This story is part of the Nayi Dagar, Naye Humsafar series
सब लोग अपनी अपनी जगह लौटने लगे और मैं तनाव में अपनी सीट पर बैठ गयी। मेरी मुसीबते तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी। मैंने सोचा मुझे राहुल को सब बता देना चाहिए। पर वो तो खुद मेरे मजे ले रहा था। राहुल इतना बुरा तो नहीं होगा, हो सकता हैं उसने वो सब मजाक किया हो, इस मामले में मेरी मदद कर देगा।
बहु देर तक मैं निर्णय नहीं ले पायी। फिर बहुत सोच विचार कर घंटे भर बाद मैंने जोसफ के नंबर पर मैसेज किया “मुझे पता हैं तुम मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो। अगले हफ्ते तुम जहा बुलाओगे आ जाउंगी, पर तुम्हे मेरे वीडियो डिलीट करने होंगे।”
मुझे डर लगा कही वो आज या कल ना बुला ले, मुझे थोड़ा समय चाहिए था सोचने का।मैंने पहले अपना और राहुल के बीच का सुबह वाला वीडियो डिलीट किया। फिर मैंने तुरंत अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया। अंत में मैंने सोचा मुझे राहुल की मदद लेनी चाहिए। मैं राहुल के केबिन में गयी।
राहुल:: “अरे तुम आज ही आ गयी, केबिन में करने का तो कल प्रोग्राम हैं। तुम इतना सीरियस क्यों हो?”
मैंने उसे जोसफ की ब्लैकमेलिंग के बारे में सब बताया।
राहुल: “तुम अपना फ़ोन कल पार्टी तक बंद ही रखो, मैं सैंड्रा को बोल कर जोसफ को समझा दूंगा। चिंता मत करो तुम्हे अब जोसफ परेशान नहीं करेगा, मेरी गारंटी हैं”
मुझे उसकी बात सुन सांत्वना मिली और वापिस अपनी सीट पर आ गयी।
रात भर मैं सोचती रही, एक तरफ राहुल हैं जो मेरी दुसरो से बराबर रक्षा कर रहा हैं, दूसरी तरफ हैं मेरा पति अशोक, जिसने कई बार मुझे मुसीबत में डाल दिया। मेरी इज्जत से लोगो को खिलवाड़ करने दी। मेरे दिल में अब राहुल के लिए आकर्षण बढ़ने लगा था।
अगली सुबह तैयार होते वक्त मुझे अपने वो छोटे कपड़े याद आये जो मैंने राहुल का ध्यान आकर्षित कर तारीफ़ पाने को खरीद तो लिए थे पर आज तक पहने नहीं थे। मैंने वो मिनी स्कर्ट निकाली और पहन ली। उसको पहनने का समय आखिर आ ही गया था। अब मैं ऐसे छोटे कपड़े पहन राहुल के सामने बेधड़क जा सकती हूँ। उसके ऊपर मैंने स्लीवलेस टॉप पहन लिया।
मुझे पहली बार इतने छोटे कपड़े पहने देख ऑफिस मे सबकी आँखें खुल गयी। मैं अपने हाई हील सैंडल के साथ मिनी स्कर्ट में ऑफिस में आकर्षण का केंद्र बन गयी। ऑफिस में वैसे भी शाम को होने वाली पार्टी का माहौल था।
राहुल ऑफिस में आया और आज पहली बार उसने केबिन में जाने से पहले मेरी तरफ मुड़ कर देखा। उसका मेरे ऊपर अधिकार जो बढ़ गया था। अपने जरुरी काम निपटाने के बाद उसने मुझे केबिन में बुलाया। मैं उसके केबिन में पहुंची, वो मुझे ऊपर से नीचे घूरते हुए देखने लगा ।
