This story is part of the हनीमून पर कपल की अदला बदली series
सभी पाठको को मेरा नमस्कार।
मैं रोमा आज फिर से नई कहानी लेकर आप सभी के सामने हाजिर हुई हूँ। मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरी ये कहानी आप सभी को पसंद आएगी। आप सभी को कहानी पसंद आये तो मैं आप से गुजारिश करती हूँ कि मुझे अपना फीडबैक मेल करके जरूर दें।
पिछली कहानी से बहुत ही कम फीडबैक मिला था। आप सभी से रिक्वेस्ट है कहानी पढ़ के कहानी कैसी लगी ये मुझे मेल करके जरूर बताएं।
मैंने पिछली कहानी में आप सभी को बताया था, कि कैसे मेरे होने वाले पति निखिल ने मुझे कार में लेजा कर जंगल में मेरी पहली चुदाई की थी। और फिर निखिल का दोस्त नीलेश भी वहाँ आया। उसने भी अपनी होने वाली वाइफ की हमारे सामने ही चुदाई की थी।
अगर आपने मेरी पिछली कहानी नहीं पढ़ी है, तो पहले आप मेरी पिछली कहानी पढ़ ले, तभी आप को मेरी ये कहानी पढ़ने का मज़ा आएगा।
मेरी ये कहानी उसके बाद की है। उसके बाद क्या हुआ आईये आगे पढ़ते है।
अब मेरी और नीलेश की शादी की डेट नज़दीक ही थी। और उसी टाइम निखिल के दोस्त नीलेश की भी शादी थी।
दोनों दोस्तों की शादी पंद्रह दिनों के अंतराल पर होनी थी। पहले मेरी और निखिल की शादी हुई। उसके पंद्रह दिन बाद नीलेश और टीना की शादी हुई। शादी के बाद हम चारों अब आपस मे काफी घुल मिल गए थे। मेरी भी अब टीना से अच्छी दोस्ती हो गई थी। चारों की आपस में खूब बातें होने लगी थी। चारों ने अपना हनीमून मालदीव्स में मनाने का तय किया।
शादी की धमाचौकड़ी के बाद हम दोनों कपल मालदीव्स के लिए रवाना हुए। सुबह की फ्लाइट से हम दोनों जोड़े मालदीव्स पहुंचे और वहाँ स्पीड बोट से विललिंगिली रिसोर्ट आइलैंड पर पहुंचे। वो बहुत ही खूबसूरत सा आइलैंड था और उस आइलैंड के रिसोर्ट की खूबसूरती का मंजर और भी मनमोहक था।
रिसोर्ट का रूम भी बहुत ही सुंदर था। रूम में किंग साइज़ बेड, बाथरूम में बड़ा सा बाथ टब, बाहर एक प्राइवेट स्वीमिंग पूल फ्रिज में बार से लेकर व्हिस्की, तरह-तरह की कॉफ़ी और चाय के फ्लेवर, और हमारे स्वागत में उनके नाम का एक केक और फ्रूट ट्रे टेबल पर रखी थी।
एक तो हम चारों की नई शादी हुई थी, और ऊपर से रिसोर्ट का माहौल ही एसा था, कि रिसेप्शन से अपने रूम तक आते-आते हमें कई जोड़े सिर्फ नाम के कपड़ों में एक दूसरे से लिपटे-चिपटे दिखाई दिए। किसी को किसी की कोई परवाह नहीं थी।
हम दोनों कपल का रूम आमने-सामने ही था। फिर हम अपने-अपने रूम में चले गए। रूम में आते ही निखिल ने सारा समान एक साइड किया और वो मुझ पर टूट पड़ा। निखिल ने मेरा टॉप और ब्रा निकाल फेंकी, और फिर मैंने नीचे बैठ कर निखिल का शॉर्ट्स और अंडरवेअर उतार दिये और उसका लंड अपने मुंह में ले लिया।
निखिल तो जैसे पागल हो गया था। कुछ देर मैंने उसका लंड चूसा। फिर उसने मुझे अपनी गोद में उठा कर गुदगुदे बैड पर पटक दिया, और उछल कर बैड पर ही कूद गया।
बैड स्प्रिंग के गद्दों का था, तो उछल कूद करने का मजा ही अलग था। रिसोर्ट वालों को अच्छे से मालूम था, कि यहाँ इन बैड्स पर कैसी-कैसी कुश्ती होती हैं।
अब हम दोनों पूरे नंगे हो कर एक दूसरे से लिपट गए। हम दोनों एक दूसरे को खा जाना चाहते थे। निखिल ने मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठा कर चुदाई शुरू की। तभी रूम की घंटी बज गई।
निखिल रुकने लगा तो मैं हंस कर बोली: जरूर वो तुम्हारा कमीना दोस्त ही होगा। उसने अपना काम निपटा लिया होगा, और आ गया हमारे बीच में!
