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हादसा-8 (Haadsa-8)

पिछला भाग पढ़े:- हादसा-7

देसी हिंदी सेक्स कहानी के अगले भाग में आपका स्वागत है:-

मैं: अरे इसका लंड कितना छोटा है! हा हा हा हा हा।

मैनेजर मेरी तरफ गुस्से से देख रहा था।

मैं: क्या हुआ, कुत्ते को गुस्सा आया? चल मेरी चप्पल निकाल और उसे चाट।

मैनेजर ने चुप-चाप वैसा ही किया।

मैं: मेरे पैरों पर नाक रगड़ कर माफी की भीख मांग।

मैनेजर: प्लीज मुझे माफ कर दीजिये।

मैं: ऐसे नहीं, थोड़ी और कोशिश करो।

मैनेजर: मैं आपके सामने माफी की भीख मांगता हूं। मुझ जैसे कुत्ते को प्लीज माफ कर दीजीये।

मैंने उसके गले का पट्टा पकड़ा, और उसे खींच कर दरवाजे की तरफ ले गई, और वो पट्टा दरवाजे को बांध दिया।

मैं: सुन कुत्ते, दरवाजे की रखवाली कर।

मैनेजर: जी मालकिन।

मैं: राजेश्वर जी आप यहां आइये।

राजेश्वर जी मेरे सामने आ कर खड़े हो गए।

राजेश्वर जी: ये सब क्या कर रही हो?

मैं: अरे इन जैसे लोगों को ऐसे ही सबक सिखाना चाहिये।

मैं फिर अपने घुटनों पर बैठ गई, और राजेश्वर जी का लंड पैंट में से निकाला, और उसे हिलाने लगी।

राजेश्वर जी: अरे ये क्या कर रही हो? वो भी उस मैनेजर के सामने?

मैं: आप डरिये मत, बस मेरा साथ दीजीये।

मैंने राजेश्वर जी का लंड चूसना शुरु कर दिया और बीच-बीच में मैनेजर की तरफ देख रही थी। मैनेजर शर्म से मुंडी झुका कर बैठा था। ये देख कर मुझे बहुत सुकून मिला।

मैं (राजेश्वर जी का लंड हिलाते हुए): ये देख कुत्ते, इसे कहते है असली लंड, असली मर्द, समझा क्या?

मैनेजर ने हां मे सिर हिलाया। मैनेजर की आंखों से आंसू बह रहे थे, और उसकी इस हालत का मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने राजेश्वर जी का लंड कुछ देर और चूसा। फिर वो मेरे मुंह में झड़ गए, और मैं उनका सारा माल पी गई।

राजेश्वर जी: चलो अब चलते हैं।

मैं: जी आप आगे बढ़िये, मैं आती हूं।

राजेश्वर जी केबिन के बाहर गए, और मैं मैनेजर के पास गई।

मैं: अब समझे मेरी क्या औकात है?

मैनेजर: जी मालकिन।

मैं: अब तुझे तो मैं बर्बाद करके ही छोडूंगी।

मैनेजर: प्लीज ऐसा मत कीजिये, मेरा घर-परिवार है।

मैं: ये पहले सोचना चाहिए था।

और मैं सीधा केबिन के बाहर चली गई, और मैनेजर वहां अंदर रो रहा था। मैं राजेश्वर जी के पास गई, और उन्हें उस मैनेजर की पुलिस में शिकायत दर्ज कराने बोली।

राजेश्वर जी: उसकी चिंता मत करो, पुलिस कमिशनर मुझे अच्छे से जानते हैं। मैंने सीधे उन्हें फ़ोन किया है। अब वो मैनेजर लंबा फस गया।

फिर हम उस होटल से सीधा बाहर निकल गए और घर चले गए। मैंने रास्ते में जाते-जाते राजेश्वर जी का लंड फिरसे चूसा। हम घर करीब डेढ़ बजे तक पहुंच गए। घर पहुंचने के बाद हम फ्रेश होने के लिए बाथरूम में गए। हम दोनों ने एक साथ शॉवर किया। मैं पहली बार किसी के साथ नहां रही थी। मुझे बहुत मजा आया। हम दोनों ने एक-दूसरे को अच्छे से साबुन लगा कर साफ किया।

अगर आप सोच रहे हो के हमने फिरसे सेक्स किया कि नहीं, तो मैं ये बता दूं, कि नहीं। हम दोनो ने शॉवर सेक्स नहीं किया। वो किसी और दिन हुआ। हम दोनों शॉवर के बाद बाथरुम से बाहर आ गए। हम दोनों ने तौलिया लपेटा था, और हम दोनों लिविंग रूम में सोफा पर बैठ गए, और टी.वी. चालू किया। मैं भीगे बालों में बहुत हॉट दिख रही थी, और राजेश्वर जी की नज़र मुझ पर ही थी।

मैं: क्या हुआ जी, ऐसे क्या देख रहे हो?

