अब तक अपने इस कहानी में पढ़ा –
(भोली भाली ** साल की पतली दुबली, गोरी चिट्टी, कच्ची कली सुमित की बहन ऋचा को सुमित के इरादों के बारे में पता नहीं था, उसे लगा उसका भाई उसे बहन की तरह प्यार करेगा, लेकिन सुमित ने अपनी लंबी जीभ जब ऋचा के गले में फेरी तो ऋचा सिहर गयी)
अब आगे..
ऋचा- अह्ह्ह्ह्ह ये क्या कर रहे हो भैया, आपने तो किस के लिए कहा, और आप मेरा गला चाट रहे हो.
सुमित- बहना किस करने से पहले ऐसा ही करते हैं, तुझे अच्छा नहीं लगा क्या?
ऋचा- मजा आया बहुत लेकिन अजीब सा अहसास हुआ भैया पता नहीं क्यों.
सुमित- तेरी उम्र में हर लड़की को ऐसा ही अहसास होता है बहना, तू गेम खेलते रह.
ऋचा- ठीक है भैया, ऐसे ही चाटना बहुत मजा आया.
(और सुमित अपनी जीभ ऋचा के कान से लेकर गले से और फिर कंधे में फेरता हैं, अब ऋचा की चूत में भी पानी आने लगता है, और ऋचा को बहुत मजा आने लगता है, और ऋचा सिसकारी भरने लगती है)
ऋचा- अह्ह्ह्ह अहो हो भैया, मजा आ रहा है, अह्ह्ह्ह… ऐसा क्यों हो रहा है भैया, मुझे कुछ कुछ हो रहा है भैया. ऐसे ही करो प्लीज भैया.
सुमित- तू ज्यादा आवाज़ मत निकाल मेरी सेक्सी बहना, वरना माँ आ जायेगी, तू चुपचाप गेम खेल, मैं तुझे और मजे देता हूँ.
(फिर सुमित ऋचा के गले में जोरदार किस करता है और काटता भी है जिससे ऋचा चिल्लाती है और उसकी आवाज भावना के कमरे तक चली जाती है)
ऋचा- आउच… अह्ह्ह्ह… आराम से भैया.
सुमित- शहह्ह्ह्ह्ह… ज्यादा आवाज़ नहीं, माँ आ जायेगी.
(तभी भावना उनके कमरे में आती है और ऋचा को सुमित की गोद में देखकर चौंक जाती है)
भावना- क्या कर रहे हो तुम दोनों, इतनी आवाजें क्यों निकाल रही है ऋचा तू, क्या कर रहा था सुमित?
सुमित- कुछ नहीं माँ, ऋचा गेम खेल रही थी तो आउट हो गयी…
ऋचा- हां और मेरे आउट होने पर भैया ने मेरे गले में काट दिया, हा हा हा
भावना- ऋचा ये अच्छी बात नहीं है, भैया की गोद में ऐसे नहीं बैठते, जाओ अपने बेड पर.
ऋचा- क्यों, आप भी तो बैठे थे, मैं क्यों नही बैठ सकती.
भावना- तू मानेगी नहीं मतलब, शैतान लड़की…
सुमित- माँ, बैठे रहने दो उसे, उसका मन है, गेम खेलकर उठ जायेगी, आप अपने कमरे में जाओ.
भावना- माँ की बात नहीं मान रहे हो तुम दोनों, तुम्हारे जो मन में वो करो, और सुन सुमित आज मेरे कमरे में ही सोना, तेरे कमरे का पंखा ख़राब है, और जल्दी सोने आ जाना.
सुमित- ठीक है माँ, मैं आता हूँ.
(भावना चली जाती है और सुमित की जान में जान आती है और ऋचा और सुमित दोनों हंसने लगते हैं)
ऋचा- कैसे चिल्ला रही थी चुड़ैल की तरह हा हा हा.
सुमित- ऋचा ऐसे नहीं बोलते माँ को.
ऋचा- मैं तो बोलूंगी, चुड़ैल, चुड़ैल चुड़ैल…
सुमित- रुक तू, ऐसे नहीं मानेगी.
(और सुमित ऋचा को कस कर पकड़कर बेड में पटक देता है, और दोनों की कुश्ती शुरू हो जाती है, ऋचा भी सुमित को मारने में कोई कसर नहीं छोड़ती, जब सुमित ऋचा पर भारी पड़ जाता है तो ऋचा सुमित का लण्ड पकड़ लेती है)
सुमित- ऋचा इसे छोड़, प्लीज इसे मत पकड़, बहुत दर्द होता है अह्ह्ह्ह….
