अन्तर्वासना सेक्स कहानी के तीसरे भाग में आपका स्वागत है। दोस्तों सुनीता रमेश पापा के साथ कॉफी पर चली जाती है। करीब 4 घंटे बाद सुनीता घर वापिस आती है और मुझे आवाज लगाती है-
सुनीता: दिवाकर क्या कर रहे हो बेटा?
मैं: मम्मी बस कुछ नहीं, टीवी देख रहा था।
सुनीता: अच्छा आ जाओ बेटा, रमेश जी भी आए है।
मैं: आया मम्मी।
रमेश: हेलो बेटा, ये लो तुम्हारे लिए नूडल्स और कोलड्रिंक लेकर आए है।
मैं: थैंक्यू अंकल, मम्मी बताओ कैसा लगा आज आपको?
सुनीता: बेटा बहुत अच्छा। पूरी तरह से फ्रेश महसूस कर रही हू़। थैंक्यू सो मच रमेश जी। और रमेश जी ने मुझे एक ड्रेस भी दिलवाई।
मैं: अच्छा मम्मी, दिखाओ।
सुनीता: ये देखो (रेड कलर की बेहद सेक्सी ड्रेस दिलवा कर लाए रमेश पापा सुनीता को)।
रमेश: बेटा कैसी लगी ड्रेस? देखते है सुनीता जी कैसी लगती है वेस्टर्न लुक में?
सुनीता: थैंक्यू सो मच रमेश जी। आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आप बैठिए चाय बनाती हूं मैं तब तक।
रमेश: सुनीता जी पहले वो ड्रेस डाल कर तो दिखाओ हमें। चाय तो बाद में देखेंगे।
मैं: हां मम्मी दिखाओ ना।
सुनीता: अच्छा रुको, फिर आती हूं पहन कर।
सुनीता थोड़ी देर में आती है, और जब वो रेड कलर की ड्रेस डाल कर हमारे सामने आई, तो नजारा बेहद खूबसूरत था। क्या लग रही थी सुनीता, उफ्फ, देखते ही रमेश पापा ने तो लंड को सहलाया। सुनीता के बड़े-बड़े खरबूजे साफ दिखाई दे रहे थे। थोड़ी ट्रांसपेरेंट थी, जिसकी वजह से ब्रा भी दिखाई दे रही थी और थोड़ी-थोड़ी पैंटी भी नज़र आ रही थी। शायद इसलिए रमेश ने ये ड्रेस सुनीता को दिलवाई होगी, क्योंकि सुनीता का बदन उसमें से नज़र आ सके।
रमेश: सुनीता जी सच बोलूं?
सुनीता: अरे हां रमेश जी बोलिए।
रमेश: बहुत हॉट लग रही हो। कोई भी देख कर पागल हो जाएगा।
मैं: हां मम्मी कोई भी देख कर अपना होश खो देगा। बहुत सेक्सी लग रही हो मम्मी।
सुनीता: ये कैसी बातें बोल रहे हो। थोड़ा तो शर्म करो।
मैं: अरे मम्मी मॉडर्न जमाना है। इसमें कैसी शर्म? बहुत सेक्सी लग रही हो।
सुनीता: बेटा फिर भी, अपनी भाषा देखो।
रमेश: अरे सुनीता जी क्या हुआ? आप इतना क्यों सोचते हो? खुल कर जियो और आप बहुत खूबसूरत हो तो मॉडर्न सोच के साथ चलो।
सुनीता: चलो आज से मैं भी वो फालतू के संस्कारों का घूंघट नहीं ओढूंगी। मैं भी मॉडर्न बन कर रहूंगी, और लाइफ एंजॉय करूंगी।
मैं: हां मम्मी बिल्कुल सही कहा। आज से आप मैं और रमेश अंकल खुल कर बातें करेंगे और खूब मजा लूटेंगे।
रमेश: मैं तो तुम लोगों के साथ हूं। वैसे भी मैं अकेला रहता हूं, और कोई नहीं है करीबी। आपके साथ अच्छा लग रहा है।
सुनीता: अरे रमेश जी, हम है ना आपके लिए। आज से आप मेरे बेस्ट फ्रेंड, दिवाकर आपके बेटे जैसा ही है।
रमेश: थैंक्यू सुनीता जी।
मैं: हां अंकल आपकी वजह से आज मेरी मम्मी ने वो बकवास संस्कारों का पल्लू छोड़ा है। वैसे मम्मी आप इतनी खूबसूरत हो मुझे आज पता चला।
रमेश: सुनीता जी सच में बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही हो।
सुनीता: अब बस करो आप दोनों। मैं चेंज करके आती हूं, और फिर चाय बनाती हूं।
