पुराने खंडहर में काव्या की ताबड़-तोड़ चुदाई-3 (Purane khandar mein Kavya ki tabad tod chudai-3)

पिछला भाग पढ़े:- पुराने खंडहर में काव्या की ताबड़-तोड़ चुदाई-2

फिर बिना देर करते हुए वो वहां पर रखी लकड़ी की कुर्सी पर काव्या को झुका दिया, और फिर अपने लंड के टोपे को काव्या की कोमल रसीली कमसिन गुलाबी चूत पर सेट कर दिया। फिर एक-दो मिनट काव्या को किस करके अचानक से काव्या की चूत में अपना लंड पेला। पर गज्जू का लंड फिसल गया, शायद चूत के छेद से लंड फिसल गया था।

फिर से गज्जू ने काव्या के पैरों को थोड़ा फैलाया, और खुद उसको कुर्सी पर झुका कर उस पर झुक गया। वो पोजीशन डागी स्टाइल की तरह ही था, पर कुछ अलग सा था, और लंड चूत पर सेट करके आराम-आराम से थोड़ा घुसाया। जब लंड को चूत के छेद का रास्ता मिल गया, तो गज्जू ने जोर का धक्का मारा। कुर्सी थोड़ा आगे खिसक गयी, पर लंड का चूत से मिलन भी हो गया, और लंड चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया।

गज्जू ने लंड अन्दर जैसे ही डाला काव्या चीख उठी, और वो बोली, “प्लीज निकालो भैया, प्लीज आह उहहह उइइईईई मां फाड़ डाला रे उहह आआहहहह”। तभी गज्जू बोला, “बस थोड़ा दर्द होगा, अभी सब खत्म हो जाएगा”। और फिर कुछ देर गज्जू रूक गया और किस करने लगा। फिर कुछ ही सेकेण्डों में गज्जू ने दूसरा झटका मार दिया। गज्जू का 6 इंच के आस-पास का लंड अन्दर घुस गया, और काव्या की चीख बढ़ गई। वो जोर-जोर से छटपटाने लगी, और रोने लगी। वो छूटने की कोशिश करती पर छूट नहीं पा रही थी।

इधर मेरी हालत खराब हो रही थी दोनों की चुदाई देख कर। क्योंकि गज्जू का मूसल लंड मेरी बहन काव्या की चूत फाड़ने ही वाला था। मैं गज्जू के रग-रग से वाकिफ था, कि एक बार जब गज्जू किसी कमसिन कली को फंसा लेता है, तो उसकी चूत और गांड ऐसी मारता है कि वो लड़की शादी के बाद भी उसे ही याद करती रहे, और उस चुदाई को नहीं भूलती। मैंने सोचा काव्या की चुदाई मैंने कर दी है पहले ही, तो ज्यादा दर्द नहीं होगा। पर गज्जू का लंड मैं आज देख कर समझ गया कि मेरी चुदाई इसके सामने फीकी पड़ गई।

उधर गज्जू सटासट-सटासट लंड अन्दर-बाहर कर रहा था, और काव्या की चीख से पूरे खंडहर में आवाज़ टकरा-टकरा कर वापस गूंज रही थी। मैं उस आवाज को सुन-सुन कर एक तरफ परेशान हो रहा था, तो एक तरफ मुझे जोश भी आ रहा था। मैं भी अपने लंड को हिलाने लगा था। पर काव्या की चीख बढ़ती ही जा रही थी। शायद इतना दर्द कल भी नहीं हुआ था, क्यूंकि जल्दी-जल्दी में दोनों अच्छे से चुदाई नहीं किए थे शायद। काव्या की चुदाई मैंने भले ही 2 बार की थी, पर पहली चुदाई दो साल पहले और दूसरी चुदाई आज से करीब 6 महीने पहले की थी, तो चूत फिर से एक-दम टाईट ही चुकी थी।