बेल बजती रही पर निखिल और मैं चुदाई पूरी करके ही माने। फिर हम लोग अलग हुए और निखिल ने मुझसे कहा-
निखिल: तुम वाशरूम में जाकर नाहा लो।
जब मैं बैग खोलने लगी, तब निखिल ने कहा: जो मेरा बैग है, उसमें एक छोटा कैरी-बैग होगा, उसे ले जाओ। और उसमें जो होगा, वही पहनना।
मैंने वो कैरी-बैग निकाली, और उसे लेकर वॉशरूम में चली गई। मेरा पूरा बदन निखिल के वीर्य से गंदा था।
अब मैं नहाने लगी। मैंने सारे बदन और चूत को अच्छे से साफ किया। जब नाहा कर हो गया, तब मैंने वो कैरी-बैग खोली और वो खोलते ही मैं थोड़ी शॉक भी हुई और मुझे शर्म भी आई। उसमें एक छोटी सी शॉर्ट्स और उस से भी छोटी टॉप थी। वो एक दम सेक्सी ड्रेस थी।
जब मैंने वो शॉर्ट्स पहनी, तो वो सिर्फ मेरी गांड को ही छुपा पा रही थी। और टॉप भी इतनी छोटी कि सिर्फ बूब्स ही ढक पा रही थी। मुझे वो पहन के निखिल के सामने जाने में इतनी शर्म आ रही थी, कि बता नहीं सकती। अब ये मुझे निखिल ने दिया था, तो मुझे पहनना था। इसलिये मैंने वो कपड़े पहने, और बाहर आ गई। मैं बाहर आई तब तक नीलेश जा चुका है।
निखिल ने मुझे देखा और कहा: मैंने जब ये कपड़े लिए थे, तो उतने सुंदर नहीं थे जितने अब तुम्हारे पहनने पर लग रहे है। आज कोई भी आदमी तुम्हे देख ले तो उसका लंड खड़ा हो जाये।
उनकी बात सुन कर मैं बोल पड़ी: किसी और आदमी का क्यों, क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ?
तो निखिल बोले: मेरा तो हमेशा ही खड़ा हो जाता है।
फिर निखिल ने बताया कि नीलेश आया था। वो कह रहा था कि डिनर के लिए चलते है। तो मैंने भी निखिल से कहा-
मैं: हाँ भूख तो मुझे भी बहुत लगी है। निखिल अब तुम भी नाहा लो, फिर हम चलते है
निखिल जब नाहा रहा था, तब फिर से रूम की बेल बजी। मैंने डोर खोला तो सामने नीलेश और टीना थे। वो कहने लगे-
वो दोनों: तुम दोनों को और कितना टाइम लगेगा?
मैंने उन्हें बताया: निखिल बस नाहा रहा है, बस उसके बाद चलते है।
निखिल के तैयार होने के बाद हम रेस्टोरेंट में खाना खाने के लिए निकल गये।
मैंने निखिल की दी हुई सेक्सी ड्रेस पहनी थी, जिसके बारे में मैंने आप को बताया है। निखिल और नीलेश ने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी। और टीना ने एक शार्ट फ्रॉक पहनी थी।
रेस्टोरेंट में जो भी जोड़े थे, कपड़े कुल मिला कर सभी के ना के बराबर ही पहने थे। फिर हमने साथ खाना खाया और फिर वहाँ डांस फ्लोर पर थोड़ा डांस किये, और थोड़ी देर समुद्र तट पर घूमते रहे। रात के करीब 10 बज चुके थे। तो अब हमने अपने-अपने कमरों में लौट जाना ठीक समझा, और हम रूम पर गए।
रूम में जाते ही निखिल ने मुझे गोद मे उठाया, और बाथरूम में लेके जाने लगा। बाथरूम में अंदर जाते ही निखिल ने मुझे नीचे खड़ा किया और खुद की टी-शार्ट निकाल दी और तुरंत ही शॉवर चालू कर दिया।
उनकी इस हरकत से हम दोनों शॉवर के नीचे भीगने लगे। तभी निखिल मेरे होंठो को चूसने लगे और काटने लगे। एक बार तो उन्होंने इतनी जोर से काट लिया, कि मैं चिल्ला पड़ी। पर वही दर्द के मज़े में मैंने भी अब उनको किस करना शुरू कर दिया। हम बहुत टाइम तक एक दूसरे के होंठो को चूसते रहे।
