हेलो दोस्तों मैं आप की रूपाली आपके लिए आज फिर एक नई कहानी लेकर आई हूं। आशा करती हूं कि आप सब ने मेरी पुरानी कहानियां पढ़ी होगी।
आप सब ने मुझे ईमेल करके कर के मेरी कहानी को बहुत सारा प्यार दिया इसलिए मैं आप सबको धन्यवाद कहना चाहूंगी।
और जो नए रीडर्स से उन्हें में निवेदन करती हूं कि वह मेरी पुरानी कहानियां पड़े और मेरी कहानी आप को कैसी लगी यह मुझे ईमेल करके बताइए।
शुरुआत में मैं आपसे को मेरा एक छोटा सा इंट्रोडक्शन देना चाहूंगी। मैं कोल्हापुर की रहने वाली हूं मैंने मेरी मेडिकल की पढ़ाई पुणे में कंप्लीट करी है एंड में उस्मानाबाद जिले में प्रैक्टिस कर रही हूं। मैं 26 साल की हूं। मेरा फिगर 38 28 32 है जो कि बहुत ही कामुक है।
मैं 5 फीट ऊंची हूं। मैं दूध जैसी गोरी हूं और मेरे होठ गुलाब जैसे है। जब मैं मेडिकल कॉलेज में थी तब मेरे स्तन बहुत ही छोटे थे।
इसलिए मैंने ब्रेस्ट पंप और लेक्टेशन मेडिसिन का इस्तेमाल करके मेरे स्तनों का आकार बहुत बढ़ाया और इसकी वजह से मेरे स्तन दूध से भर गए। और मेरा फिगर और भी अट्रैक्टिव हो गया। मर्दों की नजर मेरे स्तनों से हटती नहीं थी।
बहुत बार पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भीड़ भरी जगहों में जानबूझ के बहुत सारे मर्द हिम्मत करके मेरे स्तन दबाते देते या मेरे स्तनों के ऊपर चुटकी काटते थे।
मुझे भी यह सब बहुत अच्छा लगता था। बहुत बार जानबूझकर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सामने खड़े मर्द की पीठ पर मेरे स्तनों से धक्का देती हूं।
यह कुछ महीनों पहले बात है जब मैं अप्रैल में छुट्टी लेकर मेरे कजिन के घर सोलापुर गई थी। मेरे कजिन का नाम स्वप्निल है वह ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में है। उसका रंग सांवला है। वह मुझे रूपाली दीदी कह के बुलाता है।
मैं मॉर्निंग को 10:00 बजे उस्मानाबाद से सोलापुर के लिए निकली। बस में बहुत ज्यादा भीड़ थी। इसलिए मुझे 1 घंटे तक खड़ा ही रहना पड़ा। रास्ता बहुत गढो भरा था इसलिए बस ड्राईवर बार बार ब्रेक लगा रहा था।
इसकी वजह से मैं हमेशा मेरे सामने खड़े मर्द पर टकरा रही थी। वह करीब 45-50 का था। मेरे टकराने से मेरे स्तन उसके ऊपर दब रहे थे।
कुछ देर ऐसे ही मजे लेने के बाद मुझे बैठने के लिए जगह मिली। जब बस सोलापुर में पहुंच गई तो मैं उतरने के लिए खड़ी हो गई और आगे बढ़ने लगी तभी उसी 45 50 साल के आदमी ने मेरे पीछे से दोनों स्तन मसल दिए। मैंने उसे मुस्कुरा के देखा और बस से उतर गई।
स्वप्निल मुझे बस स्टॉप पर बाइक पर लेने के लिए आया था। मैंने येलो कलर का टॉप पहना था और ब्लू जींस पहनी थी। मेरे स्तन टी शर्ट मे से कामुक उभार बना रहे थे।
स्वप्निल का मेरा हाय हेलो हुआ उस हाय हेलो के बीच में स्वप्निल की नजर मेरे स्तनों के ऊपर से बिल्कुल नहीं हटी। वह मेरे स्तनों को प्यासे की तरह घूर रहा था।
मुझे पता चलने में देर नहीं लगी कि आज रात कुछ तो होने वाला है। मैं मन ही मन रात में जो कुछ होगा उसके बारे में सोचने लगी। मैं और स्वप्निल बाइक पर घर की ओर चल पड़े।
स्वप्निल जानबूझकर गाड़ी गड्ढों में से निकल रहा था ताकि वह मेरे स्तनों का मजा ले सके। मैं भी उससे चिपक के बैठी थी और उसे बहुत सारा मजा दे रही थी।
