ऑटो से चुदाई तक का नया सफर-1 (Auto Se Chudai Tak Ka Naya Safar-1)

देसी कहानी के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। दोस्तों मेरा नाम देव है। मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूं। मेरी प्राइवेट नौकरी है। मैं जिम भी जाता हूं। इसीलिए मेरी अच्छी फिट बॉडी भी बनी हुई है।

दोस्तों मेरी ये सेक्स की कहानी आज से तकरीबन एक साल पहले की है। जब मैं अपने ऑफिस से आना और जाना करने के लिए ऑटो या बस का सहारा लेता था। तब मेरी मुलाकात एक 33 साल की महिला से हुई।

ऐसे ही एक दिन मैं अपने ऑफिस से निकल कर अपने घर वापस आने के लिए ऑटो में बैठा था। तब एक औरत थोड़ी सी परेशान सी दिखती हुई, मेरे ही ऑटो में आकर मेरे बगल में बैठ गई।

उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि वो किसी गरीब घर की थी, और शायद थोड़ी बीमार भी लग रही थी। वो महिला वैसे तो दिखने में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लग रही थी, लेकिन फिर भी उसका बदन एक-दम मस्त था। अच्छे बड़े-बड़े तने हुए उसके स्तन, छरहरा गठीला बदन, बड़े लंबे घने बाल।

दोस्तों उसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। उसके बाल खुले हुए थे। चेहरे पे थोड़े दाग धब्बे थे। उसका रंग सांवला था। कान में सस्ते से बूंदे पहने हुई थी। उसके ऐसे मादक जिस्म को देख कर मेरे अंदर हवस जाग गई। मैंने उससे बात करना शुरू किया। हमारी बातें कुछ ऐसी हुई-

मैं: आप बहुत परेशान सी दिख रही हैं। क्या मैं पूछ सकता हूं कि आपको क्या परेशानी है?

महिला: हां। मैं इस शहर में अकेली आई हूं। मुझे यहां के एक बड़े अस्पताल में जाना है। मेरा वहां इलाज चल रहा है।

मैं: अच्छा ऐसी बात है। तो इसमें इतना परेशान होने की कोई बात नहीं है। मेरा घर भी उसी अस्पताल के पास में ही है। मैं आपको अस्पताल तक छोड़ सकता हूं, अगर आपको कोई ऐतराज ना हो तो?

दोस्तों अपने निजी कारणों की वजह से मैं आपको अस्पताल के बारे में नहीं बता पाऊंगा, इसीलिए मुझे माफ कर देना।

तो उस महिला ने बोला: ठीक है, मुझे तो वैसे भी मदद की जरूरत भी है। और आप बहुत अच्छे और भले इंसान लग रहे हैं। मुझे कोई दिक्कत या ऐतराज़ नहीं है।

मैं बोला: ठीक है, फिर मैं आपको अस्पताल तक लेके चल देता हूं। मैं अपने दम पे आपकी जितनी भी मदद कर पाऊंगा, मैं कर दूंगा।

तो उसने मेरी बात सुन कर मेरा धन्यवाद किया। मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम सरला (बदला हुआ नाम) बताया। फिर मैंने अपना नाम बताया।

तो सरला बोली: आपका नाम बहुत अच्छा है देव जी।

मैं बोला: मुझे देव जी नहीं सिर्फ देव ही बोलो सरला।

तो वो थोड़ी से शर्मा से गई। मैंने उससे फिर आगे बात करना चालू किया, कि तुम कहां रहती हो? परिवार में कौन कौन है? तुम्हे ऐसे बीमार हालत में यहां अकेले क्यों आना पड़ा? तो उसने फिर अपने साथ घटी सारी कहानी और पारिवारिक समस्याओं के बारे में बताया। हमारी बातों के बीच में ऑटो वाले ने कब ऑटो चलाना शुरू किया, हमें पता भी नहीं चला।

अभी ऑटो में और भी दूसरे लोग आकर बैठ भी रहे थे, और उतर भी रहे थे। ऑटो की सीट में चार लोगों के बैठने की जगह होती है, और हम दोनों ऑटो में कोने में बैठे थे।

ऐसे में मैं और सरला एक-दूसरे से थोड़े चिपक कर बैठे हुए थे। मेरे हाथ में मेरा ऑफिस का बैग भी था, इसीलिए मुझे ठीक से बैठने में दिक्कत हो रही थी। तो मैंने अपना बायां हाथ सरला के पीछे रख लिया और थोड़ा सा खुल कर बैठ गया।

मेरा दूसरा हाथ अब धीरे-धीरे सरला के हाथ के अंदर सरक रहा था। मैंने अपना हाथ धीरे से सरकाते हुए उसके स्तनों तक ले गया, और मेरा बायां हाथ जो सरला की पीठ पे चल रहा था, अब वो भी धीरे-धीरे उसकी कमर पर आ चुका था।

सरला को भी मेरे दोनों हाथ उसके बदन पर चलते हुए महसूस हो रहे थे। लेकिन वो चुप-चाप बिना कुछ बोले बैठी हुई थी। बस बार-बार मुझे देखे जा रही थी। मैं भी सरला की आंखों में देखता हुआ उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों से उसके ब्लाउस के ऊपर से दबा रहा था।

मैंने फिर सरला के कान में कहा: तुम्हारे दोनों स्तन तो बहुत बड़े-बड़े हैं। तुम्हें अच्छा तो लग रहा है ना?