किस करते-करते ही निखिल ने मेरे और मैंने निखिल के कपड़े खोल दिये, और दोनों बिल्कुल नंगे शॉवर के नीचे खड़े हो गए। हम दोनों शॉवर के पानी की वजह से कांप रहे थे, क्योंकि पानी ठंडा था पर हमारे जिस्म की गर्मी बढ़ती जा रही थी।
निखिल धीरे-धीरे नीचे आते गया, और मेरे बूब्स के पास आ कर वो उन्हें चूसने लगे और दबाने लगे। तभी मैंने भी अपना एक हाथ निखिल के लंड पे रख दिया, जो पहले से ही बिल्कुल तना हुआ था। तब मैंने निखिल का लंड हाथ में पकड़ा और रगड़ने लगी और आगे-पीछे किया, जिससे निखिल के मुँह से सिसकारियां निकलने लगी।
वो बोला: आह आह जानेमन, आज मेरे लंड पे बड़ा प्यार आ रहा है।
मैं भी अब इतनी गरम हो चुकी थी। तभी मैंने निखिल से कहा-
मैं: अपनी आँखें बंद कीजिये।
वो पूछने लगे: क्यों।
पर फिर उन्होंने आँखे बंद कर ही ली। उनकी आँखे बंद करते ही मैंने उनका लंड हाथ से छोड़ दिया तो वो पूछने लगे-
निखील: क्यों छोड़ दिया?
तो मैंने कहा: जरा सब्र रखिये।
फिर मैंने पास में ही पड़ा साबुन लिया, और उसको मसल कर निखिल के लंड पे लगा दिया, और लंड को मसल कर पूरा अच्छे से साफ कर लिया। मैंने शॉवर के पानी से लंड को धो दिया। ये सब करते वक़्त निखिल की आँख मैंने बंद ही रखवाईं थी।
फिर मैं तुरंत ही नीचे घुटनों पे बैठ गयी, और निखिल के लंड को रगड़ने लगी, और फिर उनके लंड के टॉप को थोड़ा मुँह में लेके जीभ से चाटने लगी। मेरे ये करते ही निखिल बोला-
निखिल: आह जान!
ये कहते हुये वो चिल्ला पड़ा और आँखे खोल कर मुझे देखने लगा। उनके चेहरे का भाव देख के में समझ चुकी थी अब वो पूरे उत्तेजित थे। इसलिए मैं रुकी नहीं और थोड़ा-थोड़ा करके लंड मुँह में लेके चूसने लगी। मेरे ऐसा करने से निखिल खुद को बिल्कुल रोक नहीं पाए, और अपने हाथ से मेरे सर को पकड़ कर जोर-जोर से कमर हिलाने लगे,और मेरे मुँह को अपने लंड से चोदने लगे।
निखिल के ऐसा करने से लंड मेरे गले तक जा रहा था। लंड का सुपाड़ा मेरे गले मे फंस रहा था, जिससे मेरी सांसे रुक रही थी और मेरी आंखों से आंसू आने लगे थे।
मेरी ऐसी हालत देख कर निखिल रुक गए, और मुझे खड़ी करके खुद नीचे बैठ कर मेरी चूत में फच से एक उंगली घुस दिए। मेरे मुँह से बहुत जोर से चीख़ निकली आह करके। फिर निखिल ने दो उंगलियां एक साथ मेरी चूत में घुसा दी, और अपनी उंगलिया मेरी चूत में आगे-पीछे करने लगे। में पागल सी होने लगी थी।
मेरी ऐसी हालत देख कर निखिल समझ चुके थे। तब फिर वो खड़े हो गए और तभी उन्होंने खड़े-खड़े ही मेरी एक टांग ऊपर उठाई, और नीचे से अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगे। उनका ऐसा करना मैं समझ नहीं पाई। मैं उनसे कहने ही वाली थी कि नीचे लेट जाऊँ, पर तभी उन्होंने एक-दम से पूरा लंड एक बार में ही मेरी चूत में पूरा अंदर तक घुसा दिया।
मैंने कभी नहीं सोची थी, कि वो ऐसा करेंगे और पूरा लंड खड़े-खड़े मेरी चूत में घुसा देंगे। वो मेरे होंठो को चूसने लगे जोर-जोर से और मेरे बूब्स को दबाने लगे। मैं तो जैसे आसमान में उड़ रही थी। चूत में लंड, बूब्स दबवाना, होंठो को चूसना सब एक साथ मेरे शरीर पर हो रहा था। अब निखिल ने खड़े-खड़े ही लंड के झटके मारने शुरू किए। पर मुझे वैसे बहुत दर्द हो रहा था।
