मोहब्बत की यह महफ़िल में चलो कुछ खेल खेलेंगे।
वह गर पेलेंगे उनके लंड की हम मार झेलेंगे।
छिपाएंगे ना चूत अपनी ना चूचियों को छिपाएंगे।
चूसेंगे लंड उनका हम खुले दिल से चुदवायेंगे।
शायद वह मुझसे और आग्रह की अपेक्षा कर रही थी। वह शायद मेरा इम्तेहान ले रही थी, और मेरी धीरज जवाब दे रही थी। जब मुझ से रहा नहीं गया तब मैंने आगे बढ़ कर मेरी बीवी के पास जा कर, वह कुछ सोचे समझे उसके पहले रीता के तौलिये का एक छोर अपने हाथ में पकड़ा, उस तौलिये को जोर से खींचा, और रीता को एक हल्का सा धक्का मारा।
एक ही पल में तौलिया रीता के बदन से निकल पड़ा और रीता मेरे धक्के के जोर से बिकिनी में आधी नंगी अपने आपको समभालने की कोशिश करते हुए अपने हाथ-पांव हिलाती हुई पानी में धड़ाम से जा गिरी। रीता का तौलिया मेरे हाथ में रह गया।
अचानक पानी में गिरने से पानी में डूबने के डर से घबरा कर रीता चिल्लाने लगी। हालांकि पानी की गहराई बहुत ज्यादा नहीं थी पर वहां पानी कुछ गहरा तो था ही। पानी में गिरने से रीता लड़खड़ा रही थी और जल्दी से उठने की कोशिश करते हुए भी पानी के हिलने से उठ नहीं पा रही थी।
पानी में स्विमिंगपूल के अंदर की फर्श पर लुढ़क जाने और अफरा-तफरी के कारण साँस ना ले पाने से रीता पानी भी पीने लग गयी थी। रीता ने नजदीक में ही खड़े सूरज के पांव को पानी में देखा। उठने की कोशिश करते हुए रीता ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की।
पानी में सूरज और रीता का एक दूसरे से सामना जरूर होना था। अब आगे जो होना था वह उनको करना था। उनको अकेला छोड़ने की फिराक में तौलिये को वहीं फेंक कर मैं फ़ौरन वहां से भागता हुआ जहां किरण पानी में अपने पांव मार कर तैरने की कोशिश कर रही थी, वहां पानी में कूद कर उस लम्बे स्विमिंगपूल के दूसरे छौर पर जा पहुंचा।
जब डर होता है तो अक्सर इंसान की बुद्धि काम नहीं करती। डूबने के डर के मारे रीता ने नजदीक में ही खड़े सूरज के पांव को पानी में देख सूरज के पांव पकड़ लिए। उठ खड़े होने की कोशिश करते हुए अफरा-तफरी में अपने हाथों को सूरज की टांगों के ऊपर बढ़ाया तो रीता के हाथ में सूरज की निक्कर आ गयी जिसका छौर रीता ने कस कर पकड़ लिया। उसी वक्त वह फिर से संतुलन खो बैठी और रीता के नीचे की और सरकते ही सूरज की निक्कर पूरी तरह से नीचे खिसक गयी।
सूरज की जांघों को दोनों हाथों से पकड़ कर उसका सहारा लिए रीता ने जब खड़े होने की कोशिश की, तब सूरज का लम्बा लटक रहा लंड मेरी बीवी के हाथ में आ गया। मरता क्या ना करता? डूबने से बचने के चक्कर में रीता ने बिना कुछ सोचे समझे सूरज के लम्बे तगड़े लंड को फिर ऊपर उठने की कोशिश करते हुए उसे कोई रस्सी का लटकता टुकड़ा समझ कर कस कर पकड़ लिया।
सूरज ने अपने लंड पर जब रीता के हाथों का दबाव महसूस किया, तब नीचे झुक कर रीता की बगल में हाथ डाल कर रीता को अपने बदन से चिपका कर रखते हुए ऊपर उठाने की कोशिश की। रीता पानी में उठते हुए सूरज की दोनों जांघों के बीच अपने सर को रखते हुए ऊपर उठने की कोशिश करने लगी। अपने मुंह से पानी को निकालने के लिए जब रीता ने मुंह खोला, तब अनायास रीता के खुले मुंह में सूरज के लंड का टोपा घुस गया। रीता की सांसे सूरज के लंड के टोपे को मुंह में घुसने से रुंधने लगीं।
