अपनी हिंदी सेक्स कहानी शुरू करता हूं।
कुछ सालों पहले की बात है। मैं दिलीप उत्तराखंड के एक घने जंगल के इलाके में रोड बनाने की कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के ओहदे पर काम करता था। मेरा ऑफिस देहरादून में था। मेरी शादी को दो साल हो चुके थे। मेरी पत्नी दीपा उस समय 25 या 26 साल की होगी।
मेरी पत्नी दीपा अत्यन्त सुन्दर पर एक-दम सरल और निखालिस स्वभाव की थी। गोल चेहरा, धारदार आंखें, घनी तीखी पलकें, उरोज (मम्मे) पूरे भरे-भरे और तने हुए, गोल उभरी गांड पर सब की नज़र मजबूरन चली ही जाती थी। दीपा बहुत ही भोली, सादगी वाली, और एक-दम नादान सी थी। रात में पलंग में दीपा मुझे चुदाई करने देती थी, पर कपड़े निकालते ही वह जैसे पत्थर की मूरत हो वैसे नंगी होते है पड़ी रहती थी।
उस का मन चुदाई में बिलकुल नहीं होता था। वह चुदवाते हुए नंगी ही बिस्तर में कुछ गहरे विचारों में खोयी हुई बैठी रहती थी। मैं सोचता था कि वक्त बीतते यह समस्या कम या खत्म हो जायेगी। पर यह हुआ नहीं। बाकी घर के सब काम दीपा पूरी जिम्मेवारी से करती थी। मेरे घरवाले दीपा से खुश थे।
बड़ी ही अजीब सी उलझन थी। मेरी पत्नी का इस तरह का बर्ताव दिन बा दिन मेरे लिए एक नासूर सा बन कर बढ़ता ही जा रहा था। मेरी हालत देख कर कई बार हमारी कामवाली बाई बिमला मुझे दिलासा देती रहती थी कि “बाबू जी धीरज रखिये, सब ठीक हो जाएगा।”
शायद कामवाली बिमला ने मेरी और मेरी बीवी दीपा के बीच की इस परेशानी को देखा था। मेरी पत्नी दीपा बिमला को कामवाली नहीं एक सहेली जैसे मानती थी। दोनों कई बार बैठ कर दिल खोल कर बात करते थे। शायद हमारी चुदाई के बारे में भी बिमला और मेरी पत्नी के बीच कुछ ना कुछ बात तो हुई ही होगी। ।
एक रात मेरा काफी तगड़ी चुदाई करने का मूड बन रहा था। मैं जब दीपा को पकड़ कर पर चुदाई के लिए मनाने लगा, तब बड़े ही गुस्से से, अपमानजनक, और महज भद्दे तरीके से अपनी टांगे फैला कर, अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर, अपनी चूत दिखा कर गुस्से में बोल पड़ी, “लो, यह रही मेरी चूत, जैसे चाहो चोदो आपकी बांदी को। आप मेरे मालिक हो। मैं तो सिर्फ आपकी लौंडी हूं, जागीर हूं। मुझे चोदने के लिए ही तो आपने मुझसे शादी की है ना?”
जिस तिरस्कार भरे और सूखे रवैये से दीपा ने यह बोला, मैं एक-दम मुरझा सा गया। उस वक्त दीपा का चेहरा बड़ा ही भयानक सा दिख रहा था। उसके खुले दांत और होंठ से लगता था जैसे वह कोई बीभत्स सा अट्टहास्य करने वाली थी। बड़ी-बड़ी आंखों को फाड़ कर मेरी और तिरस्कार भरी दृष्टि से दीपा ने ऐसे देखा, कि मैं बिना कुछ बोले चुप-चाप अपने कपड़े पहन कर उठ खड़ा हुआ, और बाहर ड्राइंग रूम में जा कर सो गया।
सुबह बिमला जब काम करने आयी तब उसने मुझे सोफे पर सोते हुए देखा। मैं नहा धो कर बिना नाश्ता किये ऑफिस के लिए निकल गया। ऑफिस में भी मेरा मूड ठीक नहीं था, यह मेरे स्टाफ ने देखा होगा।
दोपहर को लंच टाइम में मेरी केबिन में बिमला को मेरे लिए खाना लेकर आयी हुई देख कर मुझे बड़ा ही आश्चर्य हुआ।
जब मैंने बिमला को मेरे सामने वाली कुर्सी पर बिठा कर उसे पूछा कि “क्या बात है, आज खाना लेकर क्यों आयी?” तो बिमला की आंखों में आंसू भर आये। वह टेबल पर मेरा हाथ थाम कर बोली, “शाहब जी दीदी की बात का बुरा मत मानिये। दीदी पूरी रात सोई नहीं है। आपने सुबह से नहीं खाया तो दीदी ने भी अभी तक खाया नहीं है। दीदी को पुरानी कोई बात खाये जा रही है। दीदी की दिमागी हालत ठीक नहीं। उनको क्या हुआ है यह जांच करवाइये, वरना दीदी की हालत बिगड़ जायेगी।”
मैंने बिमला से कहा, “बिमला, मैं तुम्हारी दीदी से बहुत प्यार करता हूं। मैं उसकी मदद करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूं। मैंने कई बार तुम्हारी दीदी से उसकी नाराजगी के बारे में और उसकी पुरानी जिंदगी के बारे में पूछा है, पर वह नाराज़ हो जाती है और बात को टाल देती है। मैं क्या करूं?”
