बस में मिली चुदाई की सजा (Bus Mein Mili Chudai Ki Saza)

हैलो सेक्स कहानी के दीवानों। मैं प्रितंका आपके लिए अपनी अगली चुदाई स्टोरी लेके आई हूं। उम्मीद है मेरी पहले की कहानियों की तरह ये कहानी भी आपके लंड का पानी निकालने में सफल रहेगी। तो शुरू करते है।

सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में बता देती हूं। मैं पंजाब के लुधियाना से हूं, और मेरी उमर 23 साल है। फिगर मेरा 34-29-36 है। ये कहानी बस में हुई मेरी चुदाई की है। तो चलिए बताती हूं, कि क्या हुआ, और कैसे हुआ।

मैं लुधियाना से जयपुर की बस में चढ़ी। बस मर्सिडीज थी, और 4 घंटे का सफर था। मैंने जींस और टी-शर्ट पहनी हुई थी। मेरे पास एक ही छोटा बैग था, जिसमें मेरे 2 दिन के कपड़े थे। मेरी एक सहेली थी वहां जिसने मुझे बुलाया था, और हम लोग साथ में घूमने वाले थे।

क्योंकि बस सुबह-सुबह चली था, तो मैं जल्दी उठी थी बस पकड़ने के लिए। इसलिए बस में बैठते ही मुझे नींद आने लगी। मैं सो गई, और 2 घंटे बाद उठी। जब मैं चढ़ी थी, तो बस में काफी पैसेंजर्स थे। पर जब मेरी नींद खुली, तो बस में इक्का-दुक्का ही लोग थे। तभी कंडक्टर मेरे पास आया, और बोला-

कंडक्टर: मैडम टिकट दिखाइए।

मैं: मैंने अभी तक ली ही नहीं टिकट। आप मुझे जयपुर की टिकट दे दीजिए।

ये बोल कर मैं अपने बैग से पर्स निकालने लगी, और कंडक्टर ने अपनी मशीन से टिकट काट दी। अब वो पैसों के लिए इंतेज़ार कर रहा था, लेकिन मुझे अपने बैग में पर्स कहीं मिल नहीं रहा था। जब अच्छे से देखने पर भी पर्स नहीं मिला, तो मैंने कंडक्टर की तरफ देखा। अभी मैं कुछ बोलने ही वाली थी, कि वो बोला-

कंडक्टर: पर्स नहीं मिल रहा होगा ना?

मैं: हां, आपको कैसे पता?

कंडक्टर: तेरी जैसी रंडियां रोज़ इस बस में चढ़ कर यहीं बहाना बनाती है। तुम लोगों को सरकारी बस की तरह इसमें भी फ्री में जाने की खुजली होती है।

मैं: अरे आप बात कैसे कर रहे हो? मैं पर्स घर भूल गई। मैं आपको गूगल पे कर देती हूं। आप अपना कोड दीजिए।

फिर जब मैंने गूगल पे करने के लिए फोन निकाला, तो बैंक का सर्वर डाउन आ रहा था। अब मैं फंस चुकी थी। मैंने उससे कहा-

मैं: भैया मुझे माफ कर दो। मैं सच बोल रही हूं। अब मैं आपको कैसे समझाऊं?

कंडक्टर: समझाना क्या है। अब मैं पुलिस बुलाता हूं। पुलिस स्टेशन वालों को समझाना जो समझाना है।

पुलिस का नाम सुन कर मैं घबरा गई। मैंने सोचा कि अगर पुलिस स्टेशन जाना पड़ा तो दिक्कत हो जाएगी। क्योंकि मैं घर पर ऑफिस के काम का झूठ बोल कर आई थी। और इससे उनको मेरे झूठ का पता चल जाता। अभी मैं सोच ही रही थी, कि क्या करूं, तभी मैंने देखा, कंडक्टर बार-बार टी-शर्ट में से दिख रही मेरी क्लीवेज को देख रहा था। मैं समझ गई कि उसको भी वहीं चाहिए था जो हर मर्द को चाहिए होता है। और मैंने उसी का इस्तेमाल करने का फैसला किया।