ऋचा- नहीं छोड़ूंगा, बहुत हीरो बन रहे थे, अब बोलो, अब बोलो, दबा दूँ? चटनी बना दूँ इसकी? बताओ?
सुमित- ऋचा देख छोड़, मैं माँ को बुला दूंगा वरना.
ऋचा- पहले सॉरी बोलो.
सुमित- सॉरी, सॉरी, सॉरी, प्लीज अब छोड़ जल्दी.
(ऋचा सुमित का लण्ड छोड़ देती है, सुमित को गुस्सा आता है उसे बहुत दर्द हो रहा था, वो गुस्से में ऋचा को पकड़ता है और कस कर उसके हाथ उसके पीछे बांध देता है और उससे चिपक कर बेड में लेट जाता है, अब ऋचा की चूत के ठीक ऊपर सुमित का खड़ा लण्ड झटके मार रहा था, ऋचा की डर से तेज साँसे सुमित की साँसों से टकरा रही थीं, सुमित की छाती से ऋचा की छाती दबी थी और सुमित की छाती में ऋचा के निप्प्ल्स चुभ रहे थे)
ऋचा- भैया, छोडो प्लीज, अब नहीं करूंगी.
सुमित- अब कैसे करेगी, अब तो तू मेरी जकड में जो है, ऐसे दबाते हैं नुन्नी को बता? क्यों दबाया इतनी तेज.
ऋचा- आपकी नुन्नी खड़ी थी, मुझे गुस्सा आ गया, आपने बोला था की वो बैठ जायेगी, तो मेने सोचा मैं पिचोड़ दूंगी तो क्या पता आपकी नुन्नी बैठ जाये.
सुमित- तो पहले बताती, मैं तुझे पिचोड़ने को दे देता, अब पिछोड़ेगी क्या?
ऋचा- हाँ, पिछोडूँ क्या?
सुमित- लेकिन जैसे मैं बताऊंगा वैसे पिछोड़ना, हलके हलके, ठीक है?
ऋचा- हाँ लेकिन अब मेरी कलाई छोडो, और मेरे ऊपर से हटो, कितने भारी हो आप.
(सुमित अपनी बहन की नाजुक कलाई छोड़ देता है और अपना पैजामा उसके सामने खोल देता है, सुमित का 6 इंच का खड़ा लण्ड देखकर ऋचा घबरा जाती है और शर्म से अपने मुह में हाथ रख लेती है और चौंक जाती है)
ऋचा- भैया ये तो नुन्ना है, कितना बड़ा नुन्ना है ये.
सुमित- बहन आज तुझे एक बात बता रहा हूँ लेकिन तू प्रोमिस कर कि किसी को ये बात नहीं बताएगी.
ऋचा- प्रॉमिस भैया.
सुमित- इसे नुन्नी या नुन्ना नहीं बोलते.
ऋचा- तो फिर क्या बोलते हैं भैया?
सुमित- इसे लण्ड बोलते हैं, या लोडा भी बोल सकती है तू.
(ऋचा हंसने लगती है)
ऋचा- लण्ड, हा हा हा ये कैसा नाम है लण्ड…
सुमित- धीरे बोल, वरना माँ आ जायेगी. चल तूने कहा था इसे पिछोड़ेगी, अब हलके हलके पिचोड़ इसे और आगे पीछे भी करना, जब मैं कहूँ तेज कर तो तेज करना, और जब मैं कहूँ धीरे तो आहिस्ता आहिस्ता हाथ चलना समझी?
ऋचा- समझ गयी भैया, पास आओ..
(और ऋचा सुमित के लण्ड में अपने दोनों हाथ चलाती है और अपने भाई का मुठ मारने लगती है, सुमित के आदेशानुसार ऋचा उसके लण्ड को पिछोड़ती है, आगे पीछे करती है)
सुमित- अह्ह्ह्ह… बहन अह्ह्ह्ह…. उफ्फ्फ्फ तेरे हाथों में जादू है बहना, ऐसे ही तेज तेज कर जितनी तुझ पर जान है बहना, अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह….
थोड़ी देर बाद इसमें से बटर निकलेगा अह्ह्ह्ह्ह…
ऋचा- कौन सा बटर भैया, जो हम खाते हैं, अमूल का?
