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दोस्त की मां की चुदाई उनके ही घर पर-1 (Dost ki maa ki chudai unke hi ghar par-1)

हैलो दोस्तों मेरा आसिफ खान है, और मैं भोपाल शहर में रहता हूं। यह कहानी मेरी मेरे दोस्त की मां के साथ संभोग की कहानी है। मेरे दोस्त का नाम राजवीर शर्मा है, और मेरे दोस्त की मां का नाम सुनीता शर्मा है।

मैं और राजवीर स्कूल के टाइम से बहुत अच्छे दोस्त है, और उसके घरवाले मुझे बहुत अच्छे से जानते है, और मैं उनके घर आता-जाता रहता हूं। हमारा स्कूल और कॉलेज खतम हो गया था, और हम जॉब करने लग गए थे‌। मेरी जॉब इंदौर में लगी, पर उसकी जॉब भोपाल में ही लग गई थी। तो हमारा मिलना कम हो गया, और बस त्यैहार पर ही मिल पाते थे।

एक बार मुझे अचानक घर जाना पड़ गया था किसी काम की वजह से, और मैंने किसी दोस्त को नहीं बताया मैं भोपाल आया था। संडे का दिन था तो मैंने सोचा में राजवीर के घर जाता हूं उसको बिना बताए, और बिना कोई काल या टेक्स्ट किये मैं दोपहर में उसके घर गया।

मैंने दरवाजा ठोका तो सुनीता आंटी ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर थोड़ा शॉक हो गई। पर बहुत दिनों बाद उनको देख कर मैं ज्यादा शॉक हो गया और देखता ही रहा। वो दिखने में बहुत मस्त लग रही थी बहुत दिनों बाद देखा था तो।

आंटी: हैलो आसिफ, बहुत दिनों बाद आए हो, कैसे हो?

मैं थोड़ा होश में आया और बोला: हां आंटी, कल रात को ही आया हूं। मैं तो ठीक हूं, आप बताओ कैसे हो?

आंटी: मैं ठीक हूं, पर अचानक कैसे आ गए?

मैं: हां आंटी आया तो अचानक ही हूं, किसी काम की वजह से।

आंटी: घर में आ बाहर क्यूं खड़ा है।

मैं: आंटी आपने बोला ही नहीं अंदर आने को (दोनों हस दिए)।

मैं अंदर आया और पूछा: आंटी राजवीर कहा है? उसको बुलाओ, बहुत दिन हो गए उससे मिले।

आंटी: वो तो उसके मामा के घर गया है कल रात से।

मैं: तो आंटी कब तक आएगा वो?

आंटी: तू ही काल करके पूछ ले तेरे दोस्त से।

मैं: मैं नहीं पुछ सकता। जैसे आपको शॉक किया, वैसे ही उसको शॉक करना है।

आंटी: चल ठीक है मैं पूछती हूं उससे कब तक आएगा वो।

आंटी ने उसको फोन लगाया।

आंटी: उसने बोला है उसको थोड़ा समय लग जाएगा।

मैं: ठीक है आंटी, फिर वो आएगा जब ही आता हूं‌ उसको बताना मत मैं आया हूं। आप मुझे काल कर देना वो आएगा जब।

आंटी: कहा जा रहा है। रुक जा थोड़ी देर। बहुत दिनों बाद आया है। थोड़ी देर बात कर ले मुझसे ही, जब तक आ ही जाएगा वो।

मैं: ठीक ही आंटी, रुक जाता हूं। वैसे भी बहुत दिनों से आपसे बात ही नहीं हुई।

आंटी: हां।

आंटी सोफ़े पर बैठ गई मेरे बगल में, और हम बात करने लगे।

आंटी एक संस्कारी औरत है। और उन्होंने सारी, ब्लाउस, मंगलसूत्र, पायल पहना हुआ था, और मैं उन्हें ही देख रहा था। उस दिन वो मुझे किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। उनकी उम्र 42 साल थी, और फिगर भी कमाल का था।

आंटी: और आसिफ तेरी जॉब कैसी चल रही है?