काव्या चिल्ला रही थी: उहहहह आह अईईई बहुत दर्द हो रहा है।

गज्जू: बस-बस मेरी जान, 10 तक गिनती गिनो। अभी सब दर्द खत्म हो जाएगा।

काव्या गिनती गिनना शुरू करती हैं और गज्जू अपनी स्पीड बढ़ा देता है, और सटासट सटासट सटासट फटाफट फटाफट लंड पेलना स्टार्ट कर देता है।1आह 2‌‌आह 3 आह ऐसे करते-करते काव्या गिनती गिनती है। तभी गज्जू चौंक जाता है, क्यूंकि काव्या 9 तक गिनती गिनती है और बोलती है, “9 आह”, अब काव्या को मजा आने लगा था।

कुछ ही देर में काव्या को मजा आने लगता है, और वो गज्जू का साथ देने लगती है। तो गज्जू देखता है कि मैं अभी भी देख रहा था। पर वो काव्या से ये बात छुपाते हुए कि तुम्हारा भाई देख रहा है, काव्या से बोलता है, “मेरी जान, तुम बहुत कसी हुई माल हो, तुम्हारे साथ सेक्स करके मैं धन्य हो गया”। इतना कहते ही गज्जू काव्या को डाॅगी स्टाईल से हटा कर अब उसे अपनी गोद में उठा लेता है, और अब काव्या की चूचियों को पीने लगता है।

फिर कुछ मिनट बाद ही वो काव्या की चूत में फिर से लंड फंसाता है और एक झटके में ही लंड सट से पेल देता है। फिर काव्या को अपने गले से चिपका कर रखता है।  गज्जू उसी पोजीशन में ही काव्या को अपनी गोद में उठा कर उसकी चूत में सटासट सटासट लंड पेलते हुए थोड़ा सा खंडहर के बाहर आता है, ताकि मैं सही से उनकी चुदाई देख सकूं। और अब मेरे सामने गज्जू का चेहरा और काव्या की नंगी पीठ और गांड दिख रही थी, और गज्जू मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था, और सटासट सटासट लंड चूत में पेले जा रहा था।

काव्या की चूचियां तो गज्जू के सीने से दबी हुई थी, पर काव्या की गांड ऊपर-नीचे होने की वजह से हिलोरे मार रही थी, और मुझे देख गज्जू काव्या की गांड पर चमाट मारे जा रहा था, जिससे काव्या की गांड लाल हो चुकी थी। पर देखते ही देखते नजारा कुछ ऐसा हुआ कि मुझे बहुत बुरा फील हुआ। क्यूंकि करीब 5 मिनट लगातार पेलने के बाद फटा फट फटा फट चटा चट चटा चट की आवाज करते हुए लंड चूत में ही झड़ गया।

अब सीन ऐसा था कि झड़ने के बाद भी गज्जू ने अपना लंड चूत में टाईट होकर अन्दर ही घुसा रखा था। और उसमें से गज्जू के लंड का वीर्य टपक रहा था। मुझे ये देख‌ कर बहुत बुरा लग रहा था, क्योंकि आज गज्जू ने मेरी बहन को मेरे सामने ही चोद कर उसकी चूत में वीर्य डाल दिया था।

पर कुछ देर गज्जू वैसे ही काव्या को लेकर खड़ा रहा, और कुछ ही देर में फिर धक्के मारने लगा। अबकी बार काव्या की चूत ने पानी छोड़ दिया, और फिर वैसे ही रिस-रिस कर पानी चूत और लंड के बीच से ही टपकने लगा। ये सब देख मेरी भी हालत खराब हो रही थी, पर करता भी तो क्या? चुदाई तो कर ही दी थी गज्जू ने, तो मैंने शान्त रहना उचित समझा।

फिर दोनों एक-दूसरे से लिपट गए, और वहीं पास रखी कुर्सी पर गज्जू काव्या की चूत में वैसे ही लंड फंसाए बैठ गया, और काव्या उसके सीने से चिपक कर वैसी ही गज्जू के लंड पर बैठी रही। करीब 10 मिनट बाद गज्जू फिर जोश में आ गया, और वो काव्या को किस करने लगा। काव्या भी उसका साथ देने लगी।

