मेरी देसी चुदाई कहानी में आपका स्वागत। आप सब को पता है मैं अपनी बीवी को खुद भी चोदता हूं, और मोका मिलने पर ओरों से भी चुदवा देता हूं। आखिरी बार सुमन की चुदाई दूसरे मर्द से दिल्ली के बस स्टैंड पर करवाई थी। अब मैं फिर से तैयार था, कि कोई सुमन की चुदाई करे।
एक दिन हमारे घर में एक साधू आया। मुझे देखने में ढोंगी ही लगा। सुमन ने उस साधू को पैसे दिये तब मेरी नज़र उस पर ही थी। साधू सुमन को बहुत गौर से देख रहा था। शायद उसने आंखो में ही सुमन के शरीर का पूरा नाप ले लिया (34-32-38) था। फिर साधू अपनी जीभ अपने होंठो पर घुमाते रहा। मैं समझ गया साधू सुमन को चोदना चाहता था।
साधू की लुंगी में तम्बू बन गया, पर साधू डर भी रहा था। मैं पिछे के दरवाजे से बाहर आ गया, और बाहर खड़ा होकर दोनों को देखने लगा। साधू सुमन से कुछ बोल रहा था फिर सुमन अंदर गई तो साधू सुमन की गांड देख कर अपना लंड दबाने लगा। कुछ ही देर में सुमन ने हाथ में रोटी और सब्जी लेकर साधू को दे दी। साधू ने एक हाथ सुमन के सर पर रख दिया, और बाहर आने लगा।
अब साधू आगे चलने लगा, और मैं उसके पीछे। कुछ आगे जाकर साधू ने सब्जी और रोटी फेंक दी। फिर एक जगह झाड़ियों के पीछे चला गया। मैं छुप कर साधू को देखता रहा। साधू ने अपनी लुंगी ऊपर की, और साधू का लंड बाहर आ गया। उसका लंड 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लग रहा था। साधू फार मुठ मारने लगा, और काफी देर बाद उसका पानी निकला। फिर मैं घर आ गया।
सुमन मुझे कहने लगी: आप कहां चले गए थे?
मैं बोला: कुछ काम था।
फिर सुमन खुद ही बोलने लगी: घर जो साधू आए थे, चमत्कारी लग रहे थे मुझे।
मैंने पूछा: कैसे?
तो सुमन बोली: साधू महराज बोले बेटी जल्द ही तू मां बन जाएगी। बस कुछ उपाय करने होंगे।
मैं मन मैं सोचने लगा: सब डाक्टर ने मना कर रखा है, कि सुमन कभी मां नहीं बन सकती है, तो यह साधू क्या बनायेगा?
मैंने सुमन को बोला: देख लेना कहीं साधू तुझे चोदने के चक्कर में ही ऐसा बोल गया हो।
सुमन बोली: वो तो आप ही मुझे दूसरों से चुदवाने के चक्कर में रहते हो, और साधूओं के बारे में ऐसी बात नहीं बोलनी चाहिए आपको।
मैं बोला: ठीक है जो साधू बोलता है कर लो। तुम खुश तो मैं खुश।
सुमन खुश हो गई और खाना बनाने चली गई। अब मैं रोज पीछे का दरवाजा खोल कर बाहर चला जाता, और साधू के आने का इंतजार करने लगता। पर साधू नहीं आता, तो मैं घर आ जाता। एक दिन सुबह के 12 बजे के करीब दूर से साधू आता दिखाई दिया। मैं समझ गया आज यह सुमन की चुदाई जरूर करके जाएगा।
तो मैं सुमन को बोला: सुमन मैं बाहर जा रहा हूं, तुम खाना खा लेना। मैं 3-4 बजे तक ही आऊंगा।
सुमन बोली: ठीक है।
मैंने जाते हुए पीछे का दरवाजा खोला, और बाहर जाकर साधू का घर में आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद साधू घर में आ गया। उसने घर का दरवाजा खटखटाया। सुमन ने दरवाजा खोला तो देखा साधू महराज आए थे।
सुमन बोली: बाबा जी आप तो बहुत दिन बाद आए।
साधू बोला: बेटी हम तो साधू हैं, आज यहां कल वहां।
सुमन साधू को अंदर ले आई। सुमन ने साधू को पानी दिया। फिर साधू के पास बैठ गई, और साधू से पुछने लगी-
सुमन: बाबा जी क्या मैं सच में मां बन जाउंगी?
साधू बोला: बेटी बन जाएगी तू, पर कुछ तपस्या करनी होगी, और जो मैं पुछूं सब बताना होगा।
सुमन बोली: बाबा जी मैं सब करने को तैयार हूं।
तो साधू सुमन को बोला: घर में अभी और कौन है?
