This story is part of the 50 rupaye me kharida maa ka mms series
आप लोगो के ईमेल मुझे मिले बहुतों को मैने रिप्लाई भी किया अगर किसी को नही कर पाया होगा तो उसके लिए तहे दिल से क्षमा चाहूंगा।
अब तक आपने जाना कि कैसे एक अनजान ऑटो ड्राइवर ने मेरी मां को बुरी तरह चोद के उसके बदन को तोड़ दिया है, जिस वजह से वह थक कर सो गई है, और मै वही बाहर से सब देख रहा था।
फिर मैंने उसे नहीं बताया कि मै इसी औरत का बेटा हूं और मैंने उससे उस चुदाई का वीडियो भी ५० रुपए में खरीदा था फिर उससे बात करने पे पता चला की वो एक ऑटोवाला है और उसका नाम लाखन है फिर उसने माँ के पानी मे नशे की दवा मिला के माँ की जमकर गांड फाड़ी। फिर वहीं स्टेशन पर मुझे चायवाले ने लाखन के बारे में काफी कुछ बताया, फिर मां वहा से अपनी दोस्त ममता नायक के घर चली गई।
अब आगे:-
अगले दिन ममता ने मां को उठाया नाश्ते के लिए तो मां ने साथ में नाश्ता करने से मना कर दिया। ममता एक पुलिस वाले की बीवी थी जिसकी ड्यूटी के वक्त हार्ट अटैक से निधन हो गया था और उसकी जगह ममता को पुलिस विभाग में ही क्लर्क की नौकरी मिल गई थी अनुकंपन युक्ति से, फिलहाल वो सरकारी पुलिस क्वार्टर में ही रहती है अकेली।
ममता – यार दीपिका तू अभी तक सो रही है चल उठ जा मैने नाश्ता बनाया है साथ में करते है फिर मैं ऑफिस जाऊंगी।
दीपिका – नहीं यार ममता मेरी ना आज तबियत सही नही लग रही तो तू कर ले मै बाद में करूंगी तू ऑफिस जा।
ममता – यार कोई दिक्कत है क्या ?
दीपिका – नही तो। क्यू पूछ रही हैं क्या हो गया?
ममता – यार अपनी हालत देख क्या बना रखी है और कल भी जब तू आई थी तब भी ऐसी ही कुछ थी। क्या दिक्कत है बोल ना?
दीपिका – नही तो कोई दिक्कत नहीं है, तू ऑफिस जा अपन शाम में बात करेंगे।
ममता – ठीक है फिर शाम में ही बात करेंगे, नाश्ता बाहर रखा है, गरम कर के खा लेना और कुछ खाने की चीज फ्रीज में है और कुछ तू खुद बना लेना नही तो मुझे कॉल कर देना मैं ही कुछ भिजवा दूंगी।
दीपिका – हां ठीक है मैं कर लूंगी सब तू चिंता मत कर, शाम में मिलते है।
शाम को ममता आन्टी वापस घर आई तब उन्होंने और मां ने साथ में बैठ कर चाय पी और तब आंटी ने मां की हालत के बारे में पूछा तो मां ने सुरु से लेकर अब तक का किस्सा आंटी को सुना दिया(वो सारी बातें मैं यहां फिर से नहीं लिखूंगा नहीं तो कहानी बिना वजह लंबी हो जायेगी)।
ममता – अब तेरी हालत कैसी हैं?
दीपिका – पहले से बेहतर हूं।
ममता – डॉक्टर के पास चले क्या?
दीपिका – अरे नहीं, उसकी जरूरत नहीं है।
ममता – पक्का ना?
दीपिका – बताया तो पहले से बेहतर हूं और कल तक वैसे भी ठीक हो जाऊंगी।
ममता – अच्छा एक बात पूछूं?
दीपिका – हां पूछ ले।
ममता – तूने वहां सेक्स एन्जॉय किया? उस ऑटोवाले के साथ।
दीपिका – सच कहूं तो हां पर दर्द भी बहुत हुआ, पिछवाड़ा तो किसी बंदर की तरह अभी भी लाल ही है।
ममता – सच में? वैसे उसने कंडोम तो पहना था न?
