This story is part of the Sarpanch ji ki heveli chudai ki raat series
हेलो दोस्तो पार्ट 3 में आपने पढा की कैसे सरपंचजी उनकी हवेली की एक कमरे में मम्मी की जोरदार चुदाई कर रहे थे। मम्मी ने सरपंचजी का लंड चूसकर उनको नया अनुभव दिया था। जैसा कि सरपंचजीने कहा इससे पहले किसी औरत ने उनका लंड नही चूसा था सरपंचजी को मम्मी की इस हरकत ने दीवाना बना दिया था।
मम्मी जब सरपंचजीके ऊपर आकर उनके लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी ये पोजिशन भी सरपंचजी की पहली बार थी। सरपंचजी मम्मी के अंदाज से दीवाने हो गये थे और मम्मी सरपंचजीकी मर्दानगी की दिवानी हुई थी।
उस रात मम्मी और सरपंचजीकी चुदाई देखने के बाद मेरा भी निकल गया था फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गया मुझे काफी थकान महसूस हुयी थी इसलिये मुझे गहरी नींद लग गयी।
फिर मैं सुबह 6 बजे जग गया और तुरंत उस कमरे की ओर निकल पड़ा मैने देखा सरपंचजी और मम्मी दोनों नंगे थे मम्मी सरपंचजीके सीने पर सर रख के सोयी थी दोनों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी मैं फिर से अपने कमरे में गया तैयार होकर बाहर आया।
मैंने देखा दुल्हन के पापा हवेली पर आये थे वो नीचे खड़े थे और किसी नौकर से बात कर रहे थे। मैं फिर से मम्मी की रूम की ओर निकल पड़ा जैसे ही मैं रूम के दरवाजे तक पहुंचा अंदर से सरपंचजीने दरवाजा खोला उनके ऊपरी शरीर पर कुछ नही था नीचे एक व्हाइट लुंगी थी।
मैं सरपंचजी को देखकर थोड़ा डर गया सरपंचजी मुझे देखकर मुस्कराये और बोले “मम्मी से मिलना है क्या बेटा?”
मैंने कहां हां तो सरपंचजी बोले “बेटा तुम्हारी मम्मी की तबियत ठीक नही है थक गयी है उसे आराम करने दो उसे मत जगाओ तुम्हे कुछ चाहिये तो मुझे बताओ चलो नीचे मेरे साथ”।
कल रात सरपंचजी जो मुझे डांट रहे थे वो आज मुझे बेटा कहकर बुला रहे थे और प्रेम से बात कर रहे थे। मैं सरपंचजी के साथ नीचे गया नीचे जाते ही एक नौकर ने उनको बैठने के लिये कुर्सी दी दुल्हन के पापा नीचे बैठे थे।
वो सरपंचजी से कह रहे थे “मालिक आज शादी है आप कहो तो मेहमान को ले जा सकता हूं गाव के लोग बाते कर रहे है और लड़केवालो को पता चल गया तो शादी में कुछ आपदा न आ जाये ”
सरपंचजी ने कहा “अरे गाव के लोगो को तो पता ही है ना तू उसकी फिक्र मत कर और तू चिंता ना कर तेरी मेहमान की कल रात मैंने बहोत अच्छे से सेवा की है मैं उसे भेज दूंगा अब वो सो रही है थक गयी है ना ” ये कहकर हसने लगे नौकर भी मुस्करा रहे थे।
मुझे थोड़ी शरम आ रही थी कि मेरे मम्मी के बारे में मेरे ही सामने एक पराया मर्द ऐसी बाते कर रहा था। मैं फिर धीरे से ऊपर गया मम्मी के कमरे में जा पहुंचा मम्मी की सारी बलाउज ब्रा पैंटी सब नीचे पड़ा था बलाउज फटा हुआ था वही सरपंचजी की अंड़रवियर पड़ी थी।
मैं बाहर से ही देख रहा था मम्मी जग गयी थी बाजू में सरपंचजी को ना पाकर वो बेड से उठने लगी। कि उनको पता चला कि उनके बदन पर एक भी कपड़ा नही है मन ही मन मे मुस्करायी और बूब्स की ओर देख रही थी निप्पल के बाजु में सरपंचजीके दांतो के निशान थे।
मम्मी ने उनकी ऊपर की चदर हटायी और बेड से नीचे उतरी बेड के बाजू में खड़े होकर बेड को देख रही थी बेडशीट पर वो सरपंचजीके वीर्य और चुत के पानी के निशान कल रात की कहानी बया कर रहे थे।
मम्मी शरम कर अपने आप ही मुस्करा रही थी शायद कल रात की बारे में सोच रही थी। फिर मम्मी ने नीचे पड़ी हुई ब्रा पैंटी पहन ली और आयने में देख रही थी घूमकर गांड देख रही थी गांड पर डॉगी स्टाइल करते हुये सरपंचजी ने मारे हुये चाटो से गांड हल्की गुलाबी हुयी थी।