मैं: ठीक-ठाक ही चल रही है आंटी जी।

आंटी: अब तो जॉब लग गई है, फिर शादी का क्या प्लान है तेरा?

मैं: इतना जल्दी नहीं आंटी। अभी तो बहुत समय है शादी में।

आंटी: उम्र निकल जाएगी उसके बाद करेगा क्या शादी?

मैं: इतना जल्दी उम्र नहीं निकलेगी।

आंटी: बेटा फिर कब करेगा जब कुछ दम नहीं रहेगा उसके बाद।

मैं (मैं समझ गया था कौन से दम की बात कार रही थी वो): आंटी बहुत दम है और 50 साल तक दम रहेगा। उसकी समस्या नहीं ही मुझे‌।

आंटी: वो तो पता चल जाएगा जब बीवी आएगी।

मैं: बहुत समय हो गया, राजवीर आया नहीं अब तक‌।

आंटी: बहुत जल्दी है तुझे, कौन सी बस छूट रही ही तेरी?

मैं: मुझे वापिस इंदौर भी जाना है कल शाम तक, इसलिए आंटी।

आंटी: इतना जल्दी जाएगा क्या?

मैं: हां आंटी, ऐसा ही है अब।

आंटी: चल ठीक ही चले जाना। मैं चाय बना दूं उसके बाद।

मैं: नहीं आंटी, चाय की जरूरत नहीं है।

आंटी: बहुत दिन बाद आया है, चाय पीकर जा। फिर पता नहीं कब आएगा घर पर।

मैं: ठीक ही आंटी, बना लो, पर दोनों की बनाना।

आंटी: ठीक है।

आंटी किचन में चली गई, अपनी बड़ी गांड हिलाती हुई। उनकी गांड देख कर मेरा हथियार खड़ा होने लगा था‌। मैंने सोचा घर पर हम दोनों अकेले थे, थोड़ी कोशिश करके देखता हूं अगर पट जाए तो।

थोड़ी देर बाद मैं भी किचन में चला गया, और आंटी के बगल में खड़ा हो गया।

आंटी: क्या हुआ? कुछ चाहिए क्या?

मैं: हां आंटी, पानी-पीने आया था।

आंटी: मुझे बोल देता मैं आ जाती पानी देने।

मैं: कोई बात नहीं आंटी। मैं खुद आ गया किचन में।

बहुत गर्मी हो रही थी, और आंटी पसीने में गीली हो रही थी, और पसीने में उनका बदन चमक रहा था।

मैं: आंटी आपके किचन में तो बहुत गर्मी है, और आप तो पसीने में गीले हो गए।

आंटी: हां गर्मी तो बहुत है यहां। पर तू बाहर चल। मैं आती हूं।

आंटी को पसीने में भीगे हुए देख मुझसे रहा नहीं गया, और मैं उनको अपनी उंगली से साफ करने लगा। मैंने उनके बाल कान के पीछे किये, और धीरे-धीरे उनके सर का पसीना साफ करने लगा।

आंटी: क्या कर रहा है आसिफ?

मैं: मेरी आंटी पसीने में भीग रही है, उनको साफ कर रहा हूं।

आंटी: रहने दे, मुझे अभी नहाना है।

मैं उनके सर और गाल पर हाथ उंगली घुमा कर साफ कर रहा था। उनका गाल बहुत मुलायम था, और उन्हें कोई प्रॉब्लेम नहीं हो रही थी

आंटी: बेटा रुक जा, मुझे अब पसीना नहीं है सर और गाल पर।

मैं: ठीक है आंटी।

मैं रुक गया, और अपनी उंगली धीरे-धीरे नीचे लेकर आया, और गले पर घुमाने लगा। उनके गले पर पसीने की धार थी। उसके साथ-साथ अपनी उंगली नीचे लाते गया। तभी एक दम से आंटी ने उंगली पकड़ ली। आपको बता दूं औरत और लड़की का बहुत नाजुक हिस्सा होता है गला। जैसे ही मैंने उनके गले पर उंगली रखी, आंटी के अंदर करंट दौड़ गया, और थोड़ा तेज आवाज में बोली-

