पिछला भाग पढ़े:- मां के लिए ढूंढा नया पति और मेरे लिए नया बाप
दोस्तों हिंदी अन्तर्वासना कहानी का अगला पार्ट-
रमेश पापा और मेरी आपस में सब बात हो चुकी थी, और उनकी सोच मेरी जैसी ही थी। मैं ऐसा वासना भरा बाप पाकर बहुत खुश हुआ। अगले दिन सुबह रमेश पापा ने मुझे फोन किया-
रमेश पापा: बेटा गुड मॉर्निंग!
मैं: गुड मॉर्निंग पापा!
रमेश पापा: बेटा उठ जाओ, और देखो तुम्हारा वो भोसड़ी वाला बाप घर से गया या नहीं?
मैं: अरे कैसा बाप? आप हो अब से मेरे असली बाप। सुनीता अब आपकी बीवी है।
रमेश पापा: हां बेटा, लेकिन उसके लिए सुनीता मुझसे पटनी चाहिए, और फिर हम दोनों मिल कर मजे ले पाएंगे और उसे खुश रख पाएंगे। तो देखो कि वो गया या नहीं?
मैं उठ कर मेरी मां सुनीता के पास गया और बोला: गुड मॉर्निंग मम्मी! पापा चले गए क्या?
सुनीता: हां बेटा वो तो गए। गुड मॉर्निंग बेटा।
मैं: अच्छा मम्मी आपका मूड क्यों खराब है?
सुनीता: कुछ नहीं बेटा। तेरे पापा जब देखो लड़ते रहते है। दिमाग तो खराब होगा ही न।
मैं: एक बात बोलूं मम्मी सच-सच? आपके लिए मेरे ये पापा ठीक नहीं है। ना ही आपकी जरूरतें पूरी करते है, और ना ही आपको खुश रखता है।
सुनीता: ये क्या बोल रहे हो तुम? अब क्या कर सकते है?
मैं: मम्मी आप अपनी जिंदगी खुल कर जियो। पापा का क्या है, वो तो बाहर खूब मजा करते है।
सुनीता: क्या कह रहे तुम? मैं क्या कर सकती हूं अब?
मैं: मम्मी आप भी मजे करो। दोस्तों के साथ बाहर जाओ, और ज़िंदगी को एंजॉय करो।
सुनीता: बेटा कहना आसान है, ऐसा नहीं हो सकता।
मैं: मम्मी कल रमेश अंकल भी कह रहे थे, कि तुम्हारी मम्मी परेशान रहती है।
सुनीता: अच्छा बेटा, मेरा भी बहुत मन है ज़िंदगी एंजॉय करने का। लेकिन तुम्हारे पापा समझते ही नहीं, बस लड़ते रहते है।
ये सब रमेश पापा फोन पर सुन रहे थे, और मैं फिर अपने कमरे में जाकर रमेश पापा से बात करता हूं, और वो कहते है कि-
रमेश पापा: मैं आता हूं बेटा तुम्हारी मम्मी से बात करने के लिए। कोशिश करते है सुनीता को ज़िंदगी के मजे देने की।
मैं: हां रमेश पापा, बिल्कुल यहीं। अच्छा मौका है सुनीता को पटाने का।
रमेश पापा: चलो मिलते है थोड़ी देर में।
थोड़ी देर बाद रमेश पापा घर पर आते हैं, और मैं भी तब तक नहा धोकर तैयार हो जाता हूं। फिर मैं मम्मी के पास जाता हूं, और बेल बजती है।
सुनीता: बेटा देखो जरा कौन है।
मैं: अरे रमेश अंकल, आओ-आओ, कैसे हो आप?
रमेश: बस बेटा मैं अच्छा हूं, तुम बताओ कैसे हो?
मैं: मैं भी ठीक हूं। आइए अंदर आइए।
सुनीता: रमेश जी कैसे हो? आओ-आओ, बैठिए, मैं तब तक चाय बनाती हूं।
रमेश पापा: सुनीता जी थैंक्यू। बस मैं ऑफिस के लिए निकल रहा था, सोचा गुड मॉर्निंग बोलता चलूं।
सुनीता: बहुत अच्छा किया। चाय पीकर ही जाना।
रमेश: बिल्कुल सुनीता जी। थैंक्यू सो मच। और बेटा दिवाकर, कैसी चल रही है आपकी पढ़ाई?
मैं: बिल्कुल अच्छी रमेश अंकल। बस आजकल परेशान हूं थोड़ा।
रमेश पापा: क्यों क्या हुआ?