कुछ ही देर में हम स्वप्निल के घर पहुंच गए। मौसी और मौसी ने मेरा बहुत अच्छे से स्वागत किया। शाम को खाने के बाद थोड़ी बातें करके मैं और स्वप्निल सोने के लिए छत पर चले गए।
रात में मैं और स्वप्निल बात करते-करते सो रहे थे मैंने वाइट कलर का टीशर्ट और लेगिंग्स पहनी थी। बात करके करते मैं और स्वप्निल गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड के टॉपिक पर आ गए।
स्वप्निल की बातों से मुझे पता चला कि स्वप्निल कि अभी तक कोई भी गर्लफ्रेंड नहीं है। मैंने उसे गर्लफ्रेंड ना होने की वजह पूछी तो उसने कहा कि मुझे अभी तक मेरी पसंद की लड़की नहीं मिली।
इस पर मैंने उसे पूछा कि तुम्हें किस तरह की लड़की चाहिए। तो उसने जवाब में कहा कि आप की तरह। मैं इस बात पर हंसने लगी और उसे हस के पूछा मेरे में ऐसी क्या बात खास बात है।
तो उसने कहा कि आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैंने उसे हस्ते हुए ही पूछा ऐसी क्या बात मुझ में है जो तुम्हें बहुत अच्छी लगती है। तो वह चुप हो गया। मैं उसे बार-बार पूछ रही थी आखिर में वह मान गया।
उसने शरमाते हुए कहा कि आपके स्तन बहुत ही बड़े और कामुक है। यह सुनकर में और भी हंसने लगी। मैंने उसे हंसते हुए कहा कि मेरे स्तन देखना चाहोगे।
वह शरमाया और नहीं नहीं बोलने लगा। मैंने उसे खड़े होकर बैठने के लिए कहा और मैं भी बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे के सामने बैठे थे और मैंने अपना टीशर्ट ऊपर कर दिया।
यह देखकर स्वप्निल एकदम से शर्मा गया और उसके पसीने छूट गए। मैंने उसे कहा इतने ही पसंद है तो छू के देखो ना। स्वप्निल बहुत शर्मा रहा था इसलिए मैंने उसकी दोनों हाथ पकड़कर मेरे स्तनों पर रख दिए और स्तनों को दबा दिया।
थोड़ी देर बाद स्वप्निल खुद मेरे स्तन दबाने लगा। मैंने टी-शर्ट निकालकर ब्रा की हुक खोल दी और ब्रा को निकाल के साइड में रख दिया। अब स्वप्निल के हाथ मेरे नंगे स्तनों पर घूम रहे थे।
मैंने स्वप्निल को करीब खींचा और उसे किस करने लगी। हम दोनों बहुत ही दीप किस कर रहे थे। बाद में वह मेरे गालों को मेरी गर्दन को चूमते हुए मेरे स्तनों की और पढ़ने लगा।
स्तनों के ऊपर आ के रुक जाने के बाद उसने मुझे लिटा दिया और मेरे ऊपर आके मेरे दोनों स्तनों को किस करने लगा और धीरे-धीरे चूसने लगा। जैसी सुख मस्ताना को चूसना शुरू किया स्थानों में से दूध निकलने लगा।
वह मेरे दाहिने स्तन की चूची को बड़ी चाव से चूस रहा था और बाई चूची से खेल रहा था और उसे चुटकी काट रहा था। मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
स्वप्निल की जबान चूची को चूसते हुए चूची को छेड़ रही थी। मैं उसका सर अपने स्तनों पर दबा रही थी वह मेरे स्तनों पर तू से जा रहा था। मैं आंख बंद करके मेरे स्तनों की चूसाई का मजा ले रही थी।
मैं आंख बंद करके सिसकियां ले रही थी। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। स्वप्निल काफी लंड उसके बरमूडा के अंदर से खड़ा हो चुका था। हम दोनों की सांसे बहुत तेज चल रही थी।
रात के सन्नाटे में हमारी सांसों की आवाज गूंज रही थी। स्वप्निल ने मेरे सफेद स्थान चूस चूस मसल के लाल कर दिए थे।
मेरी चूचियां बहुत जोरदार चुसाई के बाद और भी नुकिली हो गई थी। ऐसा लग रहा था कि मानों स्वप्निल आज सारा के सारा दूध पी जाएगा।
मेरे प्रिय रीडर्स मैं आपके ईमेलस का इंतजार करूंगी। बाकी कहानी अगले भाग में…
despo.rupali@gmail.com