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Begaani Shaadi Me Suhagraat Meri – Episode 2

प्रशांत ने अब अपने दोनों हाथों से मेरी कलाइयां पकड़ ली और मेरे हाथों को शरीर से दूर हटाने लगा। मैंने भी अपना पूरा जोर लगा के अपने हाथों से चोली को सीने से चिपकाये रखा। पर उसके बल के आगे मेरा जोर काम न आया।

उसने ज्यादा दम लगा के मेरे दोनों हाथों को एक झटके में शरीर से दूर करके चौड़ा कर दिया। मेरे हाथ में पकड़ी चोली नीचे गिर गयी और मेरे सीने की इज़्ज़त बचाने में नाकाम रही।

मैंने अपना सर ऊपर कर आईने में देखा। थोड़ी देर पहले उसके उंगलियों के जादुई स्पर्श से मेरे दोनों वक्ष और भी फुल गए थे और कड़क हो गए थे। निप्पल भी तन गए थे। अपने आप को आईने में देख कर मेरा पूरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था। वो आईने में मेरे सीने की ही खूबसूरती को देख कर लार टपका रहा था।

मैंने अपने हाथ छुड़ाने का भरसक प्रयास किए ताकि अपनी इज्जत को फिर से ढक सकू पर उसने मुझे इजाजत नहीं दी।

थोड़ी देर में मैंने भी थक कर प्रयास बंद कर दिया। अब उसने मेरी कलाइयां छोड़ दी, पर अब भी उसकी मजबूत पकड़ मैं अपनी कलाइयों पर महसूस कर पा रही थी। जिससे उसके हाथ छोड़ देने के बाद भी मैं अपने हाथ उसी अवस्था में फैलाये खड़ी रही।

उसने अपने दोनों हाथों को मेरे बड़े वक्षो पर रख दिया। वो इतने बड़े थे कि वो उनको पूरा पकड़ भी नहीं पा रहा था, इसलिए हाथ घुमा घुमा कर वक्षों को दबा रहा था। मैंने अपनी चेतना लौटाते हुए तुरंत उसके दोनों हाथो को पकड़ा और अपने सीने से हटाने का प्रयास करने लगी।

पर उसके हाथ तो जैसे खजाना लग गया था जिसे वो छोड़ने को ही तैयार नहीं था। मेरे थोड़ी देर संघर्ष करने के बाद उसने स्वतः ही मेरे वक्षो को छोड़ दिया। मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपने वक्षो को ढकने का प्रयास किए।

उसके बड़े हाथ जो नहीं कर पाए भला मेरे छोटे हाथ क्या कर पाते। जितना हो सकता था मैंने कवर करने का प्रयास किया। मैं तुरंत वहा से हटना चाहती थी पर उसने अपने एक हाथ को मेरे पेट पर लपेट कर मुझे झकड़ लिया। मैं हिल नहीं पायी और मेरे नितम्ब उसके आगे के अंग को छू गए।
अब उसका दूसरा फ्री हाथ मेरे लहंगे की तरफ बढ़ा और जो नाडा लहंगे के अंदर फंसा था, उसको लहंगे से बाहर निकालने लगा। मुझे खतरे का आभास हुआ। हाथों से ऊपर के अंगो की हिफाजत करती या नीचे की।

मैंने अब अपने एक हाथ से दोनों वक्षो को कवर किया और दूसरे हाथ को फ्री करते हुए उसके उस हाथ की तरफ बढ़ाया जो मेरा लहंगा खोलने वाला था। नाडा लहंगे के बाहर था बस खींचने की देर थी पर मैंने उसके हाथ को झटका दिया और अपना नाडा कस कर पकड़ लिया।

अपने सीने को एक्सपोज़ होने से तो नहीं बचा पायी थी पर अब नीचे के अंग को तो बचाना ही था। मेरे जिस हाथ में नाडा था उसने वो कलाई पकड़ी और तेजी से हाथ ऊपर किया। मेरे हाथ में जो कस के नाडा पकड़ा था मेरे हाथ के ऊपर जाते ही झटके के कारण खिंच गया और उसकी गांठ खुल गयी। मेरा हाथ इतना ऊपर गया कि ऊपर जाते ही नाडा भी छूट गया और मेरा लहंगा धड़ाम से नीचे जमीन पे जा गिरा।

उसका हाथ अब मेरी पैंटी की तरफ बढ़ा। मैं अपना हाथ तुरंत नीचे ले जाकर अपनी पैंटी को टाइट पकड़ कर ऊपर की खिंचने लगी। वो उसे नीचे खिंच रहा था और मैं ऊपर की तरफ।

