गुड्डी – आप कहाँ पर हो भाई? मैं कब से आपका इंतज़ार कर रही हूँ।
भाई के फ़ोन उठाते हि गुड्डी उनपे बरस पड़ि। वो करीब आधे घंटे से भाई का इंतज़ार अपने घर पर कर रही थी। रह रह कर गुड्डी की चूत पानी छोड़ रही थी, इस वजह से उसने पहले ही अपनी चड्डी उतार दी थी। वो पूरे घर में कहीं भी चैन से बैठ ही नही पा रही थी।
हर एक मिनट में जाकर दरवाजे से सड़क की तरफ देखती की भाई आए या नही। इस आधे घंटे में गुड्डी ने तीन बार बाथरूम में जाकर अपनी चूत और झाँगो को अपने पेटिकोट से पोंछा था। चुदने की चाहत में उसकी चूत बार बार पानी छोड़ रही थी।
भाई – रास्ते में हूँ। बस आया समझ।
गुड्डी – कैसे समझाऊँ भाई, मैं पानी पानी हुई जा रह हूँ।
भाई – तू फोन रख और मैं आया।
गुड्डी – जल्दी आइए।
कहते हुए गुड्डी ने फ़ोन रखा और जाकर सबसे आगे वाले कमरे के दरवाजे पर खड़ी हो गई और आते जाते हुए चेहरों में भाई को ढूंढने लगी। बार बार मोबाइल की स्क्रीन पर टाइम देखते हुए उसने अपने अगले पाँच मिनट निकल लिए। आखिर इंतज़ार खतम हुआ। भाई की गाड़ी गुड्डी को दिखी। उसने फ़ौरन गेट की कुंडी खोली और गेट को थोड़ा खोल दिया।
भाई मैन गेट खोलते हुए अंदर आए और जैसे ही वो अंदर वाले दरवाजे की पास पोहचे तो गुड्डी ने फौरन उन्हें पकड़ते हुए अंदर खींचा और दरवाज़ा अंदर से बन्द कर लिया। भाई एक कदम भी नही चले होंगे कि गुड्डी ने उन्हें धक्का देकर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और घुटनों के बल बैठकर भाई की पेंट खोलने लगी।
भाई – गुड्डी, एक मिनट साँस तो लेने दे। कहते हुए भाई ने गुड्डी के सिर पर हाथ फेरा।
गुड्डी – कहाँ अटकी हुई है आपकी साँस। ले ही तो रहे हो। साँस तो मेरी अटकी हुई है। इस पेंट में। कहते हुए गुड्डी ने भाई का बेल्ट खोल दिया। पेंट का बटन जरा टाइट था। जिसे खोलने में गुड्डी को जोर लगाना पड़ा।
गुड्डी – कोई दूसरी पेंट पहन कर नही आ सकते थे। मेरा ही टाइम बर्बाद करने में मज़ा आता है आपको। अब खोलो इसे जल्दी। नही खुल रहा मुझसे ये।
भाई ने मुस्कुराते हुए अपनी पेंट का बटन खोल दिया। गुड्डी ने फ़ौरन उनका हाथ झटकते हुए पेंट की ज़िप खोली और पेंट के साथ साथ चड्डी भी सीधा सीधा घुटनों तक निचे उतार दी।
गुड्डी – कितने बुरे हो आप भाई। हँस रहे हो मुझ पे।
इतना कहते हुए उसने अपने भाई के लन्ड को बिना हाथ लगाए लपक कर मुँह में भर लिया। भाई ने गुड्डी के सिर पर हाथ रखते हुए एक आह भरी।
गुड्डी ने नज़र उठा कर भाई के चेहरे की तरफ देखा और अपने मुह में लन्ड को टाइट पकड़ कर अपना सिर पीछे करते हुए लन्ड को खींचने लगी। भाई ने एक लम्बी साँस लेते हुए गुड्डी की आँखों में देखा। गुड्डी की आँखों में उनके लिए प्यार साफ दिख रहा था, पर वो अभी भी गुस्सा थी।
