Jindagi Ki Kahani – Part II
राजेश ने सोमया की कुछ तस्वीरें अपने मोबाइल से खींची और बाद में एक मेसेज असलम को कर दिया रुख़ की कुछ तस्वीरें खींच कर भेजने के लिए। इसके बाद राजेश ने सोमया को उसके घर के पास छोड़ा और अपने घर जा कर अपने डेड के आने का इंतेजर करने लगा।
अब आगे..
हालाँकि आज सनडे था.. पर एक कामयाब डॉक्टर को फ़ुर्सत कहाँ मिलती है.. राजेश के डैड एक बहुत ही कामयाब डॉक्टर थे और एक एमर्जेन्सी को देखने उन्हें सनडे के दिन भी जाना पड़ा। रात के 11 बज गये पर वो अभी तक नही आए थे। ड्रॉयिंग में बैठा बैठा राजेश उनका इंतेज़ार करते करते बोर होने लगा और टीवी चला के चॅनेल्स सर्फ करने लगा जब उसकी माँ आरती ने उसे जा कर सोने के लिए कहा। क्यूंकी राजेश हमेशा 10 बजे तक सो जया करता था।
राजेश : माँ डैड से कुछ ज़रूरी बात करनी है.. मैं वेट करूँगा।
आरती : बेटा सुबह बात कर लेना, पता नही कब आएँगे और थके हुए होंगे।
अपनी माँ की बात को मानते हुए राजेश अपने कमरे में जा के सो गया। थोड़ी देर में वो सोमया के साथ अपनी बातों को याद करता हुआ गहरी नींद में चला गया।
आज सोमया भी बहुत खुश थी.. आख़िर.. उसके प्यार ने उसे मंज़िल तक ले जाने का वादा जो कर दिया था। तकिये को अपनी बाँहों में जकड़ते हुए वो इस कल्पना में खो गयी की राजेश उसकी बाँहों में है और दोनो एक दूसरे के इतने करीब हैं की हवा भी बीच से ना गुजर सके। बंद आँखों से राजेश का बारे में सोचते हुए मुस्कुराती रही और कब नींद ने आ घेरा पता ही ना चला।
असलम ने भी रुखसाना को उसके घर के पास छोड़ दिया था.. वो बहुत खुश थी जब घर में घुसी, पर उसकी सारी खुशी एक पल में गायब हो गयी। अंदर उसके डैड और चाचा का झगड़ा चल रहा था.. बातें गली गालोज तक जा पहुँची थी और उँची-उँची आवाज़ें पूरे घर में गूँज रही थी। असली मसला क्या था ये किसी को पता ना था। फरिहा.. रुख़ की माँ ने उसे चुप छाप अपने कमरे में रहने को कहा और बाहर आने से बिल्कुल माना कर दिया।
ऐसा पहली बार हुआ था की उसके पापा और चाचा के बीच इस क़दर लड़ाइ हुई हो। रुख़ का दिल बैठा जा रहा था। उसके पापा अपने छोटे भाई को बहुत प्यार करते थे.. फिर ऐसी क्या बात हो गयी जो इस कदर एक दूजे को गालियाँ दे रहे थे। सोच सोच के उसका सर फटने लगा। उसने अपनी माँ की आँखों में भी गहरी चिंता के भाव देखे थे.. यूँ लग रहा था की माँ को मालूम है झगड़ा क्यूँ हो रहा है.. पर उसने रुख़ को कुछ ना बताया था।
चाचा थोड़ी देर बाद चिल्लाता हुआ चला गया। घर में एक दम शांति छा गयी। फरिहा ने किसी तरहा रुख़ को खाना खिलाया और सोने का कह अपने पति के पास चली गयी। पर नींद किसे आती। इतनी बड़ी बात घर में पहली बार हुई हो तो कों बच्चा सो सकता है खास कर एक जवान लड़की जिसने घर में हमेशा प्यार ही प्यार देखा हो।