बिमला: साहब अगर आपको सब दीदी के बारे में जानना है, तो मैं दीदी की कॉलेज की सहेली रेखा का नंबर देती हूं। दीदी इनसे बात करती रहती है। दीदी के फ़ोन से ही मैंने इस नंबर को लिया है। शायद रेखा जी कुछ ना कुछ जानती हो। इस उलझन से बाहर आने का रास्ता शायद वह दिखा पाए।
यह कह कर बिमला ने मुझे रेखा का नंबर दिया। रेखा एक साइकाइट्रिस्ट थी, और दीपा की बहुत करीबी थी यह मैं जानता था। वह हमारी शादी में आयी थी, और मुझे जानती थी। मैंने उसी वक्त मेरे दफ्तर से रेखा का नंबर मिलाया और मैंने रेखा से मेरी पत्नी दीपा की नाजुक तबियत और उसके बदलते हुए मूड्स के बारे में बताया। रेखा को दीपा की हालत के बारे में कुछ आईडिया तो था ही।
मेरी बात सुन कर दीपा की सहेली रेखा ने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा, “कॉलेज में दीपा का एक नीरज नाम का बहुत ज्यादा करीबी बॉयफ्रेंड था। यह मामला कॉलेज में उस बॉयफ्रेंड के साथ हुई कुछ पेचीदा सेक्सुअल घटनाओं से जुड़ा हुआ है। उनकी बात शादी तक पहुंच गयी थी। पर अचानक दीपा का नीरज से ब्रेकअप हो गया, और उसके कारण कॉलेज में भी दीपा काफी मानसिक तनाव से ग्रस्त थी। लगता है अब और भी दीपा की हालत बिगड़ गयी है। अगर दीपा की हालत में सुधार लाना है तो आपको दीपा से सब कुछ बहुत समझदारी और शान्ति से सुनना और समझना पड़ेगा।”
मैंने दीपा की सहेली रेखा से पूछा, “दीपा के इलाज के लिए क्या करना पड़ेगा?”
रेखा ने कहा, “यह एक मानसिक समस्या है। हो सकता है आपको कुछ ऐसा करना पड़ेगा कि जो शायद ही कोई पति करना चाहे। आपको अपनी पत्नी को… अब मैं आप से क्या कहूं?” इसके आगे रेखा बोल नहीं पायी और चुप हो गयी।
मैंने पूछा, “क्या कहना चाहती हो? कहीं आप दीपा को किसी और से सेक्स करने के बारे में तो नहीं कह रहे हो?”
दीपा की सहेली रेखा ने झिझकते हुए कहा, “हां, हो सकता है कि वह भी करना पड़े। क्या पता? क्या उसके लिए आप तैयार हो?” रेखा की मेरी बीवी दीपा का किसी से सेक्स कराने की बात सुनने पर हमारी कामवाली बाई ने मेरी तरफ प्रश्नात्मक दृष्टि से देखा।
मैंने कहा, “मैं दीपा की हालत सुधारने के लिए कुछ भी करने को और किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हूं। पर क्या ऐसा करना जरुरी है?”
दीपा को किसी से चुदवाने की बात सुनते ही पता नहीं क्यों, मेरा लंड खड़ा हो गया। रे दीपा को चुदवाना पड़ेगा। पर किससे? क्या दीपा को नीरज से चुदवाना पड़ेगा? मुझे अचानक एक झटके के साथ महसूस हुआ कि मैं मेरी बीवी को किसी गैर मर्द से चुदवाते हुए देखना चाहता था।
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