राहुल: “बहुत हॉट लग रही हो। ”
मैं: “थैंक यू , कुछ काम था मुझसे”
राहुल: “मैंने प्रमोशन की लिस्ट बना दी हैं , इसमें तुम्हारा भी नाम हैं । बधाई हो ”
मैं: “थैंक यू सो मच।”
राहुल: “ट्रीट तो बनती हैं।”
मैं: “ठीक हैं, कौनसी मिठाई खाओगे ले आउंगी। ”
राहुल: “मुझे मिठाई इतनी पसंद नहीं, जूस पी लूंगा।”
मैं: “ठीक हैं, मिल जायेगा।”
राहुल: “तो पिलाओ अभी।”
मैं: “चलो बाहर शॉप पर। ”
राहुल : “फ्रूट का नहीं, मुझे तुम्हारे दोनों होंठों का रस पीना हैं। ”
जिसका मुझे डर था वही हो रहा था। वो मुझे शर्मिंदा कर रहा था।
मैं: “मुझे नहीं चाहिए ऐसा प्रमोशन।”
राहुल: “प्रमोशन तो तुम्हारा हक़ हैं, ट्रीट नहीं देनी तो मत दो, एक दोस्त की हैसियत से मांग रहा था, कोई जबरदस्ती नहीं। ”
मैं अब वापिस मुड़ कर जाने लगी।
राहुल: “मैंने सैंड्रा से बात की थी जोसफ के बारे में। जोसफ कल बाहर जा रहा हैं किसी ख़ास काम से, अगले हफ्ते उसके आने के बाद सैंड्रा उसे समझा देगी। ”
मैं: “थैंक यू, मैं कल सुबह तक फ़ोन बंद ही रखूंगी। तुमने मेरी बहुत बड़ी हेल्प की हैं। ”
राहुल: “मैं तो तुम्हे दोस्त मानता हूँ, तुम मानो या ना मानो।”
मैं: “तुम नाराज हो? पर मैं ये नहीं कर सकती। ”
राहुल: “जैक को तो चूमा था।”
मैं: “सिर्फ दो सेकंड के लिए इजाजत दूंगी, और ये आखिरी बार होगा। ”
राहुल: “पांच सेकण्ड्स और दोनों होंठो पर।”
मैं: “हम्म, ठीक हैं पांच सेकंड से एक सेकंड भी ज्यादा नहीं, मैं गिनूँगी।”
मैं राहुल के करीब पहुंची, हम दोनों की ही साँसे बहुत तेज चल रही थी। दो बार चूमते चूमते मैंने उसे रोक दिया था और आज आख़िरकार पांच सेकंड के लिए ही सही मैंने उसे इजाजत दे दी थी। उसने अपने दोनों हाथ मेरे एक एक कान के नीचे गले के पास रखे और मुझे अपने करीब खिंचा। हम इतने करीब थे की एक दूसरे की गरम साँसे महसूस कर रहे थे।
उसने अपना सर थोड़ा तिरछा किया और मैंने अपने होंठ जरा सा खोल कर आँखें बंद कर ली। वो घड़ी आ चुकी थी जब पहली बार राहुल मुझे चूमेगा। जल्द ही मेरा ऊपर वाला होंठ उसके दोनों होंठो के बीच था, और उसने उसे चूसना शुरू कर दिया। मेरी गिनती चालू थी और उसने मेरे होंठ तीन बार ही चूसे थे कि मैं अलग हो गयी पांच सेकंड हो चुके थे।
मैंने आँखें खोली । मेरे होंठ उसके रस से गीले हो चुके थे और उसके होंठ मेरे रस से। मेरी साँसे और भी गहरी हो चुकी थी। वो फिर से आगे बढ़ा, अपने वादे के मुताबिक उसको मेरा निचला होंठ भी चूसना था। इस बार उसने अपने होंठो के बीच मेरा निचला होंठ भरा और जल्दी जल्दी मेरा रस लेने लगा। उसका मजा शुरू ही हुआ कि मेरे पांच सेकंड हो चुके थे और हम अलग हुए।
