Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti – Episode 15

This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series

    मैं पलंग पर नंगी लेटी हुई थी और जोर से रो रही थी और उन का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार कर रही थी।

    योग ने मुझे नंगी लेटे हुए देखा तो उनके चेहरे पर एक ऐसा संतोष जनक भाव मैंने देखा जो एक शिकारी के चेहरे पर कोई तगड़ा शिकार करने पर होता है।

    शिकारी यह सोचता है की अब उसे कई दिनों तक कोई और शिकार करने की जरुरत नहीं होगी।

    मेरे जोर से सिसक कर रोने पर योग चिल्ला कर मुझे चुप रहने के लिए बोले।

    पर तब भी जब मैं चुप ना हुई तो योग ने अपना हाथ उठाकर मेरे गाल पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। मेरे गाल उनके करारे थप्पड़ से लाल हो गए और मुझे गाल पर तीखी जलन का दर्द महसूस हुआ।

    मैं योग की और देख कर चिल्लाई और बोल पड़ी, “मुझे चोदना है तो चोदो पर मुझे डराओ मत और मारो मत प्लीज!”

    योग के चेहरे पर फिर वही बीभत्स हँसी मैंने देखि जिसमें फिर वही सुनेहरा दाँत भी दिखा। मैं पलंग पर बैठ गयी और योग का पजामा पकड़ कर चिल्लाई, “योग आओ और मुझे चोदो पर इस तरह जलील मत करो मुझे।”

    योग ने बड़े ही रूखे अंदाज में जवाब दिया, “तुम्हें मैं चोदूँगा जरूर। ओ चोदू कुतिया। तू मुझे, इस योगराज को प्रभावित करने की कोशिश कर रही थी? मैं पहले से ही जानता था की यह सब सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का तुम्हारा ड्रामा मेरे इस मोटे तगड़े लण्ड से चुदवाने का बहाना मात्र था। था की नहीं?”

    मैं योग की बातों का जवाब देने की स्थिति में नहीं थी। उसने मुझे नंगी कर दिया था और मैं उसके पलंग पर नंगी लेटी हुई उनसे चुदवाने का इंतजार करते हुए पड़ी थी।

    योग वास्तव में तो गलत नहीं थे। मेरे जहन में उनके मोटे लौड़े से चुदवाने की चाहत तो थी ही। मैं जानती थी की योग अच्छी तरह से चुदाई कर सकता था। उस लड़की ने भी मुझे यह बताया था।

    योग ने अपना पजामा मेरे सामने ही जल्दी से खोला और उसमें से उसका फनफनाता हुआ तगड़ा लौड़ा कूद के उछाल कर बाहर निकल पड़ा।

    मैं योग के खड़े मोटे कड़क लण्ड को देखे बगैर रह नहीं पायी। जिस तरह से वह खड़ा हुआ ऊपर की और मुड़ा हुआ काले बालों के बिच खड़ा सर उठाये ऐसे दिख रहा था, जैसे एक शेर घाँस के खेत में आसपास चारा चरति हुई हिरणियों को देख रहा हो।

    उस समय मुझ में कुछ ज्यादा सोचने की क्षमता नहीं थी। योग का लण्ड जानता था की एक चूत उससे चुदवाने का बेबसी से इंतजार कर रही थी।

    योग के लण्ड का गुलाबी कुकुर मुत्ता सामान लौड़े का सर इतना मोटा और फुला हुआ था की मैं उसे बरबस अपने हाथों में लेने से अपने आपको रोक नहीं पायी।

    योग का लण्ड बिलकुल मेरे होंठों के सामने था। वह मरे मुंह के सामने ऐसे हिल रहा था, जैसे वह मेरे होँठों के बिच जाने के लिए बेताब हो रहा हो।

    मैंने भय के मारे योग की और देखा। योग ने मेरी और भाव शून्य नजर से देखा। वह इसी उम्मीद में खड़े थे की मैं उनके लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसूं।

