हेलो दोस्तो, सबसे पहले मैं आप सब का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि आपने मेरी पिछली कहानी “चुदाई की बात, भूली न वो रात” को बहुत पसंद किया।
मेरी यह ख्वाहिश है की मैं हमेशा आप सब दोस्तों को अच्छी से अच्छी कहानी जो की रियल लाइफ स्टोरी हो वह सुनाऊं. और आप सब को आंनदित करूँ।
दोस्तों मैंने अपनी जिंदगी में सेक्स बहुत जियादा किया है पर में जब भी सेक्स करता हूँ, मेरी हमेशा कोशिश होती है कि लड़की की बदनामी न हो और उसे मुझसे चूत मरवाने का मज़ा भी पूरा आये। मैं किसी से भी रिश्ता रखता हूँ तो एक सीक्रेट रखता हूँ ताकि लड़की या उस भाभी के जीवन मैं कोई प्रॉब्लम न हो और वह चूत चुदाई के मजे भी ले सके।
जैसे कि आपने पिछली सेक्स कहानी में पढ़ा की कैसे मैंने रजनी की दबा के चूत मारी और उसे पता भी नहीं लगने दिया।उसे मैंने बाद में दोस्त बनाया और वह आज तक मेरी दोस्त है और उसे यह भी नहीं पता की मैंने उसकी ताबड़ तोड़ चुदाई की थी।
मैं ज़ियादातर ऐसे ही चुदाई करता हूँ मैं चोद भी जाता हूँ और पता भी नहीं लगने देता कि कौन चुदाई कर गया।ऎसी ही एक और कहानी आप लोगो को सुनाने जा रहा हूँ जिसको सुनके आप लोगो को पता चलेगा की कभी कभी किसी चूत चुदाई भलाई का काम भी होता है।
दोस्तों यह बात आज से पांच साल पहले की है जब मैं एक कंपनी मैं सेल्स मैनेजर के तोर पर काम कर रहा था. वहां पर रिसेप्शन पर एक लड़की आशु जो की आँखों से अंधी थीi क्यों की रिसेप्शन पर सिर्फ कॉल्स अटेंड करनी होती थी और वह कंपनी के डायरेक्टर की भांजी भी थी उसे नौकरी पर रख लिया गया था।
वह चाहे आँखों से अंधी थी पर थी गजब की खूबसूरत, उसकी मस्त फिगर वाह, उसकी चूचियाँ छोटी पर कसी हुयी थी, रंग गोरा , गांड मस्त जब वह चलती थी तो लगता था सारी दुनिया उसी की मस्त गांड की ताल पर थिरकती है।मैं कभी कभी सोचता था कि कैसा लगे अगर यह नंगी हो कर चले।
कैसा हो अगर मैं उसकी मस्त चूचियों को चाट चाट कर लाल कर दूं और उसकी चूत मैं अपना लोहे जैसा लण्ड पेल कर उसकी चूत को निम्बू कि तरह निचोड़ दू।पर दोस्तों उसके इतना सेक्सी होने के बाद मुझे उस पर तरस आ जाता था और मैं अपने आप को उससे दूर ही रखता था.
क्यों कि एक ही कंपनी होने के कारन कोई न कोई काम पड़ता रहता थी तो, कुछ दिन बाद मेरी उससे दोस्ती हो गयी और हम अच्छे दोस्त बन गए। धीरे धीरे छह महीने बीत गए और हमारी दोस्ती और गहरी हो गयी. वह मुझसे दिल की हर बात कर लेती थी।
एक दिन बारिश होने की वजह से सारा स्टाफ लेट था पर मैं और आशु ऑफिस आ चुके थे. थोड़ी देर बाद डायरेक्टर का फ़ोन आया आज सारे स्टाफ को छुट्टी है क्यों की मौसम विभाग के अनुसार बारिश रात तक नहीं रुकेगी।
मैंने सोचा की ऑफिस तो आ ही गए है तो क्यों न ऑफिस बॉय से बोल कर चाय वगैहरा पि ली जाये मैंने आशु को बोल की तुम भी मेरे केबिन में आ जाओ क्यों की आज कोई काम भी नहीं है और छुट्टी भी हो गयी है।
आशु क्यों की मेरी अच्छी दोस्त थी वह मेरे केबिन में आकर बातें करने लगी, वह थोड़ी भीग चुकी थी और उसे ठण्ड भी लग रही थी वह सिकुड़ कर बैठ गयी और अपने हाथों को बगल मैं दबा लिया।
मैंने देखा की हाथों को बगलों में दबने से उसकी गोरी मस्त रसीली चूचियाँ उभर कर बाहर आ गयी और क्या मस्त लग रही थी दिल तो कर रहा थी की अभी इनको मसलकर लाल कर दूं और इतना चूसु की यह सारे कपडे उतार के मुझसे चूत चुदवाने के लिए मिन्नते करे, पर बात वही थी की अंधी होने के कारण मुझे उस पर तरस आ गया और अपने आप को रोकना पड़ा।
जब बातें चलने लगी तो मैंने आशु से पूछा की क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड है?? वह बात करते करते चुप कर गयी। मैं डर गया की कहीं मेरी बात का बुरा न मान जाये।
पर थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली की नहीं है और इतना बोलते ही वह रोने लगी। मैंने उसे चुप करते हुए पूछा की तुम रोने क्यों लगी ??
