कालिया ने अपने ऊपर संयम रख कर अपने उन्माद को शांत करने की कोशिश की। सिम्मी कालिया के लण्ड को धीरे धीरे चूसने में लग गयी।
हालांकि कालिया के लण्ड को वह ज्यादातर अपने छोटे से मुंह में ले नहीं पा रही थी पर फिर भी कालिया को खुश करने के लिए, वह कालिया मोटे तगड़े लण्ड को जितना हो सके उतना अपने मुंह में अंदर लेकर उसे चूसने की कोशिश कर रही थी।
कालिया का लण्ड इतना तगड़ा था की सिम्मी के गाल उसके अंदर जाने से फूल जाते थे। अपना मुंह आगे पीछे कर सिम्मी कालिया के लण्ड को बड़े प्यार से चूस रही थी।
कालिया भी अपना पेंडू आगे पीछे कर सिम्मी के सर के ऊपर अपना हाथ रखे हुए सिम्मी के मुंह को अपने लण्ड से जैसे चोद रहा हो ऐसे धक्के मार रहा था।
कुछ समय बाद जब कालिया बदन एकदम सख्त सा हो गया तब सिम्मी को लगा की कहीं कालिया उसके मुंह में झड़ ना जाये और आगे उसे अच्छी तरह चोद ना सके इस डर से सिम्मी ने कालिया को अपना सर उठा कर देखा। कालिया भी उस समय झड़ना नहीं चाहता था। वह सिम्मी की प्यासी कमसिन चूत सारी रात भर चोदना चाहता था। सिम्मी का इशारा समझ कर कालिया ने धीरे से अपने लण्ड का अग्रभाग जो सिम्मी के मुंह में था उसे निकाल दिया।
सिम्मी के इस प्यार भरे समर्पण से कालिया इतना अभिभूत हो गया था की उसके ह्रदय में सिम्मी के लिए प्यार का उफान मँडरा रहा था। कालिया ने सिम्मी को खड़ा किया और एक झटके में उसे अपनी बाँहों में कस कर ले लिया और सिम्मी के सर को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर सिम्मी के होंठों को अपने होँठों से भींच कर उसे गहरा और अत्यंत उत्कट मादकता भरा चुम्बन देने में संलग्न हो गया।
सिम्मी को पहली बार कालिया का एक प्रेमी का रूप देखने को मिला। पहली दो बार कालिया सिर्फ अपना लण्ड सिम्मी की चूत में डाल कर उसे रगड़ रगड़ कर चोदने में ही लगा रहता था पर इस बार उसे कालिया में एक प्रियतम की छबि नजर आने लगी। एक प्यार भरी औरत एक मर्द का चरित्र कैसे बदल सकती है यह देख कर सिम्मी को अपने स्त्री होने पर गर्व भी महसूस हुआ।
चुम्बन करते हुए कालिया सिम्मी के दोनों उरोजों को ब्लाउज के ऊपर से हाथ जब फिराने और उन्हें मसलने लगा तब सिम्मी ने अपनी कजरारी आँखों से कालिया की और देखा और कुछ शरारती लहजे में मुस्कराती हुई बोली, “उस दिन तो यह ब्लाउज फाड़ देने की धमकी दे रहे थे। आज ब्लाउज को खोलने में क्यों हिचकिचा रहे हो?”
