This story is part of the Mere Pati Ko Meri Khuli Chunoti series
खैर योग और मैंने तय किया की हम शुक्रवार शाम से काम शुरू करेंगे। पहले वह ऑफिस में अपना काम ख़तम करके मुझे अपनी कार में उनके घर ले जाएंगे। हम दोनों वहाँ देर रात तक काम करेंगे और फिर योगराज मुझे मेरे घर छोड़ देंगे।
दूसरे दिन शनिवार को सुबह फिर वह मुझे अपने घर से अपनी कार में लेने आएंगे और फिर हम दोनों उनके घर शनिवार पुरे दिन उनके घर काम करेंगे। इतवार को भी ऐसे ही चलता रहेगा। हमें उम्मीद थी की सारा काम इतवार रातको खतम हो जाएगा।
यह सब तय करने के बाद मेरी और देखकर योगराज बोले, “प्रिया, मैं एक व्यावसायिक प्रोफेशनल हूँ। मेरे जहन में तुम्हें पाने की कितनी भी गहरी इच्छा क्यों ना हो, मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ की मैं तुम्हें मेंरे अपार्टमेंट में अकेला पाकर जबरदस्ती नहीं करूंगा।
मैंने योग की और देखा और उतने ही आत्मविश्वास और हिम्मत से जवाब दिया, “आप ऐसा कुछ करने के बारे में सोचना भी मत। मैं भी एक प्रोफेशनल हूँ और बलात्कारियों या छेड़नेवालों से कैसे निपटना यह मैं बहुत अच्छी तरह जानती हूँ। आप गलती से भी यह कोशिश करने के बारे में अपने ही भले के लिए मत सोचियेगा।”
मैंने ऐसा कह तो दिया पर मेरे अंदर वास्तव में इतना आत्मविश्वास था नहीं जितना की मैं दिखावा कर रही थी।
मैं वास्तव में तो उनकी बात सुनकर डर गयी और सोचने लगी की जरूर योगराज के मन में मुझ पर जबरदस्ती करने का प्लान है। पर मैंने मेरे इस शक को फ़ौरन खारिज कर दिया यह सोच कर की अगर उनके मन में ऐसा प्लान होता तो भला मुझे वह इसके बारे में ऐसे कहते नहीं।
योग ने मेरा प्रोग्राम अपने लैपटॉप में लोड कर लिया था और उनकी एप्प उन्होंने मुझे दी थी; ताकि मैं भी उसे देखलूं की वह मेरे प्रोग्राम के साथ कॉन्फ़िगर हो सकती थी या नहीं।
मैंने जब मेरी टीम को योग के साथ हुई बातचीत के बारे में बताया सबमें राहत और ख़ुशी की लहर फ़ैल गयी। सब ने आकर मुझे बधाई दी और मेरा आभार व्यक्त किया।
जिस लड़की ने मुझे योग से मिलने की सलाह दी थी उसने जब सूना तो वह मेरे पास आयी और मुझे बधाई देते हुए मेरे कानों में फुसफुसा कर बोली, “योगराज सिर्फ काम के मामले में ही एक्सपर्ट नहीं है, वह बिस्तर में भी कमाल के लवर हैं। मैं गलत नहीं कह रही, जब वह सेक्स करते हैं तो वह उद्दंड और अभिमानी नहीं बल्कि एक अनुकम्पाशील प्रेमी की तरह व्यवहार करते हैं। एक बार उनसे सेक्स करने से उनकी लत लग जाती है।”.
फिर वो मेरी और देखकर एक गहरी साँस लेते हुए बोली, “काश मुझे यह अनुभव दुबारा होता। तुम तो बहुत भाग्य शाली हो। तुम्हारे आते ही वह एकदम बदल गए। अब वह हमारी और देखते भी नहीं है। योग सर तो तुम्हें जैसे चकोर चाँद को देखता है ऐसे देखते हैं। मेरी और से बेस्ट ऑफ़ लक।” यह कह कर वह लड़की मेरी और देख कर आँख मार कर चली गयी।
मैं समझ गयी की लड़की का क्या इशारा था। वह सोच रही थी की अब तो मेरा योग सर से चुदवाना तय था। बस और क्या था? मेरी टाँगें, मेरी चूत और मेरी निप्पलेँ फिर जवाब देने लगीं। मेरी चूत में से पानी रिसना फिर शुरू हो गया, मेरी निप्पलेँ फूलगयीं और मेरी टाँगें ढीली पड़ने लगीं।
शुक्रवार को ऑफिस के बाद योग मेरा अपनी कार में इंतजार कर रहे थे। योगराज कार को चलाते हुए कुछ अलग से ही नजर आ रहे थे। वह जरुरत से कुछ अधिक ही खुश नजर आ रहे थे।
हालांकि वह एकदम सरलता से पेश आ रहे थे पर मुझे शक होता रहा की कहीं वह कोई दिखावा तो नहीं कर रहे थे?
