हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्दकड़ अर्श फिर से अपनी चुदाई की गर्मा-गर्म इंडियन सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी चुदाई कहानी लेकर हाजिर हुई हूं और उम्मीद करती हूं ये कहानी भी आपको बहुत पसंद आएगी। कहानी शुरु करने से पहले सभी खड़े लंडों के लाल लाल टोप्पों पर अपनी जीभ घुमाते हुए तथा मुंह में लेकर चूसते हुए ढेर सारा प्यार। सभी के लंडों को चूत एवं गांड में लेकर उछलते हुए मेरा सलाम।
मेरे बारे में आप जानते ही हो आयु 23 साल, कद 5 फीट 7 इंच, रंग गोरा, बदन भरा हुआ एवं टाईट, फिगर 34डी-26-36, बूब्ज़ एवं गांड बाहर को उभरे हुए और गहरी नाभि। गांड और बूब्ज़ बड़े-बड़े और बिल्कुल गोल, जांघें भरी हुई और चिकनी, बदन कोमल एवं चिकना, बूब्ज़ के निप्पलों का रंग हल्का भूरा। ये भी जानते हो कि मैं बहुत ही चुद्दकड़ किस्म की लड़की हूं और बहुत सारे लंड अपने तीनों छेदों में लेकर चुद चुकी हूं।
ये कहानी मेरे और मेरे मामा के लड़के के बीच हुए सेक्स की कहानी है। रमन मेरे सगे मामा का बेटा नहीं है बल्कि मेरी मम्मी के रिश्ते में भाई का बेटा है। रमन मुझ से आयु में काफी छोटा है और कद मेरे जितना ही है। अभी उसकी मूछें फूट रही हैं और दिखने में बहुत क्यूट है। उसका रंग काफी गोरा और चेहरा बहुत मस्त है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
ये बात 6 माह पहले की है जब मेरे मम्मी-पापा और रमन के मम्मी-पापा घूमने केलिए गोवा चले गए। रमन को हमारे घर मेरे पास छोड़ दिया। रमन ने बोला दीदी ये अच्छी बात नहीं मम्मी-पापा घूमने चले गए और हम लोग यहां हैं। वो बोलने लगा उसको भी घूम कर आना है। रात को हमने कसौली जाने का प्रोग्राम बना लिया, मम्मी-पापा 10 दिन बाद आने वाले थे और हमने 2 दिन कसौली घूमने का प्रोग्राम बना लिया क्योंकि उसके बाद रमन ने अपनी मौसी के घर जाना।
रात को हम लोग बातें करते-करते ऐसे ही सो गए। करीब आधी रात को मुझे अपने बूब्ज़ पर भारी सा लगा और मैंने आंखें खोलकर देखा कि मैं सीधी लेटी हुई थी एवं रमन उल्टा लेटा हुआ था और उसका हाथ मेरे बूब्ज़ पर था। मुझे समझ नहीं आ रही थी कि उसने हाथ जान बूझकर रखा है या नींद में रखा गया।
ये देखने केलिए मैंने पासा लिए और उसकी तरफ पीठ करके लेट गई। ऐसा करने से उसका हाथ मेरे बूब्ज़ से हट गया। थोडी़ देर तक वो ऐसे ही लेटा रहा और फिर सरक कर मेरे पास आ गया। उसने पीछे से मेरे बूब्ज़ पर हाथ रख लिया और अपना लंड मेरी गांड पर दबा दिया। मैं अब जान गई थी वो मजा ले रहा है। वो धीरे-धीरे मेरे बूब्ज़ दबा रहा था और लोअर के ऊपर से मेरे चूतडो़ं पर अपना लंड दबा रहा था। मुझे भी मजा आ रहा था और मैंने लेटे-लेटे टूर पर चुदाई का प्रोग्राम भी बना लिया लेकिन इससे पहले मैं उसका लंड देखना चाहती थी कैसा है।