कालिया को उसके लिए कोई निमत्रण की जरुरत नहीं थी। कालिया ने सिम्मी के ब्लाउज के बटनों को फुर्ती से खोल दिए और ब्लाउज को ऊपर की और खींचा। सिम्मी ने अपने हाथ उठा कर उसे तिलाँजलि देदी (निकाल फेंका)।
सिम्मी की ब्रा महिम कपडे की और उसके बॉल के हिसाब से काफी छोटी थी। ब्रा के ऊपर से और निचे से सिम्मी की उभर कर उससे बहार आने को व्याकुल चूँचियाँ बड़ी मुश्किल से उस छोटी सी ब्रा के बन्धन में समा रहीं थीं।
कालिया ने सिम्मी के पीछे हाथ फैला कर उस ब्रा की छोटी सी पट्टी का हुक भी खोल दिया। पट्टी के खुलते ही ब्राके सख्त बंधन से आज़ाद हुई सिम्मी की सख्त पर भरी हुई चूँचियाँ उद्दण्डता दिखाते हुए सिम्मी की छाती पर सख्ती से खड़ी हो गयीं।
सिम्मी के स्तनोँ की निप्पलेँ भी उत्तेजना के कारण उभरी हुई फुन्सियों से भरी हुई एरोला के बिच में पहाड़ों की चोटी के सामान अपना सर उठाये खड़ीं सख्ती से कालिया के सामने प्रस्तुत हुईं।
कालिया सिम्मी के गोरे ऊपर से नंगे बदन जो की सीमी के घुंघराले से बाल से लेकर सिम्मी की नशीली आँखें, उनके ऊपर कटीली भौंहें, उसकी तीखी लम्बी नाक, उन्मादक रसीले होँठ, कुछ उभरी हुई ठुड्डी, लम्बी पतली गर्दन, दो करारे पतले सुन्दर बाजू और सिम्मी के सबसे खूबसूरत छाती पर विराजमान फुले हुए गुब्बारों के बिच सुशोभित निप्पलं सिम्मी की खूबसूरती को देख कर जैसे उसने कुबेर का खजाना पा लिया हो ऐसे अपने आप को धन्य अनुभव कर रहा था।
कालिया की नजर सिम्मी के स्तनों के ऊपर से मंडराती हुई सिम्मी की पतली कमर से हो कर उसकी सुन्दर नाभि पर टिकी। नाभि के निचे का उभार कालिया के दिमाग को खराब कर रहा था। कालिया ने सिम्मी की कमर पर हाथ रखा और उसको अपनी और करीब खींचा। सिम्मी के कपड़ों में भी सिम्मी की चूत कालिया के नंगे लण्ड को महसूस कर रही थी।
सिम्मी की टाँगों को अपनी टाँगों के बिच में कस कर भींच कर कालिया अपने हाथ सिम्मी की गांड के घुमाव पर फिराने लगा। सिम्मी की गांड उसके बदन के मुकाबले काफी भरी हुई थी।
कालिया सिम्मी को कपडे पहने हुए ही अपनी कमर आगे पीछे कर उसे चोदने की अपनी इच्छा को दिखा रहा था। सिम्मी को कालिया से अब कोई डर नहीं रहा था। वह अपनी वही पुरानी मुंहफट आदत पर आ गयी और बोली, “अरे यार तुझे चोदना ही है तो कपडे तो निकाल दे।”
सिम्मी के मुंह से खरीखरी सुनकर कालिया कुछ झेंप सा गया। बिना कुछ बोले उसने सिम्मी की कमर के निचे देखा। सिम्मी की कमसिन नाभि के निचे साडी की गाँठ और अंदर घाघरे का नाड़े का एक छोर उसे दिख गया।
कालिया ने सिम्मी की साडी की गाँठ पर हाथ डाला और हलके से उसे खोल दिया। सिम्मी की साडी वैसे ही आसानी से निचे की और फिसल कर गिर पड़ी। सिम्मी ने अपनी बाजुएं फैला कर कालिया की गर्दन के इर्दगिर्द रखदीं। वह चाहती थी की कालिया उसके घाघरे का नाडा खोल कर उसे उन भारी वस्त्रों के बंधन से मुक्त कर दे।
