नमस्ते मेरा नाम रेखा है। मेरी उम्र 26 हैं , मैं रायपुर की रहने वाली हूँ। मेरा रंग गोरा है, और मेरा कद 5’5 है। मेरा सेक्सी जिस्म का फिगर 32-24-34 हैं। मैं दिल्ली में एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाती हूँ।
ये कहानी एक साल पहले की है। मेरी विजय नाम के एक लड़के के साथ मेरी शादी तय हुई थी। हमारी सगाई हो गयी, फिर शादी के वक़्त अड़चने आने लगी। शादी के कुछ सप्ताह पहले मुझे पता चला, कि विजय किसी और से प्यार करता है।
और विजय उससे शादी करना चाहता है। शादी के सारे कार्ड बँट चुके थे, सारी तैयारी हो चुकी थी। विजय के घरवाले परेशान थे। पर विजय ने मुझसे वादा किया, किविजय उसे छोड़कर मेरे पास आएगा और मुझसे शादी करेगा।
शादी का दिन आया और हमारी शादी हो गयी। विजय के साथ मेरा लगाव नही हुआ था, मैं सोचती पति है धीरे से हम प्यार करने लगेंगे।
मेरे ससुराल में मेरी सास ससुर, 4 देवर और 1 ननंद थी। ननंद का नाम रश्मि था, उसका रंग साँवला और उसका फिगर 30-26-32 है। मेरे ससुराल के बगल में एक परिवार रहता था, जो बहुत ही अच्छा था।
उनके घर में 4 लोग ही थे । उस परिवार में उनका एक लड़का राजू और उसका एक भाई और उसके मम्मी पापा थे, और वो दोनों नौकरी करते थे। राजू बहुत ही हैंडसम लड़का था, वो अपना कॉलेज खत्म करके छुट्टियों में आया था।
राजू को सब उसके घर में छोटू बुलाते थे, मैं हर दिन उनके घर घूमने जाती थी। छोटू को खाना बनाने का खूब शौक था, और वो मुझे नई नई रेसिपी चखाते रहता था। पता नही क्यों छोटू से सब आकर्षित क्यों थे।
उसकी माँ मुझे मेरी सास से भी ज्यदा प्यार करती थी, मेरी ननंद भी छोटू पर मरती थी। छोटू ननंद से 3 से साल छोटा था । फिर भी रश्मि और छोटू बहुत करीबी थे। मैंने छोटू को रश्मि से खूब चिपकते देखा था।
एक बार मैं ऊपर के कमरे में थी और मेरे खिड़की से नीचे देखा कि रश्मि और छोटू कार में घुसे हुए है। रश्मि छोटू को चूम रही थी, और छोटू का लंड चूस रही थी। तभी मम्मी जी ने रश्मि को आवाज़ लगा दी, नही तो उस दिन मैं उन दोनों की चुदाई देख लेती।
विजय ने मुझे छुआ नही था, वो घर भी नही आता था। उसकी पोस्टिंग दूसरे जगह थी पर आना जाना घर से करता था । मेरे आने के बाद घर ही नही आता था, मुझे अब उसकी टेंशन होने लगी थी। पर छोटू, उसका भाई, देवर, और ननंद के चलते मेरा मन ठीक रहता।
मैं रात में अकेली करवटे बदलती तड़पती रहती थी। एक बार मैं छोटू के घर गयी, तो छोटू और रश्मि एक कमरे में थे। उसके घर में कोई नही था, मैं चुपके से अंदर देखने लग गईं। रश्मि टेबल पर नंगी बैठी थी।
उसके बाल खुले हुए थे, उसके स्तन एक दम टाइट थे और वो तड़प रही थी। वो अपनी पैर फैला कर बैठी हुई थी, और छोटू उसकी चूत को चूस रहा था। मेरा तो ये देख कर गाला सुख गया। छोटू ने अपना लंड निकाल लिया, और रश्मि उसे बड़े चाओ से चूसने लग गई।
उसका लंड बहुत बड़ा था, वो दोनों एक दूसरे को पागलो की तरह चूम रहे थे। कभी छोटू उसके होंठो को चूमता, तो कभी वो उसकी चुचियो को चूसता। पर उस दिन भी वो उसे चोद नहीं पाया।
अचानक गेट की आवाज़ से दोनों अलग हो गये। फिर मैं घर चले गयी, और हर रात की तरह मैं अकेली ही थी। पर पता नही उस रात मैं ननंद की चूत की चटाई देख कर मैं तड़प गयी थी। मैंने उस रात खुद को नंगी कर लिया और छोटू और ननंद को सोच कर तड़पने लग गयी।