दीपिका – नहीं।
ममता – तू पागल हो गई है क्या! अरे गर्भवती होने का डर ना भी हो तुझे तो यार किसी बीमारी के फैलना का तो डर होना ही चाहिए।
दीपिका – क्या मतलब?
ममता – अरे कोई ठिकाना है क्या वो कहां कहां मुंह मारता फिरता हो, खैर जाने दे आइंदा से ध्यान देना की ऐसा नहीं हो, ठीक है(सवालिया लहजे में)?
दीपिका – हां यार मैंने इस बारे में तो सोचा ही नहीं।
ममता – इसलिए ही तो पूछ रहीं हूं तू पागल है क्या?
दीपिका – यार जब मैं घर से निकली थी ना तो इतना दिमाग खराब हो रखा था कि मैंने इन सब बातों का ध्यान ही नही रखा, चल छोड़ अब जाने दे ।
इसके बाद २ दिन तक कुछ भी ऐसा नहीं हुआ को बताना चाहिए पर उसके बाद तीसरे दिन आंटी जब अपने काम से लौट कर घर आई तो उन्होंने मां के साथ बाजार जाने का प्लान बनाया जब दोनो सहेली तैयार हुई तो आंटी कुछ ज्यादा ही आकर्षक लग रही थी दराशल उन्होंने जो कपड़े पहने हुए थे वो छुपा कम और दिखा ज्यादा रहे थे, उन्होंने अपने पास के ब्लाउज और साड़ी जो उन्ही की तरह अंग प्रदर्शन कर रही थी वो निकाल कर मां को भी दी और पहनने लगाया, पर मां को ये ज्यादा पसंद नहीं आ रहा था।
दीपिका – यार इसमें कुछ ज्यादा प्रदर्शनी नही लग रही हैं क्या?
ममता – आजकल सब ऐसे ही कपड़े पहनते है।
दीपिका – कौन पहनता हैं ऐसे कपड़े?
ममता – अरे सभी पहनते है किसी भी फिल्मी हीरोइन को देख ले।
दीपिका – यार पर तू ही देख ये कोई पहनने लायक है क्या?
ममता – अच्छा ये बता इसमें बुराई क्या है?
दीपिका – यार ये ब्लाउज ही देख ले चाहे आगे से कहो या पीछे से कुछ भी तो नहीं छुपा रहा है।
ममता – इसे दिपनेक बैकलेस ब्लाउज कहते है।
दीपिका – पर हम ऐसे कपड़े क्यू पहन रहे है साड़ी भी तूने जबरदस्ती कितने नीचे बांधने लगाई है! ऐसा लग रहा है कोई ध्यान से देखेगा तो उसे मेरे नीचे के बाल दिख जायेंगे, और इसमें तूने मुझे ब्रा भी नही पहनने दी।
ममता – अरे हो गया अब बस भी करले अच्छी लग रही है तू, और ऐसा पहनने का कुछ कारण है?
दीपिका – बाहर गर्मी बहुत ज्यादा है?
ममता – नही। अंदर हैं।(दोनो खिलखिला के हसने लगे)
दीपिका – अरे बता ना क्या कारण है?
ममता – देख वहां बाजार में ज्यादातर आदमी ही होंगे।
दीपिका – हां तो?
ममता – अरे तो उन लोगो को अपन थोड़ा सा जिस्म की नुमाइश कर देंगे और बदले में सब्जियों का दाम अपने हिसाब से देंगे।
दीपिका – ऐसा होता है क्या? मैंने तो कभी नहीं देखा।
ममता – क्योंकि तूने न तो इस बात पे ध्यान दिया और ना ही कोशिश करी, अगर करती तो तुझे पता चल जाता, चल अब मैं ताला लगा दूं फिर अपन चले यहीं 300 गज होगा पैदल ही पहुंच जायेंगे। ठीक है ना?