रात गुजरती जा रही थी और रुख़ बिस्तर पे करवटें बदलती जा रही थी।
रात गहरी होती जा रही थी बादलों ने चाँद को घेरना शुरू कर दिया था यकायक यूँ लगने लगा जासे आमस्वस्या की रात हो चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा। उधर सोए सोए राजेश की नींद खुल गयी ये क्या.. वो तो अपने बिस्तर पर है घर में पर.. ये तो उसका बिस्तर नही था। बहुत ही मधाम रोशनी कहीं बाहर से आ रही थी.. जिसमे उसने देखा की जिस बिस्तर पे वो था वो किसी महल का कमरा था।
मैं यहाँ कैसे पहुँचा धड़कते दिल से वो बिस्तर से उठा कमरे का जाएजा लेने लगा। वो बहुत परेशन हो गया.. अपने घर से वो यहाँ कैसे पहुँचा। तभी उसके नज़र कमरे की दरवाजे पे पड़ी जो हिल रहा था.. राजेश उसकी तरफ बड़ा और हाथ लगाने से पहले ही दरवाजा अपने आप खुल गया। एक दम से उसने खुद को एक सफेद धुएँ की चादर में लिपटा हुआ पाया.. तभी उसके कानो में छान छान की आवाज़ें आने लगी जैसे किसी की पायल डोलते हुए बज रही हो।
अपने हाथों को हिल्ला हिल्ला कर उसने धुएँ को छानते की कोशिश करी धुआँ फैल गया पर ख़तम नही हुआ। हाँ इतना ज़रूर हो गया की उस धुएँ में उसे सामने कोई लड़की भागती हुई नज़र आई.. जैसे अपनी मोत से पीछा छुड़ा के भाग रही हो.. लंबा चोड़ा गलियारा.. जिसमे वो लड़की भाग रही थी.. बस भागता हुआ उसका साया और लहराते हुए बाल ही दिख रहे थे। अचानक एक भयानक सा साया उस लड़की के सामने आ गया। लड़की के कदम ठिठक गये और उसके गले से ज़ोर की चीख निकली.. बचाआआओ.. और लहराती हुई वो लड़की नीचे गिर पड़ी।
वो भयानक साया जिसके बाल बहुत लंबे थे वो उस लड़की के उपर झुकने लगा की तभी राजेश चीख पड़ा.. ‘रुक जाओ.. कोन हो तुम’ उस साए ने राजेश की तरफ देखा.. जलती हुई लाल अंगरों की तरहा उसकी लाल लाल सुर्ख आँखें.. राजेश बहुत बहादुर था पर उन आँखों ने भी उसके अंदर एक डर को जानम दे दिया।
अपने आप को संभालते हुए राजेश उस साए की तरफ बड़ने लगा। कोई 15-20 कदम की दूरी रह गयी थी.. जब वो साया खड़ा हो गया.. अचानक फिर से सारी जगह सफेद धुएँ से भर गयी.. राजेश को कुछ नज़र नही आ रहा था.. धड़कते दिल से वो आगे बड़ा.. कुछ ही देर में धुआँ फिर से छट गया.. और वो भयानक साया गायब था पर सामने वही लड़की ज़मीन पे पड़ी थी जिसके चारो तरफ खून ही खून था..
राजेश उसके पास पहुँचा.. और जैसे ही उसकी नज़र उस लड़की पे पड़ी वो चीख उठा.. ‘न्ह्ह्हह्ह्ही’
उसे यूँ लगा जैसे उसे कोई हिल्ला रहा हो.. सारा जिस्म पसीने से भरा हुआ था.. राजेश की आँख खुलती है और सामने उसकी माँ थी।
‘क्या हुआ बेटा.. तुम चिल्लाए क्यूँ?.. कोई सपना देखा क्या.. ये तुम पसीने से नहाए हुए पड़े हो’
राजेश कुछ नही बोलता बस फटी आँखों से अपनी माँ को देख रहा था।
तब तक राजेश के डैड भी उसके कमरे में आ गये थे।
‘क्या हुआ ब्रेव मेन?’