सुमित- हा हा हा अह्ह्ह्ह… हाँ वो ही समझ ले, अह्ह्ह्ह… उसमे ताकत होती है, उसे फेकते नहीं है, उसे खाते हैं.
ऋचा- तो भैया मैं खा लुंगी बटर, आप चिंता मत करो, बटर बर्बाद नहीं होगा.
सुमित- अगर तुझे खाना है तो ऐसा कर, मेरा लण्ड अपने मुह में डाल ले और वैसे ही आगे पीछे कर जैसे हाथ से कर रही थी, जल्दी, अह्ह्ह्ह…
ऋचा- ओके भैया.
(और ऋचा सुमित का लण्ड अब मुह में डाल देती है और आगे पीछे करने लगती है. सुमित का मजा सातवें आसमान में पहुच जाता है, एक *** साल की गोरी पतली, सेक्सी, हॉट, कामुक लड़की के मुह में सुमित के लण्ड का मुत्थारोपन हो रहा था, सुमित सिसकारी भरता है)
सुमित- बहन, मक्खन आने वाला है, तेज तेज चूस बहन अह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह गया, उम्म्म्म्म्म्म्म… बहन तू सही में रानी है, अह्ह्ह्ह… मैं आया बहन, मक्खन आया बहन, अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
(और सुमित सारा माल ऋचा के मुह के अंदर छोड़ देता है और ऋचा सारा माल पी जाती है, और फिर सुमित ऋचा के होंठ पर अपने होंठ रख देता है और किस करने लगता है, दोनों भाई बहन किस करने में मशगूल हो जाते हैं, फिर किस करते करते सुमित ऋचा का टॉप उतार देता है और अब ऋचा केवल नेकर और गुलाबी ब्रा में थी..
फिर सुमित ऋचा का ब्रा भी उसके पतले, कच्ची जवानी वाले बदन से अलग कर देता है, और ऋचा के बूब्स जो अभी अभी जवान हुए थे उसके भाई के सामने नग्न थे और ऋचा ने शर्म से अपने बूब्स हाथों से ढक लिए, सुमित ने ऋचा के हाथों को हटाया और ऋचा के अधपके गुठली वाले बूब्स अपने मुह में भर लिए और उन पर टूट पड़ा, निप्पल चूसने लगा, ऋचा सिसकारी भरने लगी)
ऋचा- भैया, मुझे अजीब सा फील हो रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है भैया, अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है बहुत, ऐसे ही चूसो भैया, अह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह्ह्ह… उईईईईई…. उम्म्म्म्म्म्म्म….. गयीईई… अह्ह्हह्ह्ह्ह भैयाआआह्ह्ह्ह…. चूसो और तेज चूसो, खा जाओ भैया अह्ह्ह…
(ऋचा अपने जीवन में पहली जवानी में पहली बार गरम हुयी थी और सेक्स चढ़ना स्वाभाविक बात थी, जलती जवानी की आग में सुमित की *** साल की बहिन ऋचा की कामुकता से भरी सिसकारी पुरे घर में गूंजने लगी, सुमित ऋचा के बूब्स खाये जा रहा था..
उसके बाद सुमित ऋचा की नाभि और पेट को चाटने लगा, ऋचा मदहोशी में डूब गयी, वो दूसरी दुनिया में थी, उसे कुछ होश नहीं था, जवानी की आग में वो जल गयी, और इस आग में घी उसका अपना भाई सुमित डाल रहा था, फिर सुमित ने ऋचा का नेकर उसके बदन से अलग किया और उसकी जालीदार पेंटी भी अलग कर दी, अब ऋचा ऊपर से नीचे तक बिलकुल नंगी थी.
** साल का कसा हुआ पतला, गोरा जिस्म, पतली कमर, मोटी गोरी जांघें बहुत ही कामुक लग रही थी, अब ऋचा के शरीर में केवल उसकी टांगों में काले धागे बंधे थे, बाकि पूरा शरीर नंगा था. ऋचा सेक्स से पागल हुए जा रही थी..