वह बोली सर आज तक जब भी किसी ने मुझे देखा है तो बस तरस की नज़र से न की अपनी गर्लफ्रेंड की नज़र से। लोगो को शयद यह लगता है की मैं सिर्फ तरस खाने की चीज़ हूँ, प्यार करने की नहीं, उन्हें मैं सिर्फ और सिर्फ मजबूर लगती हूँ और कुछ लोग तो मुझसे बात करने से भी कतराते हैं की जैसे मैं एक भोझ बन जाऊंगी उनके लिए..
आप ही बताओ की कौन ऐसे लड़की को प्यार करेगा और शादी करेगा जो अंधी हो, आप बताओ की क्या आप करोगे बताइए, इस अंधी लड़की का भी दिल करता है वह सब करने का जो एक आम लड़की करती है मेरे अंदर भी आग लगती है सर, मेरा भी दिल करता है चुदा.. इतना कहते ही वह रुक गयी क्यों की वह इतनी इमोशनल हो चुकी थी की उसके मुंह से चुदाई जैसा शब्द निकलने जा रहा था।
उसके चुप होते ही कमरे मैं सन्नाटा छा गया, कुछ देर बाद वह बोली सॉरी सर मेरे मुंह से गन्दा शब्द निकलने वाला था. उसकी बात सुन कर मैं सन्न रह गया और बोल की कोई बात नहीं आशु।
कुछ देर बाद उसने बोला सर मैं ठीक कह रही हु न, कोई नहीं करेगा न मुझे प्यार, मैं तरसती रह जाऊंगी सारी ज़िंदगी और ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
मैं समझ चूका था कि इस लड़की कि चूत में चुदाई के बहुत कीड़े रेंग रहे है और इसको जैसे तैसे लण्ड चाहिए, मैंने अपनी चेयर से बिना उठे उसे चुप रहने को बोला पर जैसे ही उसने चुप किया, वैसे ही वही सवाल पूछा क्या आप करोगे अंधी लड़की से फ्रेंडशिप।
उसकी बात सुनकर पहले तो मेरे मन मैं आया कि मैं अभी इसको टेबल पर लिटाके चोद डालूं और इसके चूत के अंदर की आग बुझा दूँ और उसकी चूचियाँ की वजह से तो पहले ही मेरा भी लण्ड तन कर पैंट फाड़ने को बेक़रार था।
मैं उठने लगा पर तभी मैं सोचा की यार यह तो मेरा चोदने का स्टाइल नहीं है और मेरी शादी हुए को भी अभो दो महीने हुए थे। कहीं यह आशु मेरी चुदाई के बाद सीरियस न हो जाये क्यों की आपने तो पिछली कहानी मैं पढ़ा ही है की मैं कैसे चुदाई करता हूँ।
मेरी की गयी चुदाई को भूलना आसान नहीं है और इसने तो अभी किसी का लण्ड भी नहीं चखा है। यह तो मेरे बारे में सब जानती है मैं नहीं चाहता था कि मेरी और इसकी बदनामी हो जाये। मैं उठते उठते बैठ गया और वह रोती रही।
उसको रोते देख मैं बोला आशु तुम फ़िक्र न करो और कोई न कोई तुम्हारे लिए भी होगा जो तुम्हे प्यार करेगा और वह सब करेगा जो आम लड़कियों के साथ होता है और मुझे पूरा विशवाश है कि यह सब जल्द होगा। मेरी बात सुनकर वह शर्मा गयी और बोली कि सर आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हो??