आंटी: बस कर आसिफ, और तू बहार जा। मैं चाय लेकर आती हूं।

मैं: आंटी मैं यही ठीक हूं आपके साथ।

आंटी ने कुछ नहीं बोला, और मुझे देखने लगी। मेरी उंगली अभी भी उनके हाथ में थी। वो फिरसे चाय की तरफ ध्यान देने लग गई।

मुझे भी लगा आंटी को मेरे टच से मजा आ रहा था। तो मैंने उनकी तरफ देखा, और वापिस अपनी उंगली उनके गले पर लेकर गया, और बहुत प्यार से घुमाने।

आंटी: आसिफ बेटा, ऐसे नहीं करते। मैं तुझसे बड़ी और तेरे दोस्त की मां भी हूं।

आंटी मेरे इरादे समझ तो गई थी, पर अभी भी थोड़ा डर रही थी। पर मैंने उनकी तरफ एक हवसी वाली स्माइल की, और बोला-

मैं: क्या आंटी मैं तो बस आपकी थोड़ी मदद कर हूं।

आंटी: ऐसे मत करो आसिफ, मैंने बोला ना तुमको।

आंटी भी अब थोड़ा गरम हो रही थी, और मैं उनके गले पर उंगली घुमा रहा था। तो उनकी हवस भी बढ़ रही थी। पर वो पहला कदम नहीं लेना चाहती थी। पहला कदम मेरा ही हो, वो ऐसा सोच रही थी।

मैंने भी ज्यादा देर नहीं लगाई और अपनी उंगली उनके बूब्स के दरार के बीच फेरने लगा। अब वो पूरी तरीके से गरम हो चुकी थी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और बोली-

आंटी: बस करो आसिफ,‌ अब रुक भी जाओ। नहीं तो बहुत गलत हो जाएगा दोनों के साथ।

मैं: आंटी आज गलत हो जाने दो। मुझे भी देखना है कैसे और कितना गलत होता है।

मैंने आंटी की उंगलियों में अपनी उंगलियां फसाई, और उनको अपने से चिपका लिया पूरा। फिर बहुत प्यार से अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए, और बहुत प्यार से किस करने लगा।

आंटी छूटने की कोशिश कर रही थी, पर मेरी पकड़ बहुत टाइट थी, तो छूट नहीं पायी। मैंने किस करना जारी रखा, पर वो थोड़ा झटपटा‌ रही थी मेरी पकड़ से छूटने के लिए। थोड़ी देर बाद मैंने उनको छोड़ा और वो मुझसे थोड़ा दूर हो गई। पर अब मेरे ऊपर हवस हावी हो चुकी थी, और आंटी भी गरम हो गई थी।

आंटी: तुम जाओ यहां से, अब बहुत हो गया तुम्हारा। किस कर ली ना तुमने, जाओ अब यहां से।

मैं: आंटी अभी तो बस आपके होंठो को ही मुंह लगाया है। अभी तो आपका पूरा शरीर बचा है।

आंटी: नहीं, अब कुछ भी नहीं। मैंने बोला ना तुम निकल जाओ यहां से, राजवीर आता ही होगा।

मैंने उनकी कुछ नहीं सुनी, और उनका हाथ पकड़ के अपनी तरफ खींच लिया। उनके बूब्स मेरे सीने टकरा रहे थे। पूरे दब गए थे। मैंने उनको एक टाइट हग (गले से लगाया) किया, और किचन में ही दीवार से चिपका दिया, और फिरसे किस करने लगा। अपना हाथ उनकी गांड पर रखा और दबाने लगा। अब आंटी भी मजे से किस कर रही थी‌।