रस्ते में वह एक दूकान पर रुके और उन्होंने कुछ घर का सामान खरीदा जैसे बियर, कुछ फल, कुछ खाने का सामान इत्यादि, हालांकि मुझे कार में ही बैठे रहने के लिए कहा।
वह जब वापस आये तब उनके दोनों हाथ शॉपिंग की थैलियों से लदे हुए थे। ऐसा लगता था जैसे वह पूरी दूकान खरीद लाये थे। मैंने योगराज को पहले कभी इतना खुश नहीं देखा था। कार में बैठते ही उन्होंने मेरी और देखा और मुस्कराये।
मैं बड़ी ही सोच में थी की जब मैं योग के साथ उनके फ्लैट में घण्टो तक अकेली होउंगी तो क्या होगा? उनकी सरल और सहज मुस्कान से मेरा आत्मविश्वास जरूर थोड़ा बढ़ा। मैं सोचने लगी की कहीं मैंने इस इंसान को आखिर गलत तो नहीं समझा।
पर फिर मेरे दिमाग ने मुझे चेतावनी देते हुए जो मेरा अनुभव रहा था उसके आधार पर इतनी जल्दी उन पर भरोसा ना करने की हिदायत दी। सही परिक्षण तो अब होगा जब मैं योग के साथ करीब रात भर अकेली बेसहाय रहूंगी।
जैसे ही हम योग के फ्लैट में दाखिल हुए की योग ने मुझ से पूछा की क्या मैं कुछ पेय लेना चाहूंगी?
मैंने उन्हें नींबूपानी देने के लिए कहा। मैं प्यासी थी। योगराज भागते हुए रसोई घर में जाकर मेरे लिए थोड़े ही समय में निम्बू पानी ले आये वह मैं गटागट पी गयी।
नींबू पानी पिने के बाद अचानक मेरे मन में शक हुआ की कहीं योगराज ने नींबू पानी में कुछ मिलाया तो नहीं होगा। तब मुझे ध्यान आया की मुझे नींबू पानी का स्वाद थोड़ा अलग सा लगा था। पर तब तक तो काफी देर हो चुकी थी।
योगराज ने मुझे आराम से रिलैक्स करने को कहा। उन्होंने कहा की वह वाशरूम में नहा कर आते हैं। बस दस मिनट का समय माँगा। रिलैक्स करना इतना आसान नहीं था। मैं इतने टेंशन में जो थी। मैं अपना पाँव सामने वाले टेबल पर टिका कर आराम से बैठी और इधर उधर देखने लगी।
योगराज का अपार्टमेंट कोई कँवारे के अपार्टमेंट की तरह ही था। सारी चीज़ें इधर उधर फैली हुई थीं। कुछ महंगी चीज़ें और ठीक तरीके से रखी जा सकती थीं। स्त्री के हाथ के स्पर्श की कमी साफ़ दिख रही थी।
मैंने सोचा शायद कुछ लडकियों की नंगी तस्वीरें जरूर होंगी। पर ऐसा कुछ दिखा नहीं। और भी कुछ तस्वीरें थीं। पर मुझे इतनी ऊंचाई से निचे ट्रैफिक की लाइटें देखना अच्छा लगा। मैं शीशे की दिवार के पास खड़ी निचे की और देख रही थी, की योगराज कपडे बदल कर आ गये।
योग सफ़ेद कुर्ता पाजामें में थे। उनके गीले बिखरे हुए बाल पंखे की हवा में लहरा रहे थे। शायद योग ने कपड़ों के अंदर कुछ पहना हो ऐसा मुझे नहीं लगा और इस कारण मैं और सतर्क हो गयी की कहीं वह मेरे बारे में कोई ख़ास षड्यंत्र तो नहीं रच रहे थे?