रमेश: अरे आप ऐसे ही चाय बना लीजिए, बाद में बदल लेना।
सुनीता: ठीक है रमेश जी, आप बैठिए।
सुनीता किचन में जाती है और चाय बनाती है, और हम दोनों को सुनीता का नजारा दिख रहा था। उसका पिछवाड़ा देख कर रमेश पापा तो अपना लौड़ा सहला रहे थे, और मुझसे कहते है “देखा क्या लग रही है सुनीता?” मैंने भी बोल दिया कि, “रमेश पापा, अब सुनीता को आपकी होने से कोई नहीं रोक सकता।”
रमेश: हां बेटा, अब सुनीता को तेरे उस घटिया बाप के नीचे दब कर रहने की कोई जरूरत नहीं होगी।
मैं: हां पापा।
सुनीता आती है चाय लेकर, और रमेश पापा चाय पीकर चले जाते है। फिर सुनीता भी अपने रूम में जाकर कपड़े बदलती है, और मैं अपने रूम में जाकर हॉट वेब सीरीज देखने लग जाता हूं।
2 घंटे बाद मेरा बाप घर आता है, और उसकी नज़र सुनीता की उस ड्रेस पर पड़ जाता है। वो सुनीता को डांटने लग जाता है, लेकिन सुनीता ने इस बार उसकी एक नहीं सुनी, और मेरे बाप को बहुत खरी-खोटी सुनाई। मेरा बाप सुनता रह गया।
फिर कई दिनों तक ऐसे ही रमेश पापा मेरे घर मेरे बाप की गैर मौजूदगी में चाय पर आते और सुनीता से उनकी दोस्ती दिन बा दिन गहरी होती है।
करीब 10 दिन बीतने के बाद जैसे ही मेरा बाप घर से निकलता है, थोड़ी देर बाद सुनीता ने रमेश पापा को फोन किया, और बोला: अगर फ्री हो तो आ जाइए घर, चाय पीकर ऑफिस चले जाना।
रमेश पापा थोड़ी देर बाद आते है, और मेरी मम्मी उनके लिए चाय और थोड़ा खाना लेकर आती है। रमेश पापा खाना खा कर सोफे पर बैठ जाते है और सुनीता कहती है, “लेट तो नहीं हो रहे ना।”
रमेश: नहीं सुनीता, फ्री हूं। बोलो?
सुनीता: बस ऐसे ही पूछा, मेरा मन था कि मूवी देखूं आज।
रमेश: अच्छा सुनीता जी, तो देखते है। उसमें क्या दिक्कत है?
सुनीता: आपके ऑफिस का कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?
रमेश: अरे नहीं, मेरा ऑफिस का कभी कोई प्रॉब्लम नहीं होता, चलो चलते है।
सुनीता: अच्छा चलो मैं तैयार हो जाती हूं।
और सुनीता फिर एक बार बेहद कड़क और कामुक अंदाज में निकल कर आती है। एक टाइट पैंट और पतली ट्रांसपेरेंट सी टी-शर्ट जिसमें से उसकी ब्लैक ब्रा दिख रही थी, और पैंट में से उसकी चड्डी की लाइन साफ दिख रही थी।
रमेश: सुनीता जी आपकी खुबसूरती के क्या कहने? बहुत कड़क लग रही हो।
सुनीता: बस रमेश जी आप भी तारीफ ही करते रहते हो बस।
मैं: मम्मी, उफ्फ किसी हीरोइन से कम नहीं हो आप।
सुनीता: बस करो अब, चलो चलते हैं रमेश जी।
फिर वो दोनों मूवी के लिए चले जाते है, और फिर से मैं रूम में जाकर पोर्न देखता हूं और लंड सहलाता हूं। फिर करीब 4 बजे रमेश और सुनीता आते है, और इस बार सुनीता रमेश को हग करती है, और रमेश चला जाता है।
वो मुझे फोन करके बताता है कि: आज सुनीता ने मुझसे कहा कि जब से आप मेरी लाइफ में आए हो, मेरी लाइफ मजेदार हो गई है। और दिवाकर के पापा के बारे में अब मैं फालतू नहीं सोचती।
मैंने कहा: पापा सुनीता की चुदाई कब कर रहे हो?
रमेश: बहुत जल्द बेटा। मेरा लंड जल्द ही सुनीता की चूत में होगा।
मैं: अच्छा, मुझे बस उसी का इंतजार है, और सुनीता ने आज आपको हग किया, कैसा लगा?