मैं उसके पास गई। वो थोड़ा झिझक गया। फिर मैंने उसको बोला-

मैं: ऐसे ही सेटलमेंट कर लेते है ना।

ये बोल कर मैंने उसका एक हाथ पकड़ा, और अपनी टी-शर्ट उठा कर अपने पेट पर रख दिया। वो मेरी बात अच्छे से समझ गया। तभी वो दूसरी तरफ मुड़ा, और बाकी सवारियों को बोला-

कंडक्टर: यहां बस में सफाई होने वाले है, और आधे घंटे बाद बस चलेगी। आप सब लोग तब तक बस स्टैंड पर जाके कुछ खा पी लीजिए।

ये सुन कर सारी सवारियां बाहर चली गई। फिर कंडक्टर ने जा कर दरवाज़ा अंदर से बंद किया, और मेरे पास आ गया। उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी तरफ खींचा, और होंठों होंठ चिपका दिए। अब वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूसने लगा, और गांड मसलने लगा। उसके मुंह से बदबू आ रही थी, लेकिन क्या कर सकते थे।

लिप्स चूसने के बाद वो मुझे सबसे पीछे वाली बड़ी सीट पर ले गया, और मेरी टी-शर्ट उतार कर लिटा दिया। फिर वो मेरे गोरे बदन को चूमने लगा। वो मेरी गर्दन, क्लीवेज, पेट हर जगह चूम रहा था। फिर उसने मेरी ब्रा उतरी, और मेरे चूचे चूसने लगा। अब तक वो मेरे ऊपर आ चुका था, और मैं उसके नीचे दबी हुई थी।

फिर वो चूमते हुए नीचे गया, और मेरी बेल्ट खोल कर जींस का बटन खोला, और जींस नीचे करने लगा। टाइट जींस थी, तो उससे उतर नहीं रही थी। फिर मैंने भी गांड हिला कर उसकी मदद की। अब मेरा गोरा बदन सिर्फ पैंटी पहने हुए उसके सामने था।

उसने मेरी पैंटी उतारी, और मेरी चिकनी चूत देख कर उसकी आँखें चमक उठी। उसने मेरी चूत को मुंह लगाया, और कुत्तों की तरह उसको चाटने-चूसने लगा। मैं आह आह कर रही थी, और मुझे तपिश चढ़ रही थी। मैं उसके सर को अपने चूत में दबाने लगी जोर-जोर से।

कुछ देर में वो खड़ा हुआ, और अपनी पेंट और अंडरवियर उतार कर मेरे मुंह के पास आ गया। उसका लंड बड़ा, मोटा, काला, और बदबूदार था। उसने मुझे लंड को गीला करने के लिए बोला, तो मैं उसका लंड चूसने लगी। उसने मेरे मुंह में कुछ जोर के धक्के मारे, और वापस मेरी टांगों के बीच आ गया। फिर उसने लंड चूत पर सेट किया, और जोर का धक्का मार कर एक ही बार में पूरा लंड पेल दिया। मेरी जोर की आह निकली, और मैंने अपने नाखून उसकी पीठ पर खोंप दिए।

अब वो फुल स्पीड में मेरी चुदाई करने लगा।उसका लंड मुझे काफी मजा दे रहा था। मैं भी आह आह करके मजा लेने लगी। वो मेरे निपल्स पर जोर-जोर से काट रहा था। मैंने मना किया तो उसने मेरे मुंह पर थप्पड़ मार दिया। फिर मैंने उसको दोबारा नहीं रोका।

उसके जोर के धक्कों, और मेरी चूत के पानी की वजह से थप थप की आवाजें आ रही थी। वो मेरी चूत का पूरा आनंद भोग रहा था, और मैं भी अपने चरम पर थी। 10 मिनट पूरी स्पीड पर चुदाई करने के बाद उसने अपना माल मेरे अंदर ही निकाल दिया। मैंने उसको हटाने की कोशिश की, लेकिन वो पूरा माल निकाल कर ही हटा।

फिर वो कपड़े पहनने लगा, और उसने मुझे टिकट दे दी। साथ में उसने मुझे 1000 रुपए भी दिए आगे के खर्च के लिए। मैंने भी कपड़े पहन लिए, और कुछ देर में बस फिर से चल पड़ी, और जयपुर की और निकल पड़ी।

आपका माल निकला कि नहीं, मुझे [email protected] पर मेल करके बताएं।