कहानी पुरुष के माध्यम से – नमस्कार मेरा नाम नील है यह जो मै कहानी लाया हु उसमे नाम का प्रयोग मेरा कर रहा हु पर यह कहानी सही में मेरे पे आधारित नहीं है, ऐसी घटना मेरे साथ नहीं घटी पर सिर्फ नाम मेरा इस्तेमाल कर रहा हु और इस कहानी मे मेरा किरदार खलनायक जैसा है.
अब कहानी पे आते है..
युवा अवस्था में प्रवेश करते ही मै सुंदरता और हुस्न से आकर्षित होने लगा, कभी ऐसा लगता काश कोई साथी मिल जाये जैसे की गर्लफ्रेंड, कभी लगता जल्द शादी हो जाये पता नहीं मन बावरा हो चला था,.
ऐसे में पोर्न विडियो की वेबसाइटों देखने की और सेक्स कहानी पढने की आदत लग गयी फिर तो क्या था.
हर औरत खुबसूरत लगने लगी काली गौरी जवान और शादीसुदा, खास कर शादीशुदा औरतो का फिगर देख के लगता थोड़ी देर में मेरा शरीर फट जायेगा, क्या सही क्या गलत कुछ सूज नहीं रहा था,. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
स्कूल में टीचर्स को अनजाने में छू ने की कोशीस करता, होमवर्क के बहाने नजदीक आये वैसा करता था, सोसायटी की औरतो से जानबुझ के टकराने की कोशिश करता वह भी बच्चा समज के ध्यान में न लेती,.
शाक मार्केट जाके जो औरते और लडकिया जुक कर शाक की खरीददारी कर रही होती वहा से गुजर कर उसके पीछे छू ता तब ऐसा लगता यही पकड़ के कुछ कर दू, जब कोई खुबसूरत भाभी अपने पति के साथ जा रही होती तब उस आदमी से इतनी जलन होती की उसके सामने इस भाभी को चोद दू.
ऐसे ही स्कूल में से कॉलेज लाइफ में आ गया अब तक काफी लडकियों को गर्लफ्रेंड्स बना चूका हु,और काफी ओ के साथ मजे भी किये ,
कॉलेज लाइफ में एक घटना घटी जिसके बारे में बताता हु.
जब में कॉलेज में पढाई के लिए शहर आया तब मैंने एक सोसाइटी कहो चोल कहो या फिर रहने के क्वाटर्स,.
सब आमने सामने अपार्टमेन्ट थे और हर अपार्टमेन्ट में चार माले थे हर माले पे दो या किसी में चार फ्लेट टाइप थे जिसमे चार फ्लेट वालो में सिर्फ एक रूम बाथरूम और किचन मेने उस चोल में एक रूम वाला फ्लेट भाड़े पे लिया,.
बारिश का मौसम था एक दिन जब में बोर हो रहा था तब छत पे बैठने चला तब हल्की हल्की बारिश चालू हुई में छत पे बैठे बारिस का आनंद ले रहा था तब मरे पीछे के अपार्टमेन्ट की छत पे एक औरत कुछ सुखाने डाला होगा वह दौड़ती दौड़ती लेने आई मेरी नजर उनपे पड़ी शादीशुदा थी, काफी खुबसूरत और पतली नहीं पर मादक फिगर था उसने भी मुझे देखा पर जैसे लोग सामने देख के चलते बनते है वैसे पर मेरा उसपे दिल आ गया,.
फिर में उसको फॉलो करने लगा जैसे की वह दिन भर क्या करती है, सुबह वह बालकनी में कपडे सुखाने आती तो में अपनी पीछे की बालकनी से उसे देखता रहता, पीछे वाले अपार्टमेन्ट का रस्ता मेरे अपार्टमेन्ट के बाजु से था, जब वह दूध लेने जाती तब में अपार्टमेन्ट से बाहर निकल कर उसके सामने से गुजरता, वहा चोल के गेट के सामने एक गार्डन था लोग उसमे कसरत करने आते थे वोक वगेरा और भाभी भी आती थी में कभी 8 बजे से पहले उठा नहीं पर इसके पीछे में सुबह 5 बजे उठने लगा,.
एक बार वह अपने पति के साथ बाहर जा रही थी तब उसकी सास ने पुकार के बोला की हर्षा बाजार से हिंग लेके आना तब पता चला की उसका नाम हर्षा है, सब अपार्टमेन्ट फ्लैट नंबर के साथ नाम लिखा हुआ होता है मैंने पता किया उसके पति का नाम क्या है फिर फोन डिक्सनेरी से उसका नंबर पता किया काफी बार लगाया कभी उसका पति तो कभी उसकी सास फोन उठाते तो कभी उसका 6 साल का बेटा फोन उठाता..