मैं थोडा़ सा हिली और वो मुझे से दूर होकर लेट गया। मैं उसकी तरफ मुंह कर के लेट गई और आंखें थोडी़ सी खोलकर देखा तो वो मेरी तरफ मुंह कर के लेटा हुआ था। उसका लंड लोअर में उभरा हुआ था और उसकी आंखें बंद थीं। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया, उसका लंड मुझे काफी लंबा और मोटा महसूस हुआ और मैं खुश हो गई। थोडी़ देर बाद वो उठा और लाईट बंद करके दोबारा बैॅड पर आ गया। उसने अपनी लोअर नीचे करके मेरा हाथ अपने लंड पर रख लिया। उसने एक हाथ मेरे टॉप में घुसा दिया और अपने होंठों को धीरे से मेरे होंठों पर रख दिया।
वो धीरे-धीरे मेरे बूब्ज़ दबाते हुए और धीरे से मेरे होंठों को चूमते हुए मेरे हाथ से अपना लंड हिलाने लगा। मैं वैसे ही लेटे-लेटे उसकी हरकतें महसूस करती रही। थोडी़ देर बाद वो उठ कर खडा़ हो गया और मेरे पीछे आकर खडा़ हो गया। उसने मेरी लोअर को नीचे सरका दिया और मेरे चूतडो़ं को चूमने लगा। थोडी़ देर बाद उसने मेरे चूतडो़ं की दरार को फैला लिया और मेरी गांड के छेद पर लंड रखकर घिसने की कोशिश करने लगा लेकिन एक हाथ से मेरी गांड पकड़ कर घिसने से उसका लंड सैट नहीं हो रहा था।
उसकी सुविधा केलिए मैंने अपनी मोड़ लीं और घुटने पेट से सटा कर अपनी गांड पीछे को कर दी। अब मेरी गांड का छेद बाहर को उभर आया और रमन ने बिना देरी किए लंड घिसना चालू कर दिया। मुझे लगा था लंड घिसा घिसा कर वो अपना पानी निकाल देखा लेकिन उसने मेरी गांड के छेद पर थूक लगा दिया और मैं समझ गई वो क्या करने वाला है। उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर टिका दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा। मैंने अपना बदन बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और उसने लंड को गांड पर दबा दिया। उसके दबाते ही उसके लंड का टोप्पा मेरी गांड में घुस गया और वो धीरे-धीरे हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मुझे शरारत सूझी और मैंने गांड पीछे को और धकेल दी और उसका आधा लंड मेरी गांड में चला गया। उसका लंड मुझे अपनी गांड में बहुत मोटा, लंबा और दमदार महसूस हो रहा था। मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी कि टूर पर दमदार लंड से चुदाई होगी। अगर मैं चाहती तो अभी उससे अच्छी तरह चुदाई कर सकती थी लेकिन मैं टूर पर उसको सरप्राइज देना चाहती थी और अभी उसको परख रही थी। वो कुछ देर ऐसे ही रुका रहा और फिर से मेरी गांड में लंड हिलाने लगा। कुछ देर बाद उसने अपना लंड मेरी गांड से निकाल लिया और मेरी लोअर ऊपर कर के बैॅड पर आ गया। बैॅड पर आकर उसने मेरे होंठों से लंड लगा दिया और हिलाने लगा।
कुछ देर बाद उसका वीर्य मेरे चेहरे पर गिरने लगा और चेहरे पर फैल गया। उसके बाद वो सो गया और मुझे भी कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। सुबह उठी तो रमन का वीर्य मेरे चेहरे पर जमा हुआ था और वो भी उठ चुका था। मैंने रमन से कहा पता नहीं मेरे चेहरे पर क्या लगा है और उसने कहा मुझे क्या पता दीदी। मैं मुंह धोते हुए हंस रही थी कि रात को मेरी गांड में लंड डालकर हिलाया एवं मेरे चेहरे पर वीर्य गिराया और अब कितना भोला और शरीफ बन रहा है जैसे कुछ मालूम ही नहीं।
