हेलो दोस्तों कैसे हो सब लोग ,पहले तो माफी चाहूँगा इस पार्ट को लाने में देर हुई, लॉक डाउन खुलने से अब लिखने का समय कम मिल रहा, फिर भी मेरी पूरी कोशिश है कि आपको जल्दी से जल्दी नए पार्ट पेश करूं, तो पढ़िए आगे..
हमने कुछ देर बाद फिर से चुदाई की, हमारी चुदाई सुबह के 2 बजे तक चली। उसके बाद हम एक दूसरे की बाहों में नींद के आगोश में सो गए। सुबह उठने में भी लेट हो गया।
आज शुक्रवार था ,शनिवार को मेरी दिल्ली की फ्लाइट थी।मैंने ट्रैनिंग कॉर्डिनेटर को फ़ोन किया कि मुझे आने में देर हो जाएगी। फिर मुझे पता चला कि मुझे हैदराबाद जाना है 2 दिन के लिए।
ट्रेवल डेस्क ने मेरी फ्लाइट दिल्ली की जगह हैदराबाद के लिए बदल दी। अब मुझे शनिवार को हैदराबाद जाना था।
जब ये बात मैने अदीला और पल्लवी को बताया तो अदीला बोली – अरे फिर तो आप मेरा एक पार्सल ले जाना, मेरी अम्मी को दे देना, या मेरा भाई लेने आ जायेगा।
और आप आज होटल से चेक आउट कर लेना और कल यहाँ से ही एयरपोर्ट चले जाना।
मैं- हाँ ठीक है ।
फिर मैं होटल गया और वहाँ से चेक आउट करके अपने आफिस चला गया।
शाम को मैं सीधा पल्लवी के फ्लैट पर आ गया।
फ़्लैट में पल्लवी अकेली थी।
मैं – अदीला कहाँ है?
पल्लवी- क्योँ अदीला के आगे मैं फीकी लग रही हूँ।
मैं- अरे ऐसा नहीं मेरी जान ,बस ऐसे ही पूछ रहा था।
पल्लवी- वो आधे घण्टे में आ जायेगी। अपने घर के लिये कुछ सामान लेने गई है।
मैं- अच्छा ।
पल्लवी ने सफेद टॉप, और गुलाबी रंग का बहुत ही छोटा निकर पहना था ।
मैंने उसे अपने बाहों में भरा और उसके कान में कहा, जब तक अदीला आती है एक राउंड हो जाये।
मैं बिना उसके जवाब का इंतजार किए उसके होंठो को चूमने लगा। मेरे हाथ उसके नर्म चूतड़ को दबा रहे थे।
पल्लवी के हाथ मेरी कमर पर थे। धीरे धीरे मैं अपनी उंगली उसके गाँड़ के छेद पर निकर के ऊपर से ही फिराने लगा। मेरा लन्ड खड़ा हो गया। जो उसकी चूत के ऊपर टकरा रहा था।
फिर मैंने पलव्वी को पलटाया और थोड़ा झुकाया, पल्लवी ने दीवार पर अपने हाथ टिका दिये। मैंने एक झटके में उसका निकर पेंटी के साथ नीचे उतार दिया।
पल्लवी की चिकनी चूत में गीलापन साफ नजर आ रहा था। मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी चूत चाटने लगा।
पल्लवी के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी, मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर नीचे किया। मेरा लन्ड बहुत सख्त हो गया था, मैंने थोड़ा थूक लण्ड के सुपाड़े पर लगाया। फिर मैंने पीछे से पल्लवी की चूत में लन्ड पेल दिया।
इससे पल्लवी की चीख निकल गई। मैं उसका टॉप ऊपर करके उसके स्तन दबाने लगा। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
फिर मैं धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