मैंअपने होंठो पर जबान फेर रही थी क्यों कि वहा मीठी गुदगुदी हो रही थी। वो मुझे तरसती निगाहो से देख रहा था मुँह को लगा हाथ को ना आया। उसकी प्यास तो पूरी मिटी भी नहीं थी। मैं मुड़ कर जाने लगी और उसने मुझे रोक लिया।
राहुल: “कहाँ जा रही हो? नीचे के होंठ बाकी हैं अभी।”
मैं: “अभी निचला होंठ ही तो चूसा था तुमने। ”
उसने मेरी चूत की तरफ इशारा किया और बोला : “मैं यहाँ के, नीचे के होंठो की बात कर रहा था।”
मैं: “नहीं वहां नहीं, मैं कपड़े खोल नहीं दिखा सकती”
राहुल: “कल तो खोले थे ”
मैं: “पर सामने से तो नहीं दिखाया था ”
राहुल: “फिर भी पीछे से तुम्हारे नीचे वाले होंठ दिख रहे थे, वैसे ही दिखा दो, मैं रस ले लूंगा ऐसे ही।”
मैं: “सिर्फ पांच सेकंड के लिए। ”
राहुल: “पांच सेकंड अगर आगे से होंठ चूमने दोगी तो। पीछे से कोई समय सीमा नहीं होगी। सोच लो।”
मैं अभी भी शर्म से राहुल को अपनी चूत सामने से दिखाने में असहज थी। इसलिए पीछे से मेरी चूत का रस पिलाने के लिए मान गयी।
मैं: “पीछे से चुम लो, पर सिर्फ एक मिनट। मंजूर हो तो बोलो वरना मैं जाती हूँ। ”
राहुल: “ठीक हैं, मेरे टेबल पर आ जाओ।”
वो अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया और मैं उसकी तरफ पीठ कर खड़ी हो गयी। उसने मेरी मिनी स्कर्ट का हुक खोल कर ढीला कर दिया और नीचे से हाथ डाल कर मेरी पैंटी पूरी निकाल दी। फिर मुझे अपनी टेबल पर चढ़ा कर मुझे कल की तरह कोहनियो और घुटनो के बल बैठा दिया। उसने मेरी मिनी स्कर्ट को ऊपर की तरफ खींच कर मेरी गांड को नंगा कर दिया।
उसकी पहले की चुंबन और बने माहौल से मेरी चूत वैसे ही थोड़ी गीली हो अपना रस छोड़ चुकी थी।
राहुल: “अपने पाँव और खोलो, अपने होंठ पुरे दिखाओ….हां ऐसे….पहले थोड़ा रस बनाता हु फिर चूसूंगा”
ये कहते हुए उसने अपनी ऊँगली मेरी खुली चूत की दरार में रगड़नी शुरू कर दी। उसकी ऊँगली की रगड़ से मेरी गांड और टाँगे थरथराने लगी। इसके साथ ही मेरी चूत में और पानी बनने लगा और बाहर आने को उतारू हो गया। मगर वो अपनी ऊँगली प्यार से फेरता रहा। मैं मेरी चूत के होंठ गीले महसूस कर रही थी।
मैंने अपने सर को दोनों हाथों के बीच डालते अपनी दोनों टांगो के बीच देखा। राहुल की ऊँगली मेरी चूत पर घुम कर गीली हो चुकी थी। मेरी चूत के होंठ खुले थे और बीच में घाटी बन चुकी थी जहा उसकी ऊँगली रगड़ रही थी । थोड़ी देर बाद तो मेरी चूत से दो तीन बून्द पानी नीचे टेबल पर टपक पड़ा।
मैं: “बन गया रस, अब जल्दी से पी कर ख़त्म करो ये नाटक”
राहुल: “तुम बोलो तो ऊँगली की जगह थोड़ी मोटी चीज डाल दू? ज्यादा मजा आएगा दोनों को ”
मैं: “नहीं, मैं अपनी चीख रोक नहीं पाऊँगी, ये ऑफिस हैं।”
राहुल: “तो आज शाम पार्टी में कर सकते हैं ?”
मैं: “तुम्हे ये काम करना हैं या मैं जाऊ ?”