एक-दूसरे को चूमते-चूमते गज्जू ने वहां पर रखी खाट पर जो पुरानी हो चुकी थी, उस पर काव्या को लिटा दिया, और काव्या को अपने पैर फैलाने को बोला। जब काव्या ने अपने पैर फैलाए, तो काव्या की गुलाबी चूत जो चुदाई के बाद और भी लाल हो चुकी थी, उसे देख गज्जू पागल सा होने लगा और अपने आप को रोक नहीं पाया। वो तुरन्त काव्या की चूत पर टूट पड़ा, और अपना लंड काव्या की चूत में हचाक से पेल दिया। फिर वो जोर-जोर से धक्के देने लगा।

अब पूरे खंडहर में दोनों की चुदाई की वजह से उत्पन्न आवाज फच फच पुच पुच चट चट फट फट सट के साथ-साथ उस खटिया की चूं-चूं की आवाज आने लगी। मैं तो यही डर रहा था कि कहीं खटिया टूट ना जाए, पर शायद खटिया अभी भी मजबूत थी। फिर करीब 10 मिनट के रोमांस से भरपूर चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए और एक-दूसरे को पकड़ कर लेट गए।

अब तक उन्हे खंडहर के पास आए करीब 2 घंटे हो चुके थे। मतलब दोपहर के 3 बज चुके थे। तो समय देख कर काव्या बोली, “अब चलते हैं, नहीं तो घर पर भैया बोलेंगे कहां थी अब तक वगैरह वगैरह”। पर गज्जू ने जाने से मना कर दिया, क्यूंकि उसे पता था कि मैंने सब कुछ देख लिया था, और मैं भी अभी यहीं पर था। तो गज्जू के मना करने पर काव्या बोली, “हटो, मुझे जाने दो”। तो गज्जू बोला, “अभी कहां, इतनी जल्दी भी क्या है”? और फिर काव्या की चूचियां मसलने लगा।

फिर कुछ देर चूचियां मसलने के बाद गज्जू ने काव्या की गांड पर दो थप्पड़ मारे और बोला कि, “आज तो इसका भी नम्बर है”। तो काव्या बोली, “ये नहीं दे सकती”। तभी गज्जू बोला, “ऐसी गांड लेकर कहां जाओगी? अचार डालोगी क्या? इसका उदघाटन तो मैं करके ही रहूंगा”। पर उसे क्या पता था कि काव्या की गांड का उदघाटन मैंने पहले ही कर रखा था, और उस दर्द को काव्या शायद अब भी नहीं भूली थी।

पर फिर भी काव्या नहीं मानी, तो गज्जू ने तरकीब सोची कि पहले चूत चोदूंगा, और झटके में ही छेद बदल दूंगा। ऐसा सोच कर फिर गज्जू कुर्सी पर बैठ गया, और फिर काव्या को अपने लंड पर बैठने का इशारा किया। फिर जैसे ही काव्या गज्जू के लंड पर अपनी चूत को सेट करके बैठी, एक दो झटके में ही लंड को अन्दर तक पेलते हुए काव्या को लेकर खड़ा हो गया, और फिर काव्या की चूचियों को अपने हाथों से पकड़ कर मसलने लगा। वो पीछे से धक्के मारने लगा।

फिर काव्या की कमर को सहलाने लगा, तो दोनों चूचियां हिलोरे मार-मार कर हवा में झूमने लगी। वो सीन देख कर मुझे समझ आ गया कि आज ये औरत बन जाएगी। आज गज्जू औरत बना कर ही छोड़ेगा। करीब 20 झटके मारने के बाद गज्जू थका-थका सा लगने लगा, तो कुर्सी पर फिर से बैठ गया। अब काव्या को उस पर बैठ कर कूदने को बोला, तो काव्या गज्जू के लंड पर उछलने लगी। ऐसा करते करते काव्या की चूचियां उछल रही थी वो दृश्य बहुत ही मनमोहक था। उस दृश्य को देख कोई भी मुट्ठ मार देता, तो मैं भी क्यूं ना मारता? कुछ देर में काव्या भी थक गयी तो वो रूक गयी।