मै अपने जिस्म को छुने लग गयी, कभी मै अपनी चुचियो को चिमटी काटती तो कभी अपने होंटो को काट लेती। फिर मै अपनी चूत को सहलाने लग गयी। वो मेरी पहली बेशर्मी वाली हरकत थी, मैं वैसे तो बहुत सीधी लडकी हुँ।
ननंद बहार रह कर पढ़ती थी, तो वो भी चली गयी और देवर भी । बस छोटू से बाते करती थी। छोटू को जानने लगी वो बहुत अच्छी था । मेरी खूब इज्जत करता था । मैं रात में उससे वॉट्सएप्प पे बाते करती । हम बहुत करीबी दोस्त बन गए थे।
छोटू जिम से जब भी आता था, तो उसी टाइम मैं भी छत पर अपने बाल सुखाती थी। मैं पता नही कब उसकी तरफ आकर्षित हो गयी, वो मेरे साथ इश्कबाजी किया करता था। वो मेरी बहुत तारीफ करता था, रात को वो मुझे अपनी एबस की फोटो सेंड करता था।
और उसे देख कर मैं सोचती थी, कि काश मैं भी रश्मि होती। नहाते टाइम मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला जाता था, और मैं छोटू के बारे में सोचने लग जाती थी। छोटू के चकर में मैं बिगड़ चुकी थी।
मेरी सास बहुत बेकार थी, वो मुझे चिड्ती रहती थी। छोटू से वो घर की सारी बात बता देती थी। काफी बार मैं तो सोचती थी, कि काश मैं छोटू की पत्नी होती तो मुझे पति और सास दोनों अच्छे मिल जाते।
छोटू वैसे भी मुझसे उम्र में ५ साल छोटा है। पर मैं किसी की पत्नी थी और मेरे लिए ये सब करना आसान नही था। विजय कभी कभी घर रहता था, वो कभी मुझसे दिलचस्पी नही दिखता था।
छोटू ने मुझे सलाह दी कि मैं अपने ससुराल जाऊ और वहां से मैं विजय का पीछा करूँ। मैंने छोटू की सलाह मान ली और विजय के दोस्तों से उसके ठिकाने का पता लगवाया। मैं अपनी सहेली के साथ गयी।
विजय वहां एक किराये के मकान में अपनी प्रेमिका के साथ रहता था। मैं सीधा अंदर नही गयी, मैंने पहले एक छेद में अंदर देखा। तो वो दोनों चुदाई कर रहे थे, मैंने तभी जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू कर दिया ।
दरवजा खुलते ही मैंने फ़ोन में रेकॉर्डिंग शुरू कर दी थी, पर जब तक वो दोनों कपडे पहन चुके थे। मैंने तभी विजय को एक जोर से थपड मार दिया, फिर मैंने वहीं पर अपने देवर और सास ससुर को बुला लिया।
फिर मैंने वो घर छोड़ दिया, और मैं अपना दहेज का सारा सामान वापिस ले आई। मेरा अब वहां सब कुछ ख़तम हो गया था। अब मैं चुपचाप रहने लग गयी, अपने मएके में मैं बोझ ना बनू इसलिए मैं दिल्ली आ गयी। और अकेली एक फ्लेट में रहेने लग गयी।
ये सब होने के बाद छोटू से भी अब मेरी ज्यादा बात नही होती थी। मैं अब फ़ोन कम चलाती थी, और मेरा अब डाइवोर्स हो गया था। मेरी बात छोटू की मम्मी से होती रहती थी, फिर उन्होंने बताया की छोटू अपनी कोचिंग करने दिल्ली आया हुआ है।
मेरे पास उसका नंबर नही था, और ना ही उसके पास मेरा नंबर था। एक बार छोटू की तब्यित ख़राब हो गयी, छोटू की मम्मी ने मुझे बताया और मैं भाग कर उसके पास गयी। छोटू की बुखार हो रहा था।
मैंने उसके कपडे समेटे और उसे अपने साथ ले गयी। छोटू मुझे देख कर खुश हो गया, और फिर वो दो दिन में ठीक हो गया। वो अपने रूम में वापिस जाना चाहता था, पर मैंने उसे रोक लिया। मैं उसकी सेवा अपने पति की तरह कर रही थी।