नसीब के जोर से एक बार हर्षा ने फोन उठाया उसके हेल्लो बोलते ही शायद में एक बार मर के जिन्दा हो गया, शायद मुझे लगा की वह भाप गयी की किसने फ़ोन किया, वैसे उसको पता तो लग गया था की मेरी नियत के बारे में, जब वह बाल धो के सुखाने बालकनी में आती में देखता रहता, फिगर 34-28-34+ था देखते ही नोच के का मन करे, पर जब में रोज हर्षा को रोज देखता वह उसके बाजु के अपार्टमेन्ट में दुसरे माले पे एक बूढ़े दादाजी बालकनी में ही बैठे रहते है वह सब देखते थे पर मेने उसपे ज्यादा ध्यान नहीं देता क्युकी बुढा क्या कर लेगा,.
ऐसे ही दिन गुजरते गये, एक दिन मेरे दरवाजे पे नोक हुयी दरवाजा खोला तो हर्षा भाभी थी, दरवाजा खोलते ही बरस पड़ी उसका गुस्सा सातवें आसमान पे था ,मेरे कदम पीछे पड़ने लगे.
हर्षा : क्या लगा रखा है यह सब ?
में: क्या ?
हर्षा : अब नासमझ बन रहे हो … क्या में नहीं जानती तुम क्या कर रहे हो में तो सिर्फ चुप इसलिए थी की मेरा लेनादेना नहीं है पर अब मेरे घर पे फोन करने लगे हो, क्या समझ के रखा है मुझे ?? क्या हर औरत रंडी होती है?
मै: मैंने कब ऐसा कहा पर माशूका तो हो शकती है ना.
हर्षा भाभी : ओर लाल हो गयी ,,, मुह बंध रखो पर में उसके सवाल का जवाब निडर हो के दे रहा था .
हर्षा भाभी: क्या करना है अब ? यही से संभल जाओ, समजे और मुड के चली तभी मुझमे कहा से इतनी हिम्मत आ गयी और बोल दिया करते है ना.
हर्षा भाभी: क्या ?? (और घुर के ) फिर से बोलो क्या बोला तुमने ?
मै: करते है ना ? किसीको पता नहीं चलेगा.
हर्षा भाभी : अच्छा ठीक है में अपने पति को फोन करती हु उस से परमिशन ले लो फिर ठीक है (पुरे गुस्से में)
हर्षा भाभी : फोन करके बुलाऊ ??
मुझे जैसे सांप सूंघ गया हो वैसे चुप रहा और वह चलती बानी.
तब फिर से में बोल पड़ा : बुलाओ.
हर्षा भाभी : क्या ?
मैं: हा , बुलाओ में पूछ लेता हु.
तब वह सांप सूंघ गया हो वैसे चुप हो गयी और में उसके नजदीक गया और बोला कम से कम एक किस दे दो और बात खत्म करते है, मेरी ख्वाइस पूरी हो जाये, और में फिर धीरे धीरे आगे बढ़ा और उसके होठ पे होठ रखे और स्मूथ और रसभरी किस करने लगा.
उसका कोई रिएक्सन न मिलते मैंने उसके कमर पे हाथ डाल दिया और दरवाजे को बंध कर किस करने लगा, लगभग 5 से 7 मिनिट तक उसके होठो को चुस्ता रहा फिर उसके ब्लाउज को खोलने लगा तब उसने कहा आज नहीं में दूध लेने जा रही थी और चुपके के से यहा आई हु फिर कभी.
यह उसका पहला कदम था बहक ने का क्युकी की मेरी निडरता और बोलने का तरीका उसे भा गया था.
फिर तो उसके पति के जाने के बाद रोज फोन पे बाते और गार्डन में वोक के बहाने मिलना, औए बालकनी से इशारे वगेरा पर वह बूढ़े दादाजी को कैसे भूल सकते है हम इशारे करते वह सब देखता रहता पर हमें कुछ फरक नहीं पड़ता, फिर मैंने उसके बेटे से दोस्ती बढाई उसे चोकलेट और उसके साथ गार्डन में खेलना, उसे घर पे कार्टून की और बच्चो की कहानिया की किताबे देने जाता और उसी बहाने हर्षा भाभी को किस वगेरा करता, में उसके बेटे अंश के लिए किताबे और खेलना कूदना सब करता इसी लिए उसकी सास को कुछ पता नहीं था वह भी घर पे ही होती,.
