खड़े लंड पर धोखा-4 (Khade Lund Par Dhokha-4)

पिछला भाग पढ़े:- खड़े लंड पर धोखा-3

दोस्तों Xxx हिंदी देसी सेक्स कहानी में आपका स्वागत। शुरू करते है-

दीपा: मुझे नीरज से पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं थी। नीरज के और मेरे सब्जेक्ट्स अलग-अलग थे, पर फिर भी वह हर रोज आग्रह पूर्वक मेरे नोट्स चेक करते थे। जो सब्जेक्ट में मैं कमजोर थी, उन्हें वह रात रात भर जाग कर खुद पहले पढ़ कर फिर मुझे पढ़ाते थे। मेरे एग्जाम के वक्त वह अपनी पढ़ाई छोड़ मेरी पढ़ाई के लिए रात भर पढ़ते और दिन में मुझे पढ़ाते। मैं एक बार परीक्षा के समय में ही बीमार पड़ गयी,  तब नीरज ने मुझे अस्पताल में दाखिला कराया, और मैं ठीक ना हुई तब तक एक हफ्ता मेरी देखभाल की।

दीपा: मुझे हॉस्पिटल में पढ़ाया, मेरे कपड़े धोये, दवाइयां लाये, डॉक्टरों से सब सलाह मशवरा किया, मेरे सारे काम किये और अपनी पढ़ाई छोड़ मेरे साथ अस्पताल में रहते हुए मुझे पढ़ाते गए। अस्पताल में नीरज ने अपना नाम मेरे पति की जगह लिखवा दिया। उन दिनों पिता जी के स्वर्गवास के बाद मां की माली हालात ठीक नहीं थी। अस्पताल का मेरा सारा खर्च उन्होंने उठाया। जिसके लिए मैं सच्चे ह्रदय से उनकी ऋणी महसूस कर रही थी।

दीपा: पर नीरज ने उसके लिए कभी मेरा किसी तरह भी फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। हालांकि मैं देखती थी कि वह जब भी मुझे मिलते थे, तब मुझे प्यार करने के लिए कितने तड़पते रहते थे।

मैंने हंस कर पूछा, “पर तुमने यह तो बताया नहीं कि नीरज जबर्दस्ती कैसे बॉयफ्रेंड बना?”

दीपा ने कहा, “एक दिन शाम को घर जाते हुए बस स्टैंड पर मैं खड़ी बस का इंतजार कर रही थी। वहां कुछ गुंडे लड़के एक कार में आये। वो मुझे जबरदस्ती उस कार में ले जाने लगे। तब नीरज ने अकेले अपनी जान की बाजी लगा कर मुझे बचाया। गुंडों ने नीरज की पिटाई की। पर आखिर गुंडे पकड़े गए। नीरज बुरी हालत में अस्पताल में दाखिल हुए, उनका बड़ा ऑपेरशन हुआ। उनके काफी टांके लगे थे। वह करीब पंद्रह दिन अस्पताल में रहे।

मैं जब नीरज से अस्पताल में मिलने गयी तो उनको पट्टियों में पूरी तरह से बंधे हुए देख कर मेरी आँखों में आंसू आ गए। मैंने उनको पूछा की आखिर मेरे लिए क्यों उन्होंने अपनी जान खतरे में डाली? तब उन्होंने मेरा हाथ थाम कर आँखों में आँसू लिए हुए मुझे कहा, “पगली मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। तुम्हारे लिए मैं जान भी दे सकता हूं। मैं तुमको अपने से अलग थोड़े ही गिनता हूं? मैं तो तुमसे ब्याह कर अपनी बनाना चाहता हूं, पर शायद मैं तुम्हें पसंद नहीं। तुम मुझे छूने तक नहीं देती। पता नहीं मुझमें क्या बुराई है कि तुम मेरी पत्नी क्या, मेरी गर्लफ्रेंड भी बनना नहीं चाहती?”

यह सुन कर मैं नीरज के गले लिपट कर रोने लगी और माफ़ी मांगने लगी। मैंने नीरज से कहा, “आप मुझे बहुत पसंद हो। मैं शादी करुँगी तो आपसे ही करुँगी। आज से, बल्कि इसी वक्त से मैं आप की गर्लफ्रेंड हूं और आप मेरे बॉयफ्रेंड हो। अब आप मुझे अपनी गर्लफ्रेंड समझ कर बेझिझक जी भर कर प्यार करना।”

जैसे ही मैं उनकी गर्लफ्रेंड बनी, और मैंने उन्हें मुझे पूरा प्यार करने की इजाजत दी, उसके बाद जब भी मैं उनके करीब जाती तो वह मुझे खींच कर कस कर बाँहों में भर कर प्यार करने लगते थे। उनकी पतलून में उनका मरदाना मोटा लंबा लंड ऐसे खड़ा हो जाता था कि मैं कपड़े पहने हुए भी उसे महसूस करती थी। उसे महसूस कर मैं डर और रोमांच के मारे कांप उठती थी। मेरी पैंटी गीली हो जाती थी।

