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मेरी बहन प्रिया दी की चुदाई-9 (Meri behan Priya di ki chudai-9)

पिछला भाग पढ़े:- मेरी बहन प्रिया दी की चुदाई-8

जावेद: अरे शांत हो जाओ सब लोग। कौन खरीदेगा प्रिया को ये तो रक्षाबंधन के दिन ही पता चलेगा।

सब अपनी जगह बैठ गए‌। वहां 12 कोठे के मालिक थे। एक जावेद जी, और मीरा दी, कुल मिला कर 14 कोठे के मालिक हो गए। वो लोग रक्षाबंधन के दिन आने वाले थे मेरी बहन की नीलामी करने के लिए। फिर हम लोग वहां से निकल गए।

स्वेता: अब हो गया ना तुम्हारा काम?

मैं: थैंक्स स्वेता, तुम थी तो इतनी आसानी से हो गया।

फिर मैं स्वेता को उसके कोठे तक छोड़ कर वापस घर आया। मुझे घर पहुंचते शाम हो गयी। मैं घर पहुंचा तो देखा दी अभी आयी नहीं थी। मुझे लगा दी आज किसी के बिस्तर पर होंगी‌। मैं गेट खोला, थोड़ा आराम किया, फिर दी को कॉल किया।

मैं: हैलो दी, कब तक आओगी?

प्रिया दी: भाई तुम सही बोले थे। आज तुम्हारी बहन आरिफ़ और नइम के साथ है। भाई मैं तुमसे बाद में बात करती हूं, और हां खाना खा लेना।

मैं: ओके दी। आप भी अच्छे से एन्जॉय करना।

प्रिया दी: बिलकुल मेरे प्यारे भाई, ओके बाय।

मैं: बाय दी।

मैं भी खाना खाया, और कुछ देर तक टीवी देखा। फिर सो गया।

मैं सोया ही था कि दी का फ़ोन आता है: भाई गेट खोलो, बाहर आ गयी हूं।

मैं: इतना जल्दी आ गयी। आप तो सुबह आने वाली थी?

प्रिया दी: भाई सुबह के 9 बजे है।

मैं: क्या! सुबह के 9 बज गए है? मैं तो ऐसा सोया कि कब रात निकल गयी पता ही नहीं चला। आता हूं दी, गेट खोलता हूं।

मैं गेट खोला और दी अंदर आती है।

मैं: दी आप तो सो जाओगी। अब पूरी रात तो जगी होंगी।

प्रिया दी: हां भाई,‌ दोनों ने मुझे सोने नहीं दिया पूरी रात। अच्छा अब मैं जा रही हूं सोने।

मैं: ठीक है दी।

मैं भी रेडी हुआ और कॉलेज निकल गया। वहां से दोस्तों के साथ घूमते-फिरते शाम को घर आया। दी गेट खोली, और फिर हम दोनों शाम को मार्केट घूमने निकल गए। शाम को 9 तक वहां से रूम पर आये। फिर खाना खा के सो गए। अगले दिन हम दोनों बैठे थे‌। तभी दी बोली-

प्रिया दी: भाई तुम पूछ रहे थे ना कि असलम के कोठे जाऊं या ना जाऊं।

मैं: हां दी, बताओ आप क्या सोची हो।

प्रिया दी ( मुस्कुरा कर ): मैं जाउंगी।

सोच रही हूं आज उसको फोन कर दूं। वो मुझे ले जायेगा यहां से।

मैं: वाह दी आप रंडीखाने जाने के लिए रेडी हो गयी! बहुत अच्छा डिसिजन है।

तभी मुझे याद आया मैं तो दी को सरप्राइज देने वाला था रक्षाबंधन के दिन। उसकी नीलामी होने वाली थी, और मैं सभी कोठे मालिक को भी बुला दिया था। असलम के कोठे पर चली जाएगी तो मेरा प्लान सब बेकार हो जायेगा।

तभी मैं बोला: नहीं दी, आपको असलम के रंडीखाने नहीं जाना है।

प्रिया दी: क्यूं क्या हुआ? अभी तो तुम बोले हो आप अच्छा डिसिजन ली हो। अभी अचानक से बोल रहे हो नहीं जाना है। क्या हुआ तुम्हें भाई?

मैं: नहीं दी, आप कोठे पर नहीं जाओगी। मुझे नहीं पसंद।

प्रिया दी: आखिर क्यूं भाई, तुम तो मेरे प्यारे भाई हो। तुम आज तक मेरी बात मना नहीं किये हो। आज क्यूं?