पर तभी मैंने देखा कि गज्जू काव्या की पीठ पर किस करते हुए उसे “ओह बेबी यू आर माई फक डाॅल” बोला और लंड को सेट करने लगा और बोला कि, “जैसे मैं बोलूंगा, तुरन्त तुम जोर से बैठ जाना”। तो काव्या हां में जवाब दी। फिर मैंने देखा कि गज्जू ने अपने लंड को शायद गांड के छेद पर रखा। जैसे ही काव्या को गज्जू ने बोला कि बैठो, और जैसे ही काव्या बैठने लगी, तो गज्जू काव्या की गांड को पकड़ कर फैला दिया।

जब लंड गांड के छेद पर टच हुआ, और जब तक काव्या उठने का प्रयास करती, गज्जू ने अपने हाथों से जोर देकर काव्या को लंड पर बैठने को मजबूर कर दिया। फिर लंड गांड के छेद में घुसता चला गया, और करीब 2 इंच ही लंड घुसा रहा होगा, तभी काव्या की कराहने की आवाज आने लगी।

वो उसको हटाने लगी, पर लड़की जात कहां से एक मर्द के सामने जीत पाएगी। गज्जू ने तुरन्त काव्या को कस कर जकड़ लिया, और तुरन्त गांड में धक्के लगाने के लिए अपनी कमर को उठाया। पर तब तक काव्या उठ गई। पर गज्जू ने हार नहीं मानी, और तुरन्त काव्या को फिर से पकड़ कर उसके दोनों पैरों को अपने पैरों से जकड़ लिया, और गांड के छेद में अपने लंड को सेट करके जोर का धक्का मार दिया।

काव्या की चीख के साथ गज्जू की चीख भी निकल गयी। पर कुछ देर में ही गज्जू फटा फट फटा फट लंड पेलते हुए काव्या की गांड भी बजाने लगा। कुछ देर में ही काव्या की गांड से तेज तेज आवाज आने लगी, जो कि काव्या की गांड पे गज्जू की जांघ के टकराने से आ रही थी। पूरे कमरे में चटर चटर पटर पटर  की आवाज आ रही थी, और उहआह उहआह उफ्फ्फ ओह माई गाड आहहहह की आवाज आ रही थी। कुछ ही देर में काव्या को भी मजा आने लगा, और वो गज्जू का साथ देने लगी।

पर मैंने जब ध्यान से देखा तो पता चला कि जैसे काव्या की गांड के लिए गज्जू का लंड एक-दम परफेक्ट था। क्योंकि जब गज्जू लंड काव्या की गांड में पेलता, तो काव्या और गज्जू दोनों की आह निकल जाती। पर जब लंड बाहर निकालता,‌ तो उसके लंड के साथ काव्या की गांड के अन्दर की चमड़ी जो हल्की गुलाबी थी, वो लंड के टोपे के साथ बाहर आ जाती,‌‌ और ऐसा बार-बार हो रहा था। तो इससे पता चल रहा था कि काव्या की गांड के लिए गज्जू का लंड परफेक्ट था।

दोनों चुदाई करते-करते एक-दूसरे को चूमते-चाटते और उसी दौरान गज्जू और काव्या फिर एक बार फिर झड़ गए। गज्जू ने अपना पूरा माल काव्या की गांड में छोड़ दिया। फिर दोनों एक-दूसरे को चूमते हुए खुश नजर आ रहे थे, और दोनों आपस में बातें कर रहे थे। फिर बातों ही बातों में गज्जू ने बोला कि, “यार अगर एक बात बोलूं, तो बुरा तो नहीं मानोगी ना?” और फिर लंड चूत में पेल दिया, और चुदाई करने लगा।