मुझे उनका प्यार करना बहुत अच्छा लगता था। नीरज एक बार चूमने लगते तो देर तक मेरे होंठों को छोड़ते ही नहीं थे। चूमते हुए वह मेरे बूब्स को, गांड को कपड़ों के ऊपर से छूते रहते थे। देखो, आपको बुरा तो लगेगा पर हर जवान, मरदाना बॉयफ्रेंड की तरह नीरज मुझे उनसे चुदवाने के लिए मिन्नतें करते रहते थे। मैं भी उनके प्यार में इतनी पागल हो चुकी थी कि मैं उनसे बेतहाशा चुदवाना चाहती थी। जब वह मुझे बाहों में भर कर सब जगह छूने, छेड़ने और मसलने लगते थे तब मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पाती थी। पर आखिर में जब वह मुझे चोदने के लिए मेरे कपड़े निकालने पर आ जाते थे, तब मैं मजबूरी में कुछ ना कुछ बहाना करके वहां से एक-दम खिसक जाती थी।”

दीपा की बात सुन कर मैंने कुछ गुस्सा दिखाते हुए कहा, “क्यों? तुम नीरज की गर्लफ्रेंड बन कर भी नीरज को चोदने से क्यों रोकती थी? यह तो बिलकुल गलत है। फ्रेंड और गर्लफ्रेंड में क्या फर्क होता है? सिर्फ चुदाई का। खैर, फिर आगे क्या हुआ?”

दीपा ने मुझसे सहमति दिखाते हुए आगे बोली, “आप सही कह रहे हो। नीरज को मुझसे शादी करनी थी। जब शादी ही होनी थी तो पर्दा कैसा? वह मुझे चोदना चाहते थे और मैं उनसे चुदवाना चाहती थी। पर हकीकत में मैं उनसे चुदवा नहीं सकती थी। मैं नीरज की हरकतों को टाल देती थी, या ज्यादा से ज्यादा होंठ चूमने या थोड़ा इधर-उधर छेड़ने दे कर उन्हें शांत करने की कोशिश करती थी।”

मैंने कहा, “चलो ठीक है। तुम रोकती थी यह बात तो समझ में आती है। पर नीरज थोड़ी जबरदस्ती करता तो तुम जरूर मान जाती।”

मेरी बात सुन कर दीपा अपने आप पर नियंत्रण रखते हुए बोली, “नीरज मुझसे बहुत प्यार करते थे, मुझ से शादी करना चाहते थे। वह भला कैसे मुझ पर जबरदस्ती कर मुझे चोदते? वह मुझे प्यार से चोदने के लिए बहुत ज्यादा बेचैन थे। मुझे चुदवाने के लिए तैयार करने के लिए उन्होंने मुझे कई तरीके से समझा, बुझा और पटा फुसलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पर हर बार मैं कुछ ना कुछ बहाना करके उनको टालती रही। उन्होंने कभी मुझे जबरदस्ती चोदने की कोशिश नहीं की। हां, उन्होंने मुझे चोदने और नंगी करने के अलावा कुछ भी नहीं छोड़ा।“

मैंने पूछा, “अच्छा? नीरज ने और क्या-क्या किया?”

दीपा बोली, “एक बार कॉलेज के पीछे पार्क के दूर के एक कोने मैं अकेली एक बेंच पर बैठी पढ़ रही थी। नीरज अचानक चुप-चाप आये और मेरे पीछे खड़े हो गये। मेरी ब्रा में हाथ डाल कर मेरे बूब्स को सहलाने और मसलने लगे। मैं चौंक कर कुछ बोलने लगी थी कि उन्होंने नीचे झुक कर मेरे होंठों को चूमना शुरू किया।

मैं भी उन की प्यार भरी हरकतों से इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि मैंने भी अपने होंठों से उनके होंठों को चूसना चाटना शुरू किया। हम काफी देर तक एक दूसरे के होंठ, गाल, कंधे, छाती सब चूमते रहे। नीरज काफी देर तक मेरे मुंह में जीभ डाल कर मेरे मुंह को चूसते रहे, और मेरे बूब्स, गांड सब कुछ मसलते रहे।“

मैंने दीपा को इस तरह से उत्साहित होते हुए कम ही देखा था। “जब नीरज ने देखा कि मैं चुदवाउंगी नहीं तो उन्होंने अपनी ज़िप खोल कर उनका बड़ा लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया और बोले “अगर तुम्हें मुझसे चुदवाना नहीं है तो कम से कम बस इसे हिला दो मैं और कुछ नहीं करूंगा।“

दीपा: “पहली बार मैंने किसी मर्द का लंड देखा था। नीरज का लंड काफी बड़ा था, यह कहना उस लंड का अपमान करना होगा। वह सिर्फ बड़ा ही नहीं वह महाकाय था। आपका लंड मैंने शादी के बाद देखा, काफी बड़ा है। पर नीरज के लंड से कोई मुकाबला नहीं। उसे देख कर ही मेरे तो छक्के छूट गए। अगर उस लंड को मेरी चूत में लेना पड़ा तो मेरी क्या हालत हो जायेगी यही सोच कर मैं डर गयी।

मुझे लगा कि अगर मैं इससे चुदी तो यह मेरी चूत को तो जरूर फाड़ कर रख देगा पर मेरी बच्चेदानी में घुस कर उसे भी ना फाड़ दे। मेरी चूत भी तब छोटी सी ही थी। मैंने अपनी जान छुड़ाने के लिए उनके लंड को एक हाथ की मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश की। मेरी मुट्ठी में भी वह समा नहीं पा रहा था। उसे मेरी हथेली में पकड़ कर मैंने जोर-जोर से हिलाना शुरू किया। नीरज के लंड पर पहले से ही कुछ चिकनाहट मौजूद थी। उसका फायदा उठाते हुए उसे एक-दम फुर्ती से हिला हिला कर उनका माल निकाल दिया।“

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