सुमित ने देखा कि ऋचा की चूत से बहुत सारा पानी निकल रहा है, ऋचा की चूत में हलके हलके रेशमी बाल थे, छोटी सी फूली हुयी गुलाबी चूत बहुत ही टाइट और बिलकुल नयी लग रही थी, अब सुमित ने चूत में जीभ फेरना शुरू किया तो ऋचा तो पागल ही हो गयी)
ऋचा- अह्ह्ह्हह….. शहह्ह्ह्ह्ह… उईईईईई….मम्मी मर गयी, ये क्या अह्ह्ह… कर रहे हो भैयाआआह्ह्ह्ह्ह्ह्…. ये जादू है अह्ह्ह्ह….. भैया मजा आह्ह्ह्ह… रहा अह्ह्ह.. है, ऐसे ही चाटो अह्ह्ह्ह…. उम्म्म्म्म….
(सुमित जीभ से ऋचा की चूत चोद देता है और उसकी सील तोड़ देता है और ऋचा की चूत से खून निकलता है जो सुमित के मुह में लग जाता है, ऋचा खून देखकर डर जाती है लेकिन सुमित उसे इसके बारे में समझता है तो ऋचा शांत हो जाती है)
सुमित- बहन आज तेरी सील टूट गयी, अब तू वर्जिन नहीं है बहन, तेरी चूत लण्ड लेने लायक हो गयी है.
ऋचा- अह्ह्ह्ह… भैया बहुत मजा आया, लण्ड लेने लायक मतलब? इसमें अब लण्ड डालेंगे, और मक्खन भी?
सुमित- मक्खन नहीं बहन, सिर्फ लण्ड डालेंगे क्यों कि मक्खन से तुझे बच्चा हो जायेगा.
ऋचा- अच्छा मक्खन से बच्चा भी होता है क्या? मतलब आप और मैं मक्खन से हुए है?
सुमित- हाँ बहन, पापा ने मक्खन माँ की चूत में डाला था तो हम दोनों हुए. चल अब मैं तेरी चूत में अपना लण्ड डालूँगा, पहले पहले दर्द होगा, बाद में तुझे बहुत मजा आयेगा, ठीक है बहना?
ऋचा- हाँ भैया डालो. जल्दी डालो, अह्ह्ह्ह…
(फिर सुमित ऋचा की चूत में लण्ड सेट करता है और हल्के हल्के उसे अंदर डालने की कोशिश करता है, ऋचा की दर्द से चीख निकलती है लेकिन वो सहन करती है..
फिर सुमित पूरा लण्ड ऋचा की चूत में डाल देता है और ऋचा के दर्द से आंसू निकल जाते हैं और सुमित अपने होंठ ऋचा के होंठों पर रख देता है और चूसने लगता है, ऋचा भी अपने भाई के होंठ चूसती है.
फिर सुमित लण्ड अंदर बाहर करने लगता है, और ऋचा की जीभ से जीभ मिलाने लगता है, भाई बहन की अपवित्र चुदाई शुरू होती है, लण्ड चूत का मिलाप होता है, ऋचा-सुमित दो जिस्म एक जान बनकर रह जाते हैं, दोनों बिलकुल नंगे बेड पर चुदाई कर रहे थे, अंततः सुमित भूल और मजे में अपना सारा वीर्य ऋचा की योनि के अंदर ही छोड़ देता है और ऋचा भी साथ ही साथ अपना पानी छोड़ देती है.
दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ते हैं और ऐसे ही चिपके रहते हैं, ऋचा को आज चुदाई का ज्ञान हो गया था, अब वो बाहर किसी से भी चुदने को तैयार हो गयी थी लेकिन सुमित का वीर्य उसकी योनि में समा गया था जिसके कारण दोनों डर गए थे)
(फिर दोनों अपने कपडे पहनते हैं और ऋचा सो जाती है और सुमित अपनी माँ के कमरे में सोने चला जाता है जहाँ नाईट बल्ब जला था, उसकी माँ बेड पर लेटी थी और उसकी माँ भावना की नाईटी उसकी मोटी सुडौल गोरी झांघों तक सरक गयी थी, 90 प्रतिशत गोरे भारी तरबुझ जैसे बूब्स नाईटी से बाहर थे, बाल बिखरे हुए थे, आधे से ज्यादा निप्पल दिख रहे थे, ये दृश्य देखकर सुमित का मन और लन दोनो डोल जाते हैं और उसके बाद क्या होता है ये अगले और आखिरी भाग में मैं आपको बताऊंगा)
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**इस कहानी के सभी पात्र और घटनाऐं काल्पनिक है, इसका किसी भी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति या घटना से इसकी समानता होती है, तो उसे मात्र एक संयोग कहा जाएगा**