दीपिका – हां ठीक है।
दोनो साथ साथ में बाजार पहुंचते है वहां पर काफी भीड़ नजर आ रही थी, अलग अलग सब्जियों के दुकान एक बगल में एक लगे हुए थे और सभी अपनी अपनी सब्जियों को आवाज़ लगा लगा कर बेच रहे थे मां का ध्यान बाज़ार से ज्यादा तो ममता आंटी पे था, वो देखना चाहती थी की जो आंटी ने उन्हें बताया था क्या ऐसा सच में हो सकता है, मां ने देखा कि आंटी वहीं एक सब्जीवाले के पास झुक कर सब्जियां देखने लगी शायद वो जानबूझ कर उस सब्जीवाले को अपने स्तन की नुमाइश कर रही थी ताकि वो आंटी को सब्जी के भाव में छूट दे।
ममता – भैया आलू कैसे दिए?
सब्जीवाला – ले लीजिए मैडम आपसे ज्यादा थोड़े ना लेंगे।
ममता – अरे भैया पहले भाव तो बताइए फिर पटेगा तो लेंगे नहीं तो कोई बात नहीं (मुस्कुराते हुए)।
सब्जीवाला – क्या मैडम जो देना है दे देना (आंटी के स्तनों को घूरते हुए)
ममता – २ किलो नाप दीजिए फिर (मुस्कान के साथ)।
सब्जीवाला – और क्या नाप दूं?
ममता – टमाटर कैसे दिए?
सब्जीवाला – अरे मैडम आप तो बस जो भी चाहिए बता दीजिए सब और सब आपके हिसाब से दे देना, आपको थोड़ी ना मना करेंगे(कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए)।
ममता – २ किलो टमाटर भी नाप दीजिए फिर!
सब्जीवाला – और कुछ मैडम?
ममता – नहीं भैया, कितना हुआ सबका (अपना पल्लू सीने से हटाके पर्स ढूंढने का नाटक करते हुए)
सब्जीवाला – वैसे तो १५० हो गए पर आप १३० ही देदो (पल्लू के बगल से स्तनों को देखने की नाकाम कोशिश करते हुए)।
ममता – नही भैया मैं तो १०० ही दूंगी (झुक कर अपने उभारों को और ज्यादा प्रदर्शित करते हुए)
सब्जीवाला – ये तो कम हो जायेगा मैडम!
ममता – क्या भैया आपने तो बोला था जो देना है दे देना अब आप ऐसे मत करिए(अभी भी उभारों की नुमाइश कम नहीं करते हुए)
सब्जीवाला – ठीक है दे दीजिए(उभारों को देख कर मुंह से लार टपकाते हुए)
ममता – देखा बोला था न ऐसे काम बन जाता है ( धीरे से मां के कान पास फुसफुसाते हुए)।
दीपिका – हां यार! मैने तो कभी ऐसे सोचा ही नहीं था और देखा भी नहीं।
ममता – चल अब उधर भीड़ तरफ थोड़ा मजा भी करेंगे और सब्जी भी लेंगे और तू भी थोड़ी झुक के दिखा देगी तो कुछ नही बिगड़ेगा!
