This story is part of the अगर मुझसे मोहब्बत है series
करूंगा ख्वाहिशें तेरी पूरी मैं तुझ को पाने को।
नहीं छोडूंगा मैं तुझ को भले छोडूं जमाने को।
रहेगी होके तू मेरी चुदायेगी तू जब मुझसे
चुदेग़ी ऐसे तगड़ी के ना होगी दूर तब मुझ से।
रीता बोली, “भारतीय नारियों की एक खासियत होती है कि उनको जब मना करना हो तो साफ़-साफ़ शब्दों में सख्ती से मना करती हैं। और अगर ज्यादा आग्रह किया जाए, तो जोर से चिल्लाने लगती हैं। अगर उनका थोड़ा सा भी मन हो तो कहती है ”प्लीज ऐसा मत करो, मुझे परेशान मत करो, अब जाओ यहां से, इत्यादि।’ अगर ‘हां’ कहनी है और अगर उसका पूरा मन है, तो कहती हैं ‘पता नहीं, देखते है।’ और सवाल को टालने की कोशिश करती है। अगर कोई नारी ‘हां’ कहे तो समझना कि वह भारतीय नारी नहीं हो सकती।”
सूरज ने कुछ आश्चर्य से कहा, “अच्छा? यह तो मुझे मालुम नहीं था।“
फिर कुछ रुक कर रीता की आँखों में आँखें डाल कर सूरज ने कुछ शरारती ढंग से पूछा, “तो तुम मेरे सवाल के जवाब में क्या कहती हो? हां या ना?”
रीता ने अपनी आँखें निची कर सूरज को शरारत भरी मुस्कान देते हुए कहा, “पता नहीं। देखो क्या होता है। अब इस बात को छोड़ो भी।”
फिर रीता ने सूरज का हाथ थाम कर कुछ गंभीरता से पूछा, “पर मुझे आप से एक बात पूछनी है। आपने कहा कि आपने मेरे लिए ख़ास प्रोग्राम रखा है? आज तो मेरी स्कूल का एक फंक्शन है, जिसमें मेरा डांस भी है। तो फिर आपका क्या प्रोग्राम है? ज़रा बताइये तो सही।”
सूरज ने हंस कर आगे बढ़ते हुए कहा, “पता नहीं। अब इस बात को छोड़ो भी। यह एक सरप्राइज़ है। तुम्हें खुद ही जल्द पता लग जाएगा।”
रीता ने सूरज को कमर से पकड़ने कोशिश करते हुए मुंह कुछ रुइयां सा बना कर पूछा, “आप अभी बता नहीं सकते क्या? बताइये ना, प्लीज? क्या सरप्राइज़ है?”
सूरज ने आगे बढ़ जाते हुए कहा, “यह तुम्हारी जिंदगी का सबसे बड़ा सरप्राइज़ होगा। थोड़ा इंतजार करो।”
रीता के मुंह की लार का स्वाद सूरज की जीभ से जा ही नहीं रहा था। रीता के हाल पर खुदबखुद मुस्कुराता हुआ वह आगे बढ़ा। उसने किरण को अपने पास बुला लिया, और कुछ बातें करते हुए वह दोनों रिसोर्ट में अपने कमरे की ओर चल दिए।
सूरज से अलग होने के बाद रीता ने मेरी ओर देखा, और अचानक उसे एहसास हुआ कि मैं उसकी सारी हरकतें देख रहा था। रीता के गाल शर्म के मारे लाल हो गए जैसे उसने कोई गुनाह किया हो।
वह सीधी मेरे पास आयी, और मुझे बोली, “यार यह तो बड़ी गड़बड़ हो गयी। आप लोग ना, कुछ ना कुछ ऐसा करते हो और मुझे बड़े लफड़े में फसा देते हो। आप ने मुझे सूरज को अपने पति की तरह मान कर शुक्रिया अदा करने को कहा था।
जब मैंने जा कर सूरज को गाल पर किस की तो उन्होंने मुझे उठा कर कमर पर बिठा कर होंठों पर ही किस मार दी। मैंने उन्हें जब कहा कि मेरे पति ने आज के लिए मुझे सारे रीती रिवाज भूल कर और सारी मर्यादाओं को तोड़ कर आपको पूरे प्यार से शुक्रिया करने को कहा है, तो यह सुन कर सूरज ने मुझे साफ़-साफ़ पूछा कि ऐसे में मेरे पति क्या सिर्फ एक किस से संतुष्ट होते?
अगर मुझे उन को एक पत्नी की तरह प्यार से ही शुक्रिया करना है, तो मैं पूरी तरह वह सब करूं जो एक पत्नी-पति के लिए करती है। उनका मतलब साफ़ था। आप तो जानते ही हो कि वह मुझसे क्या चाहते हैं। आप बताओ अब मैं क्या करूं?”
