हेलो दोस्तो तो जैसा आपने पार्ट 6 में पढा की पापा को हद से ज्यादा दारू पिलाकर सरपंच जी ने उनको नशे में धुंद कर दिया और फिर मम्मी को जोर जोर से चोदा।
उनकी चुदाई देखने के बाद मैं अपने कमरे में आकर लेट गया थोड़ी देर बाद हमारे रूम का दरवाजा किसीने बाहर से खोला मैंने तुरंत अपनी आंखें बंद कर ली क्योंकि जो कोई भी हो उसे लगे की मैं सो रहा हूं।
मैंने अपनी आंखें बंद ही रखी थी फिर हमारे रूम का दरवाजा बंद हो गया मुझे लगा कि जो आया था वो बाहर गया होगा इसलिये मैंने आंखे खोली देखता हूं। तो क्या सरपंचजी मम्मी को अपनी गोद मे उठाकर लाये थे। और दोनों नंगे थे यानी उस रूम से इस रूम तक वो दोनों नंगे ही आये थे अब दोनों बेशरमी की हद पार कर चुके थे सरपंचजी की मजबूत हाथो में मम्मी का कामुक शरीर खूबसूरत लग रहा था।
सरपंचजी ने मम्मी को मेरे बाजू में लिटा दिया और वो भी मम्मी के ऊपर आ गये यानी एक ही बेड पर पापा मैं मम्मी और सरपंचजी मैंने आंखे फिर से बंद कर ली और उनकी आवाजे सुनकर अंदाजा लगा रहा था।
मम्मी : आप ये ठीक नही कर रहे हो कही मनीष के पापा जाग गये तो ???
सरपंचजी: जाग गया तो जाग गया उसके सामने तुझे चोदूंगा।
मम्मी : मुझे बहोत डर लग रहा है !!
सरपंचजी : साली झूठी जब उस कमरे में उछल उछलकर लंड ले रही थी तब डर नही लगा तुझे।
मम्मी : उस कमरे की बात अलग है पर यहां मनीष और उसके पापा दोनों है अगर इनमें से कोई भी जाग गया तो !!!
सरपंचजी : जाग गया तो जागने दे तेरे बेटे को भी पता लगने दे कि उसकी माँ कितनी चुदककड़ औरत है कि उसके सामने चुदवा रही है।
मम्मी : चलिये ना वापस उस कमरे में!!
सरपंचजी : अरे पगली डर मत तेरे पती को मैने इतनी दारू पिलायी है कि वो अब कल सुबह ही उठेगा।
मम्मी : अच्छा पर अगर मनिष जग गया तो!!
सरपंचजी : (हसकर) जाग गया तो क्या देख लेगा की उसके बाप के सामने उसकी माँ एक पराये मर्द के नीचे खुशी खुशी चुदवा रही है।
मम्मी : आप भी ना कुछ भी बोलते हो…
ऐसा कहकर मम्मी ने सरपंचजी को बाहों में भर लिया और दोनों एक दूसरे के ओठो को चूमने लगे अब तक मैंने उनकी चुदाई दूर से देखी थी। पहली बार अब मुझे नजदीक से उनकी चुदाई देखने का मौका मिलनेवाला था इसलिये मैं चुपचाप लेटा रहा मुझे पता था कि अब उनदोनो को यकीन हुआ था कि मैं गहरी नींद में हूं इसलिये वो अब चेक नही कर रहे थे।
उनदोनो की चुमाचाटी की आवाज मेरी कानों में साफ साफ सुनाई दे रही थी दोनों एकदूसरे के ओठो का रस पिने में लगे थे। फिर सरपंचजी नीचे जाकर मम्मी के दुधु चुसने लगे एक दूध चुसते और दूसरा दबाते उनके होठ जब मम्मी के निप्पल पर लगते तब मम्मी की मुहसे वो आह उफ्फ आह अहह ऐसी आवाजे आज मैं नजदीक से महसूस कर रहा था उनकी वो मादक आवाजे सुनकर मेरा लंड खड़ा हो रहा था।
फिर सरपंचजी ने मम्मी के चुत चाटना शुरू किया अब मम्मी की वो मादक आवाजें और कामुक सिसकारियां और तेज होने लगी सरपंचजी ने मजे लेते हुये कहा “रज्जो डार्लिंग धीरे आवाज करो नही तो तेरा बेटा जग जायेगा”
मम्मी कह रही थी “अब आपने मुझे इतना गरम कर दिया है कि अब मेरा पती भी उठ गया तो कोई परवाह नही अब मेरी चुत और सब्र नही कर सकती”
सरपंचजी हसकर “साली रंडी का मन ही नही भरता कितना चूदेगी रे तू मेरे लंड से”
मम्मी ने जवाब मे कहा” जब तक आपके लंड का पानी खत्म नही हो जाता तब तक”।