सुबह हमने खाना खाया और तैयार होकर पैकिंग कर ली। मैंने जान बूझकर साथ में सेक्सी कपड़े ले लिए ताकि रमन को ज्यादा उत्तेजित कर सकूं। हमारी शाम को बस थी और मैं बैंक से अपने उस खाते से पैसे निकलवा लिए जिसके बारे मेरे घरवालों को मालूम नहीं था और साथ में मैडीकल स्टोर से सेक्स की गोलियां भी ले आई ताकि रमन चुदाई से शर्माए न। बैंक के इस खाते में मैं वो पैसे जमा करवाती हूं जो मेरे चोदू यार मुझे दे देते हैं या वो पैसे जो मैंने कॉल गर्ल का काम करके कमाए हैं।
मैंने घर आते ही दो गोलियां का पाऊडर बना कर अलग अलग पुडि़यां बना लीं। हम शाम को सात बजे शहर आ गए और बस में बैठ गए। बस चलने से पहले मैंने एक एक गोली जूस की बोतलों में मिला दी और हम दोनों पी गए। अभी थोडी़ दूर तक बस गई थी कि बूंदाबांदी होने लगी और मैं शीशे वाली तरफ बैठी थी। शीशा खुला था और बार बार मैं अपना चेहरा और बूब्ज़ साफ करती, मैंने जान बूझकर शीशा खुला रखा था क्योंकि मुझे ऐसे अच्छा लग रहा था कि मुझ पर बारिश की बूंदें गिरें।
जैसे ही बस के अंदर की लाईट बंद हुईं तथा बस में अंधेरा हुआ, मैं शीशा बंद कर के आंखें मूंद कर बैठ गई। मुझे नींद आ गई और सो गई। काफी देर बाद मुझे अपनी जांघों पर कुछ रेंगता महसूस हुआ और मैं समझ गई वो रमन का हाथ है। मैंने धीरे से टाईम देखा रात के दस वज चुके थे और मैं थोडी़ हिली और रमन ने हाथ रोक लिया। कुछ देर तक उसने कोई हरकत नहीं की तो मैंने बस में देखा सब लोग सो रहे थे और बस की सीटें पीछे से ऊंची थीं तो कोई हमें देख नहीं सकता था।
मुझ पर सेक्स चढ़ चुका था और रमन पर भी।मैंने रमन को आवाज़ दी लेकिन उसने ऐसे जाहिर किया कि वो गहरी नींद में है। मैंने उसको हिलाया तो बोला क्या हुआ दीदी। मैंने कहा मुझे बहुत नींद आ रही है क्या उसकी गोद में सिर रखकर सो जाऊं और जैसा मैं जानती थी वो पहली बार में ही मान गया। मैंने उसको शीशे की तरफ बैठा दिया और खुद उसकी जगह आ गई। मैंने उसकी पेट की तरफ मुंह किया और उसकी गोद में सिर रखकर सीट पर लेट गई। मेरी नाक जींस के ऊपर से उसके लंड से टकरा गई। उसका लंड एकदम टाईट और सीधा खडा़ था।
मैं ऐसे ही कुछ देर लेटी रही और मेरी गर्म सांस उसके लंड पर जा रही थी जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ रही थी। कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ उसके लंड पर रख दिया, जींस के ऊपर से उसके लंबे, मोटे और दमदार लंड की गर्माहट मेरी हाथ को महसूस हो रही थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसका लंड बाहर निकाल लूं लेकिन पहल उसकी तरफ से चाहती थी।
कुछ देर ऐसे लेटी रहने के बाद रमन ने चादर निकाल कर मुझ पर पैरों से लेकर सिर तक ओढ़ दी। मैं समझ गई कि अब रमन कुछ न कुछ करेगा। उसने अपने लंड से मेरा हाथ हटा कर अपनी जींस की जिप खोल दी और लंड बाहर निकाल लिया। उसने मेरा सिर पकड़कर ऊपर खींच लिया जिससे मेरे होंठ उसके लंड को छूने लगे और उसने एक हाथ टॉप के ऊपर से मेरे बूब्ज़ पर रख दिया। मैं इसी लम्हे के इंतजार में थी। मैंने अपना हाथ ऊपर किया ताकि उसके लंड को पकड़कर मुंह में ले सकूं लेकिन हाथ चादर में अटक गया। मुझे हिलते देखकर रमन डर गया और जल्दी से अपना लंड जींस में घुसाने लगा।