मैं: नहीं बोल दिया ना दी, बस आपको नहीं जाना है।

प्रिया दी: भाई प्लीज कुछ दिनों के लिए चली जाती हूं। फिर आ जाऊंगी प्लीज‌।

मैं: नहीं मैं बोल दिया नहीं, बस नहीं।

प्रिया दी: अच्छा 2-3 दिन के लिए चली जाती हूं।

मैं: नहीं, आप 1 घंटे ले लिए भी नहीं जाओगी,‌ बस।

प्रिया दी‌ (निराश होके बोली): ठीक है, नहीं जाउंगी।

दी मुंह फुला कर बैठ गयी, और मुझसे ज्यादा बात भी नहीं कर रही थी।

मैं: क्या हुआ, मुझसे बात भी नहीं करोगी?

प्रिया दी: क्यूं नहीं बात करूंगी तुमसे। तुम्ही तो मेरे प्यारे भाई हो। तुमसे बात नहीं करूंगी तो किससे करूंगी? अब तुम जो बोलो वो बात मुझे माननी पड़ेगी ना।

मैं: तो मुंह क्यूं बना ली, हसो तो।

प्रिया दी: मुंह नहीं बनाई हूं समझे।

प्रिया दी उदास हो गयी। खाना भी सही से नहीं खा रही थी। मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था। मेरी बहन जब हस्ती है तो मेरा दिल ख़ुश हो जाता है। मुझसे उसकी उदासी देखी नहीं जा रही थी। लेकिन मेरी बहन को क्या पता मैं उसको क्या सरप्राइज देने वाला था। वो कभी सोच भी नहीं सकती‌ थी।

आखिर 4 ही दिन बाद रक्षाबंधन था। मैं उसे ये सरप्राइज देना चाहता था। मैं भी दिल पर पत्थर रख कर उसकी उदासी को 4 दिन तक झेला। आखिरकार रक्षाबंधन का दिन आ ही गया।

प्रिया दी (सुबह 7 बजे के पहले मेरे रूम में आयी, और मुझे उठाई और बोली): जल्दी से नहा लो भाई, तुम्हें रखी बांध दूं मेरे प्यारे भाई।

दी आज ख़ुश लग रही थी। मैं उठा और नहा-धो कर रेडी हो गया। तभी स्वेता का कॉल आया।

मैं: हां स्वेता बोलो।

स्वेता: तुम रेडी हो ना आज?

मैं: हां बिलकुल, सब कुछ रेडी है। तुम उन लोगों को लेकर आओ घर।

मैं हाल में गया। दी प्यारी सी ब्लू कलर की सुट पहनी हुई थी, और थाली में रखी मिठाई और दिया तिलक। मैं बगल में बैठा। मुझे दी रखी बांधी, मिठाई खिलाई, और मुझे तिलक लगाई। मैंने दी के पैर छुए।

प्रिया दी: ख़ुश रहो मेरे प्यारे भाई!

फिर हम दोनों एक-दूसरे के गले लगे। मैं तो प्रिया दी को कस कर पकड़ लिया। दी भी मुझे अपनी बाहों में जकड़ ली।

मैं: लव यू दी।

प्रिया दी: लव यू रोहन, मेरा प्यारा भाई।

फिर हम दोनों बैठे।

प्रिया दी: चल मेरा गिफ्ट दे।

मैंने एक फ़ोन किया और 2-3 लड़कियां आयी अंदर कुछ कपड़े लेकर।

प्रिया दी: ये सब क्या है भाई? ये लोग कौन है?

मैं: दी मैं आपको ऐसा गिफ्ट दूंगा रक्षाबंधन के दिन, कि पूरी दुनिया में कोई भाई अपनी बहन को ऐसा गिफ्ट नहीं दिया होगा।

प्रिया दी: लेकिन वो गिफ्ट है क्या?

मैं उन लड़कियों से: आप लोग ले जाओ मेरी बहन को, अच्छे से सजाओ।

प्रिया दी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, कि हो क्या रहा था।

प्रिया दी: भाई बताओ तो क्या हो रहा है? क्या गिफ्ट है?

मैं: दी आप शांत रहो, मैं जैसा बोल रहा हूं आप वैसा करो। आप जाओ इन लोगों के साथ।

प्रिया दी: ठीक है देखती हूं क्या गिफ्ट है तुम्हारी।

फिर वो तीनों लड़कियां मेरी बहन को उसके रूम में सजाने के लिए ले गयी। मैं इधर हॉल में और सोफे लगा दिया। बीच में काफ़ी जगह खाली थी। इधर मेरी बहन सज रही थी, उधर कोठे वाले लोग आ रहे थे मेरी बहन की नीलामी करने के लिए।

आखिर 2 बजने वाले थे। कोठे के मालिक लोग आने वाले ही थे। मैं भी हाल में बैठ कर उनका इंतज़ार कर रहा था।

तभी एक लड़की आयी और बोली: आपकी बहन तैयार हो गयी है। आप देख लो उसको एक बार।

मैं अंदर रूम में गया मैं तो देखता ही रह गया, मानो चांद उतर आया हो। प्रिया दी रेड कलर का लहंगा पहनी हुई थी, साला किसी का भी मूड ख़राब हो जाए। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मानो उसका ब्लाउज़ फाड़ कर बाहर आएंगी। मेरी बहन की प्यारी-प्यारी आंखे, होंठों की लिपस्टिक मानो खून लटक रहा हो। उसकी बड़ी-बड़ी गांड। मैं तो देखता ही रख गया

प्रिया दी: अब तो बताओ भाई क्या हो रहा है?