योग उस वेशभूषा में बड़े आकर्षक लग रहे थे। मेरा मन किया की मैं दौड़ कर उनकी बाँहों में चली जाऊं, उनकी गहरी आँखों में झाँक कर देखूं और अपने होँठ उनको चुमने के लिए सुपुर्द करूँ।
पर मैं बिना हिले डुले अपने अंदरूनी विचारों को छुपाने की कोशिश करते हुए बैठी रही। योग ने मेरी और देखा। शायद वह मेरे मन के विचार पढ़ ने की कोशिश कर रहे थे। क्या वह मेरे विचारों को पढ़ सकते थे?
शायद हाँ। क्यूंकि उन्होंने मेरी और देखा और वह ऐसे मुस्काये जैसे उन्होंने मेरे मन की बात भाँप ली हो।
योग फ़ौरन अपने घरेलू ऑफिस में आ गये। वह एक बड़े टेबल पर रखे कुछ कम्प्यूटरों के सामने कुर्सी पर बैठ गए और अपने लैपटॉप को चालु कर अपने कम्प्यूटरों की दुनिया में खो गये।
टेबल पर कई मॉनीटर्स थे। मैं और कुछ सोचूं या बोलूं इससे पहले ही, योग अपने कम्प्यूटरों में ऐसे डूब गए की उनको यह ध्यान भी नहीं रहा की मैं उनके बाजु में बैठी हुई थी। मेरे लिए यह कुछ निराशा जनक सा लगा।
योगराज ने एक भी बार ना तो मेरी और देखा, ना ही कोई भद्दी बात की और ना ही कोई मुझे सेक्स से लदे हुए इशारे किये। मैंने ऐसा तो सोचा ही नहीं था। मैं कुछ निराश सा महसूस करने लगी।
तब मैंने अपना ध्यान योग की एप्प पर केंद्रित किया। मुझे तो पता ही था की योग की एप्प में क्या था। मुझे कुछ तकनिकी पॉइंट देखने थे। ज्यादा से ज्यादा वह चंद घंटों का काम था।
मैं भी योग के साथ काम में व्यस्त हो गयी। मैं योग की कुर्सी से थोड़ी ही दूर बैठी दूसरी मेज़ पर काम करने लगी। कमरे में एकदम सन्नाटा छाया हुआ था। मैं एक के बाद एक योग की एप्प को ध्यान से परखने में लग गयी।
मुझे यह पक्का करना था की योग की एप्प हर तरीके से मेरे प्रोग्रम से कॉन्फ़िगर हो सके।
अगले दो घंटे तक मैं भी कंप्यूटर में खो गयी। शाम के दस बजने वाले थे। योग अपने काम में डूबे हुए लग रहे थे।
मुझे भूख लगी। योग तो आकर सीधे काम में ही लग पड़े। खाने की तो कोई बात ही नहीं हुई थी। मैं उठ खडी हुई। मैंने योग की और देखा। पर वह तो अपने काम में मस्त थे।
मैं धीरे से उठकर रसोई घर में गयी। रसोई घर भी बैठक वाले कमरे की तरह ही कोई महिला के नाजुक स्पर्श के इंतजार में बेहाल था। सारी चीज़ें वहाँ भी इधर उधर रखी हुई थीं।
तभी मेरी नजर कुछ केलों पर पड़ी। केले देख कर मुझे मेरी कहानी याद आयी की कैसे में केले से ही अपनी चूत की भूख मिटा ने की कोशिश करती थी।
खैर उस रात तो योग थे। अगर कुछ हुआ तो मुझे केलों को इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं पडेगी। मैं अपनी ही दोधारी सोच पर कटाक्ष कर के मुस्करा दी।
एक और मैं योग के सामने मुझे पाने में मुश्किलें खड़ी कर रही थी, तो दूसरी और मैं उनके मोटे लण्ड को मेरी भूखी चूत में डलवाकर उन से चुदवाने के सपने देख रही थी।
अब मेरा ये सपना पूरा होगा या फिर योग से बदला? ये अगले एपिसोड में पता चल जायेगा..