मैंने उसका हाथ पकड़कर बूब्ज़ पर रख दिया और उसका लंड पकड़ लिया। मैंने उसके लंड के टोप्पे की चमड़ी पीछे की और जीभ से चाटने लगी। तभी रमन बोला क्या कर रही हो दीदी तो मैंने धीरे से कहा ज्यादा भोला मत बन साले रात मेरी गांड में लंड डालकर मजे ले रहा था और मेरे चेहरे पर वीर्य भी गिराया और अब शरीफ बन रहा है। वो चुपचाप बैठ गया और मैंने उसके टोप्पे को जीभ से चाटते हुए उसका लंड मुंह में ले लिया। उसके मुंह से आह निकल गई और मैंने उसके मुंह पर हाथ रखकर चुप्प रहने को कहा।
अभी मुझे लंड चूसते एक मिनट ही हुआ था कि रमन ने मेरे कान के पास मुंह कर के बोला मुझे भी चूत चाटनी है। मैंने खड़ी होकर देखा सभी लोग गहरी नींद में थे और किसी की आंखें खुली नहीं थीं। मैंने सीट पर जगह बनाई और हम एक-दूसरे की टांगों की तरफ मुंह कर के लेट गए। मेरा मुंह उसके लंड के पास और रमन का मुंह मेरी चूत के पास आ गया। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
हमने अपने ऊपर चादर ओढ़ ली और ठीक होकर लेट गए। मैंने रमन की जींस का बटन खोलकर नीचे कर दिया और उसके लंड को मुंह में भर लिया। रमन ने मेरी जींस का बटन एवं जिप खोल दी और नीचे सरका दी। मैं उसका लंड मुंह में लेकर सिर आगे-पीछे कर के चूसने लगी लेकिन मेरी टांगों के बीच से रमन का मुंह मेरी चूत तक नहीं पहुंच रहा था।
मैंने टांग ऊपर उठा कर एक टांग से जींस निकाल दी और उसके सिर के ऊपर से घुमा ली। अब रमन का मुंह बिल्कुल मेरी चूत के ऊपर था। अब में उसका लंड गले तक उतार के चूसने लगी और वो मेरी चूत में जीभ डालकर चाटने लगा। हम दोनों ये सब धीरे-धीरे और सावधानी से कर रहे थे ताकि आवाज़ न आए। रमन मेरी चूत चाटते चाटते मेरे चूतड़ दबा रहा था अचानक उसने अपनी दो ऊंगलियों को थूक लगा कर मेरी गांड में घुसेड़ दीं। मुझे बहुत मजा आया और मैं उसका लंड गले तक उतार कर चूसने लगी।
अब मेरी चूत एवं गांड लंड मांग रही थी और रमन का लंड भी चूत या गांड में घुसने केलिए व्याकुल हो रहा था। मैंने उसको घूम जाने को बोला और हम एक दिशा में लेट गए। मेरी रमन की तरफ पीठ थी और उसका लंड मेरी गांड पर ठोकर मारने लगा। हमने ऊपर चादर ओढ़ ली और मुंह बाहर निकाल लिए। रमन का लंड मेरी गांड के छेद पर टिका हुआ था। मैंने रमन के लंड पर और अपनी गांड के छेद पर थूक लगा लिया तथा उसको हिलने से मना कर दिया। मैं धीरे-धीरे अपनी गांड को पीछे धकेलने लगी और रमन का लंड मेरी गांड में घुसता चला गया।
कुछ ही देर में रमन का लंड मेरी गांड की गहराई नाप रहा था। अब गांड में लंड लेने के बाद मुझे रमन के लंड की लम्बाई और मोटाई असल में पता चली। उसका लंड काफी मोटा और लंबा था, उसका लंड मेरी गांड की काफी गहराई तक घुस गया था और मेरी गांड की दीवारों में फंसा हुआ था। रमन ने अपना एक हाथ मेरे नीचे से और दूसरा ऊपर से डालकर मेरे बूब्ज़ टॉप के ऊपर से पकड़ लिए लेकिन मैंने अपना टॉप और ब्रा ऊपर कर के उसके हाथ अपने बूब्ज़ पर रख दिए। रमन ने मेरे नंगे बूब्ज़ को अपने हाथों में पकड़कर मेरी गांड में धक्का मारा और मैंने भी अपनी गांड आगे-पीछे को हिला कर उसका साथ दिया।