इसलिए उन्होंने मुझे नीचे गांड से पकड़ कर अपनी कमर तक उठा लिया। मैंने भी उनकी कमर को अपने पैरों से बांध लिया। ये करते ही उन्होंने फिर से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया, और चुदाई करने लगे। वो तेज-तेज झटके मारे जा रहे थे। नीचे चूत में गरमी बढ़ रही थी, और ऊपर शॉवर से ठंडा पानी। दोनों का ऐसा मिलन था, जिसे बोला नहीं जा सकता, सिर्फ महसूस किया जा सकता है।
ऐसी ही जोरदार और तेज चुदाई कुछ 10 से 15 मिनट चली। तभी मैं जोर से चीख पड़ी-
मैं: आह निखिल आहहह, मेरा निकल रहा है।
ये कहते-कहते मेरी चूत से उस वक़्त ऐसा पानी निकला, जैसे पहले कभी नहीं निकला था। मेरा पानी निकलते ही सारी गर्माहट निखिल के लंड पे लग गई, जिससे उनमें और जोश आ गया और निखिल मुझे और ज्यादा तेजी से चोदने लगा। अब तो ऐसे चोद रहे थे, कि पूरा लंड अंदर तक जा रहा था, और पूरे बाथरूम में फच-फच थप-थप की आवाज गूंजने लगी थी।
कुछ करीब और 10 मिनट मेरी चूत चुदती गई, और मेरा फिर से पानी निकलने लगा तो में चिल्लाई-
मैं: निखिल मेरा फिर से निकल रहा है।
निखिल ने कहा: मेरा भी निकल रहा है जानेमन।
और ये कहते ही कुछ 5 से 6 धक्के मार कर उन्होंने अपने लावे की पिचकारी मेरी चूत में डाल दी। तो दोस्तों ये तो सिर्फ मेरे हनीमून की पहली रात थी, जो कि बहुत ही सुहानी बीती।
अगले दिन हम चारों घूमने के लिए निकले। उस दिन भी निखिल ने मुझे एक शार्ट फ्रॉक पहनने के लिए कहा, और अंदर भी मैंने एक सेक्सी सी पिंक कलर की ब्रा-पेंटी पहन ली थी। मेरी फ्रॉक कुछ ज्यादा ही छोटी थी, जो कि सिर्फ मेरी पेंटी को ही ढक रही थी। बस पता नहीं क्यों निखिल मुझे इतनी छोटी-छोटी ड्रेस पहनने को कह रहा था। पर मुझे भी इसमें कोई दिक्कत नहीं थी।
मुझे भी ये सब अच्छा लग रहा था। उधर टीना ने भी मेरे ही तरह ड्रेस पहनी हुई थी। हम दोनों ही बहुत सेक्सी लग रही थी। टीना और मुझमें भी अब काफी अच्छी अंडरस्टैंडिंग हो गई थी।
हम चारों एक समुद्र तट पर थे। कुछ देर वहाँ घूमने के बाद मैं और निखिल जेटस्की पर राइड के लिए गए। हमने नीलेश और टीना को भी चलने के लिए कहाँ, पर उन्होंने मना कर दिया, और वो दोनों समुद्र तट पर ही एक कोने में धूप सेकने के लिए लेट गए। हम दोनों जेटस्की पर बड़े मजे से राइड कर रहे थे। बहुत मजा आ रहा था। मैं कस कर निखिल को पकड़ कर बैठी थी और धीरे-धीरे उसके लंड को सहला रही थी।
कुछ ही देर बाद हमने देखा, तो नीलेश और टीना दोनों समुद्र की लहरों में एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे थें। टीना ने अपनी फ्रॉक उतार दी थी। और अब वो सिर्फ ब्रा पेन्टी में थी। नीलेश भी सिर्फ एक छोटी अंडरवेअर में था।
वो दोनों बिना किसी शर्म के एक दूसरे के साथ मस्ती कर रहे थे। कभी नीलेश टीना को चूमता, तो कभी उसके बूब्स दबाता। ये सब मैं देख रही थी, फिर कुछ देर बाद वो दोनों पानी से निकल कर अपने उसी स्थान पर पहुंच गए जहाँ पहले वो लेटे हुये थे।
फिर नीलेश ने टीना की ब्रा उतार दी, और टीना के बूब्स चूसने लगा। ये सब देख कर मुझे थोड़ी हैरानी हुई, कि ये दोनों कैसे इस खुले समुद्र तट पर एक दूसरे से चिपके हुए थे। ये जब मैंने निखिल को दिखाया तो निखिल भी अब जेटस्की को समुद्र से किनारे पर ले आया और मुझे वहाँ नीलेश और टीना के पास चलने को कहा। मैंने मना किया तो वो नहीं माना और मुझे अपनी गोद मे उठा कर उनके पास ले गया।