पल्लवी -क्या यार सीधा घुस्सा दिया, चुसने भी नहीं दिया।
मैं- कोई नहीं अभी तो पूरी रात है जी भर के चूस लेना। ये बोलते हुए मैंने उसके निपल्स दबा दिए। उसके मुँह से मादक सिसकी निकल गई।
मैं धक्के धीरे धीरे बढ़ाने लगा।
5-7 मिनट धक्का लगाने के बाद मैंने उसकी कमर पकड़ ली और जोर जोर से धक्के लगाने लगा।
पल्लवी- हाँ और जोर से यस बेबी और जोर से। फाड़ दो मेरी चूत।
मैने रफ्तार और तेज कर दी। कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए।
फिर मैं बाथरूम में नहाने चला गया। नहाकर मैंने टीशर्ट और निकर पहन ली।
इतने में अदीला भी आ गई थी। पल्लवी ने चाय बना दी थी। हम तीनों बैठकर चाय पीने लगे।
अदीला मुस्कुराते हुए बोली- लगता है मैंने कुछ मिस कर दिया।
मैं- अरे कुछ नहीं एक क्विक राउंड था।
फिर हमने चाय पी।
अदीला- कल तो आप चले जाओगे, फिर ना जाने कब आओगे। तो आज की रात पूरी मस्ती करेंगे।
मैं- बिल्कुल क्यों नहीं, मगर आज खाना घर में ही बना दो। दाल चावल भी चलेगा।
पल्लवी- हाँ बिल्कुल।
अदीला- और हाँ अब जब बाहर जाना ही नहीं है तो क्यों ना हम सब नंगे हो जाए। कपड़ो की क्या ज़रूरत?
मैं – हाँ हाँ क्यों नहीं।
अदीला- तो चलो फिर देर किस बात की।
ये बोलकर अदीला ने अपना टॉप उतार दिया। मैं भी अपने कपड़े उतारने लगा। थोड़ी देर में ही हम सब पूरे नंगे हो गए।
फिर अदीला और पल्लवी किचन में गये।
मैं एक कुर्सी पर बैठ गया। वहाँ से किचन सीधा दिख रहा था। दोनों की पीठ मेरे तरफ थी ,दोनों की मस्त गाँड़ दिख रही थी।
मैं सोच रहा था किसी की गाँड़ ज्यादा मस्त है। सच कहूँ तो मेरे लिये अदीला की गाँड़ ज्यादा मस्त थी।
वो दोनों खाना बनाने में मस्त थी और मैं उनकी मटकती गाँड़ देखने में। कभी कभी अदीला मुझे पलट कर देख रही थी। दोनों की मटकती गाँड़ देखकर मेरा लन्ड फिर कड़क हो गया।
मन कर रहा था अभी जाऊं और अदीला की गांड में लन्ड पेल दूँ , पर मैंने धीरज रखा। थोड़ी देर में अदीला की नज़र मेरे खड़े लंड पर पड़ी। उसने पल्लवी से कुछ कहा और मटकते हुए मेरी तरफ आई।
जब वो मेरी तरफ आ रही थी उसके स्तन उछल रहे थे, चूत उसकी पूरी चिकनी थी, शायद उसने आज ही रेजर लगाया था।
अदीला- अरे ये जनाब को तो सब्र ही नहीं है, अभी तो पल्लवी को चोदा और अभी फिर से सलामी दे रहे हैं ।
वो फिर नीचे बैठी और मेरे लन्ड को हाथ में पकड़ लिया।
फिर वो अपनी जीभ से लंड के सुपाड़े को चाटने लगी।
फिर वो अंडे से लेकर सुपाड़े तक चाटने लगी
मैं- आह अदीला तू तो किसी पोर्न स्टार की तरह चाटती है,
बहुत मज़ा आ रहा है।
अदीला- ये लन्ड है ही इतना मस्त। मन करता है इसे खा ही जाऊं।
मैं – खा ले मेरी जान, तेरे लिये ही है।
अदीला – हाँ अभी जरा चूस लूँ।
ये बोल के वो मेरा लंड मुँह में डालकर चुसने लगी।
उधर पल्लवी भी आकर एक कुर्सी पर बैठ गई।