हम कुछ देर उसी अवस्था में लेटे रहे लेकिन जगह कम होने की वजह से चुदाई ठीक से नहीं हो रही थी। हमने काफी कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी, लंड तो मेरी गांड में समा गया था लेकिन हिलने में दिक्कत हो रही थी। हम आगे होते तो मैं सीट की बैक में घुस जाती और सीट हिलने लगती, पीछे होते तो रमन सीट से नीचे सरकने लगता। हमें कुछ खतरा उठाना पडा़ और मैंने उठ कर एक बार फिर बस के सभी यात्रीयों का जायज़ा लिया। रमन सीट पर सीधा बैठ गया और मैं अपनी टांगें खोलकर उसकी जांघों के ऊपर बैठ गई। मैं आगे वाली सीट के हैंडल को पकड़कर झुक गई और गांड उठाकर पीछे को सरका दी।
ऐसा करने से मेरी चूत का छेद रमन के लंड से टकरा गया। मैंने बिना कोई देरी किए तेज़ी से गांड को पीछे धक्का मारा और रमन को मोटा लंबा लंड एक ही झटके में मेरी टाईट चूत की दीवारों को खोलता हुआ मेरी बच्चेदानी के मुंह से टकरा गया। अगर आस पास कोई न होता तो मैं जोर से चिल्ला देती, मैंने बहुत मुश्किल से चीख को अपने गले में दबा लिया। मैं हैंडल को पकड़कर अपनी गांड ऊपर-नीचे करके लंड अपनी चूत के अंदर-बाहर करने लगी। रमन का लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा कर बाहर आता और मुझे बहुत मजा आता। मेरे मुंह से कामुक आंहें निकलने लगीं और मैंने मुंह में रुमाल दबा ली ताकि आवाज़ न आए।
यही हाल रमन का था वो भी अपने मुंह को हाथ से दबा कर आवाज़ रोक रहा था और मुझे देखकर उसने भी अपने मुंह में रुमाल ले ली। रमन ने अपने दोनों हाथों से मेरी नाजुक कमर को मजबूती से पकड़ लिया और नीचे से अपना लंड हिलाने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरी गांड में लंड दे दिया और हम वैसे ही चुदाई करने लगे। कुछ हम हिल हिल कर चुदाई कर रहे थे और कुछ बस के झटके हमारी मदद कर रहे थे। अचानक रमन मेरी गांड मैं तेज़ी झटके मारने लगा और मेरी गांड में वीर्य छोड़ दिया। जैसे ही उसने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला तो मेरी गांड से वीर्य टपकने लगा।
रमन ने अपनी रुमाल से मेरी गांड से वीर्य साफ किया और मैंने उसका लंड जीभ से चाटकर साफ किया। हमने अपने कपड़े ठीक किए और सीट पर बैठ गए। उसके बाद हमें नींद आ गई और कंडक्टर की आवाज़ से हमारी आंख खुली कि कसौली आ गया है। मैंने टाईम देखा सुबह के 6 बज रहे थे। हमने बस से उतर कर सामान उठाया और एक ढाबे से खाना खाया। उसके बाद हमें चर्च के पास एक होटल में रूम ले लिया और दो दिन केलिए बुक कर लिया।
हमने रूम में सामान रखा और फ्रेश होने केलिए मैं नहाने चली गई और रमन रूम चैक करने लगा कहीं कोई छुपा हुआ कैमरा तो नहीं लगा। रमन ने सारा रूम अच्छे से देख लिया और मैंने बाथरूम को अच्छे से चैक किया। सब चैक करने के बाद मैं नहा कर बाहर आ गई और रमन नहाने चला गया। रूम में एक डबल बैॅड, एक बडा़ सोफा, सोफे के साथ की दो कुर्सियां, एक बडा़ टेबल, एक सैटी, एक बडा़ सा ड्रेसिंग टेबल और एक एलईडी थी।