मैंने कहा, “मैं जानता हूं वह तुम्हें चोदना चाहता है, तुम भी यह जानती हो। अब इस में फ़ालतू में तुम्हें परेशान होने की क्या बात है? आज सूरज और किरण ने तुम्हारे जन्म दिवस के उपलक्ष्य में कुछ प्रोग्राम रखे हैं। हम स्विंमिंगपूल में जाएंगे, उनके साथ तैरेंगे, कुछ गेम्स खेलेंगे, कुछ मस्ती करेंगे। तुम्हें आज पता चलेगा कि सूरज तुम्हें कितना प्यार करते हैं। आज हम यहां मौज मस्ती के लिए आये हैं और मौज मस्ती करेंगे। ये जवानी का समय है जिसे हमें पूरी तरह से एन्जॉय करना है।
तो मैं तुमसे यही कहूंगा कि तुम आज का दिन, आज की शाम, और आज की रात बिना रोक टोक के पूरी तरह से एक-दूसरे के साथ एन्जॉय करो और करने दो प्लीज। कल से हमें फिर से वही रोजमर्रा की बोझिल जिंदगी में वापस जुट जाना है। तो आज जो होता है, वह सब होने दो। जब हम सब एक-दूसरे से इतना प्यार करते हैं तो एक-दूसरे को एन्जॉय भी क्यों ना करें? उसमें गलत क्या है?”
रीता ने मेरी और नीची नजरें कर शिकायत के अंदाज से पूछा, “मैं जानती हूं कि तुम और किरण ने मिल कर यह सारा खेल मुझे बलि का बकरा बना कर और मुझे सूरज के हवाले हलाल कर के अपनी इच्छा पूरी करने के लिए किया है। याद रखना कि मैं तुम्हारी बीवी हूं। तुम मुझे यह साफ़-साफ़ बताओ कि तुम मुझसे क्या चाहते हो, और मैं करूं तो क्या करूं? और यह भी बताओ कि तुम मुझे सूरज को सौंप कर किरण के साथ क्या करोगे?”
बातों-बातों में रीता ने मुझे कह दिया कि वह जान गयी थी, कि मैं उसे सूरज के हवाले करने जा रहा हूं। पर उससे भी ख़ास बात यह थी कि रीता ने उसमें कोई आपत्ति नहीं जताई।
मैंने रीता से पूछा, “तुम मेरी बीवी हो और हमेशा रहोगी। आज कुछ भी होने से यह नहीं बदलेगा। तुम्हें कुछ नहीं करना है। तुम्हें सिर्फ यह देखना है कि सूरज तुम्हें पाने के लिए क्या-क्या करता है। अगर सूरज तुम्हें सही लगता है, और तुम्हारी परीक्षा में खरा उतरता है, तो ठीक है। तुम पूरी तरह से उसका साथ दो और उसके साथ पूरी तरह से एन्जॉय करो। फिर तुम्हें उसे बिल्कुल नहीं रोकना है, बल्कि मैं कहूंगा कि तुम्हें उसे पूरा सहयोग देना है। उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करना है, आकर्षित करना है।
अगर सूरज तुम्हारे परिक्षण में पास ना हो जाता है तो तुम उसे बेशक रिजेक्ट कर के रोक लो। हम बिल्ल्कुल आगे नहीं बढ़ेंगे। पर यह निर्णय तुम्हारा होगा। और तुम्हारा जो भी निर्णय हो मैं उससे सहमत ही रहूंगा। जहां तक किरण का सवाल है, तो तुम बताओ कि मैं और किरण एक साथ मिल कर मस्ती करें तो क्या तुम्हें कोई एतराज है?”
रीता ने शरारती लहजे में मुस्कुराते हुए टेढ़ा मुंह करके कहा, “मैं अगर एतराज भी करुंगी तो क्या तुम किरण को छोड़ोगे क्या?”
मैंने भी उसी लहजे में हसते हुए कहा, “हम छोड़ने की बात नहीं करेंगे, हम चोदने की बात करेंगे।”
रीता हल्की सी मुस्कुराती हुई मेरा हाथ थाम कर रिसोर्ट में हमारे कमरे की ओर चल पड़ती हुई बोली, “ना बाबा, यह सब मुझसे नहीं होगा। मैं कुछ नहीं कर पाउंगी। तुम मेरे पति हो मेरे साथ जो तुम चाहे करो, मैं तुम्हारे साथ हूं। मैं वादा करती हूं कि मैं तुम्हारा साथ दूंगी, और पहले की तरह मैं रंग में भंग नहीं करुंगी, बस। बाकी मुझ में कुछ भी करने की हिम्मत नहीं है।”
मैंने रीता की ठुड्डी पकड़ कर रीता की आँखों में आँखें डाल कर कहा, “कोई बात नहीं। तुम अपने आप कुछ भी मत करना। मैं जो कहूं तुम वही करना। हमें पूरा साथ देना और कोई विरोध मत करना बस?”
