पिछला भाग पढ़े:- खड़े लंड पर धोखा-5
शुरू करते है हिंदी सेक्स स्टोरी का अगला पार्ट:-
“उन्होंने झुक कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मुझे बड़ी शिद्दत से चूमते हुए मेरी नंगी गांड के गालों को दबाने लग गए। मेरे होंठों को चूसते हुए उन्होंने मुझे फिर से पलंग पर लिटा दिया, और खड़े-खड़े एक झटके में उन्होंने अपना बेल्ट खोल कर अपनी पतलून और निक्कर खिसका कर अपना लंड बाहर निकाला।
फिर बोले, ‘दीपा मैं तुम से बहुत-बहुत ज्यादा प्यार करता हूं, और अब हमारा यह मिलन जनमों-जनम का होगा। मैं तुमसे शादी करके तुम्हारे बच्चों का बाप बनना चाहता हूं। आज बस तुम मेरी हो जाओ।’
यह कह कर अपनी शर्ट बनियान सब निकाल फेंक पूरे नंगे हो गए।”
मेरे लिए बड़ी ही दुविधा थी। बिमला के होते हुए मैं अपना उन्माद प्रगट करने में झिझक रहा था। तब अचानक ही बिमला बोल पड़ी, “दीदी आपकी कहानी ने हम सब को इतना गरम कर दिया है। साहेब भी अपना लंड संभाल नहीं पा रहे हैं।”
दीपा बिमला की बात सुन कर नकली गुस्सा दिखाते हुए बोली, “बिमला… अब बस भी करो। क्या बके जा रही हो? अब चुप-चाप बैठ कर बाकी की कहानी सुनो।” फिर मेरी और देख कर अपना हाथ मेरी जांघों के बीच में रख कर मेरे लंड को मेरे पाजामे के ऊपर से सहलाती हुई बोली, “अपनी बीवी की किसी गैर मर्द से चुदाई की कहानी सुनने के लिए आप इतने उत्तेजित क्यों हो रहे हो?”
बिमला ने मेरी तरफ देख कर कुछ कटाक्ष में कहा, “दीदी इसे ककोल्ड कहते हैं। साहेब ककोल्ड होते जा रहे हैं।”
नीरज के साथ रोमांटिक वारदातें याद करते हुए दीपा खुद बहुत ज्यादा उत्तेजित होती हुई आगे बोली, “नीरज कूद कर पलंग पार आ गए और मेरी बगल में लेट गए। जब मैंने नीरज का पूरा नंगा, लम्बा, मोटा, तगड़ा लंड खड़ा लहराता देखा तो मैं अपने आप को रोक नहीं पायी। मैंने हाथ बढ़ाया तो नीरज ने अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। मैंने कहा, ‘ऐसा मत करो। प्लीज मुझे मत उकसाओ, मैं पागल हो रही हूं।’ पर नीरज कहां मेरी सुनने वाले थे? उन्होंने मुझे घुटनों के बल बिठा दिया, और मेरा सर पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
दिलीप मैं कितनी बेशरम हो गयी थी उस वक्त। मैं उनके लंड पर झुक गयी। मैंने उनका वह महाकाय लंड मुंह में लिया, और उसे चूसने लगी। मैं मुश्किल से आधा ही लंड मुंह में ले पायी होउंगी। नीरज भी इतने उत्तेजित हो रहे थे कि मेरे मुंह को अपने लंड से शिद्दत से चोदने लगे। कुछ देर इस तरह लंड चुसवाने के बाद नीरज ने मुझे रोका और खुद लेट गए। मैं बैठी हुई थी और वह मेरी टांगे चौड़ी कर उसके बीच में अपना मुंह डाल कर मेरी चूत को चाटने लगे। जिस तरह से नीरज मेरी चूत के भग्न-शिश्न को अपनी जिह्वा से और होठों से चाट रहे थे, मैं चुदवाने के लिए पागल होने लगी।”
दीपा की चूत तो पानी बहा ही रही थी, यह दीपा के बार-बार अपनी जांघों में हाथ डालने से दिख रहा था। पर उस समय बिमला का हाल देखने वाला था। वह अपने घाघरे में अपना हाथ डाल कर बिलकुल बेशर्मी से अपनी चूत में उंगली डाल कर जोर-शोर से अंदर-बाहर कर रही थी, और “आह… ओह… उफ़…” करती हुई सिसकारियां भर रही थी।
दीपा अपनी नजरें नीची कर बोली, “मुझे कहते हुए बड़ी शर्म आ रही है, पर अब मैं सब कुछ कह कर ही रहूंगी। नीरज इतने चालू थे कि मुझे जल्दबाजी में चोदने वाले नहीं थे। वह मुझे तड़पा-तड़पा कर चोदना चाहते थे। उन्होंने अपनी दो उंगलियां मेरी पानी बहा रही चूत में घुसेड़ दी, और उंगली को अंदर-बाहर करते हुए फिर मुझे उंगलियों से चोदना शुरू कर दिया। मैं उनके उंगली चोदन से इतनी पागल सी उन्मादित हो गयी कि देखते ही देखते झड़ गयी।
मैंने अपने सारे डर, शंका, कुशंका और झिझक को निकाल फैंका और नीरज के हाथ थाम कर गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘नीरज आज मैं तुम्हें साफ़-साफ़ कह रही हूं कि तुम आज और अभी मुझे चोदो। तुमसे ही मैं शादी भी करुंगी और तुमसे ही मैं बच्चे भी पैदा करुंगी। अब मुझे तुम उंगलियों से चोदना बंद करो। मुझे अपने इस तगड़े लम्बे मोटे लंड से चोदोगे की नहीं, कि मुझे तड़पाते ही रहोगे?”