हालांकि भाई का लन्ड अभी तक हरकत में नही आया था पर गुड्डी को अच्छे से पता था कि कैसे उसके भाई का लन्ड उसकी चूत में जाएगा। कब, कितनी ताकत लगा कर भाई के लन्ड को चूसना है उसे अच्छे से पता था। उसने जोर लगते हुए अपना मुँह भाई के लन्ड पर दबाया जिससे उनका लन्ड जड़ तक गुड्डी के मुँह में आ गया।
पीछे दीवार थी, जिसका गुड्डी को पूरा फायदा मिला। भाई पीछे नही हो पाए और उनका लन्ड हरकत में आने लगा। गुड्डी ने जैसे ही उनके लन्ड की गर्मी अपने मुह में महसूस की तो उसने अपने सिर को आगे पीछे करते हुए जोर से भाई के लन्ड को चूसना शुरू कर दिया। पूरा एक मिनट भी नही लगा गुड्डी को अपने भाई का लन्ड खड़ा करने में।
फिर एक बार आपने भाई का 7 इंच का लन्ड पूरा मुह में भर कर उसने अपने मुह को आराम देते हुए लन्ड मुँह से बाहर निकाला और अपने हाथ में लन्ड पकड़ कर मुठ्ठ मारते हुए बोली।
गुड्डी – आप बहुत बुरे हो भाई।
भाई – अब क्या हुआ।
गुड्डी – क्या हुआ और क्या नही। वो मैं बादमे बताऊँगी पहले आप मुझे चोदो।
भाई – तो बताओ कैसे चुदना है।
गुड्डी – कैसे भी चोदो बस अब और टाइम बर्बाद नहीं करना।
गुड्डी फ़ौरन खड़ी हुई और झटके से अपना घाघरा उठाया और पीठ के बल पलंग पर लेट गयी। भाई ने इस बार कोई देर न की और गुड्डी ने हाथ आगे बढ़ा कर भाई का लन्ड पकड़ा कर अपनी चूत के मुह पर लगाया।
भाई ने जोर से झटका मारा…
गुड्डी – आहहहहहहह, भाई।
और गुड्डी ने अपनी आँखें बंद कर ली। चूत पहले से गीली थी और लन्ड गुड्डी ने चूस के गिला कर दिया। बिना किसी रुकावट के इंच ब इंच गुड्डी की चूत में उसके भाई का लन्ड पूरा समा गया। कुछ समय देते हुए भाई ने अपनी पोजीशन सही करी और गुड्डी की टैंगो को उठाते हुवे लन्ड को बाहर खींचा। थोड़ा सा अंदर रखते हुए गुड्डी के चेहरे की तरफ देखा और फिर से एक जोर का झटका मारा।
गुड्डी – माँआआआआआआआ, भाई।
भाई – हाँ गुड्डी।
गुड्डी – अब मत रुकिए।
फिर भाई ने गुड्डी को कसके पकड़ा और झटके देने शुरू कर दिए। लन्ड के ऊपर की टोपी के अलावा भाई अपना पूरा लन्ड अंदर बाहर कर रहे थे। नज़रें गुड्डी के चेहरे पर गड़ी थी और ध्यान उसकी चूत मारने में था।
भाई ने कोई जल्द बाजी न दिखाते हुए बड़े ढंग से अपनी ताकत का इस्तेमाल किया और गुड्डी की चुदाई इस तरह से जारी रखी कि लम्बे समय तक उसे चोद सके। गुड्डी के चेहरे पर चुदाई से होने वाला दर्द और उसकी खुशी दोनों देखे के भाई के जोश का ठिकाना न था। थोड़ी देर में भाई रुक गए।
गुड्डी – क्या हुआ भाई, रुके क्यों?