एक बार उसकी सास और उसका बेटा बाजार घुमने वगेरा गये थे तब उसने फोन किया की.
हर्षा भाभी : ससुमा और अंश बाहर गये है आ जाओ उसे तो आने में काफी टाइम लगेगा.
मै : ठीक है जान.
उसके बाद में उसके घर गया.
हर्षा भाभी : पहले में तुमारे लिए चाय बनाके लाती हु.
और वह किचन में गयी में उसके पीछे पीछे किचन में गया वह चाय बना रही थी मैंने उसे पीछे से पकड़ा और गर्दन को चूमने लगा उसने साड़ी पहनी थी और बेक लेस ब्लाउज में उसकी पीठ को चूमने लगा चाटने लगा.
वह सिस्कारिया भरने लगी दोनों के शरीर में से गर्मी फूटने लगी मैंने उसका ब्लाउज खोला और पीछे से उसके बूब्स दबाने लगा काफी मुलायम थे उसके बूब्स,.
फिर पूरी पीठ चाटने के बाद हर्षा भाभी को घुमाया और किचन के प्लेटफोर्म पे बिठाया और जोरो से डीप किस करने लगे हम, वह मेरे शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पीठ पे नाख़ून घुसाने लगी, मेरे बालो को नोच कर काफी वाइल्ड किस कर रही थी. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
फिर मे उसके बूब्स चूसने लगा और साड़ी उठा कर उसकी चूत चाटने लगा काफी नमकीन और पूरा रस छोड़ रही थी
हर्षा भाभी सिस्कारिया पे सिस्कारिया भर रही थी मेरे बालो में वह हाथ फेरती जा रही थी और मेरे सर को उसकी चूत की ओर दबा रही थी मेने शायद आधा कप जितना उसकी चूत का रस पिया
उसके बाद मैंने हर्षाभाभी को गोदी में उठा के उसके बेडरूम में ले गया और जाते जाते गैस बंद करके गये
(गैस का बटन हमेशा बंद करना न भूले – क्युकी थोड़ी तकेदारी से दुर्घटना से बचे और बचत भी होगी)
बेडरूम में जाके हर्षाभाभी को बेड पे पटका और में जोरो से किस करने लगा फिर उसने मुझे घुमाया और हर्षाभाभी मेरे ऊपर आ गयी फिर मेरी पेंट खोली मेरा फनफनाता लंड निकाला और चूसने लगी
मेरे से रहा न गया मेरे सारा माल छोड़ दिया फिर भी मेरा मन और लैंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था
फिर उसने मुझे अपने ऊपर लेटाया और मेरा लैंड बड़ी अदा से पकड़ कर चूत पे रखा और इशारा किया
मेने धक्का देते हुए लैंड अन्दर डाला
हर्षाभाभी: हीईईईई ह्म्म्म
चूत गीली थी लैंड सरकते हुए अन्दर गया
हर्षाभाभी: आई लव यु … और चोदो में आज पूरी तुमारी बन जाना चाहती हु नील और चोदो आआआईईई हममम स्शह्ह्ह्ह
मै: में भी तुमे ऐसे ही चोदते रहना चाहता हु..