जब हम दोनों उनके पास गए, तो मैं थोड़ी शर्मा रही थी। क्योंकी टीना ऊपर से तो नंगी ही थी, और बिना किसी शर्म के लेटी हुई थी। नीलेश उसके ऊपर था। मेरे पति निखिल उन दोनों को इस तरह देख कर गरम हो रहे थे, और मेरे बूब्स दबा रहे थे। पर मैं उन्हें मना किये जा रही थी।
तभी नीलेश और टीना बोल पड़े: रोमा इतना मत शर्माओ, हम यहां हनीमून मनाने आये है। इसमें इतना झिझकने वाली बात नहीं है। रिलेक्स हो कर एन्जॉय करो।
तब मैंने भी अपनी शर्म कम की और याद किया, कि कैसे उस दिन जंगल में मैंने नीलेश और टीना को नंगे होकर सेक्स करते देखा था। तो आज भी जब वो मेरे सामने नंगे थे, तो शर्म कैसी? और मैं रिलैक्स हो गई, और निखिल के इस तरह मेरे बूब्स दबाने से मैं गरम होने लगी थी।
तब निखिल ने भी मेरी ब्रा उतारनी चाही, पर मैंने उसे ये करने नहीं दिया। उधर नीलेश ने अब टीना की पेंटी भी उतार दी थी, और वो उसकी चूत चाटने लगा था। ये देख मेरे अंदर और गरमी आ गई। पर मैं ऐसे खुले में समुंद्र तट पर नंगी नहीं होना चाहती थी। और वो भी किसी गैर मर्द के सामने। तो मैंने निखिल को वॉशरूम में चलने का कहा, जो कि समुंद्र तट पर ही था।
और वहाँ जा कर निखिल ने मेरी चुदाई शुरू कर दी। कुछ ही देर बाद निलेश और टीना भी वहाँ आ गये, और बाजू वाले वॉशरूम में घुस कर उन्होंने भी अपनी चुदाई शुरू कर दी। चुदाई खत्म होने पर हम लोग वही पर फ्रेश हुए। फिर हम दो तीन जगह और घूमने के लिए गये और रात का खाना खा कर अपने रिसॉर्ट मे लौटे।
एक दो दिन ऐसे ही बीत गए। हमारा करीब एक हफ्ते का प्रोग्राम था। 2 दिन तो सब ठीक चला। इस दौरान हम दोनों कपल ने खूब खाया, पिया, किसी चीज का कोई परहेज नहीं किया। मतलब हम दोनों ही कपल एक दूसरे के इतने करीब आ गए कि एक दूसरे से कोई बात छिपी नहीं थी।
मैं और टीना दोनों ही नई नवेली दुल्हन थी। दोनों के हाथों में मेहँदी, कलाई में लाल चूड़े, मांग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र थे। हम दोनों ही खूब सेल्फ़ी और फोटोज़ ले रहे थे। हम एक दूसरे के बदन को भी छूने लगे थे। कभी निलेश मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी और खींचता, तो उधर निखिल भी टीना से लिपट जाता था।
मेरे बूब्स टीना से साइज में थोड़े बड़े थे, तो नीलेश को जब भी मौका मिलता, वो जोर से मेरे बूब्स दबाता। मैं भी इस बात का कोई विरोध नहीं करती, क्योंकि मुझे भी मजा आता था।
ऐसे ही एक रात घूम के आने के बाद हम चारों मेरे रूम में ही थे, और बातें कर रहे थे।
तभी नीलेश ने कहा: कुछ गेम खेलतें है।
तो चारों ने मिल कर ताश खेलने का प्रोग्राम बनाया। सबको आईडिया पसंद आया, पर दिक्कत ये थी, कि मुझे ताश खेलना नहीं आता था। तो नीलेश ने कहा कि कोई आसान सा गेम खेलेंगे। मैं तुम्हे सिखा दूंगा। और इसमें एक टविस्ट ये होगा कि हारने वाले को जीतने वाले की कहीं हुई बात माननी होगी। सब राजी हो गए, तो हम चारों गोल चक्कर बना कर बैठ गए।
इसके आगे की कहानी के लिए आपको अगले पार्ट का इंतजार करना होगा। दोस्तों कैसी लगी कहानी आप सभी मुझे मेल करके बताइयेगा जरूर।
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