मैंने उसका सवाल सुनकर सोचा कि अब मैं इसको क्या कहूं कि मुझे इतना यकीन क्यों है मैंने कुछ देर सोचा और बोला आशु यहाँ लुधिआना में फिरोज़पुर रोड पर एक पीरों-पैगंबरों की जगह है, तुम वहां जाकर मन्नत मांगो मैंने सुना है की वहां हर मन्नत पूरी होती है, तुम भी वहां जाकर मन्नत मांगो, मुझे पूरा यकीन है कि तुम्हारी मन्नत पूरी होगी और तुम्हें भी प्यार करने वाला (यानि के चोदने वाला मिल ही जायेगा) उसने मेरी बात सुनकर हां में सर हिलाया और बोली ठीक है में इस वीरवार को ही जाऊंगी मन्नत मांगने और देखती हूँ आप कि बात कितनी सच्ची है।
वो दिन वैसे ही उससे बाते करते करते बीता और उसके कुछ दिन बाद उसने मुझे बताया कि वह कल मन्नत मान कर आई है। उसने कहा कि अगर उसकी मन्नत न पूरी हुई तो वह मुझे ही अपना बॉय फ्रेंड मान लेगी. मैं उसकी बात सुनकर हँसा और बोला ठीक है आशु अगर मन्नत न पूरी हुई तो तुम जो बोलोगी में करूंगा।
दोस्तों आप लोग सोच रहे होंगे कि मुझे कैसे पता कि उसकी मन्नत पूरी होगी, तो दोस्तों उसकी मन्नत पूरी होने वाली थी, जानते हो क्यों होने वाली थी उसकी मन्नत पूरी..
क्यों कि उस दिन उसको रोते हु देख कर मैंने फैसला कर लिया था कि मैं इसको ज़रूर चोदुंगा और ऐसा चोदुंगा कि यह सुबह शाम मेरे लण्ड कि आरती उतारते हुए नहीं थकेगी।
पर मैं चाहता था कि मेरी पहचान इसके सामने गुप्त रहे और मैं इसको कुछ साल चोदता भी रहूँ और फिर शुरू हुई प्लानिंग आशु को दबा के चोदने क़ी और आप जानते है कि मेरा प्लान तो का गजब का होता है।
कुछ दिन सोचने के बाद मैंने एक ज़बरदस्त प्लान बनाया कि आशु को चोद भी दूँ और उसको पता भी न चले कि कौन चोद गया, मेरे पास आशु का मोबाइल नंबर तो था पर मैने कॉल करना ठीक नहीं समझा क्यों कि आशु मेरी आवाज पहचान सकती थी। पर मैंने आशु को किसी न किसी तरह से छेड़ना शुरू कर दिया।
क्यों कि मुझे पता था कि वह चुदाई के लिए मरी जा रही और किसी कि भी हरकत का जवाब नहीं देगी और अंधी होने के कारण किसी को देख भी नहीं सकती थी कि उसे कौन छेड़ रहा है हमारे ऑफिस में सत्ताइस लोग थे और शरारत तो कोई भी कर सकता था।
इसी लिए मैने कभी वह किसी काम के लिए झुकती तो मौका देख कर में उसकी कुंवारी गांड में हलकी सी ऊँगली दे देता कभी चुटकी काट देता।
कभी उसकी चूचियों को दबा कर पीछे हट जाता, धीरे धीरे उसको भी इन सब बातों में मज़ा आने लगा, वह जान बूझ कर बार बार झुकती अपनी गांड को उठा उठा कर चलती कभी स्कर्ट पहनकर और कभी पतली सी परदर्शी सलवार पहन कर आती ताकि जो उसको छेड़ता था वह उसे और छेड़े, वह मुझे छोड कर सब पर शक करती थी क्यों कि मुझे तो वह पहले ही फ्रेंडशिप ऑफर कर चुकी थी।
इसी लिए वह जो कुछ उसकी साथ हो रहा था सब मुझे बता देती थी, में भी उससे बार बार कहता था कि तुम्हारी मन्नत अब पूरी होने वाली है और मन ही मन में हस देता था, कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा और फिर वह दिन आया जिस दिन उसकी सील तुड़वाई और और उसकी ज़िंदगी का पहला लण्ड मिलने वाला था।
कंपनी के एक अकाउंट अफसर कि शादी थी और उसने सभी को इनविटेशन दिया था। आशु को मैंने पहले ही कह दिया था कि वह ज़रूर आये हो सकता है उसे छेड़ने वाला उससे बात कर ही ले। पार्टी बहुत बड़े होटल में थी और मैंने पहले ही होटल मैनेजर से सेटिंग करके एक रूम अपने लिए बुक कर लिया था।
