तो सेक्स कहानी शुरू करते हैं। मैं दिल्ली जॉब के लिए आया हुआ था, और मुझे किराए पर रूम चाहिए था। तो मैं दिल्ली में इधर-उधर रूम की तलाश में था। ऐसे ही देखते-देखते मैं एक घर पहुंचा। वहां जाके मैंने गेट खटखटाया, तो थोड़ी देर बाद एक 45 साल की आंटी निकली, जिसे देख के मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।
उन्होंने एक सफेद रंग की साड़ी पहनी थी, और काले रंग का ब्लाउज, जो उनकी चूचियों में समा भी नहीं रहा था। ब्लाउज आगे से लो कट था, और पीछे एक पतली सी डोरी से बंधा था। आंटी ने एक सफेद रंग के मोतियों की माला पहनी थी, जो उनके बूब्स की गहराई तक जा रही थी। आंटी ने साड़ी नाभि से काफी नीचे बांधी हुई थी।
उनकी नाभि की गहराई 2 इंच तक थी। आंटी का फिगर 40-42-46 था। आंटी थोड़ी मोटी थी, जिससे उनकी कमर पे चर्बी के मांसल उभार से वो और भी मादक लग रही थी, और उनकी लंबाई 5 फीट 7 इंच थी।
आंटी जब आई तो आंटी ने पूछा: क्या काम है?
तो मैंने बोला: आंटी रूम किराए पर लेना है।
तो आंटी ने अन्दर बुला के रूम दिखाया। दोस्तों रूम उतना अच्छा था नहीं, लेकिन आंटी की गदराई जवानी देख के मैंने रूम फाइनल कर दिया, और आंटी को 5000 रुपए दे दिए। फिर शाम को सामान लेकर आया अपना।
दोस्तों आपको बता दूं आंटी घर में अकेली रहती थी, और एक विधवा औरत थी, तो अंकल की पेंशन से उनकी रोजी-रोटी चलती थी, और किराए पर देने के लिए एक ही रूम था। तो मैं अपना सामान लेकर शिफ्ट हो गया, और आंटी को चुदाई के लिए कैसे पटाऊं सोचने लगा।
तो मैंने सोचा पहले देखा तो जाए औरत कितनी प्यासी थी। फिर मैंने अपना जिम वाला शरीर उनको दिखाने का सोचा। मैंने जान-बूझ के अपने कपड़े उतार के एक बॉक्सर पहन लिया, और ऊपर से कुछ नहीं पहना। फिर मैं ऊपर छत पे एक्सरसाइज करने लगा।
आंटी जब ऊपर आई तो सीढ़ियों के पास अचानक रुक गई, और मेरा जिस्म घूरने लगी। मुझे पता चला गया आंटी मुझे देख रही थी, तो मैंने जान-बूझ के उन्हें अनदेखा कर दिया, और देखने लगा आंटी को चोरी से। तब मैंने देखा आंटी बार-बार अपने होंठो को अपने दांतों से काट रही थी, और अपने बूब्स मसल रही थी।
दोस्तों बता दूं मैं बहुत शर्मीला लड़का हूं। जब मैंने एक्सरसाइज पूरी की, तो आंटी नीचे चली गई। फिर मैं भी नीचे आ गया। कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। मैंने एक चीज नोटिस की, कि आंटी जब नहा कर आती थी, तो अपने गीले पेटीकोट में ही बाहर आ जाती थी, और ठीक मेरे कमरे के पास ही अपने कपड़े पहनती थी। जिससे मुझे उनकी अधनंगी जवानी देखने का मौका मिल जाता था।
आंटी जान-बूझ के गाना गाते-गाते कपड़े पहनती थी, जिससे मेरा ध्यान उन पर जाए। फिर आंटी ने अपने पेटीकोट को पहना, और मेरे रूम की तरफ पीठ करके पेटीकोट बांधने लगी। इससे मुझे उनकी नंगी पीठ दिखने लगी। मैं उनके नंगे जिस्म को देख के अपना लंड मसल रहा था। आंटी कांच में देख के कपड़े पहन रही थी, जिससे पीछे खड़ा हुआ आंटी ने मुझे देख लिया, और ऐसे जताया कि उन्होंने कुछ नहीं देखा।
फिर मुझे जोश आ गया। आंटी ने अपनी ब्रा पहनी, और फिर ब्लाउज पहना। आंटी ने नायलॉन का ब्लाउस पहना, जिसमें उनके बूब्स काफी बड़े और बाहर निकले नज़र आ थे। फिर आंटी ब्लाउज और पेटीकोट में अपने रूम में चली गई। मुझे भी ऑफिस जाना था, तो मैं भी बाथरूम में नहाने चला गया।