भाई – बस तकिया लगा रहा हूँ। गुड्डी ससमझी की भाई उसकी गाँड मरेंगे।
गुड्डी – भाई गाँड बादमे मार लेना। मैं घोड़ी बन जाऊँगी। पहले मेरी चूत मार दो अच्छे से।
भाई – चूत ही मर रहा हूँ, थोड़ा ऊपर हो जाए इसलिए तकिया लगा रहा हूँ।
कहते हुई भाई ने लन्ड फिर से गुड्डी की चूत में उतार दिया। गुड्डी का पीरा बदन झटके खा रहा था। हर झटके के साथ उसे गाल, उसके बोबे, उसका पेट और उसकी झांगे, सब कुछ हिल रहा था। पायल और चूडियों की खनक इस बात की गवाही थी कि गुड्डी की चूत उसके भाई पूरी ताकत से मार रहे हैं।
गुड्डी के मुह से दर्द भरी सिसकारियां सुनकर तो जैसे भाई का खून दुगनी गति से दौडने लगा। अब गुड्डी भी आँखों में आँखें डाल कर अपनी चूत अपने भाई से चुदवा रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों आँखों ही आँखों मे बात कर रहे हो।
गुड्डी (आँखों से) – हाँ भाई, और जोर से, दिखा दो अपना दम, निकाल दो मेरी जान। आज चाहे दुनिया इधर की उधर क्यों न हो जाए, आप मुझे पूरा दिन बस अपने लन्ड के नीचे ही रखना और चोदते रहना।
भाई (आँखों से) – ले गुड्डी, और ले। जी भर कर अपने भाई का लन्ड ले। जब और जैसे तू चाहे वैसे ले। तू जब तक चाहेगी तब तक ये लन्ड तुझे ऐसे ही चोदता रहेगा।
अगले 5 मिनट बिना किसी रोक थाम के गुड्डी की चूत भाई का लन्ड निगलती रही। आज दोनों की आँखों मे देख के लग रहा था कि कोई थकने वाला नही है। भाई ने फिर झुकते हुए गुड्डी के होठों पर अपने होठ रख दिए। ये उन दोनों का आज का पहला किस था।
भाई ने गुड्डी की टाँगों को छोड़ते हुए, एक हाथ गर्दन के पीछे और दूसरा गुड्डी के सिर के पीछे लेजाकर उसे अच्छे से किस करने लगे। इस किस का चुदाई की रफ्तार पर फर्क पड़ा और वो धीमी हो गई। गुड्डी ने भी भाई को अपनी बाहों में भर लोया और अपनी टैंगो को भाई की कमर में बांध दिया। किस के साथ चुदाई में दोनों की साँसों का फूलना लाजमी था।
करीब 1 मिनट तक चले इस किस में दोनों अपनी साँस भूल गए। जिस वजह से दोनों को अलग होना पड़ा और भाई पलट कर पास ही में सो गए। गुड्डी ने फिर से उठ खड़ी हुई और भाई का लन्ड पकड़ कर उस पर अपनी चूत रखते हुए बैठ गई। अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुए उसने अपनी साँसों को काबू किया।
अब बारी गुड्डी की थी। अपने दोनों हाथ भाई के सीने पर रख कर उनका सहारा लेते हुए गुड्डी ने अपनी चूत को भाई के लन्ड पर मरना शुरू किया। भाई ने भी गुड्डी का साथ देते हुए अपनी कमर को हल्के हल्के उठाना शुरू किया। गुड्डी थोड़ी और झुकी और अपने दोनों हाथों से भाई की गर्दन के पीछे पकड़ बनाते हुए जोरदार तरीके से भाई को चोदने लगी।
भाई – गुड्डी।
गुड्डी – हाँ भाई, बोलो। आह…
भाई – जितना बोलूं उतना कम है मेरी जान।
गुड्डी – बोलो न भाई, आप कुछ भी बोलो। कुछ भी पूछो में सब जवाब दूंगी आपको। ओह माँ… भाई
भाई – गुड्डी, तू कमाल की है यार। मन करता है।
गुड्डी – हाँ भाई, क्या मन करता है आपका। बोलो ना। उफ्फ…
भाई – तेरी चूत।
गुड्डी – हाँ मेरी चूत का क्या, कहिए ना।