पल्लवी- दाल चावल चढ़ा दिये। कुछ देर में बन जाएंगे।
फिर वो हम दोनों को देखकर अपनी चूत रगड़ने लगी।
तो फिर अदीला खड़ी हुई और उसने मेरा लन्ड सेट किया और मेरे लन्ड पर बैठ गई। मेरा लन्ड एक ही झटके में उसकी गीली चूत की गहराइयों में गुम हो गया। अदीला ने अपनी आँखें बंद कर ली। और मेरे होंठो को चुसने लगी।
फिर वो धीरे धीरे मेरे लन्ड पर उछलने लगी। मैं उसके मस्त चुचो को दबाने लगा।
अदीला – आह आह , बहुत मज़ा आ रहा है। मस्त लन्ड है तेरा। अंदर तक घुस गया। आह आह।
मैं – तेरी चूत भी मस्त है जान, मैं भी नीचे से कूल्हे हिलाने लगा।
उधर पल्लवी भी अपनी चूत में धीरे धीरे उँगली कर रही थी।
थोड़ी देर बाद अदीला ने उछलने की रफ़्तार बढ़ा दी।
अदीला- आह मुझे होने वाला है आह आह या , ओह, आह
और अदीला झड़ गई , वो मेरे ऊपर ढेर हो गई, मगर मैं अभी झड़ा नहीं था। फिर अदीला उठी।
अदीला – तेरा लन्ड तो अभी झड़ा नही, पल्लवी आजा लन्ड की सवारी कर ले।
पल्लवी तो जैसे इसी के इंतजार में थी।
वो आई और मेरे लन्ड पर बैठ कर उछलने लगी।
अदीला नीचे बैठकर चुदाई देखने लगी।
जब पल्लवी मेरे लन्ड पर उछल रही थी, अदीला ने अपनी एक उँगली पल्लवी के गाँड़ के छेद में डाल दी।
पल्लवी की सिसकी निकल गई।
मगर वो उछलती रही। अदीला भी अपनी उँगली से उसकी गाँड़ मारने लगी। कभी कभी अदीला मेरे अंडो को भी चाट रही थी। इस माहौल में ज्यादा देर बर्दास्त करना संभव नही था।
आह पल्लवी मैं तेरी चूत को फाड़ दूँगा।
पल्लवी- फाड़ ना, किसने रोका है, चूत तो यही चाहती है। फाड़ मेरी चूत। आह आह।
मैं उसके स्तन भी चूस रहा था।
थोड़ी देर में पल्लवी और मैं एक साथ झड़ गए।
उसके बाद हमने खाना खाया।
उस रात फिर हमने ज़बरदस्त चुदाई की। चुदाई से दोनों की चूत लाल हो गई थी। लन्ड का भी बुरा हाल था।
सुबह मैं अदीला का पार्सल लेकर एयरपोर्ट पहुँच गया। अदीला ने अपनी अम्मी का नम्बर दे दिया था।
फिर मैं लगभग 2 बजे दिन में हैदराबाद होटल में पहुँचा।
आज शनिवार था, मैंने सोचा पार्सल कल दे दूँगा।
फिर मैं बिस्तर पे लेट गया और लेटते ही मुझे नींद आ गई।
फिर मुझे गर्मी लगने लगी, तो मेरी नींद खुल गई। देखा रूम का ऐसी काम नहीं कर रहा था। शाम के 7 बज गये थे।
मैंने हाउस कीपिंग को फोन किया , किसी लड़की ने फोन उठाया, उसका नाम ज्योति था। मैंने उसे ऐसी की प्रॉब्लम बताया। उसने कहा मैं अभी किसी को भेजती हूँ।
फिर मेंटनेस वाला लड़का आया और ऐसी ठीक करके चला गया।
फिर मैं ने एक शॉवर लिया। अब मुझे बहुत ज़ोर से भूख लग रही थी। मैंने खाने का आर्डर कर दिया। फिर मैंने लगभग 8.30 तक खाना खा लिया। रात के 9.30 बजे डोर बेल बजी। फिर क्या हुआ ये अगले पार्ट में बताऊंगा…
आप सब को मेरी कहानी कैसी लगी कृपया कॉमेंट करके ज़रूर बताए।
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