पिछला भाग पढ़े:- ककोल्ड दोस्त की मां को दोस्त की मदद से चोदा-1
हैलो दोस्तों, मैं आसिफ आपका स्वागत करता हूं एक नई चुदाई की कहानी में। यह कहानी मेरे दोस्त की मां और मेरी चुदाई की है, मेरे दोस्त की मदद से। मेरे दोस्त का नाम बंटी है। वो मेरी उम्र का है, और उसकी मां सुनीता सुंदर सेक्सी मां 43 की है, और फिगर भी कमाल का है। पिछली कहानी आपने जरूर पढ़ी होगी, यह दूसरा भाग है।
थोड़े दिनों तक हमारी बातें नहीं होती। आंटी भी मैसेज नहीं करती है, और में भी नहीं करता हूं। कहीं रास्ते में दिखती है, तो मुझे अनदेखा कर देती है। बंटी से भी मिलना बंद हो जाता है, और उससे बातें भी नहीं होती है।
एक दिन अचानक आंटी का मैसेज आता है रात को, और मैं बहुत खुश हो जाता हूं।
आंटी: हैलो आसिफ।
मैं: हैलो आंटी।
आंटी: कैसा है, भूल गया तु तो।
मैं: मैं तो रोज याद करता हूं आपको। पर आपने ब्लॉक कर दिया था।
आंटी: हां कर दिया था। पर आज मन हो रहा था बात करने का।
मैं: सिर्फ बात करने का, कुछ और भी करने का मन हो रहा है आपका?
आंटी: अच्छा बेटा! समझ रही हूं तेरी बातें।
मैं: जी आंटी।
आंटी: मैं देख रही थी, कि बंटी और तेरी लड़ाई सही में हुई थी, या बस नाटक कर कर रहे थे। इसलिए बात नहीं कर रही थी।
मैं: तो पता चल गया ना अब आपको?
आंटी: हां डर लगता है यार, अपने बेटे के दोस्त से ऐसी बातें करूं, और उसको या किसी और को पता चल जाए तो?
मैं: हां आंटी, समझ सकता हूं।
आंटी: जैसे तूने मुझसे बात की थी। तुझसे बात किए बिना नहीं रह सकती थी ना मैं।
मैं: आपको पटाने के लिए ही तो ऐसी बातें करता था।
आंटी: वो तो समझ गई थी कि एक लड़का या आदमी मुझ जैसी औरत से क्या चाहता है।
मैं: वैसे आंटी आपसे मिलना है, बताओ कब मिलोगी?
आंटी: मिलना तो मुझे भी है अब तुझसे, पर कैसे बंटी का डर लगता है।
मैं: उसकी टेंशन आप मत लो, में जुगाड़ कर लूंगा उसका तो।
आंटी: अरे कुछ रिस्क नहीं लेना मुझे। बाद में किसी होटल में मिलते है।
मैं: अरे मेरी प्यारी आंटी भरोसा करो मुझ पर।
आंटी: चल ठीक है, कर लेती हूं।
मैं: तो काल 12 बजे तैयार रहना, आता हूं मैं।
आंटी: हां ठीक है, वेट करूंगी तेरा।
मैं बंटी को मैसेज कर देता हूं: कल 12 बजे के पहले घर से निकल जाना। कल तेरी मां से मिलने का प्लान है, और दिन भर चुदाई करूंगा कल तो उसकी।
बंटी: पर में देखूंगा कैसे यार?
मैं: कही जाना मत, घर के पास ही रहना तू। मैं मैसेज कर दूंगा तुझे जैसे ही सब मेरे कंट्रोल में होगा।
बंटी: चल ठीक है, मजे करना कल दिन भर!
सुबह होती है, आंटी का मैसेज पहले से होता है: आज 12 बजे के बाद आ जाना। बंटी 12 बजे कही बाहर जाएगा। मैं तुझे काल कर दूंगी, जैसे ही वो जाएगा।
मैं बस 12 बजने का वेट करता हूं। 12 के पहले ही आंटी का काल आ जाता है, और मैं अटेन्ड करता हूं।
आंटी: हैलो आसिफ।
मैं: जी आंटी।
आंटी: बंटी जाने वाला है, तू भी आ जा जल्दी से।
मैं: मैं तो बस आपके काल का वेट कर रहा था आंटी।
आंटी: रहा नहीं जाता क्या तुझसे?
