दोस्त की बड़ी बहन काजल को पटा कर उनकी चूत फाड़ी-2 (Dost ki badi behan kajal ko patta kar unki chut faadi-2)

पिछला भाग पढ़े:- दोस्त की बड़ी बहन काजल को पटा कर उनकी चूत फाड़ी-1

फिर हम तीनों खाना खाए। शाम को हम मार्केट घूमने निकले, तो काजल दीदी को देख कर मैं उन्हें पटाने की सोचने लगा। पर मुझे खुद नहीं पता था कि जिन्हें मैं पटाना चाह रहा था, वो मुझसे पटेगी भी या नहीं। पर मैंने सोच लिया था कि पूरी कोशिश करनी थी उन्हें पटाने की और अगर ये पट गयी तो इनके साथ ही सब कुछ प्रोग्राम होगा अपना।

फिर मेरे दिमाग में आया कि अगर ये मना कर दीं तो फिर खड़े लंड पर धोखा हो जाएगा। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया कि मैं अपने बाथरूम में सीक्रेट कैमरा लगा देता हूं, और इनकी नहाने की तस्वीर निकाल लूंगा और वीडियो भी, और से जरिए चोदूंगा।

मेरे दिमाग में अब बैठ गया था कि उन्हें कैसे भी करके चोदना था, तो मैं शिवम से बोला, “भाई मुझे कुछ काम है, तुम दोनों चले जाओ, मैं कुछ देर में आता हूं।” और फिर मैं हिडेन कैमरा खरीदने चला गया। मैं तीन कैमरा लेकर आया और अब बारी थी उसे लगाने की। तो मैंने सोचा कल लगवा देंगे किसी को बुला कर। फिर दूसरे दिन मैंने अपने दूसरे दोस्त को बुलाया जो बहुत होशियार था।

उसे मैंने बता दिया कि क्या करना था, और उसे फ्लैट की एक चाबी देकर मैं फिर फ्लैट लौट आया, और उसे बोला,‌ “जब मैं बोलूंगा, उसके बाद जाकर काम कर देना।” और कैमरे को ट्यूबलाईट के पीछे छिपा कर लगाने को बोला, जिससे पूरा साफ साफ दिखे, पर काजल दीदी को पता ना चले।

फिर उस दिन मैं, काजल दीदी, और शिवम तोनो इंडिया गेट, लाल किला, लोटस टेंपल, कुतुबमीनार, अक्षरधाम सब जगह सुबह से शाम तक घूमे, और मैंने मौके-मौके पर काजल दीदी के साथ फोटो भी खिंचवा लिया, कभी उनके बगल तो कभी उनके पीछे खड़े होकर।‌ मैंने कुछ फोटो जान-बूझ कर काजल दीदी के मोबाईल में खिंचवाया ताकि फोटो भेजते समय उनका मोबाईल नम्बर मुझे मिल जाए।

फिर मैं शाम को फ्लैट पर आते समय उन दोनों को फ्लैट पर छोड़ कर अपनी कार लेकर अपने दोस्त के पास चला गया, और उससे पूछा काम हो गया तो वो बोला, “हां भाई काम हो गया, पर तुम ये सब क्यूं लगवाए हो?” तो मैंने बोला, “समय आने पर पता चल जाएगा तुम्हे भी, फिलहाल चाबी दो फ्लैट की।” और फिर उसने मेरे मोबाईल से कैमरे को ऑपरेट कर दिया।

फिर मैं रूम पर आया तो देखा दोनों लेटे थे। तो मैंने शिवम से बोला, “क्या हुआ भाई?” तो वो बोला कि, “थक गया भाई।” तो मैंने काजल दीदी से बोला, “आप भी थक गयी हो क्या दीदी?” तो वो सिर हिलाकर हां में जवाब दी। तो मैंने बोला, “ठीक है, आराम कर लो आप दोनों।” फिर कुछ देर में शिवम तो सो गया थकान की वजह से।

रात हो गयी। शाम के 7 बज गए, तो मैं खाना बनाने लगा। तभी कुकर की सीटी की आवाज सुन कर काजल दीदी आई और मेरा हाथ बंटाने लगी। तो मैं उन्हें मना करने लगा, पर वो मान नहीं रही थी‌। जब मैंने उनका हाथ पकड़ लिया तो वो मुझे देखने लगी, पर मैंने हाथ छोड़ा नहीं और उन्हें अपने कमरे में ले गया। वो मुझे देख ही रही थी, पलक भी नहीं झपक रही थी।