मैं: मुझे कुछ नहीं हुआ। बस मेरे पापा मेरी मम्मी से लड़ते रहते है, और मेरी मम्मी उदास रहती है।
सुनीता: बेटा ये क्या कह रहे हो तुम? तुम्हे इस मामले में बोलने की कोई जरूरत नहीं है।
रमेश: सुनीता जी आप गुस्सा मत कीजिए। दिवाकर को भी अपनी मम्मी की चिंता होती होगी इसलिए बोल रहा है। वैसे बुरा ना मानो तो सच बोलूं?
सुनीता (चाय लेकर आती है और बैठ जाती है): बोलिए?
रमेश: कोई परेशानी है तो मुझसे शेयर कीजिए। मुझे अपना फ्रेंड मान लीजिए, और शेयर करना चाहो तो कर सकते हो आप।
सुनीता: रमेश जी ऐसी कोई बात नहीं है। बस इसके पापा बेफालतू में लड़ते है मुझसे।
रमेश: सुनीता जी इतनी खूबसूरत बीवी हो तो कोई भला कैसे लड़ाई कर सकता है?
मैं: बिल्कुल रमेश अंकल, पापा मेरी मम्मी को बहुत परेशान रखते है।
सुनीता: तुम चुप करो। अपने कमरे में जाओ।
मैं: नहीं, मैं यही रहूंगा मम्मी। समझो, आप अपनी लाइफ एंजॉय क्यों नहीं करते?
सुनीता: बेटा क्या करूं अब मैं?
रमेश: सुनीता जी आप खुल कर बोलो क्या दिक्कत है? मैं कुछ हेल्प कर सकता हूं?
सुनीता: रमेश जी बस कुछ नहीं। आपने पूछा उसके लिए थैंक यू।
रमेश: देखो आपके हसबैंड कब तक घर आयेंगे?
सुनीता: रात में।
रमेश: देखो आपके पास काफी वक्त है। मेरा भी कुछ खास काम नहीं होता ऑफिस में। अगर फ्री हो तो कॉफी के लिए चले। आपको भी अच्छा लगेगा और थोड़ा रिलैक्स महसूस करोगे।
मैं: हां मम्मी, आप जाइए। वैसे भी आप बाहर नहीं जाती। ना ही कोई शॉपिंग, ना ही कोई मोज मस्ती।
सुनीता: रमेश जी मैं कैसे आ सकती हूं? अगर इसके पापा को पता चला तो बहुत गुस्सा करेंगे।
रमेश: अरे आप उसकी चिंता मत कीजिए, उसकी जिम्मेदारी मेरी।
सुनीता: ठीक है फिर चलते है। वैसे भी मेरा मूड खराब रहता है। इसी बहाने थोड़ा हल्का महसूस करूंगी। आप बैठिए मैं तैयार होकर आती हूं थोड़ी देर में, या फिर दोपहर में चले, आपको लेट हो रहा होगा?
रमेश: नहीं सुनीता जी, अभी साथ चलते है। मुझे ऑफिस का कोई टेंशन नहीं होता कभी।
सुनीता: ठीक है, फिर आप वेट कीजिए थोड़ा।
सुनीता अपने कमरे में जाती है और तैयार होने लगती है। इसी बीच रमेश पापा मुझे कहते है।
रमेश: बेटा सुनीता अब पक्का पट जाएगी।
मैं: हां पापा मुझे भी लग रहा है। बस आप मेरी मम्मी को खुश कीजिए।
रमेश: बेटा जल्दी ही मैं, तुम, और सुनीता खूब मजा करेंगे।
मैं: हां पापा, आप खूब मजे देना सुनीता को, और मुझे सब बताना क्या हुआ आज कॉफी पर।
रमेश: बिल्कुल बेटा।
थोड़ी देर में सुनीता तैयार होकर आती है। गुलाबी रंग का सूट डाला हुआ था, जिसमें से उसकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी, और बिल्कुल पिंक होठ जिन्हें देखते ही चूमने का मन करे। चूचियां मानो जैसे बाहर आने को बेकरार थी। गांड देखते ही मेरा लंड एक-दम खड़ा हो गया।
रमेश: वाओ सुनीता जी, बहुत हॉट लग रही हो।
मैं: हां मम्मी, बहुत खूबसूरत लग रही हो।
सुनीता: बस करो अब, थैंक्यू।
रमेश: चलिए सुनीता जी।
सुनीता: बेटा ध्यान रखना घर का।
मैं: मम्मी आप जाइए और एंजॉय कीजिए।
सुनीत को लेकर रमेश पापा चले जाते है, और मैं सुनीता के कमरे में जाता हूं, और उसकी चड्डी और ब्रा लेकर उन्हें सूंघ कर मुठ मारता हूं। और फिर अपने कमरे में जाकर टीवी देखने लग जाता हूं।
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