नहा मैंने कर नीली टाईट जींस और गुलाबी टॉप पहन लिया। मैंने नीचे से गुलाबी ब्रा एवं पैंटी पहनी और कसौली में सर्दी थी तो ऊपर से मैंने काले रंग की जिपर जैकेट पहन ली। मैंने गुलाबी रंग की की लिपस्टिक लगाकर सिर पर गुलाबी टोपी ले ली और अपना नज़र वाला चश्मा लगा लिया क्योंकि मैंने नहाने से पहले अपने लैंस निकाल दिए थे। मुझे अब चर्स वाली सिगरेट की तलब लगी हुई थी तो मैंने पैरों में हाई हील के काले रंग के सैंडिल पहने और रमन को बोला मैं थोडी़ देर बाहर हूं अभी आती हूं।
मैं बाहर आ गई और इधर-उधर देखा, होटल की पार्किंग में कोई नहीं था तो मैं वहां चली गई। मैंने अपनी ब्रा छुपाई हुई चर्स एवं सिगरेट निकाल कर चर्स को सिगरेट में भर लिया और सिगरेट सुलगा ली। अभी एक कश ही खींचा था कि पीछे से रमन बोला, दीदी सिगरेट पीनी थी तो रूम में पी लेती और मैं भी पी लेता। मैंने पीछे मुड़कर रमन को देखा, वो काली जींस और लाल जैकेट में बहुत सेक्सी लग रहा था। मैंने उससे पूछा तू भी सिगरेट पीता है तो वो बोला हां दीदी मुझे भी पिला दो।
मैंने अपनी ब्रा में हाथ डालकर सिगरेट निकाल ली और रमन को देने लगी। उसने वो सिगरेट लेने से मना करते हुए कहा ये नहीं दीदी, जो सिगरेट तुम पी रही हो वो सिगरेट पीनी है। मैंने उससे कहा ये सिगरेट तुम नहीं पी सकते, तुम यही पी लो। रमन ने हंसते हुए कहा, मुझे मालूम है दीदी इस सिगरेट में चर्स भरी हुई है। मैं हैरत से उसको देखने लगी वो आगे बोला, दीदी मैं अकसर चर्स वाली सिगरेट पीता हूं। तभी उसने अपनी जेब से चर्स निकाल कर दिखाई और बोला मैं भी यहां सिगरेट पीने ही आया था लेकिन आप पहले से ही थी। मेरी आधे से ज्यादा सिगरेट उससे बातें करते-करते जल गई तो मैंने सिगरेट फेंक कर कहा चल रूम में बैठकर पीते हैं।
हम दोनों रूम में आ गए और मैंने रमन को सिगरेट बनाने को कहा। रूम में हीटर चल रहा था तो अंदर गर्माहट थी। मैंने अपनी जैकेट निकाल दी और रमन ने भी अपनी जैकेट निकाल दी। रमन सिगरेट बनाते हुए बोला, दीदी जब तक हम यहां हैं तब तक चश्मा ही लगाना। मैंने पूछा क्यों तो बोला तुम चश्मा लगा कर ज्यादा सेक्सी लगती हो। मैंने स्माईल दी और रमन बोला सच्ची दीदी तुम चश्मे में बहुत ज्यादा सेक्सी लगती हो। अगर कोई भी लड़का तुझे बिना चश्मे के और चश्मा लगाने के बाद देखे तो तेरी चश्मे वाली शक्ल पर फिदा हो जाएगा।
मैं उसके बोलने से स्टाईल से समझ गई कि वो गंदी भाषा में बात करने लगा था लेकिन शर्मा गया। उसने सिगरेट बना ली और सुलगाने लगा तो मैंने सिगरेट पकड़कर कहा मैं लगाती हूं। मैंने सिगरेट जला कर कश लगाया लेकिन रमन को नहीं दी, वो मेरी तरफ देखने लगा और जब दूसरे कश के बाद भी नहीं दी तो बोला मुझे भी दो दीदी। मैंने कहा ऐसे नहीं ढंग से मांग तो मिलेगी। तो बोला प्लीज़ दीदी मुझे भी सिगरेट दो मुझे भी कश लगाना है। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।