मैंने देखा आंटी बाथरूम के बाहर लगे कांच में देख के सज-सवर रही थी, तो मैंने सोचा क्यों ना आज आंटी को लंड के दर्शन करवाए जाएं। फिर मैंने बाथरूम का आधा गेट खुला रखा, और मैं पूरा नंगा हो गया। मेरा खड़ा लंड ऐसे लग रहा था, जैसे घोड़े का लंड हो। फिर मैंने जान-बूझ के बाथरूम में डिब्बे को जमीन पे गिरा दिया।
इससे आंटी का ध्यान बाथरूम की तरफ गया, और उनकी आंखें फटी की फटी रह गई। मैंने चोरी से देखा तो आंटी बाथरूम में मेरे लंड को देखे जा रही थी, और ब्लाउस के ऊपर से ही अपने बूब्स रगड़ रही थी फिर उनका हाथ चूत पे चला गया, और आंटी उंगली करने लगी। मैं ये देख के और गरम हो गया, और मैं अपने लंड को हिलाने लग गया। उधर आंटी इधर मैं दोनों वासना में डूबे अपने आप को चोरी-चोरी देख के अपने गुप्तांग रगड़ रहे थे।
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए, और मैं बाहर आया तो आंटी जा चुकी थी। मैं भी ऑफिस के लिए निकल गया था, और रास्ते में सोचते हुए जा रहा था, कि कैसे आंटी को बोलूं कि मैं उनकी लेना चाहता था। उधर आंटी भी शर्मीली, इधर मैं।
फिर मैंने सोचा धीरे-धीरे सब होगा, बस मुझे उनके अंदर आग बढ़ाती जानी होगी। फिर मैं शाम को घर आया, तो मैंने देखा आज आंटी बिना साड़ी के ही घर में घूम रही थी। आंटी ब्लाउस और पेटिकोट में बिल्कुल रंडी दिख रही थी। काली लिपस्टिक और बाल खुले, मानो कह रहे हो आओ और चोदो अपनी रंडी को।
मैं अपने रूम में आया, और सोचा कि कैसे आंटी के पास जाऊं फिर मेरे दिमाग में आइडिया आया, और मैं आंटी के वहां चाय पत्ती लेने चला गया। मैंने देखा आंटी अपने रूम में लेटी हुई फोन चला रही थी। आंटी की नाभि देख के मैं पागल हो गया, और ऊपर से सफेद मोती की माला उनकी नाभि तक आ रही थी, जिसे देख के मेरा लंड खड़ा हो गया।
मैने आंटी को आवाज लगाई, तो आंटी बोली: कहो बेटा क्या काम था?
तो मैंने बोला: मुझे चाय पत्ती चाहिए, खत्म हो गई।
तो आंटी बोली: आज मेरे यहीं पी लो चाय।
मैंने हां बोल दिया तो आंटी पूछने लगी: चाय खत्म हुई है या कुछ और भी खत्म हो गया?
तो मैं बोला: मैं समझा नहीं आंटी।
आंटी: मेरा मतलब दूध या चीनी चाहिए तो वो भी बता देना।
मैं: हां आंटी बता दूंगा।
आंटी: दूध कहा से मंगवाते हो?
मैं: पैकेट वाला लाता हूं।
आंटी: वो मत लाया कर, ताज़ा लाया कर।
मैं: आंटी यहां ताज़ा कहां मिलेगा?
आंटी: मेरा आता है ताजा, मतलब मेरा दूधवाला आता है उससे बंधवा दूं (डबल मीनिंग)?
मैं: हां आंटी, अब से आपका ही दूध पियूंगा।
आंटी: मतलब?
मैं: मतलब आपके दूधवाले से।
आंटी समझ गई मैं भी मजे ले रहा था। फिर आंटी चाय लाई, और हम साथ चाय भी और बातें करते रहे। फिर आंटी किचेन में कप रखने गई, और जब बाहर आई तो मैंने देखा आंटी के ब्लाउस के दो हुक खुले थे, और उनका पेटीकोट पहले से और नीचे बंधा हुआ था, जिसमें उनकी काली पैंटी नज़र आ रही थी।
मेरा लंड खड़ा हो गया। मुझे शर्म आ रही थी, तो मैं अपने रूम की तरफ निकल गया। मेरे खड़े लंड का उभार आंटी ने देख लिया, और मुझे एक कातिल स्माइल दी। फिर मैं अपने रूम में आ गया। मैंने देखा आंटी वाशरूम में आई मूतने, तो मैंने देखने का सोचा, और जाके उन्हें देखने लगा।
आंटी को पता था मैं देखा रहा था, तो वो जान-बूझ के खड़ी हो गई, और मूतने लगी। खड़े होकर मूतने से उनकी चूत मेरे सामने आ गई।
दोस्तों क्या चूत थी उनकी फूली हुई बिल्कुल, और बालों का जंगल। जिसे देख मैं पागल हो गया, और अपने रूम में आके हिलाने लगा। मुझे पता था आंटी जरूर देखेंगी मेरे रूम में।
दोस्तों आगे इस सेक्स कहानी में क्या होता है, वो नेक्स्ट एपिसोड में।