दीपिका – यार मैंने कभी ऐसा किया नही है पर चल कोशिश करती हूं, इसमें मजे तो है।(ही ही कर के दोनो साथ में हंसते हुए)
फिर दोनो पास में ही एक दूसरी सब्जी की दुकान के पास पहुंची यहां भीड़ थोड़ी ज्यादा थी, वहां जाके ममता आंटी ने अपने जलवे बिखेरने सुरु कर दिया, इस बार मां भी उनका बराबर साथ दे रही थी, जैसे जानबूझ कर झुकना, पल्लू और बालों को बगल में सरकाना, पर्स चेक करने के बहाने अपने उभारों को हाथ लगाना।
वहां काफी भीड़ थी और मर्दों की नजर अब सब्जी से हठ कर इन दो कड़क औरतों के हुस्न पर आ टिकी थी, तभी भीड़ का फायदा उठा के किसी ने मां के कूल्हों को सहला दिया, मां थोड़ी सी असहज महसूस करने लगी।
क्योंकि इसके पहले उनके साथ ऐसा नहीं हुआ था पर उसी समय उनकी नजर आंटी पर पड़ी वहां एक आदमी मस्त आंटी के पीछे खड़े हो कर उनके कूल्हों को मसल रहा था पर आंटी कुछ भी नही बोल रही थी, शायद आंटी का मां को मजे करेंगे बोलने का यही मतलब होगा, आंटी को ऐसे ही अपने कूल्हे दबवाते देख कर शायद अब मां भी गरम होने लगी थी।
तभी किसी ने पीछे से मां के कूल्हे को कस के पकड़ के रगड़ दिया पर इससे पहले की मां देख पाती की कौन था वो अनजान हाथ अब हठ चुका था पर मां अब बहुत ज्यादा शर्म महसूस कर रही थी क्योंकि ये कोई चार दिवारी में बंद नही बल्कि भीड़ से भरा हुआ खुला बाजार था।
तभी ममता आंटी आई और मां के कान में बोली की वो अभी आयेगी थोड़ी देर से उनसे अब कंट्रोल नही हो रहा है बस इतना बोल कर वो वहां से निकल गई मां बस उन्हें भीड़ में एकदम से गायब होते देख पाइ।
तभी किसी ने मां के कान के पास आकर कहा कि उन्हें मां से कुछ बात करनी है जरा उनके पीछे चलो। मां को कुछ समझ नहीं आया की क्या करे तो बस उस आदमी के पीछे चली गई। देखने में वो आदमी कुछ ५’८” का कद, गठीला बदन, रौबदार आवाज, चेहरे पे दाढ़ी और मूछे, आधा गंजा, शायद धूप में काम करने की वजह से रंग थोड़ा काला, लगभग ४० की उम्र का लगता था।
कुछ ही समय बाद मां और वो अनजान शख्स दोनो बाजार के बाहर आ चुके थे, शाम के ७:०० के लगभग का समय था इसलिए इधर अंधेरा भी हो गया था और इधर कोई लाईट भी खास थी नहीं।
सामने कुछ पुराने से क्वार्टर थे जो अब शायद उपयोग में नहीं लिए जाते थे उनकी हालत देख कर कोई भी अंदाजा लगा सकता था। ये पुराने पुलिस क्वॉटर थे। अब उस आदमी ने मां का हाथ पकड़ कर मां को एक क्वॉटर में खींच लिया।
मां कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसने अपने होंठो को मां के होंठो पे रख कर चूमने लगा। अभी तक तो मां काफी डरी हुई थी उन्हें उनके साथ ऐसा कुछ होने का अंदाजा भी नहीं था पर लगातार होंठो के चुम्बन के चलते वो गर्म हो चुकी थी, उन्हें पता ही नही चला कि कब उस आदमी ने मां के ब्लाउज को खोल कर मां से अलग कर दिया। इस समय मां ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी पर नीचे से पूरे कपड़े पहने हुई थी।
वो बस मां के होंठो को चूम रहा था और अपने एक हाथ से मां के स्तनों को जोर जोर से निचोड़ रहा था और मां बस उह आह आह ओह की आवाज और तेज तेज सांस ले रही थी और एक कड़क मर्दाना हाथो को अपने स्तनों पे महसूस कर रही थी।