मैं: दी आज आप इतनी खूबसूरत लग रही हो, क्या ही बताऊं।

मैं मोबाइल निकाला और दी की 6-7 पिक्स लिया।

मैं: कपड़े टाइट है क्या दी?

प्रिया दी: नहीं टाइट तो नहीं है। बस ब्लाउस थोड़ा टाइट है। बाकि सब ठीक है। अब तो बताओ प्लीज।

मैं: अच्छा सुनो दी, मैं आज आपको बेचने वाला हूं। कई कोठे के मालिक आने वाले है। वो सब मिल कर आपकी नीलामी करेंगे।

प्रिया दी: क्या! क्या बोले हो? फिर बोलो प्लीज?

मैं: आज आपकी नीलामी होगी।

प्रिया दी ख़ुश हो गयी: वाह भाई!

दी मुझे कस कर गले लगा ली।

प्रिया दी: मैं भी सोची मेरा भाई असलम के कोठे पर जाने से क्यूं मना कर रहा था। तुम इतनी बड़ी प्लानिंग किये, मुझे बताये भी नहीं।

मैं: दी ये सब आज के लिए सरप्राइज था। बोला था ना आपको ऐसा गिफ्ट दूंगा दुनिया का कोई भी भाई ऐसा गिफ्ट नहीं दिया होगा।

प्रिया दी: हां सच में भाई, आखिर भाई किसके हो तुम‌। सॉरी भाई, उस दिन तुम असलम के कोठे पर जाने से मना कर दिए, मैं तुमसे उस दिन थोड़ा नाराज हो गयी। सॉरी भाई!

मैं: कोई बात नहीं दी। आज भाई-बहन के प्यार का दिन है। आज कोई नहीं नाराजगी होगी। आज एक भाई अपनी बहन की सारी इच्छा पूरा करेगा। आज मैं आपको बेचूंगा दी।

प्रिया दी: अब तुम बड़े हो गए हो भाई। तुम आज अपनी बड़ी बहन को बेच रहे हो। मैं बहुत ख़ुश हूं।

मैं: थैंक्स दी।

दी आप यहीं बैठो, वो लोग आ रहे है। मैं उनको हाल में बिठाता हूं।

प्रिया दी अपने रूम में थी। मैं बाहर हॉल में आया। कोठे के मालिक लोग आने लगे‌ थे। गाड़ियों की लाइन लगनी शुरू हुई। मैं एक-एक करके सबको अंदर बुलाया। स्वेता भी आ गयी। वो सब को हाल में बिठा रही थी। सभी 14 कोठे के मालिक, और उनके साथ उनके बॉडीगार्ड 2:30 तक आ गये। सभी लोग मेरी बहन का इंतज़ार कर रहे थे।

सब बोल रहे थे: रोहन अपनी बहन को जल्दी बुलाओ यार, उसको देखना है।

मैं बोला: ठीक है, मैं अभी लाता हूं दी को।

फिर मैं दी के रूम में गया, और उनको बोला: दी आप आओ, कोठे वाले लोग आपका इंतज़ार कर रहे है।

प्रिया दी: बिलकुल भाई, मैं भी कब से इंतज़ार कर रही हूं यहां से जाने के लिए। मैं चाहती हूं मेरी भी जल्दी-जल्दी नीलामी शुरू हो‌‌।

हम दोनों हसने लगे।

मैं: आओ दी।

मैं दी का हाथ पकड़ कर बाहर लाया। दी बिलकुल दुल्हन की तरह लग रही थी। दी को देखते ही सब खड़े हो गए। पूरा घर दी की तारीफ से गूंजने लगा। “वाह क्या मॉल है! ये तो फ़ोटो से भी ज्यादा सुन्दर है!” कोई परी बोल रहा था, तो कोई काम की देवी। कोई कोठे की देवी, तो कोई कोठे की शान‌। जावेद जी सब को बैठने के लिए बोले‌। 25-20 मिनट बाद सब लोग वापिस बैठे। मैं दी को उनके बीच में खड़ा करके साइड हट गया‌। फिर नीलामी शुरू होती है।

इसके आगे क्या होता है, वो अगले पार्ट में पता चलेगा। मुझे मेल करे

rohanpriyasingh008@gmail.com

पर, धन्यवाद।

अगला भाग पढ़े:- मेरी बहन प्रिया दी की चुदाई-10

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