ककोल्ड दोस्त की मां को दोस्त की मदद से चोदा-1 (Cuckold Dost Ki Maa Ko Dost Ki Madad Se Choda-1)

हैलो दोस्तों, मैं आसिफ आपका स्वागत करता हूं एक नई चुदाई की कहानी में। यह कहानी मेरे दोस्त की मां और मेरी चुदाई की है,‌ मेरे दोस्त की मदद से। मेरे दोस्त का नाम बंटी है। वो मेरी उम्र का है, और उसकी मां सुनीता सुंदर सेक्सी मां 43 की है, और फिगर भी कमाल का है।

हम दोनों जवान दोस्त भाभी आंटी की बात करते रहते थे, उनको पटाने की, उनको चोदने की।‌हम दोनों का घर आस-पास ही था, तो हमारे मोहल्ले की भाभी-आंटी को कैसे पटाए, कैसे उनको चोदे, यह बात करते रहते थे।

एक दिन उसने मेरे फोन की प्राइवेट गेलरी में उसकी मां के फोटो देख लिए। उसकी मां हमेशा सारी ब्लाउस ही पहनती है, तो कभी उनकी कमर, क्लीवेज, या उभरी हुई गांड दिखती रहती है। मैं जब भी उसके घर जाता, तो उसकी मां के फोटो ले लेता था, झुकते हुए या कुछ कम करते हुए।

बंटी: साले आसिफ, क्या है यह सब?

मैं: क्या बंटी, किसके बारे में बात कर रहा है?

मैं समझ गया था, पर मैंने रीऐक्ट नहीं किया था।

बंटी: मम्मी के फोटो तेरे फोन में, और वो भी ऐसे?

मैं: आए भाई तो क्या दिक्कत है‌। तू खुद देख ना आंटी कितनी माल लग रही है फोटो में।

बंटी: भाई वो मेरी मां है, और तू मेरे सामने एसी बात कर रहा है।

मैं: साले जब मोहल्ले की आंटी को चोदने की बात करता है, तब यह बात याद नहीं आई? और तेरी मां भी इसी मोहल्ले की है।

बंटी: इसी मोहल्ले की है तो क्या हुआ?

मैं: तो कभी ना कभी मेरे नीचे तो आएगी ही, याद रखना तू भी‌।

बंटी: बस तू सपने देख, कुछ नहीं होगा।

मैं: हां तो देख लेना तू भी, इतनी मस्त माल को बिना चोदे नहीं छोड़ूंगा।

बंटी: हां तो बता कैसे पटाएगा इस माल को?

मैं: तू मेरी मदद कर तो और जल्दी पट जाएगी तेरी मां।

बंटी: मैं  कैसे मदद करू तेरी? और वो भी अपनी मां को पटाने के लिए।

मैं: देख बंटी, मैं बहुत टाइम से तेरी मां को पसंद करता हूं, और चोदना चाहता हूं। पर तू दोस्त है। इसलिए कुछ बताया नहीं, और कुछ किया नहीं अभी तक।

बंटी: तो क्या करने का प्लान है तेरा, और कैसे?

मैं उसको अपना प्राइवेट व्हाट्सअप दिखाता हूं, जहां मैंने उसकी मां से पहले भी बात की हुई थी, एक अनजान आदमी बन कर। उसकी मां को अपनी दोस्त बना लेता हूं, पर अपने बारे में नहीं बताता हूं।

मैं: ये देख तेरी मां और मेरी बाते पहले हो चुकी है।

बंटी: तू पहले ही सब कर चुका है, और मुझे अपना दोस्त बोलता है!

मैं: अरे अभी सब कुछ कहा हुआ है? अभी तो बस बातें हुई है, और सिर्फ दोस्त बने है।

बंटी: हां तो मेरी क्या मदद चाहिए तुझे?

मैं: अभी तेरी मां को पता नहीं है मैं आसिफ हूं। अपनी असली पहचान नहीं बताई है।

बंटी: क्यूं नहीं बताई?

मैं: कभी बता देता तो मुझसे खुल कर बातें नहीं करती। तेरा दोस्त समझ कर बाते करती। अपनी लिमिट में रह कर।

बंटी: हां वो तो है। तो फिर अब?

मैं: तो अब मैं अपनी असली पहचान बताऊंगा। उससे पहले तेरी मां के लिए हम दोस्ती तोड़ लेंगे। उनको लगना चाहिए कि हम अब दोस्त नहीं है।

बंटी: उससे क्या होगा?

मैं: बहुत कुछ होगा‌। तेरी मां मुझसे बाते बंद नहीं करेगी।

बंटी: चल ठीक यह कर लूंगा तेरे लिए। पर मुझे क्या मिलेगा?

मैं: पता था मुझे तू ऐसी बात करेगा। इसलिए मैंने पहले तेरा जुगाड़ कर लिया है।

बंटी: क्या जुगाड़ किया है?