जब भी मैं पोछा लगाती थी, तो वो मेरे बूब्स की दरार देख कर अपनी नजर हटा लेता था। मुझे उसकी ये बात बहुत अच्छी लगती थी। फिर वो अपने रूम में चला गया, और फिर हम दोनों रात बार व्हात्सप्प पर बात करने लग गये।
कभी कभी हम दोनों साथ में घुमने भी जाते थे, हम दोनों अब फिर से गहरी दोस्ती हो गयी थी। वो कभी कभी मेरे गाल को चूम लेता था। जब हम दोनों मस्ती करते थे।
एक बार क्रिसमस का टाइम था, मेरे दोस्त ने मुझे चर्च में बुलाया था। मैंने अपने साथ छोटू को ले लिया, मैंने सुन्हेरी रंग की बेक लेस साड़ी पहनी थी। और छोटू सूट डाल कर आया था, फिर चर्च का फंक्शन ख़तम होते होते रात के १ बज गया।
अब ठण्ड भी काफी बढ़ गयी थी, मैंने सेवटर पहन लिया, और हम टैक्सी ले कर वापिस चल दिए। टैक्सी में हम दोनों ने एक दुसरे का हाथ पकड़ लिया, फिर मैं लिफ्ट में छोटी से चिपक गयी थी।
रूम में पहुच कर मैं बालकोनी में बहार देखने लग गयी, और मैं छोटू से बात करने लग गयी। उसे अपना दर्द बताते बताते मेरे आंसू आ गये, फिर छोटू ने मुझे चुप करवाया। और उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
फिर उसने मेरे माथे को चूमा, और फिर वो मेरे होंठो की तरफ आना चाहता था। पर तभी मैंने उसे धक्का दिया और मैं वहा से चली गयी। मैं अपने कमरे में लेटी हुई थी, फिर मैंने छोटू की मेसेज किया पर उसने मुझे कोई रिप्लाई नही दिया।
इसलिए मैं उसके रूम में गयी, वो बालकोनी से बहार देख रहा था। मैं उससे बात करने लग गयी, पर वो मेरी बात मुझे जवाब नही दे रहा था इसलिए मैं उससे बोली।
मैं – अगर तुम भी रूठ गये तो फिर अब मेरा है ही कोन?
ये कह कर मैं रोने लग गयी, इतने में ही छोटू पिघल गया। और फिर हम दोनों एक दुसरे के गले लग गये। मैंने भी उसे जोर जकड लिया था, उसने मेरे सर मेरी ऑंखें और फिर मेरे होंठो को उसने चूम लिया।
इस बार मैं खुद को रोक नही पाई, मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे उठा कर मैं उसके होंठो को चूमने लग गयी। फिर हम दोनों ऐसे ही चुमते हुए बेडरूम में आ गये। उसने मुझे ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ा कर दिया।
हम दोनों मिरर के सामने खड़े हो गये, हम दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी लग रही थी। फिर उसने मेरी मांग में सिन्दूर भर दिया और वो बोला।
छोटू – अब हम दोनों पुरे हो गये है।
फिर मैंने अपने आपको मिरर में देख रही थी, वो मेरी गोरी कमर को सहलाते हुए मेरे गाल को चूम रहा था। अब अपने आपको उसे सोंप चुकी थी, फिर उसने मेरा पल्लू गिरा दिया। और मेरे बालो को मेरी कमर से हट कर मेरी कमर को चूमने लग गया।
छोटू ने अपनी शर्ट उतारी और फिर उसने मेरे ब्लाउज की डोरी खिंच दी। और वो मेरी गोरी चिकनी कमर को चूमने लग गया। मैंने शर्म के मारे अपने बूब्स ढक लिए, उसने मेरे पेटीकोट में हाथ डाला और वो मेरी चूत को सहलाने लग गया।
मैं अब अपनी ऑंखें बंद करके आआअह्हह्हह आआआआअह्ह्ह की आंहे भरने लग गयी थी। उसने मेरे दोनों हाथो को अपने हाथो से पकड़ लिया था, जिससे मेरे बूब्स साफ़ दिखने लग गये। शर्म के मारे मैं पीछे मुड उसके गले लग गयी।
