाम कर उसे दबाते हुए मुझे पूछा, “क्या तुम्हें मुझ पर विश्वास है?”
मैंने बिना कुछ बोले अपनी मुंडी हिला कर हाँ का इशारा किया। राजन ने कहा, “तो फिर तुम बिल्कुल डूबने की चिंता मत करो। बल्कि आज के बाद मैं तुम्हें इतना तो सीखा दूंगा कि आगे कभी तुम स्विमिंग पूल में उतरने से नहीं डरोगी यह मैं वादा करता हूँ।”
राजन ने मेरा रास्ता साफ़ कर दिया तो मैंने राजन की और देख कर थोड़ा सा मुस्कुरा कर थोड़े से डर के मारे पर उससे कई गुना रोमांच के मारे कांपते हुए बदन से सर हिला कर “ठीक है, अब मेरा यह बदन आपके हवाले और मेरी जान आप के हाथ में है” कहा।
मेरा सकारात्मक संकेत मिलते ही फौरन राजन मुझे अपनी बाहों में उठा कर गहरे पानी में ले गए। गहरे पानी तक जाने का रास्ता लम्बा भी था, और पानी में मुझे उठा कर चलने में राजन को काफी मशक्क्त भी करनी पड़ती थी। पानी की गहराई देख कर मेरी हवा निकल गयी। मैं राजन से इस कदर कस कर चिपक गयी, जैसे कोई बेल पेड़ से चिपक जाती है। उस समय मुझे कुछ भी होश नहीं थे कि मेरे लगभग नंगे स्तन राजन की छाती से चिपके हुए थे, और राजन का फनफनाता हुआ सख्त, लम्बा और मोटा लंड मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से कुरेद रहा था।
मैंने महसूस किया की राजन के पानी में चलते हुए मैं राजन की कमर पर ऊपर-नीचे खिसक रही थी। जैसे ही मैं राजन के बदन पर नीचे की ओर खिसकती, राजन की निक्कर में छिपा हुआ उसका लंड मेरी चूत में घुसने की कोशिश करने का दबाव बनाता रहता था। राजन फिर मुझे ऊपर उठा लेते।
एक बार तो मैं राजन की कमर से इतनी नीचे फिसल गयी कि मेरी जाँघों ने राजन की कमर के नीचे की तरफ खिसकते हुए राजन की निक्कर को भी नीचे खिसका दिया। तब मुझे महसूस हुआ कि राजन का लंड निक्कर से बाहर निकल पड़ा था, और मेरी चूत में घुसने लगा था। अगर मेरी छोटी सी लंगोट जैसी पैंटी उस समय थोड़ी सी भी इधर-उधर खिसक जाती तो राजन के तगड़े लंड को मेरी चूत में दाखिल होने में कोई रुकावट नहीं थी।
इस बात सोच कर ही मेरी चूत बेहाल सी हो कर इतना ज्यादा रस बहाने लगी थी, कि मैं मन ही मन चाह ने लगी की काश मेरी छोटी से पैंटी इधर-उधर खिसक ही जाए और राजन का तगड़ा लंड मेरी पानी बहा रही चूत में घुस ही जाए।
राजन ने मुझे गहरे पानी में एक जगह ले जा कर पारी के स्टील के पाइप को पकड़ा कर अपने दोनों हाथ से मेरे बदन को नीचे से ऊपर उठाते हुए मुझे पानी में एक के बाद एक पाँव ऊपर उठा कर बार-बार नीचे पटक ने को कहा। मैंने उस समय देखा कि राजन ने अपना बाहर निकला हुआ लंड वापस निक्कर में घुसा दिया था। मेरा चेहरा और पेट नीचे और मेर कूल्हे और पीठ ऊपर की तरफ थे। मेरे उस समय होश उड़े हुए थे।
पर राजन के सहारे टिके रहने के कारण मुझ में हिम्मत आयी और जैसे राजन ने कहा था मैं पाँव पानी में बार-बार मारते हुए पानी की सतह पर रहने की कोशिश में लग गयी। ऐसे करते हुए मैंने महसूस किया की कई बार राजन के हाथ मेरे स्तनों को भी छूते रहे, दबाते रहे जिस के कारण मेरी चूत में से और पानी रिसने लगा। कई बार राजन के हाथ मेरी चूत को भी छू रहे थे पर राजन ने कोई गलत हरकत नहीं की। अगर की भी होती तो मैं कुछ ना बोलती।
पानी में राजन की बाहों में पैर ऊपर-नीचे मारते हुए मेरा ऐसा बुरा हाल हो रहा था जो कहना मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल था। राजन मेरे हरेक अंग को छूने का मौक़ा नहीं छोड़ते थे। कई बार जब मैं पानी की सतह से नीचे जाने लगती, तो मेरे स्तनों के नीचे हाथ दे कर ऊपर की ओर उठाने के लिए सहारा देते और ऐसा करते हुए मेरे स्तनों को मसलने का मौक़ा नहीं चूकते थे। उनके ऐसा करने पर मेरा पूरा बदन रोमांच से कांप उठता था।
एक बार ऐसा हुआ कि मेरे हाथ से पाइप छूट गयी और मैं पानी में सर के बल नीचे डूबने लगी। मेरे पाँव ऊपर और सर नीचे। तब अफरा-तफरी में राजन ने मुझे कमर से पकड़ा और ऊपर की तरफ खींचा। ऐसा करते हुए मेरी पैंटी की इलास्टिक की पट्टी राजन के हाथों में आ गयी। मेरी पैंटी मेरी जाँघों और मेरे पांव में से निकल कर उनके हाथ में आ गयी और मैं नीचे से नंगी पानी की गहरायी में चली गयी।
राजन मेरी पैंटी किनारे पर फेंक बिना देर किये डुबकी लगा कर एक पल में ही मुझे कमर से कस के पकड़ कर ऊपर ले आये। ऊपर आते ही मैं खांसती हुई जोर-जोर से सांस लेने लगी। राजन ने एक झटके में पीछे से मेरे स्तनं को सख्ती से बांधे रखती हुई ब्रा के हुक खोल दिए, ताकि मैं ठीक से सांस ले सकूं। मेरी ब्रा खिसक कर साइड में हो गयी और मेरे स्तन राजन की नजर के सामने ही पूरे नंगे हो गये।
उस समय ना तो मेरी ब्रा मेरे स्तनों को छिपा पा रही थी और ना ही मेरी पैंटी मैंने पहनी हुई थी। राजन बड़े प्यार से मेरे नंगे स्तनों को और मेरी साफ़ चूत को इत्मीनान से देखते रहे। उस समय मुझे ज़रा भी संकोच नहीं महसूस हो रहा था कि राजन मुझे पूरी नंगी देख रहे थे। मुझे डूबने से बचाने के कारण मैं ऐसा महसूस कर रही थी, जैसे मेरा पूरा बदन राजन की मिल्कियत था।
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