सरपंचजी ये सुनकर जोश में आ गये उन्होंने अब लंड चुत में डालना शूरु किया था क्योंकि अब मम्मी की आवाजें और बढ़ गयी थी और वो फच फ़च थप थप की आवाजें आ रही थी जब सरपंचजी का लंड मम्मी के चुत से टकरा रहा था।
मेरी यहां हालत खराब होते जा रही थी सोचो दोस्तो जब आपके बाजू में चुदाई हो रही हो और आपको नाटक करना पड़े मैंने अपना हाथ मेरे लंड की ओर ले जाकर मम्मी की चुदाई देखते हुये हिलाना स्टार्ट कर दिया।
वहां सरपंचजी के धक्के शुरू थे वो मम्मी को अब गालियां देकर चोद रहे थे ‘साली भोसडीकी चूदककड रांड पहले ना ना कर रही थी अब कैसे चुदवा रही है आह आह आह’। अब सरपंचजी ने उनकी स्पीड बढा दी उफ्फ मम्मी की आवाजें और वो लंड चुत की थप थप सुनकर मेरा गिर गया थोड़ी देर बाद सरपंचजी का भी शायद निकल गया और वो मम्मी के ऊपर गिर गये।
मम्मी और सरपंचजी एक दूसरे के बाहों में वैसे ही लेटे रहे मुझे भी हल्की नींद लग गयी थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुल गयी तो मैंने देखा बाप रे बाप इनका तो फिर से चालु हुआ था। अब इनकी डॉगी स्टाइल में चुदाई चल रही थी और मम्मी का मुह पापा की तरफ था।
सरपंचजी कह रहे थे “देख तुझे तेरे पती के सामने चोद रहा हूं”।
मम्मी ने कहा “चोदो सरपंच बाबू और चोदो आज मेरी भी इच्छा पूरी हुयी मुझे भी ऐसा लगता था कोई मर्द हो जो मेरे पती के सामने मुझे चोदे आज मेरी वो इच्छा पूरी हो गयी”।
सरपंचजी ने हसकर कहा “साली रंडी फिर पहले नखरे क्यों कर रही थी कि ये जाग जायेगा तो”
मम्मी “नखरे करने पड़ते है तभी तो चुदाई का मजा आता है”
सरपंचजी “हां सही कहा मेरी कुतिया ले मेरा लंड और अंदर ले” ये कहकर सरपंचजी ने और तेज चुदाई शुरू कर दी।
मम्मी बेड के सहारे झुकी थी तो बेड हिल रहा था मैंने देखा पापा शायद थोड़ा जग चुके थे बेड हिलने की वजह से पापा थोडी हलचल कर रहे थे वो नींद में ही बड़बड़ा रहे थे “अरे रजनी लगता है भूकंप आ गया है देख ना कैसे हिल रहा है सब” मम्मी और सरपंचजी दोनों हस रहे थे।
मम्मी कह रही थी “सरपंचबाबू थोड़ा धीरे से करिये नही तो ये जाग गये तो सच मे भूकंप आ जायेगा मेरे जीवन मे”
सरपंचजी मम्मी के मजे लेते हुये “अरे मेरे रंडी के पती ये भुकंप नही है मैं तेरे बीवी को कुतिया बनाकर चोद रहा हूं। देख आंखे खोल कर देख कैसे तेरी बीवी मजे लेकर चुदवा रही है देख उठ साले।”
पता नही पापा को समझ आ भी रहा था या नही पर पापा कह रहे थे “ये रजनी देख सरपंचजी शायद आवाज दे रहे है उठ ये रजनी” ऐसा कहकर पापा फिर से सो गये।
अब मम्मी भी बेशरम होकर कहने लगी “अरे मनीष के पापा सरपंचजी आवाज नही दे रहे है सरपंच बाबू तो मुझे चोद रहे है आह अहह मेरे सरपंचबाबू ” थोड़ी देर बाद दोनों झड गये और फिर मम्मी मेरे बाजू में आकर लेट गयी और सरपंचजी वापस चले गये।
मुझे आज पक्का यकीन हुआ की शरीर की भूख के सामने इंसान बेकाबू हो जाता है क्योंकि जो औरत आज तक संस्कारी बनती थी वो आज सच मे एक रंडी की तरह एक पराये मर्द के साथ उसके पती के सामने चुदी। हां पापा को होश नही था पर मम्मी ने आज जो किया उससे ये पता चल गया कि मम्मी अब आम औरत नही रही।
अब आगे क्या होता है ये जानने के लिये अगला पार्ट पढिये अगर कहानी अच्छी लगे तो लाइक कीजिये कमेंट कीजिये और फीडबैक देने के लिये ईमेल या हैंगआउट पर मेसेज कीजिये।
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