कालिया के नाडा खोलते ही सिम्मी का घाघरा भी साडी की ही तरह निचे फिसल कर गिर पड़ा। सिम्मी ने दोनों को पैर उठा कर उन्हें कोने की तरफ खिसका फेंका। सिम्मी अब सिर्फ एक छोटी से पैंटी में अपनी स्त्री लज्जा को छुपा कर खड़ी थी और वह भी अब फुर्ती से हट जाए उसकी प्रतीक्षा कर रही थी।
उसे कोई ज्यादा प्रतीक्षा करनी नहीं पड़ी। कालिया ने उसकी एलस्टिक अपनी एक उंगली घुसा कर खींची और निचे की और खिसकाते ही सिम्मी की कहीं कहीं हल्कीफुल्की झांटों के बालों की चद्दर से सजी मासूम चूत की पंखुड़ियां दिखाई पड़ी। कालिया ने सिम्मी की पैंटी को बिलकुल निचे खिसका दिया तो सिम्मी ने अपनी एक टाँग उठाकर उसके अंगूठे से उसे फर्श पर खिसका कर उसे भी एक पांव के झटके से कमरे के एक कोने में फेंक दिया।
कालिया सिम्मी को नंगी खड़ी हुई देखता ही रहा। सिम्मी को कालिया ने पहले भी नंगी देखा था पर उसे पहले सिर्फ सिम्मी को चोदने का फितूर ही दिमाग पर सवार था। उसे सिम्मी की खूबसूरती सराहने का ज्यादा समय नहीं था।
अब कालिया के पास पूरी रात थी। वह सिम्मी की नग्न छबि को बड़े ध्यान से देखता रहा। उसकी स्वप्न सुंदरी अब उसके सामने स्वयं ही एक दुल्हन सी सजी उससे चुदवाने के लिए बेताब खड़ी थी। सिम्मी की पतली कमर सुडोल नाभि और उसके निचे वाला उन्मादक घुमाव जो थोड़ा सा उभर कर सिम्मी की चूत की तरफ ढलता हुआ दिखाई देता था वह ढलाव और उभार गजब का मनमोहक था।
सिम्मी की कमसिन सुआकार कमल की डंडी जैसी जाँघे जहां मिलती थीं वहाँ ही सिम्मी की रसीली चूत की हलकी सी दरार नजर आ रही थी। चंद छोटे हलके से झाँट के बाल की बस झाँकी ही थी वरना चूत का टीला लगभग साफ़ था। चूत की रसभरी पंखुड़ियाँ एकदम गुलाबी रंग की थीं। चूत में से बूँद दर बूँद रस रिस रहा था जो सिम्मी की जाँघों से होकर सिम्मी की टाँगों को गीला कर रहा था और जो कालिया को भरोसा दिला रहा था की चुदाई की आग सिर्फ उसकी टाँगों के बिच ही नहीं, सिम्मी की टाँगों के बिच भी लगी हुई थी।
कालिया ने फिरसे एक बार सिम्मी को अपनी बाँहों में लिया। अब दो नंगे प्यासे बदन एक दूसरे से ऐसे लिपटे जैसे उन्हें छूटने की कोई इच्छा ही ना हो। सिम्मी ने बड़े प्यार से कालिया का सर अपने हाथों में पकड़ कर उसके होँठों से अपने होँठ मिलाये और टूटेफूटे लफ्जोँ में बोली, “मेरे आज रात के पति, आई लव यू” और ऐसा कह कर कालिया के साथ एक प्रगाढ़ चुम्बन में जुट गयी।
कालिया ने सिम्मी को बाँहों के जकड कर थोड़ा उठा लिया। सिम्मी ने चुम्बन करते हुए अपने दोनों पाँव उठा कर उन्हें घुटनों से मोड़कर कालिया की कमर के इर्दगिर्द कास कर लपेट लिए।
सिम्मी ने अपना सारा वजन कालिया के ऊपर डाल दिया। उस समय सिम्मी कालिया के नंगे बदन और खासकर कालिया के महाकाय लण्ड का स्पर्श अपने बदन पर महसूस कर उसका भरपूर आनंद उठा रही थी। कालिया भी अपनी छाती पर सिम्मी के सख्त करारे स्तनोँ को अनुभव कर अपनी ही मस्ती में डूबा हुआ था।
पढ़ते रहिये कहानी आगे जारी रहेगी!
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