मैंने कहा कहां की दीदी, भाई-बहन का रिश्ता को तभी खत्म हो गया था जब मेरी गांड में लंड दिया था और रही सही कसर बस में चुदाई ने पूरी कर दी अब यहां कोई दीदी नहीं है। तब बोला अर्श डार्लिंग सिगरेट दो न तुझे अच्छे से चोदूंगा। मुझ से रहा नहीं गया और कहा साले भोसडी़ के यहां चुदाई करने ही आए हैं तू शर्मा क्यों रहा है। मेरे ऐसे बोलने से वो भी खुल गया और बोला साली रंडी सिगरेट दे मुझे क्या इसको गांड में लेगी। मैंने हंस कर उसको सिगरेट दे दी। मैंने उससे पूछा चर्स के बिना और क्या क्या लेता है। वो बोला शराब, सिगरेट या कोई भी नशा जो मिल जाए।
हम दोनों सिगरेट पीते पीते बातें करने लगे। मैंने उससे पूछा क्या उसने पहले कभी सेक्स किया है। उसने कहा हां दीदी कई बार अपनी बड़ी बहन को चोदा है और कई बार मम्मी के साथ चुदाई की है। मैंने पूछा ज्यादा मजा किसे चोदने में आता है तो बोला दोनों को चोदने में एक जैसा मजा ही आता है। बड़ी बहन और मम्मी दोनों ही रंडियां हैं पूरे मजे के साथ चुदाई करती हैं। लेकिन अब उनको चोदने में उतना मजा नहीं आएगा।
मैंने पूछा क्यों तो बोला उन दोनों की चूत एवं गांड तेरी चूत एवं गांड जितनी टाईट नहीं है। तुझे चोदने के बाद मेरा लंड तेरे छेदों जितने टाईट छेदों में मजा करना चाहेगा और उनके छेद इतने टाईट नहीं हैं। गांड तो फिर भी ठीक है लेकिन चूत का तो भोसडा़ बना हुआ है, चुदाई पता नहीं किस किस से करवाती हैं न कोई पापा का ऐसा दोस्त है, न मम्मी की सहेलियों का कोई पति, न बहन की सहेलियों का भाई या पति या उसकी सहेलियों का ब्वॉयफ्रेंड, कोई ऐसा नहीं है जिसने उन दोनों को चोदा न हो।
मैंने उससे पूछा तुझे ये सब कैसे मालूम वो इन सब के साथ चुदाई करती हैं। उसने बताया जब मैं छोटा था पापा बाहर नौकरी करते हैं और शनिवार शाम को आते तथा इतवार को चले जाते हैं। बाकी दिन ये लोग आते कभी कोई कभी कोई पहले अकेली मम्मी होती थी और हमें भाई बहन को चॉकलेट एवं पैसे देकर पापा को न बताने को कहती थी। उसके बाद दीदी भी मुझे पैसे देने लगी। दोनों एक ही रूम में मर्दों के साथ होती और मुझे उस रूम से आवाजें सुनाई देतीं।फिर मैं छुप कर देखने लगा और तब पता चला वो लोग चुदाई करते हैं। मैं उनकी चुदाई देखकर मुठ मारने लगा।
एक दिन मम्मी और दीदी मुझे पैसे देने लगी तब मैंने बोल दिया पैसों के साथ चुदाई भी चाहिए। उसके बाद कभी दीदी को कभी मम्मी को और कभी दोनों को एकसाथ चोदने लगा। मैं उसकी बातें सुन रही थी और हरकत भी देख रही थी। वो अपने लंड को मसल रहा था तथा उसकी नज़र मेरे बूब्ज़ पर थी, उसकी बातें सुन कर मैं भी गर्म हो चुकी थी।
मुझे मालूम था अब उसका चुदाई का मूड है लेकिन मैंने शरारत करते हुए कहा चलो रमन घूमने चलते हैं। इसके जवाब में रमन बोला बहनचोद छिनाल पहले बातों-बातों में मेरा लंड खडा़ कर दिया और अब घूमने जाना है। पहले मेरे लंड को शांत कर फिर बाहर मां चुदवा लेना। मैंने कहा पहले तेरे लंड को तड़प तो लेने दे फिर शांत भी कर दूंगी और मैंने सेक्स की गोलियां निकाल कर एक खुद खा ली दूसरी रमन को दे दी।
वो बोला ये क्या है तो मैंने बताया कि ये गोली लेने के बाद लड़के और लड़की दोनों को ज्यादा मजा आता है और झड़ने में भी ज्यादा टाईम लगता है। उसने पूछा कल भी दी थी क्या मैंने हां बोल दिया और रमन बोला तभी इतना टाईम लगा झड़ने को पहले जब भी मम्मी और दीदी को चोदा कभी इतना टाईम नहीं लगा और न ही इतना मजा आया। उसने मुझ से गोली का नाम पूछा और उसने लिख लिया और बोला अब ये गोली खाकर ही उन दोनों को चोदूंगा। उसने गोली खा ली और मैंने उसकी गोद में बैठकर सिगरेट सुलगा ली।