रीता ने अपनी पलकें झुकाते हुए एक बार आँखें मटका कर हल्का सा मुस्कुरा कर मुझे कहा, “क्या मैंने कभी आपकी बात का विरोध किया है?” यह कह कर रीता ने मुझे अपनी सहमति दे दी।
मैंने यह महसूस किया कि किरण के पति सूरज के प्रति मेरी पत्नी का रवैया एक घंटे में ही कितना बदल गया था। जो पत्नी मुझे सूरज की शरारत के बारे में इतनी शिकायत कर रही थी, वह खुद ही सूरज की कमर पर चढ़ कर सूरज का उसे होंठों पर चुम्बन करना बिना विरोध स्वीकार कर रही थी। मेरे लिए वह हादसा मेरी जिंदगी का शायद सबसे ज्यादा रोमांटिक हादसा था। मुझे काफी यकीन हो चला था कि अगर कोई ख़ास गड़बड़ ना हुई तो रीता को किसी गैर मर्द से चुदवाने का मेरा सपना सूरज के द्वारा शायद उसी दिन ही पूरा होने वाला था।
पर एक बात मेरी समझ में आयी, कि लाज और शर्म के कारण रीता अपने आप कुछ नहीं करेगी। उसे थोड़ा मजबूर तो करना पड़ेगा। अक्सर हर औरत शुरुआत में चुदाई करवाने के लिए मर्द ही पहल करे यह चाहती है। रीता ने भी इशारों-इशारों में यह कह दिया।
हमने जैसे ही रिसोर्ट में कदम रखा तो पाया की सूरज और उनकी पत्नी किरण रिसेप्शन में ही एक सोफे पर बैठे हुए थे। हमें देखते ही सूरज ने खड़े हो कर हमारी अगुआई की, और हमें साथ में लेकर वह और किरण हमारे साथ हमारे कमरे की और बढ़े। सूरज ने एक स्वीट बुक करा रखा था। स्वीट में दो बैडरूम थे और बीच में एक सिटींग रूम था। हमारे कमरे में हमारा सामान आ चुका था।
सूरज ने कमरे में आते ही हमें यह हिदायत दी कि कमरे में चाय नाश्ता करने के बाद ठीक पांच बजे हमें तैयार हो कर बाहर आना था। वहां से हम नजदीक में ही सूरज के फार्महाउस पर जाएंगे। वहां सूरज के निजी प्राइवेट स्विंमिंगपूल में स्विमिंग करके हम वापस आएंगे। उसके बाद उसी रिसोर्ट में उस शाम को रीता के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में एक ख़ास सरप्राइज़ कार्यक्रम होगा, जिसमें ड्रिंक्स और डिनर भी होगा। उसके बाद रात को हम अपने कमरे में विश्राम कर दूसरी सुबह अपने-अपने घर चले जाएंगे।
रीता यह सुन कर अचम्भे से मेरी ओर देखने लगी। रीता ने मुझे कुछ गुस्से से कहा, “मेरे लिए ख़ास प्रोग्राम है, और वह भी सरप्राइज़ है? मेरा डांस तो स्कूल के छोटे से फंक्शन में ही है। इसमें क्या सरप्राइज़ है? और फिर स्विमिंग के लिए भी जाना है? यह सरप्राइज़ जरूर है। क्यों की मेरे पास कोई एक्स्ट्रा कपड़े या स्विंमिंगसुट नहीं हैं।”
मैंने सूरज की ओर देखा। सूरज ने शायद रीता की उलझन पहले से ही समझ ली थी। सूरज रीता के पास आकर बोला, “सब ने तो तुम्हें जन्म दिवस पर तोहफे दिए और तुमने स्वीकार भी किए, पर तुम्हारे जन्मदिवस पर मैंने कोई तोहफा तुम्हें नहीं दिया। मेरा भी तो हक़ बनता है तुम्हें तोहफा देने का। मेरा एक बहुत ही छोटा तोहफा है। क्या तुम स्वीकार करोगी उसे?”
रीता ने सूरज का हाथ थाम कर सूरज के हाथ को बड़े प्यार से सहलाते हुए सूरज से आँखें मिलाते हुए कहा, “सबसे बड़ा तोहफा तो मेरे जन्म दिवस मना कर आप ने दे ही दिया है। इससे बड़ा तोहफा क्या हो सकता है भला? अब मुझे कोई तोहफे की अपेक्षा नहीं।”
रीता की बात सुन कर सूरज कुछ झेंप सा गया। रीता ने भी यह देखा। मैंने रीता के पास जा कर उसके हाथ दबाए। मेरा इशारा था कि किसी अपने का दिया हुआ तोहफे को वापस नहीं करते। मेरे इशारे को समझती हुई रीता ने फ़ौरन अपनी बात को ठीक करते हुए कहा, “फिर भी अगर आप कुछ देना ही चाहते हैं तो आपकी दी हुई हर चीज़ मेरी सर आँखों पर।”
सूरज ने एक बक्सा पास में पड़े हुए टेबल के ऊपर से उठाया, और रीता को दिया, और कहा, “मेरा तोहफा बड़ा नहीं है। यह रहा मेरी तरफ से एक बहुत ही छोटा तोहफा। यह बिल्कुल छोटा है। क्या तुम उसे स्वीकार करोगी, और अगर सही लगे तो क्या उसे आज पहनोगी?”
रीता ने बक्सा लेते हुए कहा, “आपका गिफ्ट मैं कैसे मना कर सकती हूं भला? क्यों नहीं पहनूंगी मैं उसे? क्या है इसमें?”