राजेश्वर जी: तुम बहुत हॉट लग रही हो। वैसे तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि ये पहले भी हुआ है? कुछ याद आया?

मैं: नहीं। मैं कुछ समझी नहीं।

राजेश्वर जी: याद करो वो रात जब हमने हद पार कर दी थी।

राजेश्वर जी उस रात की बात कर रहे थे, जिस रात हम दोनों ने पहली बार सेक्स किया।

मैं: अरे हां! वो मैं कैसे भूल सकती हूं? आखिर उस एक रात के हादसे ने मेरी जिंदगी जो बदल दी।

हमने कुछ देर और बात की और फिर टी.वी. पर भी कुछ खास लगा नहीं था, तो मैंने टी.वी. बंद कर दी।

राजेश्वर जी: अरे तुमने पूजा के बारे में कुछ कहा नहीं?

मैं: जी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, आप रखिये पूजा इस घर में।

राजेश्वर जी: थैंक्स दिव्या। मैं कल ही मुहूर्त निकालता हूं।

मैं: क्या आप भी थैंक्स कह रहे हैं। हम कल सारा पूजा का सामान ले आते हैं।

राजेश्वर जी: ठीक है।

फिर हमने टाईम देखा तो बहुत रात हो गई थी। तो हम सोने चले गए। हम दोनों एक बिस्तर पर नंगे बदन ही सो गए जैसे कि हम सच में कोई पति-पत्नी थे। मैंने महसूस किया कि राजेश्वर जी का लंड एक-दम कड़क हो गया था। लेकिन राजेश्वर जी कुछ कह नहीं रहे थे।

मैं: अपका लंड इतना कड़क हो गया है, लेकिन मुझे आप मुझे चोद क्यों नहीं रहे?

राजेश्वर जी: देखो तुम बहुत थक गई हो। तुम्हें चोदूंगा तो तुम्हारी हालत खराब हो जाएगी।

मैं: ओ मेरे प्यारे पति देव, आप मेरी कितनी चिंता करते है।

राजेश्वर जी मुस्कुरा उठे और मुझसे एक-दम चिपक कर सो गए।

अगले दिन की सुबह:-

मैं अब भी सोई हुई थी कि मुझे मेरे चेहरे पर कुछ महसूस हुआ। मैंने अपनी आंखें खोली तो देखा कि राजेश्वर जी अपना लंड मेरे चेहरे पर सहला रहे थे, और उनके चेहरे पर मुस्कान थी।

राजेश्वर जी: उठ गई मेरी डार्लिंग? ये लंड तुम्हारे चेहरे पर कितना अच्छा लग रहा है।

मैं समझ गई कि उनको क्या चाहिए था, और मैंने खुशी से उनका लंड चूसना शुरु कर दिया।

राजेश्वर जी: वाह, बिना बोले ही समझ गई।

मैं लंड चूसती रही और कुछ देर बाद राजेश्वर जी झड़ गए। उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरे चेहरे पर छोड़ दिया।

मैं: गुड़ मॉर्निंग मेरी जान।

राजेश्वर जी: गुड़ मॉर्निंग, चलो अब नाश्ता करना है ना?

मैं उठी और घुटनों के बल बैठ गई (डॉगी स्टाइल पोस में)

मैं: पहले आप अपना नाश्ता कर लीजिये।

राजेश्वर जी जल्दी से मेरी चूत चाटने लगे। मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ रहा था। राजेश्वर जी अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर इतने अच्छे से चला रहे थे, कि मैं तो कांपने लगी। कुछ ही देर में मैं इतने जोर से झड़ गई, कि मैं बेड़ पर फिर से लेट गई और मेरी टांगें कांप रही थी। मेरी ये सही मायने में दिन की अच्छी शुरुवात थी।

राजेश्वर जी मुझे इतने जोर से झड़ता हुआ देख खुद शॉक हो गए। उनका लंड फिरसे खड़ा हो गया था। वो मेरी चूत में अपना लंड डालने ही वाले थे, कि दरवाज़े की घंटी बजी।

दिव्या के रंग में भंग डाल कर और किसकी एंट्री हुई? यहां से मुश्किलें बढ़ी या और रोमांच आ गया? ये सब जानिए इस देसी हिंदी सेक्स कहानी के अगले भाग में।

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