सुमन बोली: मैं ही हूं, पति 3-4 बजे तक आएंगे।
साधू की आंखों में चमक सी आ गई।
फिर साधू सुमन को बोला: बेटी दरवाजा पूरा बन्द कर दो। कोई तुम्हारी तपस्या को देख ना ले।
सुमन ने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
साधू बोला: बेटी अब तपस्या शुरु करनी होगी, जाओ सबसे पहले नहा कर बिना कपड़ों के भीगे बदन ही बाहर आना।
सुमन बोली: बाबा जी यह क्या बोल रहे हो आप?
तो साधू बोला: बेटी मां बनने का सुख प्राप्त करना है या नहीं।
सुमन बोली: मां बनने के लिए सब कुछ कर सकती हूं।
फिर सुमन बाथरूम में चली गई। साधू ने अपनी पोटली से कुछ सामान निकाला और नीचे बैठ गया। कुछ देर बाद सुमन पूरी नंगी भीगी हुई बाहर आ गई। साधू सुमन को देखता ही रह गया।
सुमन बोली: बाबा जी अब क्या करना है?
तो साधू बोला: मेरे पास आकर टांगो के सहारे बैठ जाओ।
सुमन बैठ गई। तभी साधू ने कोई चीज जलाई, और सुमन की चूत के पास धुआं करने लगा।
फिर साधू ने सुमन को बोला: अपनी योनी को खोलो ताकि यह धुनी अंदर तक चली जाए।
सुमन ने वैसे ही किया। कुछ देर के बाद साधू ने धुआं हटा दिया और सुमन को बोला: यहीं लेट जाओ, और अपनी योनी को ऊपर कर लेना।
सुमन लेट गई। साधू ने अपना हाथ सुमन की चूत पर रख दिया, और कुछ मंत्र पढ़ने लगा। काफी समय तक मंत्र पढ़ता रहा। साधू ने फिर सुमन की दोनों टांगो को फैला दिया। अब साधू की आंखो के सामने सुमन की चूत और गांड साफ नज़र आने लगी। साधू सुमन की चूत को सहलाने लगा। सुमन कुछ नहीं बोल रही थी।
तभी साधू सुमन को बोला: बेटी तू तो कब की मां बन चुकी होती, कमी तो तेरे पति के अंदर है, और अभी तेरी योनी में किसी पुरुष का माल नहीं गया, तो तू कभी मां नहीं बन पाएगी।
सुमन बोलने लगी: बाबा जी अब पुरुष कहां से लाऊं मैं?
तभी साधू बोलने लगा: बेटी मेरे पुत्र की मां बनोगी, अगर तुम बुरा ना मानो तो?
सुमन को उसने अपनी बातों में फसा लिया था, तो सुमन ने हां में सर हिला दिया। अब साधू खुद ही नंगा हो गया। उसका लंड तो पहले से ही खड़ा था सुमन को चोदने के लिए। साधू ने सुमन को उठा कर बैड पर लिटा दिया, और अपने लंड पर थूक लगा कर लंड को सुमन की चूत में फंसा दिया। फिर वो धीरे-धीरे सुमन की चूत में लंड डालने लगा। उसका लंड मेरे लंड से थोड़ा सा मोटा और थोड़ा ही लम्बा था, पर सुमन को दर्द हो रहा था।
साधू ने पहले आराम से पूरा लंड सुमन की चूत में डाल दिया। फिर कुछ ही देर बाद सुमन की चूत का भोंसड़ा बनाने लगा। काफी देर तक चोदने के बाद साधू ने सुमन को कुतिया बना दिया, और इस बार एक प्रोफेशनल के जैसे सुमन की चूत चोदते हुए सुमन की गांड पर थप्पड़ मारने लगा। करीब 40 मिनट तक उसने सुमन की जम कर चुदाई की। फिर अपना पूरा पानी सुमन की चूत में भर दिया।
साधू सुमन की बगल में लेट गया। कुछ समय बाद साधू उठा। शायद उसने घड़ी की तरफ देखा तो 3 बजने वाले थे। तो उसने अपने कपड़े पहन लिये। फिर एक कपड़े से सुमन की चूत साफ की, और कुछ पानी सुमन की चूत से निकाल कर ले लिया।
फिर साधू सुमन को बोला: बेटी यह बात किसी को मत बताना। नहीं तो सब किया हुआ काम खराब हो जाएगा।
मैं तेरे अंदर का पानी अपने साथ ले जा रहा हूं। अगर कोई कमी रह गई होगी तो मैं खुद तेरे पास आ जाऊंगा। सुमन भी उठ गई। उसने नंगी ही साधू के पैर छू कर आशीर्वाद लिया।
साधू बोला: नहा कर कपड़े पहन लेना बेटी।
साधू चला गया, सुमन भी नहाने चली गई। मैं भी बाहर आ गया। फिर कुछ देर बाद घर पर आ गया। सुमन बहुत खुश लग रही थी। मैं समझ गया साधू से चुदाई करवा कर सुमन खुश थी। आगे कि कहानी में बताऊंगा कैसे उस साधू ने सुमन की गांड भी मारी और खुल कर चुदाई भी की। कैसी लगी मेरी बीवी की चुदाई की कहानी जरूर बताना आप सब [email protected]