फिर वह मेरे ऊपर आ गयी और बड़े चाव से अपने कुल्ले हिलाने लगी में भी गांड पे चपाटे मार रहा था और होठो को चुसे जा रहा था
फिर उसने कुल्लो के उछालने की स्पीड बढ़ा दी और मेरे बालो को भीच ने लगी और जोरो से सिस्कारिया भरने लगी और मेरे ढेर हो गयी में भी अब होने वाला था में थोड़ी देर उसके कुल्ले पकड़ कर जोरो से धक्के देनें लगा फिर में भी ढेर हो गया काफी देर तक चुदाई चली ,थोड़ी देर हम ऐसे ही सोते रहे फिर उठे और कपडे पहने और में घर आ गया फिर जब भी मौका मिलता चुदाई होती कभी कभी वह अपनी सास से सहेली के घर जाने का बहाना बनाके मेरे रूम पर आती और अलग अलग जगह पे चुदाई होती
एक बार में उसके लिए साड़ी ले के गया गिफ्ट चुदाई के बाद उसको गिफ्ट दी तब उसने बताया की उसके पति जो साड़ी खरीद के लाते है वह मुझे ज्यादा पसंद नहीं आती पर जो यह तुम लाये हो वह बहुत बढ़िया है
हर्षाभाभी : आई लव यु नील, पर अगर हम कभी पकडे गये तब मेरे पति मुझे घर से निकाल देगे
और वह चिंता करने लगी
हर्षाभाभी: अगर उसे पता चल गया और ऐसा होगा तब तुम मुझे अपनाओगे न मुझसे शादी करोगे ना? बोलो
में उसके सवाल पे गंभीर हो गया (मन से हर्षाभाभी को चोदना तो चाहता था पर हर्षाभाभी को बीवी बनाना नहीं चाहता था – ऐसी औरत जो अपने पति के अलावा किसी और से भी सबंध रखे )
में कन्फ्यूज्ड था अगर मै अब क्या हुआ आज तक बड़े मजे लिए तब ठीक था और जब ऐसे हालात आये तो भाग रहे हो? पर यह सच था
में हर्षाभाभी के सवाल पे हा नहीं कहना चाहता था की अगर ऐसा होगा तो में शादी करुगा
मै: उसे गले लगा के बोला की उसे नहीं पता चलेगा , हम नहीं पकडे जायेगे
तब हर्षाभाभी को भी थोड़ी भनक हुयी की इस जवाब का मतलब क्या है
ऐसे ही चलता रहा
फिर एक दिन मेने फोन किया में आ रहा हु हर्षाभाभी ने सिर्फ हम्म बोला फोन रख दिया,
में कुछ किताबे अंश के लिए भी लेते गया जब मैंने दरवाजा खटखटाया तो उसके पति ने खोला
(उसके पति का नाम करन था )
करन : बोलो क्क्क्या क्काम है ?
तब पता चला उसका पति थोडा पर बहुत नहीं हकलाता था इसी लिए हर्षाभाभी मेरे बोलने के अंदाज़ पे फिद्दा थी
मै: कुछ नहीं वह अंश को किताबे देने आया था
करन: अंश को किताब देके हर्षा की लेने आया था (चिल्ला के )
अन्दर हॉल में हर्षाभाभी मुह निचा करके खड़ी थी में सब समज गया
करन : तुझे क्या लगता है मुझे कुछ नहीं पता चलेगा साले मादर चोद , भेनचोद
फिर जो मुझे थप्पड पे थप्पड पड़ने लगे में वहा से में भागा पर करन पीछे दौड़ते दौड़ते मार रहा था में तो वहा से निकल गया और रूम पे आ गया उसने जाते जाते इतना सुना उसके मुह से की साले तुझे क्या लगता है मैं तुम्हे छोडूंगा नहीं,
फिर दुसरे दिन दोपहर को रूम का दरवाजे पे नोक नोक हुई मैंने देखा तो हर्षाभाभी थी रूम खोलते ही वह अन्दर आई दरवाजा बंद करके बोली की जितनी जल्दी हो शके तुम यहा से कही और चले जाओ इस एरिया से निकल जाओ क्युकी मेरे पति ने पूरा बदला लेने का सोच रखा है वह सिर्फ दीखते शांत है पर मेरे ससुराल वाले बड़े पहचान वाले है और चली गयी
वह आई और चली भी गयी में कुछ बोल भी नहीं पाया
अब कहानी हर्षा (यानि स्त्री के माध्यम से) {कहानी की फ़्लैश बेक साड़ी गिफ्ट देने के बाद से शरु)
एक दिन करन कबोट में अपनी चीज़ रख रहे थे तब नील की दी हुई साडी पे ध्यान पड़ा
करन: यह तुमने कब ली
मै : जब सहेली के वहा गयी थी तब वहा बेचने वाला आया था
करन : कौनसी सहेली?