थोड़ी देर के संघर्ष के बाद उसने पैंटी छोड़ कर अपने दोनों हाथ कमर से शुरू करते हुए धीरे धीर ऊपर उठाते हुए वक्षो की तरफ बढ़ने लगा।

मेरे दोनों हाथ एक-एक किला संभाले हुए थे। मगर उसके दोनों हाथ अब एक तरफ आक्रमण को बढ़ रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से फिर मेरे वक्षो को ढके हाथ को धकेलते हुए ऊपर के किले पर कब्ज़ा कर लिया। पहले की तरह एक बार फिर वो उनको दबा कर मसलने लगा।

मैंने भी अब अपनी पैंटी छोड़ी और दोनों हाथों से अपने वक्षो को छुड़ाने का प्रयास करने लगी। उसको मौका हाथ लगा और तेजी से वक्षों को छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों से मेरी पैंटी पकड़ कर एक झटके में नीचे उतार दी।

मुझे अपनी हार का अहसास हुआ। उसने अपना एक हाथ दोनों टांगो के बीच ले जाते हुए मेरी चूत पर रख दिया और हाथ फिराने लगा।

मुझ एक आनंद की अनुभूति हुई और अपने शरीर को कड़ा कर लिया। उसने अपनी ऊँगली मेरी चूत में डाल कर चलानी शुरू कर दी। मेरी तो सिसकीया निकलने लगी। मेरा सारा विरोध क्षीण पड़ने लगा।

मैंने आत्मसमर्पण करते हुए अपने वक्षो को छोड़ दिया और एक हाथ उसकी गर्दन के पीछे ले जाकर पकड़ लिया। उसने अब अपने दूसरे हाथ से मेरे वक्षो को मलना शुरू कर दिया। उसका दोनों किलो पर कब्ज़ा हो चूका था और रानी को जीत चूका था।

थोड़ी देर ऐसे ही मजा दिलाने से मेरे अंदर गीला होने लगा और मूड बनने लगा। वह अब मुझे धकेलते हुए बिस्तर के पास ले आया और लेटा दिया। उसने अपना शर्ट और पैंट निकाल दिया। जैसे ही उसने अपना अंडरवियर निकाला उसका नाग झूमते हुए बाहर आया।

अब वो बिस्तर पर आया और अपनी दोनों टाँगे मेरे चेहरे के दोनों तरफ करते हुए अपना लंड मेरे मुँह के पास ले आया और झुककर अपना मुँह मेरी चूत के पास ले आया। अब हम 69 पोजीशन में थे।

उसने मेरी चूत चाटनी शुरू कर दी। अपनी जीभ मेरे चूत के दोनों होठों के बीच ले जाकर रगड़ने लगा। उसका लंड मेरे मुँह और होठों को छू रहा था पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उसको चूसने की।

वो बड़े प्यार से मेरी चूत को अपनी जबान से रगड़ रगड़ कर साफ़ कर रहा था। इतना आनंद तो मुझे पहले कभी नहीं आया था।

मुझसे भी अब रहा नहीं गया और उसके लंड को अपने होठों से पकड़ लिया। धीरे धीरे करके उसको पूरा अपने मुँह में उतार लिया।

अंदर जाते ही उसको मजा आने लगा और वो मुँह में ही झटके मारने लगा, जिससे वो मेरे मुँह के काफी अंदर तक उतर गया। मैं भी अपनी जबान से उसके लंड की चमड़ी को रगड़ने लगी।

उसको ओर भी मजा आने लगा और उसने अपनी जबान मेरी चूत के छेद में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा।

मेरी तो जान निकलने लगी। अब हम दोनों ही अगले कुछ मिनटों तक एक दूसरे को ऐसे ही असीम आनंद दिलाते रहे, जब तक कि हम दोनों को पानी निकलने लगा। हम दोनों ने ही एक दूसरे के पानी का स्वाद चखा और आनंद के मारे मैंने थोड़ा पी भी लिया था।

मेरे गले में उसका पानी उतरते ही मैंने उसका लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। उसने भी अब मुझे नीचे से चाटना बंद किया और सीधा होकर मेरी दोनों टांगो के बीच बैठ गया। अब वो आगे झुकते हुए मुझ पर लेट गया।

उसके सीने के नीचे मेरे वक्ष थोड़े दब से गए और उसका लंड मेरी चूत को छूने लगा। इसके पहले कि वो मेरे अंदर प्रवेश करता मुझे अपने पति की कही बात याद आयी।

मेरे माँ बनने के बाद हमने वादा किया था कि एक बच्चा ही काफी हैं। अगर मैं फिर गर्भवती हो गयी तो पति पकड़ लेंगे। वो अपना लंड पकड़ कर मेरी चूत के होठों के बीच रगड़ने लगा।

मैंने उसको पूछा क्या तुम्हारे पास प्रोटेक्शन हैं?