मेरे नंगे बूब्स उसके नंगे बदन से चिपक गये थे, हम दोनों एक दुसरे को देख रहे थे। फिर उसने अपना मेरी पन्टी में डाला और वो मेरी गांड को दबाने लग गया। फिर उसने मेरी साड़ी उतार दी और उसने पेटीकोट के साथ साथ मेरी पन्टी भी उतार दी।
मैं अपनी ऑंखें बंद किये उसके सामने खड़ी थी, छोटू मेरे पैर उठा कर मेरे अंगूठे चूसने लग गया। फिर वो अपनी जुबान से मेरी चूत को चाटने लग गया, इससे मैं एक दम से तड़प उठी। फिर उसने मुझे ड्रेसिंग टेबल पर बिठा दिया।
इतने में उसने अपनी पैंट और चड्डी को उतार दी। वो मेरे सामने पूरा नंगा अपना ७ इंच का लंड ले कर खड़ा था, उसके सिक्स पैक अब्स देख कर किसी राजकुमार से कम नही लग रहा था। मेरी कमर पर बंधा काले रंग धागा उसे बहुत अच्छा लगा रहा था।
उसने मुझे मेरे चुत्तरो से पकड़ मुझे उठाया और वो मुझे किस करने लग गया। अभी भी हम मिरर के सामने ही खड़े थे, और हम दोनों मिरर में ही एक दसूरे को देखे जा रहे थे। मेरे खुले बाल, मांग में सिन्दूर, आँखों में काजल, होंठो पर लाली, और मेरा गोरा जिस्म और उपर से छोटू का मस्त बदन।
कसम से हम दोनों की जोड़ी को चार चाँद लगा रही थी। छोटू मेरे चूतरो को उठा रहा था, और मैं उसे चूम रही थी। फिर वो मुझे किचन में ले गया और वहां उसे मुझे स्लेब पर बिठा दिया। फिर उसने मेरे बूब्स पर काफी सारी चोकलेट गिरा दी, और फिर उसने मेरे बूब्स को अपने मुँह में ले लिया।
इससे मैं पागल हो गयी, उसने मेरे बूब्स को चाट चाट कर अच्छे से साफ किया, और मेरे पेट को रुमाल से साफ़ किया।
मैं – मुझे ठण्ड लग रही है।
फिर हम बेडरूम में आ गये, जोकि वो मुझे उठा कर लाया था। फिर उसने मुझे बेड पर लेटा दिया, और फिर वो दोनों टाँगे खोल कर मेरी चूत को अपनी जुबान से चाटने लग गया। वो अपनी जुबान से मेरी चूत को चोद रहा था।
मेरी आह निकल रही ही, और मैं बर्दाश से बहार हो रही थी। वो अपना लंड मेरी चूत से रगड़ देता। जिससे मैं और ज्यादा पागल हो जाती, फिर तभी अचानक उसने मेरी चूत फाड़ दी। और मैं बहुत जोर से चीखी और मैंने उसकी कमर नोच दी, और मैंने उसकी छाती भी काट दी।
फिर वो धीरे धीरे मुझे जोर जोर से चोदने लग गया, मुझे अब मजा आ रहा था।
मैं – आह छोटू ईईह्ह्ह्ह् छोटू अआह छोटू और जोर से।
फिर थोड़ी देर बाद मैं घोड़ी बन गयी, और वो मुझे पीछे से चोदने लग गया। मुझे इसमें जयादा मजा और ज्यादा दर्द हो रहा था। फिर वो मुझे अपनी गोद में बिठा कर मुझे उछालते हुए, वो मुझे चोदने लग गया।
फिर उसने मुझे मशीनरी पोजीशन में देसी तरीके से चोदने लग गया, अब वो झड़ने वाला था। इसलिए उसने अपना लंड मेरे मुह में दे दिया, और अपने लंड का सारा पानी उसने मेरे मुह में निकाल दिया।
जिसे मैं सारा का सारा पि गयी, और फिर मैंने उसका लंड चूस चूस कर साफ कर दिया। मुझे तो यकीन ही नही हो रहा था, कि मैंने छोटू के साथ सेक्स कर लिया है। और वो भी उसे अपना पति बना कर।
हम दोनों काफी खुश थे, और मैंने उसे बता दिया की मैं उससे पहले से चाहती थी। और उसने भी मुझे बताया, कि वो भी मुझे पहले से चाहता था।
उस दिन के बाद हम दोनों ने प्यार करने का एक भी मोका हाथ से जाने नही दिया। फिर हम दोनों नये नये प्रयोग करने शुरू किये, जेसे लिफ्ट में सिनेमाघर में सेक्स करना। कभी कभी छोटू में मझे सुनसान मेट्रो ट्रेन में मेरी साड़ी उठा कर मुझे चोद देता है।