मैं: अभी जिस भाभी को चोद रहा हूं, उससे बात करली है। वो तेरे साथ करने के लिए तैयार है।

बंटी: वो तो मैं कर लूंगा, उसके अलावा भी कुछ चाहिए।

मैं: तो अब क्या चाहिए तुझे?

बंटी: मुझे तुम दोनों की चुदाई देखनी है, जहा भी तुम करो।

मैं: बस इतना ही! मैं विडिओ बना लूंगा, और दिखा दूंगा तुझे।

बंटी: विडिओ फोटो नहीं, अपनी आंखों से लाइव देखना है‌। कर सकता है तो बोल।

मैं: हां ठीक है कर लूंगा जुगाड़, पहले पटाने तो दे।

यह हमारी पूरी बाते हो जाती है, और प्लान के हिसाब से हम दोनों उसकी मां के लिए दोस्ती तोड़ लेते है। मैं उसके घर नहीं जाता, काल नहीं करता, और सिर्फ बाहर ही मिलते है कहीं।

एक दिन आंटी मुझे दुकान पर मिलती है, और मुझे इसका ही इंतज़ार था।

आंटी: अरे आसिफ, तुम कहा हो, इतने दिनों से घर ही नहीं आते?

मैं: हां आंटी, आज-कल थोड़ा बिजी हूं अपने काम में।

आंटी: ऐसे क्या काम आ गए तुमको, कि अपने दोस्त से मिलते भी नहीं हो, और काल भी नहीं करते?

मैं: आंटी उसने शायद आपको बताया नहीं।

आंटी: क्या नहीं बताया?

मैं: अब हम दोस्त नहीं है, और हमारी बातें भी बंद है।

आंटी: अच्छा तो यह बात है, इसलिए नहीं आते हो।

मैं: जी आंटी।

आंटी: अरे तो कोई बात नहीं, अब लड़ाई खतम कर लो।

मैं: नहीं आंटी, अब मैं उससे कभी बात नहीं करूंगा, और ना वो करेगा।

आंटी: ठीक है, तुम दोनों दोस्त की लड़ाई में अब क्या बोलूं?

मैं: जी आंटी ठीक है।

आंटी: हां ठीक है, चलती हूं। दोस्त से नहीं, तो मुझसे मिलने ही आ जाना।

मैं: ठीक है आंटी, बाय।

वो अपने घर चली जाती है। मैं रात को उन्हें मैसेज करता हूं, और अब मैं हमारी सारी बाते बंटी को बताने लग गया था, कि उसकी मां उसके जवान दोस्त से बातें करती थी, और वो खुश होता था

मैं: हैलो।

आंटी: हैलो असलम (उनको यही नाम बताया था)।

मैं: में आपको कुछ बताना चाहता हूं।

आंटी: हां बताओ ना, क्या हुआ?

मैं: मेरा नाम असलम नहीं आसिफ है।

आंटी: आसिफ, जो मेरे बेटे का दोस्त था?

मैं: हां आंटी।

आंटी: आसिफ, तो झूठ क्यूं बोला तुमने, और क्यूं?

मैं: आंटी आपसे बात करने के लिए‌।

आंटी: अपने दोस्त की मां से क्या बात करनी है तुमको? और वो भी अनजान आदमी बन कर।

मैं: अब आपका बेटा मेरा दोस्त नहीं है। और कभी अपना असली नाम बता देता तो आप बाते नहीं करती।

आंटी: क्यूं नहीं करती? जरूर करती तुमसे बात।

मैं: जितना आप एक अनजान से खुल कर बातें की, उतना नहीं खुलती आप।

आंटी: हां तो उससे क्या लेना-देना तुमको?

मैं: आंटी लेना-देना है। आप आपके बेटे के दोस्त के साथ अपने बिस्तर की बातें साझा नहीं करती।

आंटी: मैं अपने से छोटे उम्र वालों के साथ कभी नहीं करती यह सब बातें।

मैं: इसलिए तो आंटी अपनी पहचान गलत बताई।

आंटी: हां तो अब मुझे मैसेज मत करना।

मैं: क्यूं आंटी, अब तो आपका बेटा मेरा दोस्त भी नहीं है। बाते करेंगे, तो पता भी नहीं चलेगा उसको।

आंटी: मुझे बाते करनी ही नहीं है तुम्हारे साथ।

मैं: पर आंटी आपको मजा तो आता था ना मेरे साथ बात करके?

आंटी: हां वो बात अलग है, पर अब कुछ नहीं

मैं: ठीक है आंटी, आपकी मर्जी।

मेरी सेक्स कहानी पढ़ने के शुक्रिया, अभी इसके और भाग आएंगे। आप मेरे साथ बने रहिए।

आपका अनुभव मेरे साथ जरूर साझा करे। मेरी ईमेल आइडी- [email protected]

मेरे दोस्त की ईमेल आइडी- [email protected]