सूरज ने जैसे-तैसे करते हुए ताकत लगा कर रीता के मुंह से अपना लंड निकाल कर रीता को अपने पांव पर खड़ा किया। लड़खड़ाती हुई रीता किनारे को पकड़ कर खड़ी हो गयी। रीता के खूबसूरत बदन पर रीता के खुले बाल चारों तरफ बिखरे हुए थे। पानी में खड़ी रीता की बिकिनी का छोटी सी पट्टी जैसा टॉप रीता के जबरदस्त हाथ-पांव मारने से बदन से निकल कर नीचे कहीं गिर चुका था।
रीता के स्तनों की निप्पलों की अंधेरे में हलकी सी झांकि पानी की सतह पर आधीं बाहर और आधी अंदर इतनी सुन्दर दिख रहीं थी, कि उन्हें अच्छे से देखने के लिए इस विषम परिस्थिति में भी सूरज की ऑंखें उन पर बार बार जाती रहती थी। रीता के पेट में कुछ पानी चला गया था, जो रीता के खांसने से रीता के मुंह से निकल रहा था।
पूरा नंग-धडंग सूरज कूद कर किनारे पर चढ़ गया। रीता सांस ना ले पाने के कारण काफी घबड़ायी हुई थी। रीता की इस तरह बुरी हालत देख कर सूरज ने अफरा-तफरी में अपनी टांगों में फसी हुई अपनी निक्कर निकाल फेंकी। रीता की पैंटी भी अफरा-तफरी के कारण रीता की टांगों से निकल चुकी थी। पूरा नंग-धडंग सूरज कूद कर किनारे पर चढ़ गया। एक ही झटके में सूरज ने नंगी रीता को ऊपर उठा कर उसे वहीं स्विंमिंगपूल के किनारे फर्श पर लिटा दिया।
रीता भी सूरज की ही तरह बिल्कुल नंगी स्विमिंग पूल के साथ वाली फर्श पर लेट गयी। रीता के बदन को अपनी दोनों टांगों के बीच रख कर सूरज अपने घुटनों के बल रीता के बदन पर वजन दिए बिना सवार हो गया।
उस वक्त सूरज का सख्ती से खड़ा लंबा तगड़ा लंड रीता की चूत को टटोल रहा था। उससे बेखबर रीता की सांस रुक ना जाये इसलिए रीता के गोल गुम्बद के समान दोनों सख्ती से फुले हुए स्तनों की सख्त निप्प्लों पर अपने दोनों हथेलियां रख कर सूरज ने उनके ऊपर बारी-बारी से दबाव देना शुरू किया। इस तरह रीता की छाती दबाने और छोड़ने की प्रक्रिया से खांस रही रीता के पेट में जो पानी गया था, वह उल्टी के रूप में रीता के मुंह से निकल गया, और रीता की जान में जान आयी।
रीता अपनी आँखों को साफ़ करती हुई वहीं स्तब्ध सी लेटी हुई उसके बदन पर सवार नंग-धडंग सूरज को उस धुंधले अंधेरे में देखती रही। अचानक रीता को ख़याल आया कि डूबने से बचने की जद्दोजहद में उसके टॉप की पट्टी टूट जाने से टॉप उसके स्तनों के ऊपर से गायब था, और वह टॉपलेस मतलब ऊपर से बिल्कुल नंगी सूरज के सामने अपने सख्त गुब्बारे से फूले हुए अल्लड़ स्तनों के दर्शन कराती हुई वहां सूरज के नीचे लेटी हुई थी।
सूरज अचम्भे से नीचे लेटी रीता की खूबसूरती को दंग हो कर देखता ही रहा। हालांकि वहां काफी अंधेरा हो चुका था फिर भी थोड़े उजाले के कारण वह रीता की नग्नता देख और महसूस कर पा रहा था। उसकी समझ में यह नहीं आ रहा था की एक नीचे लेटी हुई लड़की के स्तन इतने सख्ती से बिना गुरुत्वाकर्षण के नियम को माने कैसे इस तरह सीधे सख्त खड़े रह सकते हैं?