मैं रमन कई गोद में बैठकर सिगरेट पीने लगी और वो मेरी जींस के ऊपर से मेरी जांघों को सहलाने लगा। एक कश मैं लगाती और एक कश अपने हाथों से रमन को लगवा देती। अभी गोली का असर पूरी तरह होने को आधा घंटा चाहिए था। तभी रमन ने मुझ से बात शुरु की, वो बोला दीदी आपने मेरे से सब कुछ पूछ लिया अगर तुझे ऐतराज न हो तो मैं कुछ पूछ सकता हूं लेकिन सच्च बताना नहीं तो बताने से मना कर देना। मैंने उसके होंठों पर हल्का सा चुम्मा लिया और कहा पूछ न यार क्या पूछना है।
उसने कहा दीदी मुझे ये तो मालूम है तुम पहले ही चुदी हुई हो क्योंकि जब मैंने तेरी चूत में लंड डाला था तो तुझे दर्द नहीं हुआ बल्कि मजा आया था और गांड में लंड लेने के बाद भी तू गांड हिला कर मजा ले रही थी और लंड चूसने के स्टाईल से भी पता चल रहा था तू बहुत बार लंड चूस चुकी है। मैंने कहा तू पूछ रहा है या बता रहा है। रमन बोला मैं ये पूछना चाहता हूं कि तुझे किसने चोदा है मतलब किसी एक के साथ ही चुदाई करती हो या फिर मेरी मम्मी और दीदी की तरह अलग अलग से।
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मैं हंस पडी़ और रमन से पूछा तेरी मम्मी और दीदी कितने मर्दों से चुदी हैं और क्या वो पैसों केलिए भी चुदाई करती हैं। रमन ने कहा मम्मी एवं दीदी पैसों केलिए चुदाई करती हैं क्योंकि चुदाई के बाद सब मर्द उनको पैसे देते हैं। कुल मिलाकर 27 मर्द उनके ग्राहक हैं, मैं बचपन से देख रहा हूं वही 27 लोग हैं जो पहले मम्मी को चोदते थे अब दीदी को भी चोदते हैं। मैं जोर से हंस दी और उसने मुझे हंसने का कारन पूछा। मैंने कहा ये तो कम हैं मैं तो कम से कम 70 से 75 मर्दों के लंड अपने मुंह, चूत और गांड में लेकर चुदाई के मजे ले चुकी हूं।
रमन ने हैरानी से मेरी ओर देखा और बोला तू गश्ती है क्या, मैं तो अपनी मम्मी और दीदी को ही सब से बड़ी रंडियां समझ रहा था तू तो उनसे भी बड़ी रंडी निकली। एक बात बता तू भी पैसे लेकर चुदाई करती है। मैंने कहा नहीं यार मैं सिर्फ अपनी चुदाई की आग शांत करने केलिए चुदाई करती हूं किसी से पैसे नहीं लेती।
कुछ लोगों से ही पैसे लेकर चुदाई करती हूं बाकी लोगों से नहीं लेती लेकिन सब मर्द पैसे या गिफ्ट दे कर ही जाते हैं। रमन फिर बोला बार में कभी दो लंड लिए हैं या नहीं। मैंने उसकी गाल पर हल्की सी चपत लगाई और बोला हां लिए हैं दो भी और तीन भी और ग्रुप सेक्स भी किया है एक साथ 5 मर्दों के साथ। रमन ने कहा इतने एक साथ, मैंने हंस कर कहा जितने ज्यादा लंड उतना ही मजा। जब ग्रुप सेक्स करती हूं तब दो या तीन गोलियां एक साथ ले लेती हूं और बहुत मजे लेती हूं।
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये इंडियन सेक्स स्टोरीज इन हिन्दी चुदाई कहानी अभी जारी रहेगी और आपको अब तक की मेरी ये कहानी केसी लगी मुझे कमेंट या ईमेल करके जरुर बताना, मेरा ईमेल पता है “arashdeepkaur77@gmail.com”.