मम्मी अपने ही बदन को निहार रही थी फिर मम्मी ने बलाउज हाथ मे लिया तो वो फट चुका था। इसलिये मम्मी ने डायरेक्ट सारी पहनी मम्मी बिना बलाउज के सिर्फ ब्रा पर किसी हीरोइन से कम नही लग रही थी।
फिर मम्मी ने नीचे पड़ी हुयी सरपंचजी की अंडरवियर देखी मम्मी ने अंडरवियर उठायी और बेड पर बैठ गयी। मम्मी सरपंचजी की अंडरवियर सूंघ रही थी सरपंचजी पास नही थे। तो मम्मी उनके लंड की खुशबू से खुद को संतुष्ट कर रही थी मैंने देखा मम्मी सरपंचजी के अंडरवियर को आंखे बंद कर के सूंघ रही थी और खुद के बूब्स दबा रही थी।
फिर मम्मी ने बेडशीट निकाली और उसे भी सूंघने लगी सरपंचजीके वीर्य जहां जहां बेडशीट पर था वहां सूंघ रही थी। मम्मी का ये रूप पहले मैंने कभी नही देखा मेरे टीचर के अंडरवियर साथ भी मम्मीने ऐसा नही किया था। फिर मैंने देखा सरपंचजी ऊपर आ रहे है तो मैं जल्दी से एक दीवार के पीछे छुपा सरपंचजी कमरे के अंदर चले गये और उन्होंने मम्मी को जागता हुआ देखकर दरवाजा खुला ही रखा।
मैं धीरे से कमरे की तरफ बढा और देखने लगा मम्मी सरपंचजीको देखकर मुस्करा रही थी सरपंचजी मम्मी के पास जाकर बेड पर बैठ गये और मम्मी का हाथ हाथो में लेकर उनके कंधों पर हाथ रखा मम्मी का सर सरपंचजीके कंधो पर था। मम्मी के हाथों में सरपंचजी का अंडरवियर देखकर उनसे पूछने लगे “ये मेरा कच्छा क्यों हाथ मे लिया है रज्जो डार्लिंग?”
मम्मी : जी कुछ नही।
सरपंचजी : कुछ नही तो हाथ मे क्यों लिया बता ना रज्जो।
मम्मी : जी वो आप की याद आ रही थी इसलिये।
सरपंचजी : अच्छा जी अब मेरी डार्लिंग को इतनी दूरी भी नही सही जा रही हां।
मम्मी : जी मुझे लगा मेरी सुबह आपके बाहों में होगी पर आप थे ही नही मेरे पास।
सरपंचजी : (मजे लेते हुये) अरे मैं यही रहता पर वो तेरा लड़का आया था।
मम्मी : क्या मनीष आया था कब ?
सरपंचजी : तू सो रही तब।
मम्मी : उसने हम दोनों को देख तो नही लिया उस हालत में ?
सरपंचजी : हां उसे पता चल गया।
मम्मी : क्या पता चल गया।
सरपंचजी : यही की उसकी मम्मी कल रात रंडी बनकर एक पराये अनजान मर्द से चुदी ..
मम्मी : (मम्मी को पता चल गया सरपंचजी मजे ले रहे है) क्या बोला मनीष ?
सरपंचजी : वो मुझे डाट रहा था बोल रहा था कि आपको शरम नही आयी ऐसा काम करते हुये।
मम्मी : तो आप क्या बोले?
सरपंचजी : मैंने उसे कहा नही आयी शरम (और हसने लगे)
मम्मी : आप भी ना।
सरपंचजी : मैंने उसे कहा तेरी मा को तेरा बाप खुश तो करता नही देख उसे कितना प्यार दिया है मैंने की नंगी मेरी बाहों में सो रही है।
मम्मी : सच कहा आपने कल रात तो आपने मुझे बहोत प्यार दिया।
सरपंचजी : मेरी रज्जो तूने भी तो मुझे खुश किया मुझे तुमसे अब सचमे प्यार होने लगा है।
मम्मी : प्यार तो मुझे भी होने लगा है मेरे सरपंच बाबू।
और दोनों एकदूसरे के नजदीक आये सरपंचजीने मम्मी को उनकी गोद में बिठाया और चूमने लगे दोनों एकदूसरे के ओठो की प्यास बुझा रहे थे। सरपंचजी एक हाथ से मम्मी के बूब्स दबा रहे थे चूमने में इतने लगे थे कि दरवाजा खुला है ये भी दोनों के ध्यान में नही था फिर सरपंचजी ने मम्मी का पल्लू हटाया और ब्रा निकालने ही वाले थे कि मम्मी ने उन्हें रोक दिया।
सरपंचजी : (गुस्से में क्या हुआ रंडी नही चुदवाना क्या तुझे ?
मम्मी : (हसते हुये) चुदवाना तो है सरपंच बाबू पर अभी नही अब देर हो रही है। शादी के घर जाना होगा नही तो औरते बोलेंगी कल तो मना कर रही थी और आज वापस आने का नाम ही नही ले रही।
सरपंचजी : अरे हां वो आया था दुल्हन का बाप ठीक है जा तू जल्दी तैयार हो जा तुझे छोड़ता हूं।
मम्मी : आप छोड़ेंगे ?