पार्टी का दिन आया और मैं तैयार हो कर पार्टी पर पंहुचा। मैंने देखा कि आशु तो मुझसे पहले पहुंची हुई है और माँ कसम वह तो गजब कि लग रही थी उसने लहंगा चोली पहन रखा था और कोई भी चुनरी नहीं ले राखी थी।
में तो उसकी मस्त जवानी देख कर मर जा रहा था और मेरा लण्ड उसकी उभरे हुए चूतड़ और दूध जैसी चूचियाँ देख कर फटने को था और यह सोच कर कि उसे आज सील बंद लोंडिया पेलने का मौका मिलेगा और झटके पर झटके मार रहा था।
मैंने उसे बुलाया नहीं क्यों कि मैं नहीं चाहता था कि बाद में वह मुझे मेरे लगाए हुए परफ्यूम से पहचान ले क्यों कि दोस्तों अंधे लोगो कि दूसरी इन्द्रियां बहुत तेज़ होती है, जैसे सूंघने और सुनने कि इंद्री. मैंने उसके पास से जाते जाते उसकी नरम रुई जैसी गांड को सहला दिया और वह समझ गयी कि ऑफिस में जी उसे छेड़ता है वह भी पार्टी में आ चूका है।
मुझे अब उससे बात करनी थी और मैंने अपनी आवाज बदलने का भी एक तरीका ढूढ़ लिया था। मैंने अपने जीभ के नीचे पान रख लिया और मुंह में कुछ रख कर बात करने से आप सभी जानते है कि आवाज़ बिलकुल बदल जाती है। पर मैं जियादा नहीं बोलना चाह रहा था।
तभी मैं आशु जो कि गेट के पास खड़ी किसी का इंतज़ार कर रही थी पास एक वेटर को भेजा उसने आशु को कहा की आपको किसी ने रिसेप्शन पर बुलाया है।
मैं वहां से अपने रूम में चला गया और आशु रिसेप्शन पर चली गयी। मैंने पहले ही रिसेप्शनिस्ट को बोल रखा था की अगर आशु नाम की कोई लड़की आये तो उसे किसी वेटर की साथ रूम नंबर 44 में भेज दे। मुझे पता था की होटल में पार्टी चल रही है तो किसी को शक भी नहीं होगा।
मैं रूम में बैठा था की तभी तकरीबन पंद्रह मिनट के बाद बेल बजी और में उठकर दरवाज़ा खोला, वेटर बेल बजाकर जा चुका था और आशु बिलकुल नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी वह डरी भी हुयी थी पर उसकी प्यासी चूत की आग आज उसको एक अजनबी के कमरे में ले आई थी और आज वह जम के चुदने वाली थी।
मैंने आशु को हाथ से पड़ा और उसके हाथ को चूमा, आशु को ज़ोर का झटका लगा और वह सर से पैर तक कांप गयी। उसने पूछा आप कौन है?? मैंने जवाब न देते हुए उसके गुलाबी सुर्ख होठो पर ऊँगली रख दी और उसे कमरे के अंदर खींच लिया. मैंने जैसे ही कुण्डी लगायी आशु डर गयी और बोली यह आप क्या कर रहे है।
मैं कुछ न बोला और मैंने सीधा जाकर उसको बाँहों में जकड लिया मैंने बिना कुछ बोले ही उसके रसीले होठों को चूमना शुरू कर दिया। यह आप क्या कर रहे है।
वह बोली पर उसके सवाल में भी नरमी थी, मैंने वक़्त न गवाते हुए उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी और अपनी जीभ में इधर उधर घूमने लगा, मेरा इतना करते ही उसकी बोलती बंद हो गयी और वह भी मेरी जीभ को चूसने लग गयी।
में समझ गया की आशु जो की एक हफ्ते पहले तक खुद को एक बेचारी समझ रही थी आज रंडी की तरह होटल में चुदने को बेकरार है।
उसको चूमते चूमते में उसके चेहरे की रंगत देख रहा था, उसका गोरा रंग अब गुलाबी हो चुका था, मैंने चूमने के इलवा कोई भी हरकत नहीं की क्यों की में चाहता थी की मैं आशु को इतनी गरम करू की वह खुद मेरे हाथ पकड़ कर वहां वहां ले कर जाए जहाँ जहाँ उसके आग लगी हुई है और उसने किया भी..
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और मेरी मेल आई डी है “competentdomains@gmail.com”.