उसने अब ऊँगली रगड़ना बंद किया और मैं उसके होंठ और दाढ़ी को अपनी दोनों टांगो के बीच देख सकती थी। उसके मुँह के होंठ मेरी चूत के होंठो पर लग रस चाट कर मजे ले रहे थे और मैं हलकी सिसकियाँ निकाल रही थी। मैंने भी घडी का ध्यान नहीं रखा और वो एक मिनट की बजाय काफी ज्यादा मेरे चूत के होंठो को मुँह में दबा मजा लेता रहा।
मैं अनियंत्रित होने लगी, कही मैं झड़ ही ना जाऊ इसलिए मैंने उसको रोका और थोड़ा आगे हटी। अपनी स्कर्ट नीचे कर दी और पीछे खिसक कर टेबल से उतर गयी । मैं अपनी स्कर्ट का हुक फिर बांधती उससे पहले ही उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर मुझ सहित अपनी कुर्सी पर बैठ गया। मैं उसकी जांघो पर बैठी थी।
उसने एक हाथ से मुझे झकड़े हुए दूसरे हाथ से अपने पैंट की चैन खोल दी और अपना कड़क हो चुका लंड बाहर निकाल दिया। वो एकदम तैयार था चोदने के लिए। क्या वो मुझे यही ऑफिस में चोदने वाला था। मैं उसको मना करने लगी कि यहाँ नहीं कर सकते पर उसने मेरी स्कर्ट को पीछे से ऊपर कर अपनी गोद में बैठा लिया।
मैं अपनी गांड पर उसके कठोर लंड की छुअन का अनुभव कर रही थी। मेरी चूत तो पहले ही गीली थी तो आसानी से उसका लंड एक झटके में मेरी चूत के अंदर फिसल गया। बाकी का उसने जोर लगाते हुए मेरी चूत में चार पांच इंच लंड अंदर कर दिया। मैं उठने की कोशिश कर रही थी पर वो मुझे नीचे बैठाये रख रहा था।
मैं उठने की कोशिश करती और वो मुझे नीचे बैठा देता, इस चक्कर में उसका लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। मैं तो पहले ही झड़ने वाली थी पर अब उसके लंड की चूत में होती रगड़ से मैं झड़ने की करीब आ गयी।
मैंने अब ऊपर उठना ही बंद कर दिया। पर उसका लंड उत्तेजना के मारे मेरी चूत में बिना हरकत के ही सिकुड़ और फुल रहा था। जिससे मेरी चूत में भी कम्पन हो रहा था। मैं किसी भी क्षण झड़ने वाली थी।
मैं: “राहुल, मेरा पानी निकलने वाला हैं, तुम्हारी पैंट खराब हो जाएगी।”
राहुल ने मुझे छोड़ दिया और बोला: “चलो छोड़ दिया, तुम्हारी इच्छा तुम उठना चाहती हो या चुदना चाहती हो”
मेरी ऐसी हालत थी कि मैं चाहते हुए भी उठ नहीं पा रही थी। मैंने सोचा मैं पूरा कर ही लेती हूँ। पर तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और मैं घबरा कर राहुल के ऊपर से उठी। एक सांस में मैंने जल्दी से अपनी स्कर्ट नीचे की और उसका हुक लगा लिया। मैं वापिस टेबल के दूसरी तरफ आ गयी, तब तक राहुल ने भी अपनी चैन बंद कर कुर्सी सही लगा ली।
ये सब मुश्किल से पांच सात सेकण्ड्स में हो गया और राहुल ने दस्तक देने वाले को अंदर बुलाया। वो सुधा आंटी थी, वो शायद किसी काम से आयी थी।
मैं एकदम घबराई हुई खड़ी थी और राहुल से इजाजत लेकर बाहर आयी और सीधा वाशरूम गयी। मेरी चूत में अभी तक हलकी सी हलचल थी, मेरी पैंटी भी राहुल की कुर्सी के आस पास कही गिरी पड़ी थी जो जल्दबाजी में मैंने नहीं उठायी थी क्यों कि पहनने का समय ही नहीं था ।
मैं बाल बाल बची, अगर कोई बिना दस्तक अंदर आ जाता तो पुरे ऑफिस में मेरी ही बातें होती। वाशरूम से मैं वापस आयी देखा सुधा आंटी केबिन से बाहर आ चुकी थी।
मुझे अंदर जाकर अपनी पैंटी लेनी थी पर हिम्मत नहीं हो रही थी। मैं सीधा अपनी जगह आकर बैठ गयी। अंदर पैंटी नहीं पहने होने से कुछ खाली खाली सा लग रहा था। करीब आधे घंटे बाद मैं फिर राहुल के केबिन में गयी।