मैं और बिमला दीपा के इस वक्तव्य से स्तब्ध हो कर मंत्रमुग्ध से उसे देखते ही रहे। मेरी प्यारी बीवी बिलकुल बेशरम हो कर अपनी चुदाई की कहानी हमें सुना रही थी। बिमला कभी ब्लाउज के ऊपर से खुद ही अपने स्तनों को मसल रही थी, तो कभी अपने घाघरे में हाथ डाल कर अपनी उंगलियों से चूत को सहला रही थी।
दीपा ने मेरी ज़िप खोल कर मेरे लंड को उंगलियों में पकड़ कर प्यार से धीरे-धीरे सहलाते हुए कहा, “तब कहीं जा कर नीरज ने फिर से मुझे पलंग पर लिटाया, और एक टांग उठा कर वह मुझ पर चढ़ घुटनों के बल बैठ गए। मुझे चोदने के लिए उनके लंड को वह मेरी चूत पर रगड़ने लगे।
दिलीप, यह सच है कि मैं नीरज से चुदवाने के लिए बहुत ज्यादा बेचैन हो रही थी। मैं सच्चे दिल से चाहती थी कि भले ही मेरी चूत फट कर लहूलुहान हो जाए, भले ही नीरज के वीर्य की पहली बूंद ही क्यूं ना मुझे गर्भवती बना दे, भले ही मैं चुदने के बाद कई दिनों तक चल ना पाऊं। पर नीरज अपना मोटा तगड़ा लंड मेरी नाजुक चूत में घुसेड़ कर मुझे खूब चोदें और अपनी और मेरी वासना की धधक रही प्यास बुझाएं।
यह तय था कि वह मुझे चोदे बिना नहीं छोड़ेंगे और मैं उनसे चुदवाये बगैर चैन नहीं लूंगी। उस समय नीरज के सर पर मुझे चोदने का भूत सवार था, और मेरे सर पर उनसे चुदवाने का।”
यह कहते-कहते मेरी प्यारी दीपा की आंखों में आंसू आ गए। उसने मेरे हाथ थाम कर मुझ से माफ़ी मांगते हुए अंदाज में कहा, “मैं क्या करती? मेरे बदन पर मेरा कोई काबू नहीं रह गया था। यह साली मेरी चूत चुदवाने के लिए ऐसी पागल हो रही थी की बस।”
उस वक्त जब मैंने दीपा की आंखों में झांक कर देखा तो मुझे उसकी आंखों में कुछ पागलपन सा नज़र आया। अपनी आंखों के डोरे घुमाती हुई वह बोली, “सच तो यह था की मेरी चूत में नीरज के लंड से भी ज्यादा आग लगी थी। मैं बहुत ज्यादा बेचैन हो रही थी। जब मैं नंगी नीरज की बाहों में और बाद में पलंग पर नीरज के सामने नंगी लेटी हुई थी, तो पता नहीं मुझे क्या हो गया था कि मैं चाहने लगी थी कि नीरज मुझे चोदे, मुझे चोदे, मुझे चोदे और मुझे चोदते ही जाये।” यह सुनते ही दीपा को मैंने कस कर पकड़ा।
मुझे दीपा का हाल देख कर डर लगने लगा कि कहीं उसे कोई दौरा ना पड़ जाए। मैंने मेरी बीवी को खींच कर अपने आगोश में लेते हुए कहा, “मेरी प्यारी बीवी, तो इस में इतना अफ़सोस करने की क्या बात है? इस उम्र में हर लड़के के लंड और हर लड़की की चूत में आग लगी हुई होती ही है। मैं बहुत खुश हूं। यह तो तुमने बहुत ही अच्छा किया कि नीरज जैसे सच्चे प्रेमी से चुदवा कर अपनी और नीरज की प्यास बुझाई। कॉलेज में ऐसी हरकतें तो होती रहती हैं।”
दीपा ने मुझसे अलग हट कर अपनी आवाज और तेज करते हुए कहा, “नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ।”