मै: रीना
तब मुझे करन के चेहरे पे शक की लकीरे दिखाई दी
दुसरे दिन जब वह काम से लौटे तो आते ही अंश को पैसे दिए और बोले जाओ दादी के साथ घूमके आओ और यह पैसे से जो खिलौना वगेरा खरीदना हो खरीद लेना. यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
तब मुझे कुछ दाल में काला लगा की करन क्यु अंश और सासु माँ को बाहर भेज रहे है पर वह तो मुझे उनलोगों के जाने के बाद पता चलने ही वाला था
उसके जाते ही करन ने दरवाजा बंद किया और आके इतना जोर से थप्पड जड़ दिया की थोड़ी देर तक
सिर्फ त्न्न्नन्न्न्नन्न ही सुनाई दे रहा था और आंख से आंसू निकल आये
करन: रंडी हो तुम? (चिल्ला के)
मै समज्ञ गयी मैंने सिर्फ मुह हिलाके ना बोली
वह बाजु की खिड़की पे झाड़ू पड़ा था उठा के जैसे 3 इडियट्स में आमिर खान को बोमन ईरानी ने छाते से हाथ पे मारा था
वैसे ही मुझे करन ने जोरो से झाड़ू से मारा
और तब की रात का खाना चुपछाप हुआ सुबह अंश की छुटी थी तो करन ने सासु माँ और अंश को किसी रिश्तेदार की वहा भेजा
उन लोगो के जाते ही
करन : लगा तेरे यार को फोन
में : नहीं
तभी नसीब की करनी के नील का फोन आया
करन : देखो आशिक को याद करते ही माशूका को फोन किया
करन ने बोला स्पीकर पे रखता हु उसे बुला
करन ने उठाया
नील : में आ रहा हु
मै: ह्म्म्म
और करन उसके आने की राह देखने लगे
जब नील आया उसके बाद क्या हुआ वह तो आप लोगो को पता है
उसके बाद….
करन नील के पीछे भाग के मार के आया आते ही मुझे अपने पास बिठाया
करन: सॉरी
मैंने सिर्फ उसके सामने देखा और फिर नजरे झुका ली
करन: में ततुमे मारना नहीं च्चाहता था पर ततुम ही बताओ ककीसको ऐसी हरकत पे गुस्सा नहीं आएगा
मैंने ततुमें किसी चीज से वंशीत रखा? ककीतना प्यार ककरता हु,, फफिर भी ततुमने ऐसा किया???
मै करन को जोर से लिपटकर रोने लगी
मै: सॉरी,, में बहक गयी थी,,,, रस्ता भूल गयी थी,,,,, किसीसे मोहित हो गयी थी
और करन से लिपट कर रोती रही
करन मुझे शांत करा रहा था कोई बात नहीं लौट के बुध्धू घर आये
पर में दिन भर रोती रही जब भी करन का चेहरा देखती रो पड़ती
तब मन में ऐसा लगता की उसने पुरे मजे लिए पर जब बीवी के रूप में अपनाने की बात की थी तो उसने बात टाल दी थी यानि वह उसका प्रेम नहीं सिर्फ हवस थी
और एक और मेरा पति जो इतना कुछ होते हुए भी मुझे अपना रहा है फिर भी मुझसे प्यार करता है
यह मेने क्या कर दिया में तो अपनी ही नजरो में गिर गयी
रात में खाने के वक़्त
जब मेरे मुह से एक निवाला भी अन्दर नहीं जा रहा था तब करन ने मुझे अपने हाथ से खाना खिलाया
और फिर से में रोने लगी तब करन ने बोला हम यह सोसायटी छोड़ देंगे ताकि तुम नयी ज़िन्दगी शरु कर शको
मै: हम क्यु जाये? जायेगा तो वोह
फिर दुसरे दिन में उसके फ्लैट जाके खटखटाया
उसने दरवाजा खोला मैंने अन्दर जाते ही बोली
जितनी जल्दी हो शके तुम यहा से कही और चले जाओ इस एरिया से निकल जाओ क्युकी मेरे पति ने पूरा बदला लेने का सोच रखा है वह सिर्फ दीखते शांत है पर मेरे ससुराल वाले बड़े पहचान वाले है और चली आई
तब मैंने नोटिस की के मेरे हाथ पे निशान थे उसने देखा पर पूछा भी नहीं वह उसकी सोच रहा था की यहा से निकलू, जब उसने मेरे निशान की ओर देखा तब में बोली : तुम तो भाग गये मैं कहा जाऊ, तब वह बिल्कुल चुप रहा और मैं वहा से निकल आई
दुसरे दिन जब देखा तो करन बाहर खड़े थे
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
में जब बाहर आई तो देखा की नील अपना सामान टेम्पो लोड करवा रहा था यानि वो घर छोड़ के जा रहा था
मैंने करन के कंधे पे सर रखा और करन साइड से लिपटी और करन ने मेरे माथे को चूमा, और यह सब नील जाते जाते देख रहा था
आज तक यह तो पता नहीं चला की करन कैसे पता चला (सहेली,ससुमा, अंश,साड़ी या फिर वह बूढ़े दादाजी) पर एक बात समज में आई बुरे का अंजाम बुरा होता है
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