सरपंचजी : हां।
मम्मी : ( मजाक करते हुये) लोग क्या बोलेंगे सरपंचजी ड्राइवर बन गये।
सरपंचजी : बोलने दे कल रात तेरी सवारी इसी ड्राइवर ने की है ये भी पता है लोगो को।
और दोनों हसने लगे फिर मम्मी का बैग लेकर एक नौकर आया उसने सरपंचजीके कपड़े भी साथ लाये फिर सरपंचजी और मम्मी बाथरूम मे घुसे दोनोंने एक दूसरे को नहलाया उन दोनो को नहाते हुये मैं नही देख पाया पर दोनों मजे लेकर नहा रहे थे ये बात पक्की है क्योंकि बाथरुम से दोनो की हसी की आवाजें आ रहे थी।
फिर मम्मी टॉवल लपेटे हुये बाहर आयी और सरपंचजी वैसे ही नंगे बाहर आये मम्मी ने बदन पर लपेटा हुआ टॉवल निकाला और सरपंचजी के बाल पोछने लगी सरपंचजी मम्मी के बूब्स चूस रहे थे फिर मम्मी सरपंचजी का शरीर पोछने लगी मम्मी के स्पर्श से सरपंचजी का लंड खड़ा हो रहा था लंड मम्मी की नंगी जवानी को सलामी दी रहा था।
फिर मम्मी सरपंचजी के लंड पर टॉवल रगड़ रही थी सरपंचजी अब स्वर्ग सुख का अनुभव कर रहे थे उनकी आंखें बंद थी सिसकिया ले रहे थे मम्मी और जोर से टॉवल रगड़ रही थी अब सरपंचजी कक हालत और खराब होते जा रही थी।
सरपंचजी आंखे बंद करे हुये थे कि अचानक उनकी लंड पर उन्हें कुछ अलग महसूस हुआ उन्होंने आंखे खोली तो देखा मम्मी घुटनो के बल बैठी थी और सरपंचजीके लंड के टोपे पर जीभ घूमा रही थी।
सरपंचजी बड़बड़ा रहे थे “रज्जो मेरी रंडी तेरी बात ही अलग है साली कुतिया क्या मस्त आयटम है रे तू मेरा तो नसीब खुल गया तुझ जैसी रंडी पाकर हाय आहहह आहह “।
नीचे मम्मी उनका काम कर रही थी, अब मम्मी ने लंड मुह में घुसाना चालू किया सरपंचजी का काला लंड मम्मी के ग़ुलाबी ओठ और चिकना बदन ये हसीन लम्हा मुझे अपने आखों से देखने का मौका मिला।
मम्मी सरपंचजीके गोटियो को भी चाटने लगी सरपंचजी का लंड मम्मी की थूक से गिला हुआ था और चमक रहा था।
एक डार्क चॉकलेट की तरह आखिरकार सरपंचजी का हौसला टूट गया वो बोले “मेरा पानी निकलनेवाला है रे मेरी कुतिया” मम्मी के मुह में लंड अभी भी बाहर अंदर हो रहा था और सरपंचजी मम्मी के मुह में झड़ गये मम्मी ने सारा वीर्य पी लिया।
सरपंचजी की हालत खराब हुयी थी उन्होंने तुरंत उनका लंड बाहर निकाला और बेड पर गिर गये मम्मी ने उनको कपड़े पहनाये और सरपंचजी ने मम्मी को बलाउज पहनाया मम्मी ने अपनी बैग में सरपंचजी का अंडरवियर वो बेडशीट और टॉवल रखा। रातभर के कामुक शोर के बाद अब कमरा शांत हुआ था।
सरपंचजी खड़े हुये और मम्मी को बाहों में लिया और कहा “सच मे यार रज्जो तू अलग ही औरत है कमाल की है तू। काश तू मेरी बीवी होती तो मैं बाहर की औरतों की तरफ देखता भी नही तुझे छोड़ने का मन तो नही कर रहा पर क्या करे अब”
मम्मी खुद की तारीफ सुनकर खुश हुयी और दोनों कमरे से बाहर निकल आये और नीचे चले गये मम्मी मुझे आवाज दे रही थी मैं भी नीचे गया फिर हम तीनों ने नाश्ता कर लिया सरपंचजी की नजर मम्मी से हट नही रही थी।
मैं ऐसा दिखा रहा था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा फिर सरपंचजी ने मुझे और मम्मी को शादीवाले घर छोड़ा वहां मम्मी को देखकर औरते एकदूसरे से बात कर रही थी मम्मी जो हवेली पर खुश होकर आयी थी यहां ऐसे दिखा रही थी कि दुखी है सबको लग रहा था कि मम्मी एक संस्कारी औरत है पर मम्मी का असली रूप सिर्फ मुझे मम्मी और सरपंचजी को पता था।
अगले पार्ट में पढिये की शादी की रात क्या क्या होता है क्या मम्मी और सरपंचजी एक साथ और एक रात गुजारते है या हम वापस अपने शहर चले जाते है।
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