मैंने उन्हें अपने बेड पर बैठाया और बोला कि, “आप यहीं पर बैठो, आराम करो।” और मैंने लाईन मारते हुए बोला, “मैं खाना बना रहा हूं ना। आपके ये कोमल हाथ खाना पकाने के लिए नहीं हैं, और मेरे रहते तो कभी नहीं।”

तो काजल दीदी तुरन्त मुस्कुरा कर बोली, “तो फिर ये कोमल हाथ क्या करने के लिए हैं?” मैं मुस्कुराया और फिर बिना कुछ बोले किचन में आने लगा। काजल दीदी फिर पीछे-पीछे आने लगी। तो मैं तुरन्त मुड़ा तो वो मुझसे टकरा गयी। उनकी चूचियां मेरे सीने से दब गई, पर मैं उस पर ना ध्यान देते हुए उनका हाथ पकड़ कर उन्हें अपने बेड पर फिर से बैठाया और बोला कि, “आप यहीं बैठी रहो ना प्लीज, मैं खाना बना देता हूं, आप आराम कर लीजिए।”

फिर मैं आकर खाना बनाने लगा,‌पर काजल दीदी मानी नहीं और वो आकर फिर आटा गूंथने लगी। तो उनकी जुल्फें बार-बार आगे आ-जा रही थी। तो वो बोली, “सूरज ये जुल्फें पीछे कर दो ना।” मैं दीदी की जुल्फे पकड़ कर पीछे किया, तो मेरे हाथ उनके गालों पर छू गए।

मैंने देखा काजल दीदी को जैसे कुछ करंट सा लगा, और फिर हम दोनों मिल कर खाना बना रहे थे। तभी दीदी बोली कि, “सूरज वो लड़की बहुत खुशनसीब होगी जिसकी तुमसे शादी होगी।” तो मैंने भी बोल दिया, “यही बात मैं भी आपको बोल सकता हूं, वो लड़का खुशनसीब होगा जिसको आप मिलोगी।”

तो दीदी बोली,‌ ‘बातें अच्छी करते हो।” मैंने बोला, “बहुत कुछ अच्छा कर लेता हूं।” दीदी बोली, “क्या-क्या अच्छा कर लेते हो?” तो मैंने बोला, “वक्त आने पर आपको पता चल जाएगा।” दीदी भी कुछ-कुछ समझने लगी थी, पर वो खुद नहीं बोलना चाह रही थी कुछ। फिर खाना बन गया तो मैंने शिवम को उठाया और वो खाना खाया। तभी शिवम को माया का काल आया तो वो हमसे बोल कर गया, “कुछ देर में आऊंगा, तुम दोनों खा-पी कर सो जाना।” मुझे भी खुशी हुई कि चलो कुछ बात बन सकती थी तो आज बना लेते हैं।

फिर हम दोनों खाने के बाद हाल में बैठे थे, और बस बातें कर रहे थे कि यहां घूमना था वहां घूमना था। फिर तभी शिवम का काल आया कि, “दीदी सुबह आऊंगा।” तो दीदी मुझसे पूछने लगी,‌ “कहां गया है?” मैंने सोचा मौके का फायदा उठा कर उसी बात पर चलते हैं, तभी कुछ बात बनेगी, और मैंने बोला, “माया से मिलने।”

तो दीदी बोली, “ये कौन है?” मैंने बोला, “शिवम की गर्लफ्रेन्ड है।” फिर शिवम और माया के बारे में जानकारी लेने के बाद, काजल दीदी मुझसे पूंछी कि, “तुम्हारी गर्लफ्रेन्ड का क्या नाम है।” मैंने बोला, “मेरी कोई नहीं है।” तो दीदी बोली कि, “झूठ मत बोलो, ऐसा हो ही नहीं सकता।” तो मैंने बोला, “आपकी कसम, कोई नहीं है मेरी।”

फिर दीदी शान्त हो गयी तो मैंने भी पूंछ लिया, “आपके ब्वायफ्रेन्ड का क्या नाम है?” वो भी बोली, “कोई नहीं।” तो मैंने बोला, “दीदी आपको देख कर लगता नहीं कि आपका कोई नहीं है।” वो भी बोली कि, “तुम्हारी कसम।”

फिर वो बोली कि, “देख कर लगता नहीं का क्या मतलब सूरज?” तो मैंने बोला, “दीदी आप गुस्सा ना हो तो बोलूं।” वो बोली, “अरे दोस्त हूं अब तुम्हारी, बोलो-बोलो।”

मैंने दीदी से क्या बोला, और आगे क्या हुआ, वो सब अगले पार्ट में।

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