भाई – मन करता है, रोज़ तेरी इस चूत को चोद चोद कर अपने पानी से भर दूँ। ऐसी चोदू की सूजा कर लाल कर दूं पूरी की पूरी।
गुड्डी – तो किसने रोका आपको मेरी चूत मारने से। मैं तो हर वक़्त तैयार हूँ आपके नीचे आकर चुदने के लिए। आपको ही मेरी और वक़्त की कदर नही है। आज भी पूरा आधा घंटा खराब कर दिया। हाए रे… उफ्फ्फ…
भाई – गलती हो गई गुड्डी, माफ करदे।
गुड्डी – मैं कोन होती हुँ माफ करने वाली। अपने मेरी चूत को तड़पाया है, अच्छा होगा आप उसी से माफी माँगो। जितनी जल्दी वो पानी छोड़ेगी उतनी जल्दी आपको माफ कर देगी।
ये सुन कर भाई ने दोनों हाथों से गुड्डी की गांड को पकड़ा नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए। उन्हें अच्छे से मालूम था कि गुड्डी का या यूं कहें कि गुड्डी की चूत का पानी कैसे निकलना है। पूरा लन्ड चूत में अंदर बाहर करते हुए भाई ने अपनी पकड़ को बनाए रखा। गुड्डी की साँसे अब फिर से फूलने लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत की खुदाई चालू है और ये खुदाई अब पूरी तरह भाई के हाथ में थी। ज्यादा देर नही लगी और 5 ही मिनट में गुड्डी की चूत ने पानी छोड़ दिया। गुड्डी बेसुध होकर भाई के ऊपर गिर गई। उसका इंतजार अब सफल हुआ। पर अब भाई को चैन कहाँ था।
उन्होंने गुड्डी को वेसे ही खुदसे लिपटे हुए उठाया और पलंग पर लिटा दिया। इस दौरान लन्ड और चूत अलग नही हुए। पलंग पर गुड्डी को लिटाया और लन्ड बाहर निकाला। गुड्डी की चूत का पानी निकल कर गांड से होते हुए नीचे गिरने लगा। भाई ने उसी पानी को गुड्डी की गांड पर अच्छे से मसल दिया और अपना लन्ड पकड़ कर गुड्डी की गाँड पर सेट किया।
गुड्डी – भाई मेरी गाँड सिर्फ आप ही मरते हो। और किसीको तो मैं छूने भी नही देती।
भाई – हाँ मेरी जान। मुझे पता है। तू आराम से रह ज्यादा दर्द नही दूंगा तुझे।
गुड्डी – दर्द देने से किसने रोका है आपको भाई। इतना कह लर गुड्डी रुक गई और मुस्कुरा दी।
भाई ने गुड्डी की आँखों में देखते हुए लन्ड को थोड़ा गाँड के छेद पर रगड़ा और फिर एक ही झटके में पूरा 7 इंच गुड्डी की गाँड में उतार दिया। गुड्डी की साँसें ऊपर चढ़ गई। उसकी चींख इतनी तेज थी कि अगर कोई घर के बाहर होता तो आसानी से सुन लेता। उसकी दोनों आँखों से आँसू निकल पड़े।
पर भाई ने कोई रहम नही दिखाया और ताबड़ तोड़ गुड्डी की गाँड मारनी शुरू कर दी। गुड्डी के दर्द का कोई ठिकाना न था, पर भाई ने गुड्डी के चेहरे से ध्यान हटाते हुए अपनी नज़रों को गुड्डी की गाँड पर टिकाए रखा और अपनी रफ्तार को जितना हो सकता था उतना तेज कर दिया।
गुड्डी तड़पने लगी, झट पटाने लगी, इधर उधर अपना सिर पटकने लगी। थक हार कर उसने एक तकिया अपने मुँह पर दबाया और अपनी दबी हुई चीखों को निकलने दिया। तकिए में सभी चीखें दबी दबी सी सुनाई दे रही थी।
गुड्डी – भाई। आह,,, माँ मर गई रे,,, मार डाला भाई। आह उफ्फ।।। है भगवान, आह आह भाई। उफ्फ्फ… ओह…
करीब 10 मिनट होने को थे। गुड्डी की चीखें और आँसू लगातार आ रहे थे। भाई ने गुड्डी को संभालने का कोई मौका नही दिया और शॉट पर शॉट मरते गए। कोई दया न दिखाते हुए भाई ने गुड्डी की गाँड इस तरह मारी की जैसे कोई बुलेट ट्रेन। गुड्डी अब अधमरी सी होने लगी। पर भाई गुड्डी को ऐसे देख के और उत्सुक हो गए और अब उनकी रफ्तार अपनी चरम सीमा पर थी।