    मैं बड़े ही अस्मजस में पड़ गयी। जो योग के लण्ड का साइज था उसे देखते हुए यह तय था की मेरे छोटे से मुंह में उसका इतना चौड़ा लण्ड पूरी तरह से घुस सकना नामुमकिन था। मैंने कभी सपने में भी यह नहीं सिचा था की कोई इंसान का इतना मोटा और लंबा लण्ड हो सकता है।

    ऐसा लगता था जैसे वह इंसान का नहीं घोड़े का लण्ड हो। मैंने कभी घोड़े का लण्ड देखा था। योग का लंड उससे बहुत ज्यादा कम नहीं होगा। मुझे उसे मुंह में लेना ही होगा वरना मेरे गाल पर एक और थप्पड़ खाने की हालात में मैं नहीं थी।

    पर मुझे कोशिश तो करने ही पड़ेगी।

    मैंने योग का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसकी गोलाई के ऊपर मैं अपनी उंगलियां घुमाने लगी, जिससे की उसके छेड़ में रिस रहा उसका पूर्व रस पूरी गोलाई में अच्छी तरह फैले।

    उसके लण्ड के बड़े बिजली के बल्ब के समान उसके लण्ड के शिरोभाग से लण्ड की पूरी लम्बाई तक हलके नीले रंग वाली नसे फैली हुई नज़र आ रहीं थीं। उसके लण्ड का बल्ब जैसा अग्र भाग चमकते हुए गुलाबी रंग का था।

    मैंने हलके से उसके लण्ड को ढकती हुई ऊपरी चमड़ी को अपनी मुठी में रख कर दबाया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। मेरी मुठी योग के लण्ड को ठीक तरह से पकड़ नहीं पा रही थी।

    जब मैं कुछ देर तक योग का लण्ड हाथ से सहलाती रही तो योग थोड़ा सा अधीर हो उठा।

    उसने अपना लण्ड मेरे मुंह के पास लाया जिससे मुझे बरबस अपना मुंह जितना हो सके उतना चौड़ा कर खोलना पड़ा और तुरन्त ही योग का मोटा और लम्बा लौड़ा मेरे मुंह में घुस गया।

    मुझे मेरे मुंह में से मेरी जिह्वा को ऐसे गोल रखना पड़ा जिससे योग की लण्ड को गलती से भी कहीं दाँतों की खरोच ना आये। मुझे दुबारा योग का करारा थप्पड़ नहीं खाना था।

    मैंने अपना जबड़ा जितना हो सके इतना खोला। मेरा जबड़ा भी दर्द करने लगा था। मुझे कभी भी लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। पता नहीं मर्दों को इसमें क्या मजा आता होगा?

    मैं अपने होंठ और जीभ योग के लण्ड के इर्द गिर्द घुमाती रही। योग को मेरा यह कार्यकलाप या कारीगरी बहुत भाई क्यूंकि उसका पूरा बदन मचलने लगा। योग का पूर्व रस रिसने लगा और ना चाहते हुए भी मेरे गले में नीचे उतरने लगा।

    पहले तो मेरा मन किया की मैं उसे थूंक दूँ, पर कैसे? योग का इतना मोटा लण्ड मेरे मुंह में जो फँसा हुआ था। मुझे योग का रस निगलना ही पड़ा और मुझे बुरा नहीं लगा।

    पहले उसका स्वाद थोड़ा अजीब सा जरूर लगा पर निगलते हुए बाद में मुझे अच्छा लगने लगा। मैं सोचने लगी की जो कई पोर्न वीडियो में दिखाते हैं की लडकियां मर्दों के वीर्य को निगल कर खुश होती हैं शायद ठीक ही है।

    योग ने फिर मेरे मुंह को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। साथ साथ में उसके दोनों हाथ मेरी फूली हुई निप्पलोँ को मसलने लगे।

    मेरे दोनों स्तन से योग के हाथ ऐसे खेलने लगे जैसे की वह रबर के बॉल हों। योग उत्तेजना में मेरे स्तनों को इतने जोर से दबाने लगे की मुझे इतना ज्यादा दर्द महसूस हुआ की मुंह में योग का लण्ड होते हुए भी मेरे मुंह से दबी हुई चीख़ निकल पड़ी।