उसने कहा मुझे नहीं पता था कि ऐसा मौका भी मिलेगा वरना ले आता।

अगर अपने मेरी पिछली हिन्दी चुदाई की कहानी समझोता, साजिश और सेक्स को नहीं पढ़ा है, तो पढ़िए और उसका लुफ्त जरुर उठाइए।

मैंने उसको धक्का देते हुए अपने ऊपर से हटाया। मैंने उसको बताया कि मैं ये रिस्क नहीं ले सकती, कुछ हो गया तो मेरे पति को सब पता चल जायेगा।

उसने कहा एक बार करने से जरुरी नहीं कुछ हो ही जाये, और अगर हो भी गया तो अपने पति पर डाल देना इल्जाम। अब मैं उसको कैसे बताती अपनी पति की कमजोरी के बारे में ऊपर से वादा कर रखा था किसी को नहीं बताना हैं।

मैंने बहाना मार दिया पति हमेशा प्रोटेक्शन यूज़ करते हैं तो हम पकडे जायेंगे। वो निराश हो गया, इतना अच्छा हाथ आया मौका फिसलता हुआ नजर आया।

उसने भागते भूत की लंगोटी पकड़ना ही उचित समझा और बोला हम लोग ओरल सेक्स कर लेते हैं। मैं तो वैसे भी भरी बैठी थी तो हां कर दी।

लेडीज फर्स्ट के तहत अब उसने पहले मुझे मजा दिलाने की शुरुआत की। मैंने दोनों पैर चौड़े किये और उसने आगे झुककर अपने हाथ की बीच वाली लम्बी ऊँगली मेरी चूत पर फेरते हुए अंदर छेद में घुसा दी।

जितना अंदर वो ऊँगली डाल सकता था उतना ले जाकर उसको अंदर हिलाने लगा। मेरी सिसकिया निकलनी शुरू हो गयी। उसने अपने होठ मेरे पेट पर लगा कर चूमना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर ऐसे ही मजे दिलाने के बाद उसने एक की बजाय दो उंगलिया अंदर घुसा दी। अब वो ओर भी जोर लगा कर उंगलिया ओर ज्यादा गहरी डालने की कोशिश करने लगा। मुझे डर लगा इतने जोर से कही वो अपना पूरा हाथ ही अंदर न घुसा दे।

थोड़ी देर में ही मेरे अंदर का पानी छूटने लगा और उसकी ऊँगली के रगड़ने से पानी की आवाज़े आने लगी। अपने चरम के नजदीक पहुंचते हुए मैं तेज आवाज़ में आ.. ऊ…. करते झड़ गयी। उसने अब अपनी उंगलिया बाहर निकली और सीधा लेट गया अपनी बारी के लिए।

मैं अब उठ कर बैठ गयी। एक हाथ से उसके लंड की चमड़ी नीचे करते हुए नीचे का आधा भाग पकड़ लिया और दूसरे हाथ से नीचे से ऊपर की तरफ उसकी लंड की टोपी पर रगड़ने लगी। ये मसाज की तकनीक मैंने सीखी थी और बड़ी प्रभावी थी।

अब सिसकिया निकालने की बारी उसकी थी। कुछ मिनटों बाद ही उसने मुझसे कहा कि मुझे अंदर डालने दो मैं कुछ नहीं होने दूंगा, पानी निकलने से पहले बाहर निकाल दूंगा।

मैंने मना किया, इसमें रिस्क हैं, अगर टाइम पर नहीं निकाल पाए तो मैं फंस जाउंगी।

उसने यकीन दिलाने की कोशिश की के उसे इस चीज़ का काफी अनुभव हैं और वो कुछ नहीं होने देगा। उसका आत्मविश्वास देख कर मैंने उसको एक मौका देने की सोची और हां बोल दिया। मैंने उसका लंड रगड़ना छोड़ा।

वो खुश होकर बैठ गया और मुझे एक बार फिर सीधी लेटा दिया। मेरी दोनों टाँगे चौड़ी करते हुए बीच में बैठ गया और आगे झुककर मुझ पर लेट गया। अब उसने अपना लंड पकड़ कर मेरे छेद में घुसा दिया।

इतनी देर उसकी ऊँगली से मजा लेने के बाद उसके मोटे लंड को अंदर लेने से मजा दोगुना हो गया था। वो जो इतनी देर से भरा बैठा था तो बिना समय गवाए तेजी से अंदर बाहर झटके मारते हुए आहें निकालने लगा।