आंटी: उम्म अम्म अहह उफ्फ।

आंटी अब किस के मजे ले रही थी, और मैं उनकी गांड दबा रहा था। मैं उनसे पूरा चिपक गया। उनके बूब्स मेरे सीने से चिपक कर गए दबने लगे।

आंटी: आसिफ यह गलत है। बस अब यही रुक जाओ, इससे आगे कुछ नहीं।

मैं: आंटी कुछ गलत नहीं। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। बस आप मेरा साथ दो।

आंटी: नहीं इतना साथ दे दिया बहुत है। इससे आगे मैं कुछ नहीं करना चाहती।

अब मेरी हवस ग़ुस्से में बदल रही थी। मैंने सारी का पल्लू नीचे गिरा दिया, और टूट पड़ा आंटी पर। उनके गले पर किस करने लगा, और उनके बूब्स दबाने लगा। आंटी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

आंटी: अम्म अहह आसिफ धीरे करो, इतना जोर से मत दबाओ, दर्द हो रहा है। उफ्फ़ आसिफ धीरे प्लीज।

मैं: साली अब मजा आया, जब मैं अपनी वाली पर आया।

मैं आंटी के बूब्स ब्लाउस के ऊपर से ही दबाने लगा। अब वो मेरे काबू आ गाई थी, और अब पूरा साथ दे रही थी। गले पर किस करके उनका गला लाल कार दिया। वो हाथ धीरे-धीरे मेरे लंड पर घुमाने लगी पेंट के ऊपर से।

आंटी: अहह, लगता है तेरा हथियार तो पूरा तन गया‌

मैं: हां आंटी, तुमको देख कर ही खड़ा हो गया पूरा‌।

अब आंटी भी पूरा साथ दे रही थी। मैंने उनके ब्लाउस की डोरी खोल दी। उनकी चिकनी पीठ पर हाथ फेरने लगा। हम दोनों बिल्कुल मदहोश हो गए थे एक-दूसरे में। अभी तो उनकी साड़ी भी नहीं उतारी, और वो पूरी गीली हो गई। मैं बूब्स और गांड दबाने लगा। फिर उनकी नाभी में ज़ुबान डाल कार चूसने लगा।

आंटी: ऐसे क्यूं कर रहा है? मुझे गुदगुदी हो रही है आसिफ।

मैंने उनकी नाभी में पूरा थूक भर दिया। उनका पेट चाट कर गीला कर दिया। फिर मैं उठा और बोला-

मैं: आंटी आपका चेहरा तो लाल हो गया पूरा।

आंटी: थोड़ा शर्म से, पर थोड़ा तूने प्यार किया, उससे लाल हो गया मेरा चेहरा।

मैं: अभी तो प्यार की शुरुवात की है मैंने। अभी तो पूरी मूवी बची है आपके साथ।

आंटी: हां तो किसने रोका है मेरे आसिफ, दिखा दे पूरी मूवी। मुझे भी तेरी मूवी देखनी है। देखती हूं कितनी देर चलती है।

मैं: हां जरूर मेरी सेक्सी आंटी। इतनी देर चलाऊंगा, थक जाएगी तू मेरे नीचे।

मैं फिर ब्लाउस के हुक खोलने लगा, पर इतने में कोई घर का दरवाजा ठोकने लगा। आंटी और मैं डर गए। आंटी अपने कपड़े सही करने लगी। वो कपड़े ठीक करती-करती बाहर आई। उनके बाल अभी भी बिखरे हुए थे, और मैं भी उनके पीछे-पीछे बाहर आ गया।

धन्यवाद आप सभी दोस्तों (महिला और पुरुश दोनों) का अपने मेरी कहानी पढ़ी। अगला भाग जल्द ही आपके सामने हाजिर होगा। अच्छे या बुरे कमेन्ट करके बताए जरूर कहानी कैसी लगी। khanabdulasif01@gmail.com

अगला भाग पढ़े:- दोस्त की मां की चुदाई उनके ही घर पर-2

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