उस अनजान शख्स ने बिना देर किए मां की साड़ी को उनके जिस्म से अलग कर दिया अब मां ने नीचे सिर्फ पेटीकोट पहन रखा था और उसके अंदर पैंटी, अगले ही पल उस आदमी का हाथ मां की चूत से खेल रहा था तब मां को एहसास हुआ की उनका पेटीकोट भी उतार दिया गया है।
फिर उसने मां को लंड चूसने का पूछा तो मां ने ना में सिर हिला कर मना कर दिया तो इस शख्स ने मां को वही जमीन पर मां की गिरी हुई साड़ी के ऊपर लेटा दिया और जल्दी से मां की पैंटी भी अलग कर दी।
अब मां ने महसूस किया कि २ उंगलियां उनकी चूत के अंदर चल रही है, और तब उस आदमी ने कहा कि “तुम कुछ ज्यादा ही गीली लग रही हो” और फिर उसने मां की पैंटी से मां की चूत को पोंछ कर सुखाया और अपने लंड मां की चूत में घुसा दिया, मां देख तो नहीं पाई की कितना बड़ा है पर जब वो मां की चूत की गहराई में पहुंचा तो एक अंदाज लगा की लगभग ७ इंच लंबा और ३ इंच मोटा होगा।
चूत के सूखे होने की वजह से मां की एक चीख निकल गई ‘आह ‘ उस आदमी ने कहा “क्या कर रही हो आवाज सुन कर और भी लोग आ जायेंगे”।।।
फिर उस आदमी ने बिना देर किए मां की चूत में तेज तेज धक्के मरने शुरू कर दिए, शायद १ मिनट ही धक्के लगाने के बाद वो रुक गया और बोला “कितना पानी छोड़ रही हो फिर गीली हो गई” और फिर से मां की पैंटी से चूत को पोंछ कर सुखा दिया और फिर लंड को वापस चूत में एक ही झटके में घुसा दिया और दनादन धक्के मारने लगा।
अब मां के मुंह से सिसकारी निकल रही थी ‘सी सी थोड़े धीरे करो दर्द हो रहा है’ अब फिर उसने २ मिनट ही चोदा होगा की फिर लंड बाहर निकाल लिया और बोला” – तू सच में कितना पानी छोड़ रही है”
और फिर से मां की चूत को पोंछ कर चोदने लगा।
लगभग १५ मिनट तक वो मां को चोदता रहा और बीच बीच में लंड निकाल कर पोछता रहा। मां को अब चुदाई में बिल्कुल भी मजा नही आ रहा था क्योंकि उनकी सुखी चूत में बार बार लंड घुसाने से वो अंदर से जलन करने लग गई थी।
मां ने उस आदमी को मना करना शुरू कर दिया ‘मुझे बहुत जलन हो रही है प्लीज अब झड़ जाओ’ पर वो रुकने का नाम ही नही ले रहा था ऐसे ही उसने और १० मिनट मां की जोरदार चुदाई करी और अपना माल मां की चूत में झड़ा के अपना लंड निकाल लिया। मां को अब बहुत तेज जलन होने लगी थी जैसे किसी ने रोड को गरम करके उनकी चूत अंदर से जला दी हो।
फिर उस आदमी ने ५ मिनट तक मां के स्तन को चूसा और निचोड़ा और बोला “चल औंधी होजा मैं तेरी गांड मरूंगा” पर मां दूर हट गई और मना करने लगी कि ‘नही मैं वहां नही करवाऊंगी’
उस आदमी ने मां से कहा “क्यों नही मरवाएगी अपनी गांड?”
तब मां ने कहा कि ‘मुझे नही करवाना, कुछ दिन पहले एक आदमी ने किया था तो मुझे बहुत दुख रही थी ३-४ दिन तो मैं ठीक से लेट्रिंग भी नही जा पाई और तो और इतनी तकलीफ हो रही थी कि ऐसा लगा मुझे बावाशीर हो गया है इसलिए वहां नही।’
फिर उस आदमी ने कहा “आजकल तो सभी औरते गांड मरवाती है सबको मजा आता है”।
तो दोस्तो ये थी मेरी मां की चुदाई की कहानी का एक और भाग अब मैं सोच रहा हूं की इसे यहीं पर खत्म कर दिया जाए। अगर आप लोगो का प्यार मिलेगा तो शायद इसके आगे भी लिख दू।
और जो लोग सोच रहे होंगे की ममता आंटी के घर से लेकर बाजार में चुदाई तक का किस्सा मुझे कैसे पता चला उन्हें बता दूं कि मां जब घर लौट कर आई थी तब उन्होंने ये सारी बात कीर्ति आंटी को बताई थी तब मैने छुप कर सुन ली थी। फीडबैक के लिए e-mail ID 1993mrdamned@gmail।com