फर्श पर पीठ कर नीचे लेटी हुई औरत के स्तन हमेशा उसकी छाती पर दब कर बैठ जाते है। पर रीता का ऐसा नहीं था। रीता के दोनों स्तन और उसकी निप्पलें ऐसे उद्द्ण्ड खड़ीं थी, जैसे उन पर कोई दबाव हो ही नहीं।
जब रीता ने अपनी जांघों के बीच में देखा तो पाया कि उसकी छोटी सी लंगोटी जैसी पट्टी भी खिसक कर नीचे उसकी टांगों के बीच से निकल गयी थी। रीता ने महसूस किया कि शायद उस धुंधले अंधेरे में भी सुरज रीता के पूरे नंगे बदन को देख पा रहा होगा। सूरज की दोनों हाथों की उंगलियां रीता के स्तनों की पूरी तरह से फूली हुई सख्त निप्पलों से खेल रही थी।
इतना ही नहीं, बल्कि रीता ने सूरज का लंबा लंड जिसे निक्कर में छिपे हुए देखने से भी वह कतरा रही थी वह उस समय रीता की फैलाई हुई जांघों के बीच में सख्ती से खड़ा रीता की चूत को कुरेदता हुआ रीता महसूस कर रही थी।
रीता को एहसास हुआ कि उस समय अगर सूरज चाहता तो अपनी जांघें फैलाये हुए सूरज के नीचे लेटी रीता की चूत में आसानी से अपना खड़ा हुआ लंड डाल कर उसे वहीं के वहीं चोदने लगता और उसे रीता रोक नहीं पाती। अंधेरा होने के कारण मैं और किरण भी उन्हें उस हालात में चुदाई करते हुए देख नहीं पाते।
रीता को यह भी याद आया कि जाने-अनजाने में ही सही पर उस शाम को रीता ने उस लंड को अपने मुंह में भी लिया हुआ था। पर सुरज ने कुछ नहीं किया। रीता के दिल में सूरज के लिए रीता की मज़बूरी का फायदा ना उठाने के लिए और उसे डूबने से बचाने के लिए सहज रूप से ही स्त्री सुलभ कृतज्ञता, ममत्व और काम भाव पैदा हुआ।
रीता अपने ऊपर चिंता ग्रस्त सूरज को देख कर थोड़ा सा मुस्कुरा दी। सूरज की गर्दन के इर्द-गिर्द अपनी बांहों का हार बना कर अपने बदन को ऊपर उठाने का प्रयास करते हुए अनायास ही रीता के होंठ सूरज के होंठों से मिल गए। सूरज ने भी अपना मुंह खोल कर रीता के होंठ और जीभ का बड़े ही प्यार और जोश से स्वागत करते हुए उन्हें चूसना और चाटना शुरू किया। इस तरह रीता और सूरज इस बार बिना कोई दबाव के एक-दूसरे की बांहों में लिपटे हुए बेतहाशा एक-दूसरे के होंठो का रसास्वादन करने लग गए।
सूरज के चुम्बन से अर्जित कामवासना से पूरी तरह से आच्छादित रीता की चूत में से उसका स्त्री रस रिसने लगा। रीता अपने नंगे कूल्हों को मचलते हुए रोक नहीं पा रही थी। सूरज का एक हाथ रीता के स्तनों को उत्तेजना से मसल रहा था और उसकी निप्पलों को पिचका रहा था। सूरज का दुसरा हाथ रीता की गांड के गालों को पिचकाता हुआ रीता के बदन को नीचे से ऊपर की और उठाने में लगा हुआ था।
रीता के स्तनों की चॉकलेट रंग के गोलाकार एरोला से घिरी मादक निप्पलें एक-दम सख्त फूली हुईं पूरी गोलाई में छोटी छोटी फुंसियों से भरी रीता की उन्मादक स्थिति की गवाही दे रही थी। काफी देर से दोनों एक-दूसरे के आलिंगन और चुंबन में व्यस्त रहने के बाद जब अलग हुए तब कुछ हद तक क्षोभित रीता उठ खड़ी हुई और सूरज को “थैंक यू” कहा।
उस समय काफी अंधेरा हो चला था और कोहरा फैला हुआ था। मैं और किरण सूरज और मेरी पत्नी रीता से दूर दूसरे छोर पर अठखेलियां खेल रहे थे। हालांकि रीता और सूरज शायद हमारी खिलखिलाते हुए हंसने की और पानी में खेलने की आवाज सुन पा रहे होंगे, पर रीता को उस अंधेरे में हम दिखाई नहीं दिए। उस समय पूल के आस-पास कोई लाइट नहीं जलाई गयी थी और ना ही वहां कोई सेवक नजर आ रहा था। शायद सूरज ने ही यह आदेश दिया होगा ताकि वह रीता के साथ अंधेरे का फायदा उठा सके।
रीता अपनी कामोत्तेजक स्थिति से उभरी तब उसने अपनी नग्न स्थिति देख कर खौफ और शर्म के मारे अपनी पैंटी और टॉप को ढूंढने की कोशिश की। जब रीता उस अंधेरे में उन्हें ढूंढ नहीं पायी तब
हालांकि काफी अंधेरा हो चुका था फिर भी टिमटिमाते सितारों के प्रकाश में सूरज की पैनी कामुक नजरें रीता की नग्नता को घूर कर देखना चाह रहीं थी। उन नजरों के वार से बचने के लिए रीता अपने स्तनों और अपनी चूत को अपने हाथों से छिपाने की कोशिश करने लगी। सूरज ने आगे बढ़ कर दोनों हाथों से रीता को अपनी बाहों में लिया और रीता के हाथों को हटाते हुए कहा, “रीता वैसे तो अब इस अंधेरे में कुछ ज्यादा नहीं दिखाई पड़ता है फिर भी अब तुम मुझसे यह शर्म और पर्दा मत करो।
आज विधाता ने ही तुम्हें मेरे पास इस हालत में भेजा है हम दोनों इस स्थिति को स्वीकार करें। तुमने मुझे वचन दिया है, कि तुम आज मुझे अपना पति जैसा मान कर मेरा धन्यवाद करोगी। मुझे पति ना सही तुम मुझे अपना मान कर मुझसे कोई शर्म और पर्दा किये बिना आज पूरी तरह से मेरी हो जाओ।”