रमेश: बेटा बहुत मजा आया। लंड खड़ा हो गया था मेरा। और मन था कि किस्स कर लूं अभी, और नंगा करके उसकी चूचियां अपने मुंह से चूस लूं।
मैं: उफ्फ पापा, मेरा भी खड़ा हो गया है।
रमेश: बस सुनीता की गांड पर आज हाथ तो लगाया मैंने मौका देख कर।
मैं: अच्छा, कुछ बोला नहीं उसने?
रमेश: बस थोड़ा मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई थी।
मैं: अच्छा मतलब चुदने का उसका भी मन होगा?
रमेश: हां बेटा, बहुत प्यासी है। सच बताऊं तो सुनीता मेरी जान है।
ऐसे ही थोड़ी देर सुनीता के हुस्न की कल्पना करके हम दोनों ने अपना-अपना पानी निकाला और मजे लूटे। 3 दिन बाद मेरा बाप जब रात को घर आता है, हमारे लिए बहुत बड़ी खुशखबरी लेकर आता है। मेरा बाप हमें आकर बताता है कि उसका ट्रांसफर होगया था, और अब वो घर से जा रहा था, और साल में कभी-कभी आया करेगा। हम ये सुन कर बहुत खुश होते है और अगले दिन मेरा बाप अपना सामान लेकर चला जाता है।
सुनीता मुझसे कहती है: बला टली बेटा। अब तुम्हारे बाप का मुंह नहीं देखना पड़ेगा, और हम अब मजे करेंगे। अब मैं मन मर्जी के कपड़े पहनूंगी और मन मर्जी से रहूंगी।
यहीं से हमारी एक नई शुरुआत होती है। शाम को मेरी मां सुनीता रमेश को बुलाती है, और ये सब बताती है। रात का खाना रमेश पापा, मैं, और सुनीता साथ में बैठ कर खाते हैं।
फिर सुनीता रमेश से कहती है: रमेश जी, अब मेरी लाइफ मजेदार होगी। मनमर्जी से रह सकती हूं।
रमेश: बहुत अच्छी बात है सुनीता जी, कोई परेशानी नहीं होगी अब हमें।
सुनीता: हां रमेश जी।
मैं: मेरे बाप की वजह से हमारा जीना हराम हुआ पड़ा था, और अब आयेगा मजा असली।
सुनीता: ये सच कह रहे हो तुम?
रमेश: तो सुनीता जी कल शॉपिंग पर चलें?
सुनीता: हां बिल्कुल चलते है। दिवाकर के लिए भी कपड़े ले आएंगे।
मैं: हां मम्मी, मुझे वैसे भी चाहिए।
रमेश: बेटा कल के आयेंगे तुम्हारे लिए, चिंता मत करो।
अगले दिन मेरी सुनीता मां और रमेश जी मेरे लिए नए कपड़े, और रमेश सुनीता को बहुत मस्त-मस्त कपड़े दिलवा कर लाते है, और नई ब्रा पैंटी भी।
रमेश कहता है: सुनीता बहुत भूख लगी है। खाना बना लो।
सुनीता खाना बनाती है, और रमेश जी किचेन में जाते है, और थोड़ा फिसलने का नाटक करके सुनीता को पकड़ लेते है। इसी बहाने वो सुनीता की चूचियों को भी दबा देते है, और सुनीता को ये बहुत अच्छा लगता है।
फिर वो आते है और मुझसे कहते है: बहुत मुलायम चूचे है मेरी जान के।
और वो लगातार सुनीता को घूरते रहते है। मैं देखता हूं सुनीता भी उन्हें देख कर हस्ती है और शर्माती है, और रमेश पापा अपना लंड भी सहलाते है।
फिर खाना खाकर रमेश अपने घर जाता है, और दोस्तों मैं भी अपने कमरे में जाता हूं।
उसके बाद आगे क्या होता है इंतजार कीजिए अगले पार्ट का। मुझे पता है यहां तक आपको थोड़ा बोरिंग लग सकता है, क्योंकि चुदाई नहीं आई अभी। लेकिन वेट कीजिए। सुनीता के हुस्न की दास्तां अभी शुरू हुई है। रमेश पापा ने मेरी सुनीता मां को कैसे एक चुदक्कड़ रंडी बना दिया, ये कहानी बड़ी दिलचस्प है। और यहीं नहीं मुझसे भी सुनीता बहुत ज्यादा ओपन हो गयी। बने रहिए मेरे साथ।
और हां दोस्तों, जैसा मैंने बताया है मैं एक किताब लिख रहा हूं इरॉटिक स्टोरीज पर, और साथ में वेब सीरीज के लिए भी कोशिश कर रहा हूं, प्लीस अपना योगदान दीजिए।
मेरी मेल आई डी: divakarraisexerotica@gmail.com