    योग शायद समझा की मैं ज्यादा ही उत्तेजित हो रही थी। योग ने मुंह चोदने की रफ़्तार बढ़ाई तो मेरा जबड़ा दर्द करने लगा। मैने कभी मेरा मुंह इतना ज्यादा इतने अधिक समय के लिए नहीं खोला था। अगर मैं ज्यादा देर ऐसे ही रहती तो मुझे कुछ ना कुछ हो जाता।

    मैंने धीरे से मेरा मुंह पीछे खींचा। योग का लण्ड बाहर निकल आया। मुझे योग के हाथोँ से और थप्पड़ नहीं खाने थे इस लिए मुझे कुछ न कुछ तो करना ही था।

    मैं एकदम बिस्तर पर लेट गयी और योग को पकड़ कर मेरे ऊपर सवार होने के लिए अपनी और खींचा और कहा, “अब मैं तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के लिए और इंतजार नहीं कर सकती। प्लीज मुझे और मत तड़पाओ और अपना यह मोटा लण्ड जल्दी मेरी गीली चूत में डालो। मैं कितने समय से तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के सपने देख रही हूँ।”

    योग मेरी बिनती सुनकर खुश नजर आये और मेरी और देख कर वही लोलुपता भरी हँसी मुझे उनके चेहरे पर दिखी। उनके पुरुषत्व पूर्ण अहम् को यह सुनकर शायद संतिष्टि हुई और मैं उस करारे थप्पड़ से बच गयी।

    पर अब मेरे लिए और समस्या थी। योग के घोड़े जैसे लण्ड को मुंह में लेना एक बात थी पर चूत में डलवाना कुछ और। मेरी चूत का छिद्र इस घोड़े के लण्ड को ले पायेगा या नहीं वह एक बड़ी ही विषम स्थिति थी।

    मेरा मुंह तो अभी उस दर्द से उभर नहीं पाया था और अब मेरी चूत पर वार होना था। मेर पुरे बदन में कम्पन फ़ैल रही थी।

    यह डर के मारे थी या फिर उत्तेजना के मारे यह कहना मुश्किल था। पर मुझे चुदवाना ना तो था ही। उस में कोई शक नहीं था। दर्द तो बर्दास्त करना ही पडेगा चाहे मेरी चूत फट क्यों नहीं जाय।

    मैं मानसिक रूप से तैयार हो रही थी। मुझे इससे भी बड़ा खतरा यह नज़र आ रहा था की कहीं योग मेरी गाँड़ मारने की कोशिश ना करे।

    ऐसा हुआ तो तो मैं मर ही जाउंगी क्यूंकि मेरे पति ने एक बार कोशिश की थी जिसके कारण मेरी गाँड़ में से इतना खून निकला था की मेरे पति की तो जान हथेली में आ गयी थी। मैं सात दिन तक बीमार रही थी। तब से मेरे पति ने कभी भी मेरी गाँड़ मारने की बात सोची भी नहीं थी।

    योग मेरी टाँगें फैला कर बिच में आये और अपने लण्ड को मेरी पानी बहा रही चूत के छिद्र पर पोजीशन किया।

    मैंने चैन की साँस ली की चलो उस समय तो योग मेरी गाँड़ मरने की बात नहीं सोच रहे थे।

    योग ने मेरी जाँघें उठायी और अपने कंधे पर रखीं। उन्होंने मेरी और अपना वही बीभत्स हास्य करते हुए देखा। मेरी चूत में क्या हो रहा था उसका विवरण करना मेरे लिए बड़ा मुश्किल है।

    आज के दिन भी जब मैं मेरे मन की उस समय की हालत के बारे में सोचती हूँ तो मेरे जहन में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती है। पर मुझे योग को देर कर के नाराज भी तो नहीं करना था।

    आगे योग किस कदर तक और गिर जायेगे, ये जानिए अगले एपिसोड में..

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