थोड़ी देर पहले ही झड़ने के बाद मेरा एक बार फिर मूड बनने लगा। कुछ मिनटों तक वो मुझे ऐसे ही जोर जोर से चोदता रहा। मेरे अंदर फिर से पानी बनने लगा और फचाक फचाक की आवाज़े आने लगी। मजा तो आ रहा था पर थोड़ा डर भी लग रहा था, कही कुछ हो तो नहीं जायेगा।

उसके झटको की गति अब बढ़ने लगी थी और मैं एक बार फिर झड़ने वाली थी।

तभी उसने कहा कि उसका पानी निकलने वाला हैं क्या करू? मैं झड़ने के करीब थी तो मेरे दिमाग के बदले दिल ने जवाब दिया अभी बाहर मत निकलना।

उसने झटके मारना जारी रखा और तेज चीखों के साथ मैं एक बार फिर से झड़ गयी। मैंने तुरंत उसको धक्का देते हुए एक बार फिर से अपने ऊपर से हटा दिया। वो मेरा मुँह ताकता रह गया, उसका भी तो होने ही वाला था।

उसने सवाल किया मैं क्या करू अब, पूरा नहीं हुआ?

मैंने उसको सुझाया मैं उसका लंड रगड़ कर उसका पानी निकाल देती हूँ। उसने कहा इसमें अंदर डालने जितना मजा तो नहीं आएगा। उसने सुझाया कि पीछे के छेद में कर सकते हैं, वहां करना सुरक्षित हैं, प्रेग्नेंट होने का डर नहीं रहेगा।

मैंने सोचा दर्द तो होगा, पर उसने मुझको दो बार झड़ने में मदद की तो उसकी एक बार मदद कर देती हूँ। मैंने उसको हां बोल दिया। अब मैं घुटनो के बल बैठ कर आगे झुक कर आधा लेट गयी।

वह मेरे पीछे आया और मेरे नितम्बो को चौड़ा करते हुए अपना लंड मेरे पीछे के छेद में डालने लगा। जैसे ही उसका लंड मेरे छेद में घुसा दर्द के मारे मेरी एक चीख निकली और फिर सब सामान्य हो गया।

वो अब अंदर बाहर झटके मारते हुए मुझे पीछे से चोदने लगा। कुछ मिनटों में ही उसने जोर जोर के झटको और चीखो के साथ अपना सारा पानी मेरे पीछे के छेद में खाली कर दिया।

अपनी बन्दुक अनलोड करने के बाद उसने बाहर निकाली। थोड़ा पानी बाहर निकल कर रिसने लगा। वो तेजी से अंदर बाथरूम में गया और थोड़े टॉयलेट पेपर ले आया। हम दोनों ने अब अपनी गन्दगी साफ़ की।

हम दोनों अब आस पास लेटे थे। प्रशांत ने पूछा क्या मुझे कल भी करने दोगी? मैंने कहा कल प्रोटेक्शन ले आना, अगर मौका मिलेगा तो फिर कर लेंगे। वो खुश हो गया।

तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई। शायद मौसी आ गए थे सोने के लिए। हम दोनों डरके बिस्तर से कूद कर खड़े हो गए। प्रशांत ने अपने कपडे पहनने शुरू किये और मैंने चारो तरफ बिखरे अपने कपडे इकट्ठे किये और अपने बेग में ठूस दिए।

मौसी बाहर से आवाज़ लगा कर दस्तक दे रही थी। मैंने पहले से बाहर निकाल कर रखा नाईट गाउन पहन लिया।

प्रशांत ने कपडे पहन लिए थे और वो तेजी से बीच के दरवाज़े से अपने रूम में गया और बीच का दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने तुरंत नीचे पड़े गंदे टॉयलेट पेपर इकट्ठा कर डस्टबिन में डाले।

मैंने मुख्य दरवाज़ा खोल कर मौसी को अंदर आने दिया।

मौसी ने पूछा नींद आ गया थी क्या?

मैंने हां में सर हिलाया, उनको कैसे बताती कि मैंने उनको दादी बनाने का लगभग पूरा इंतज़ाम कर ही लिया था। मैं वापस बिस्तर पर आकर लेट गयी। फिर मैं संतुष्ट होकर ये सोचते सोचते सो गयी कि कल पता नहीं क्या होगा?

खेर ये तो आपको हिन्दी चुदाई की कहानी के अगले एपिसोड में पता चलेगा, तब तक लिए अपनी प्रतिक्रिया निचे कमेंट सेक्शन में जरुर व्यक्त कीजियेगा।

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