मैं: जी हां आंटी, गेट खुला रखना, मैं सीधे अंदर आ जाऊंगा।
आंटी: हां ठीक है, बाय।
जैसे ही बंटी घर से निकला, आंटी का मैसेज आ गया, और मैं भी घर से निकल गया। उसके घर की गली के बाहर ही बंटी खडा हुआ था।
मैं: यही आस-पास ही रहना, कहीं जाना मत।
बंटी: हां यहीं रहूंगा। मुझे भी सब देखना है।
मैं जेसे ही उनकी गली में घुसा, आंटी गेट पर ही खड़ी थी। इधर-उधर देखा कोई नहीं दिख रहा था। आंटी ने मेरी तरफ इशारा किया, और मैं जल्दी से घर के अंदर घुस गया, और दरवाजा बंद कर दिया। मैंने आंटी को देखा, और देखता ही रह गया। वो तैयार हो गई थी पूरी। उन्होंने साड़ी थोड़ी नीचे पहनी थी। उनकी कमर और नाभि पूरी दिख रही थी। उनके परफ्यूम की खुश्बू से पूरा घर महक रहा था।
आंटी: किसी ने देखा तो नहीं तुझे? और बंटी निकल गया ना दूर?
मैं: बाहर तो किसी ने नहीं देखा। पर अब मैं जरूर आपको देखूंगा आंटी।
आंटी: हां बस देखने के लिए हो आया है तू।
मैं: आया तो बहुत कुछ करने हूं, और करके भी जाऊंगा मेरी प्यारी आंटी।
हम दोनों सोफ़े पर बैठ गए। दोनों बिलकुल पास-पास चिपक कर बेठे थे।
आंटी: अच्छा तो क्या करेगा, जरा बता तो?
मैं: जिसके लिए आया हूं।
मैंने उनका हाथ पकड़ा और सहलाने लगा प्यार से। उनके चेहरे पर मुस्कान थी। उन्होंने मेरी जांघों पर हाथ रखा, और घुमाने लगी। मैं उनके हाथ को किस्स करने लगा। धीरे-धीरे ऊपर तक किस्स करने लगा।
आंटी: हट बदमाश, ये क्या कर रहा है तेरे दोस्त की मां के साथ?
मैं: वही कर रहा हूं जिसके लिए दोस्त की मां ने मुझे बुलाया है।
उनका हाथ मेरे लंड की तरफ जाने लगा। उनके स्पर्श में मेरा लंड खड़ा होने लग रहा था। उन्होंने अपना हाथ रोक लिया। उनका हाथ मैंने पकड़ा, और उनको अपनी गोदी में बिठा लिया। फिर अपने हाथ उनके पेट पर घुमाने लगा। पीछे से गले पर किस्स करने लगा। मेरा लंड खड़ा हो चुका था, और उनकी गांड में चुभने लगा था।
मैं: उफ्फ़ आंटी, आपकी यह हुस्न की महक।
आंटी: अभी तो तुझे बहुत जगह की महक लेनी है मेरे आसिफ राजा।
मैं अपना फोन निकलता हूं, और बंटी को मैसेज करता हूं: गेट के पास खड़ा हो जा, और 2 मिनट बाद अंदर घुस जाना।
मैं आंटी की आंखें अपने हाथों से बंद करता हू।
आंटी: क्या कर रहा है आसिफ ऐसे?
मैं: अरे आंटी आपके लिए गिफ्ट है।
बंटी के पास उसके घर की चाभी होती है। वो दरवाजा खोल कर बिना किसी आवाज के अंदर घुस जाता है, और अपनी मां को उसके दोस्त की गोद में बैठा हुआ देख खुश हो जाता है। मैं अपनी जेब से एक चेन निकाल कर आंटी को देता हूं।
मैं: यह देखो आंटी।
आंटी: ओह, आज हर तरीके से मुझे खुश करेगा तू?
मैं: आया ही आपको खुश करने हूं मैं आंटी आज।
बंटी घर के अंदर घुस जाता है। वो सीढ़ियों के पीछे छुपा होता है, और पूरा नजारा देखता है। आंटी मेरी गोदी में बैठी थी। मैं उनका चेहरा अपनी तरफ करता हूं, और अपने होंठ उनके होंठो पर रख देता हूं। आंटी मुझे पूरा साथ देती है। मैं प्यार से उनको किस्स करता हूं, और उनकी साड़ी का पल्लू गिरा देता हूं। उनके बड़े बूब्स पर मैं हाथ फेरने लगता हूं।
एक-दूसरे के होंठ चूसते है हम। उनके गुलाबी होंठो को मैं चूस-चूस कर लाल कर देता हूं। उनके बूब्स ब्लाउस के ऊपर से दबाने लगता हूं। दोनों एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे, और उनका जवान बेटा हमारे प्यार को देख रहा था, और अपना लंड मसल रहा था।
मेरी सेक्स कहानी पढ़ने का शुक्रिया। अभी इसके और भाग आएंगे। आप मेरे साथ बने रहिए। आपका अनुभव मेरे साथ जरूर साझा करे। मेरी ईमेल आइडी: [email protected]