‘हाँ हा.. कुछ नही डैड.. शायद कोई बुरा सपना था’ राजेश अब तक संभाल गया था।
समय देखा सुबह के 4 बाज चुके थे.. अब सोने का वक़्त नही रहा था।
आरती : आप इसके पास बैठिए.. मैं चाये बना के लाती हूँ।.. पर जाने से पहले वो राजेश के चेहरे को अच्छी तरहा टावल से पोंच के गयी।
आरती कमरे से बाहर चली गयी और उसके डैड वहीं बिस्तर पे उसके पास बैठ गये।
‘मैं फ्रेश होके आता हूँ डैड’ कह कर राजेश अपने कमरे में बने बाथरूम में चला गया.. उसे याद था तो सिर्फ़ वो लाल अंगरों जैसे जलती हुई आँखें.. बस और कुछ भी उस सपने के बारे में उसे कुछ भी याद ना था।
जब तक वो फ्रेश हो कर बाहर आया.. तब तक आरती तीनो के लिए चाये ले कर आ गयी थी।
चलिए देखते हैं आज अजय के साथ क्या हुआ।
अजय कामिनी के साथ सुबह के शो में एक हाल में घुस गया और मुवि देखते हुए उसके साथ मस्ती बाजी कर रहा था। की हाफ टाइम होने से पहले ही कामिनी को छोटी बहन का कॉल आ गया.. की उसकी माँ सीडीयों से गिर गयी है.. ज़यादा चोट तो नही आई पर पाँव में काफ़ी मोच आई है.. नतिजन अजय को कामिनी को उसके घर छोड़ना पड़ा और वो जानता था बाकी दोस्त अपनी गर्ल फ्रेंड्स के साथ दिन बिता रहे होंगे तो किसी तो डिस्टर्ब ना कर वो अपने घर की तरफ बड गया।
अजय सुबह जब घर से निकला था तो ये बोलके गया था की वो देर शाम तक वापस आएगा.. यानी उसके घरवालों को ये यकीन था की अजय शाम के 7 बजे से पहले घर नही आएगा। पर कहते हैं ना होनी को कोई नही ताल सकता.. वक़्त किस के सामने कब कों सी तस्वीर सामने रख दे ये कोई नही जानता।
अजय जब घर पहुँचा तो देखा चाचा की कार घर के पास पार्क हुई है.. ऐसा तो कोई प्रोग्राम नही था चाचा का घर आने का.. होता तो माँ ज़रूर बताती और उसे आज बाहर नही जाने देती। खैर कोई ज़रूरी काम होगा पापा से ये सोच उसने घर की बेल बजा दी। कुछ देर तक जब कोई जवान नही मिला यानी किसी ने दरवाजा नही खोला तो उसने फिर बेल बजाई.. पर फिर भी कोई जवाब नही।
अजय परेशन हो गया.. चाचा भी आया हुआ है फिर भी घर की बेल का जवाब कोई भी नही दे रहा, अजय के पास एमर्जेन्सी के लिए घर की चाभी हुआ करती थी.. उसने उस चाबी से घर का दरवाजा खोला तो घुसते ही जो हॉल पड़ता है उसमे अंधेरा था.. एक एक बात अजय को अचांबित करती जा रही थी..
आख़िर ये सब क्या है.. हॉल से बाहर निकलते ही एक गलियारा आता है जहाँ से किचन और दूसरे कमरों की तरफ जाने का रास्ता है.. अजय अपनी माँ को खोजते हुए उनके कमरे की तरफ बड गया.. अंदर से खिलखिलाने.. सिसकियों और आँहों की आवाज़ें आ रही थी.. कमरे का दरवाजा ढंका हुआ था.. मतलब अंदर से लॉक नही था।
अजय ने धीरे से दरवाजा पुश किया और आँखों के सामने जो नज़ारा था.. वो किसी हाइड्रोजन बॉम्ब से कम नही था उसके लिए.. उसके सारे संस्कार स्वाहा होते चले गये.. जिसकी वो पूजा करता था.. उसकी मूर्ति जो उसके दिल में बसी थी वो टूटती चली गयी.. उसे अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था.. की उसके माँ बाप और चाचा चाची ऑर्जी (नंगा नाच) करते हैं.. चाचा उसकी माँ पे चड़ा हुआ था और चाची उसके पापा पे चड़ी कूद रही थी। चारों के मुँह से सिसकियाँ और आँहें निकल रही थी।
ये सिसकियाँ अजय के कानो में पिघले लोहे की तरह घुस रही थी.. उसकी टाँगों ने उसका साथ देना छोड़ दिया था.. अंदर होती वासना का नंगा नाच वो ज़यादा ना देख सका और नम आँखों, काँपते कदमो से वो घर के बाहर निकल गया.. कदम कहाँ जा रहे थे उसे मालूम ना था.. बस वो चलता ही जा रहा था चलता ही जा रहा था।
पढ़ते रहिये.. क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी।
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