तो काव्या बोली कि, “बोलो”। तो गज्जू बोला कि, “यार मैंने तो कुछ ज्यादा पढ़ाई की नहीं है, पर अगर बोलो तो छोटा मुंह बड़ी बात करूं?” तो काव्या फिर बोली कि, “बोलो यार”।

तो गज्जू बोला, “यार मैं आपसे शादी करना चाहता हूं”। तो काव्या मन में सोची कि, “यार इसने चोद तो लिया ही है मुझको, तो क्यूं ना शादी भी इसी से कर लूं, तो कोई बात बाहर नहीं जाएगा, और मैं भी इसके मूसल लंड से रोज रात को मजे लूंगी। और तो और मैं अपने भाई के दोस्त के घर ही रहूंगी”। पर कुछ सोचने के बाद वो बोली कि, “भैया नहीं मानेंगे”।

पर जब काव्या के मुंह से गज्जू ने इतना सुना कि भैया नहीं मानेंगे। तो वो उसी हालत में ही काव्या की चुदाई करते-करते ही बाहर आ गया और अचानक से काव्या का मुंह मेरी तरफ कर दिया। मैं काव्या को देख और काव्या मुझे देख भौचक्के रह गए। पर गज्जू ने बिना रूके ही काव्या को चोदना शुरू कर दिया, और फिर बोला, “अब पूछो तुम्हारे भैया मानेंगे या नहीं”।

काव्या की आंखो से डर की वजह से आंसू निकल गए और फिर वो शर्म के मारे मुझसे आंख नहीं मिला पा रही थी। कुछ देर चूत चोदने के बाद काव्या की चूत में फिर से अपना गरम-गरम माल गिरा दिया, और फिर मुझसे गज्जू बोला कि, “अब बदला पूरा हुआ। अब मैं तुझे माफ करूंगा। उस दिन माफी तुझसे इसलिए ही मांगी थी मैंने”।

तब काव्या सोच में पड़ गयी कि आखिर कैसा बदला। आखिर किस बात को लेकर हुई थी दोनों में लड़ाई। और फिर वो हम दोनों से पूछने लगी, पर हम दोनों उस दिन चुप थे। फिर मैंने काव्या को कपड़े पहनने को बोला और फिर काव्या को घर लेकर आया। मैंने फिर उसे खूब समझाया। फिर काव्या के बार-बार पूछने पर मैंने तब बताया कि, “मैंने उसके चाचा की लड़की को शादी करने के बहाने से चोदा था”।

फिर उस दिन काव्या सब कुछ सुनने के बाद अपने आप पर रोने लगी, और फिर गज्जू को फोन करके गाली देने लगी। मां बहन की गाली देने की वजह से गज्जू भड़क गया और वो बोला कि, “तुम्हे तो मैं देख लूंगा”।‌ और फोन काट दिया।

फिर कुछ दिन तक तो ठीक था, पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसने काव्या की जिंदगी ही बदल दी। किसी अपरिचित नम्बर से एक मैसेज आता है कि,‌ “हमें गांव के बाहर वाले अपने टयूबवेल पर आकर मिलो”। तो जब काव्या ने बोला कि, “क्यूं आऊं?” तो उस फोन से एक फोटो आया जिसमें काव्या नंगी होकर लंड को चूस रही थी। और लास्ट में उसने बोला कि, “अपने भाई को मत बताना”।

आखिर क्या हुआ मैं ये आपको अपनी दूसरी कहानी में बताऊंगा।

पढ़ने के लिए धन्यवाद। आशा है आपने इस सच्ची घटना को पढ़ कर मजे लिए होंगे। घटना वास्तविक है, बस किरदारों का नाम बदला हुआ है।

आपको कहानी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद!

Leave a Comment