उन्होंने गुड्डी की टाँगों को हवा में करते हुए उसे कमर से पकड़ा और अपने लन्ड पर दबाते हुए गाँड मारने लगे। इससे गुड्डी को और ज्यादा दर्द हुआ पर भाई के लिए ये टॉनिक था। और कुछ देर इसी तरह गाँड मारते हुए उनका पानी निकलने लगा।
उन्होंने तभी 7 8 जोर दार झटके लगाए और पूरी ताकत के साथ गुड्डी की गाँड में झड़ गए। झड़ते ही वो गुड्डी के ऊपर गिर गए। गाँड में लन्ड और सीने पर भाई का सिर लिए गुड्डी खुद को संभालने लगी
1 मिनट बाद भाई हाथों का सहारा लेते हुए उठे और उठ कर गुड्डी के चेहरे की तरफ देखने लगे। गुड्डी अभी भी भाई का लन्ड गाँड में लिए सुबक रही थी।
भाई – सोरी गुड्डी।
पर गुड्डी ने कोई जवाब नही दिया और भाई को खेंच कर अपनी बाहों में भर लिया। गुड्डी बहुत खुश थी। उसने कुछ देर भाई को गले से लगाए रखने के बाद उनके चेहरे को पकड़ा और उनके सिर पर एक किस कर दिया। उसका पूरा चेहरा उसके आँसुओ सी धुल गया था।
भाई को फिर से मस्ती सूजी और उन्होंने अपने आधे खड़े लन्ड से एक और झटका गुड्डी की गाँड में मारा। गुड्डी ने आह भरते हुए फ़ौरन भाई को अपने सीने से लगाकर दबा लिया।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद। भाई – अब उठें।
भाई की आवाज सुनकर गुड्डी ने उन्हें अपनी बाहों से आज़ाद किया और भाई अपना लन्ड गुड्डी की गाँड से निकलते हुए उठे और खड़े हो गए। गुड्डी ने करवट ली और आराम करने लगी। भाई बाथरूम जाकर आए।
बाहर बेसिन में हाथ धोते हुए उन्होंने अपने लन्ड को भी अच्छे से साफ किया। फिर पानी पिया और गुड्डी के लिए पानी लेकर वापिस कमरे में गए। पलंग पर करवट लेकर सोती हुई गुड्डी की पीठ भाई की तरफ थी। गुड्डी की गाँड से बहते हुए भाई का पानी पलंग की चादर पर लग रहा था। भाई आगे बढ़े और गुड्डी को सहारा देकर उठाते हुए अपनी गोद मे बिठाया।
गुड्डी ने फिर से भाई का लन्ड अपनी मिट्ठी में पकड़ लिया। लन्ड हाथ में लेते ही गुड्डी समझ गई कि भाई इसे धो कर आये हैं। गुड्डी की इस हरकत पर भाई थोड़ा मुस्कुराए और हाथ आग बढ़ा कर गुड्डी को पानी पिलाने लगे।
भाई – सोरी गुड्डी।
गुड्डी – सोरी किस लिए। पानी पीकर उसने पूछा।
भाई – इस तरह बेरुखी से तेरी गाँड मारने के लिए। तुझे इतना दर्द, इतनी तकलीफ देने के लिए।
गुड्डी – मुझे अपसे कोई शिकायत नही है। कहते हुए गुड्डी ने मुस्कुरा कर भाई के होठों को चूम लिया।
भाई – फिर भी मुझे लगा कि आज कुछ ज्यादा हो गया।
गुड्डी – भाई, क्या मैंने गाँड मरवाते हुए अपने मुँह से नही, या रुको जैसा कुछ कहा।
भाई – नही तूने ऐसा तो कुछ नही कहा।
गुड्डी – तो आपको ऐसा क्यों लग रहा है कि मुझे बुरा लगा आपसे अपनी गाँड मरवा के।
भाई – मुझे बस लगा ऐसा।
गुड्डी – बिलकुल गलत लगा आपको। आपसे मैं अपनी चूत और गाँड ही नही बल्कि अपने शरीर का हर छेद चुदवाने को तैयार हूँ। कभी भी कहीं भी।
इतना कहते ही गुड्डी ने दोनों हाथों से भाई को गले लगा लिया। भाई ने भी गुड्डी को अपनी बाहों में भर लिया।