तो सरला बोली: हां देव, मुझे भी मजा आ रहा है। काफी लम्बे वक्त से किसी मर्द ने मुझ पर अपनी नजरें नहीं डाली हैं। मेरे पति को मैंने 6 साल पहले छोड़ दिया था। उसके बाद से मैंने किसी आदमी को अपने करीब नहीं आने दिया है। आप इतने साल में पहले आदमी हैं मेरे पति के बाद, जिसने मुझे इस तरह से छुआ हैं। ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से दबाओ मेरे स्तनों को। बहुत अच्छा लग रहा है। आह आह!

सरला के स्तनों को मैं पूरी ताकत लगा कर ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। दबा रहा था। उस वक्त ठंडी का मौसम था और शाम ढल चुकी थी। तो ऑटो में भी अंधेरा था। जिसके कारण ना तो ऑटो वाले को कुछ पता चल रहा था, और ना ही हमारे साथ बैठे दूसरे लोगों को, कि मेरे और सरला के बीच में आखिर चल क्या रहा था।

सरला भी जो सिसकियां भर रही थी, वो भी एक-दम हल्की आवाज में भर रही थी, ताकि किसी को कुछ सुनाई ना दे जाए। इसके अलावा सड़क पर गाड़ियों का भी बहुत ज्यादा शोर था।

इतने में फिर मैंने सरला के ब्लाउस के बटन खोल दिए, और उसके स्तनों को बाहर निकाल लिया। उसने भी मुझे ऐसा करने से मना नहीं किया। बल्कि उसने अपने बैग से एक बड़ा सा गमछा जैसा कुछ निकाला और अपने आपको ऊपर से अच्छे से ढक लिया, ऐसा दिखाने के लिए कि उसको ठंडी लग रही थी।

बस फिर क्या था, मुझे तो उसके स्तनों के साथ खेलने का अब पूरा हक़ और मौका मिल चुका था। तो मैं भी अपनी पूरी हाथों की ताकत उसके स्तनों को मसलने में लगा दी। उसकी दोनों चूची को अंगुली से मसल रहा था, गोल-गोल घुमा रहा था, खींच रहा था।

सरला एक-दम मदमस्त सी हो चुकी थी मेरे ऐसा करने से। उसने तो अपना मुंह भी एक-दम कसके बंद कर रखा था, जिससे कि उसकी सिसकारियां ज्यादा जोर से ना निकल जाए।

सरला ने भी फिर अपना काम करना चालू किया। उसने मेरे बैग के बगल से अपना हाथ मेरी पैंट के ऊपर रख दिया, और मेरे लंड को पैंट के ऊपर से मसलने लगी। मुझे भी उसके ऐसा करने से मज़ा आने लगा। फिर मैंने अपने दाएं हाथ से अपनी पैंट की ज़िप को खोला, और लंड को बाहर निकाल लिया।

सरला ने मेरा लंड पकड़ कर ऊपर-नीचे करना शुरु कर दिया। मैं तो जैसे सातवें आसमान में था। हम दोनों ऑटो के अंधेरे में ये सब कुछ कर रहे थे, और किसी को कुछ भी पता नहीं चल रहा था। इस तरह का मज़ा मैंने आज तक नहीं लिया था। सरला को भी किसी बात का डर नहीं था।

लेकिन फिर ये हुआ कि जहां मुझे और सरला को उतरना था वो जगह भी अब आने वाली थी। तो ऑटो वाले ने जगह का नाम लिया तो मैंने और सरला ने खुद को ठीक किया। लेकिन मैंने सरला की कमर से अपना हाथ नहीं हटाया। उसकी कमर पर मैं अपना हाथ चलाता ही रहा।

फिर हम दोनों अपनी जगह उतर गए। हम लोग जहां उतरे थे, वहां पर एक बड़ा गेस्ट हाउस था जो कि अभी भी है। उस गेस्ट हाउस में बाहर से आए हुए लोगों के लिए रुकने का भी इंतजाम था। तो मैंने सरला को वही गेस्ट हाउस में रुकवा दिया।

लेकिन हम दोनों ने ऑटो में एक-दूसरे के साथ जो मज़ा लिया था, उसके कारण हम दोनों अभी तक एक-दम गरम थे और चुदाई करने के लिए तड़प रहे थे। तो मैं सरला को उसके कमरे में छोड़ने जाने के बहाने उसके साथ चला गया।

गेस्ट हाउस वाले को भी कोई लेना देना नहीं था, कि हम दोनों एक-दूसरे के क्या लगते थे। तो बस फिर क्या था, मैं और सरला कमरे में घुसे, और मैंने दरवाजा बंद करते ही सरला को बिस्तर पर लिटा कर चूमना चालू कर दिया। उसके स्तनों को ब्लाउस से बाहर निकाल कर जानवरों की तरह मसलने लगा, दबाने लगा।

सरला भी अब अपनी सिसकियां ज़ोर-ज़ोर से लेने लगी। उसकी उन मादकता से भरी हुई सिसकियों ने मुझमें और ज्यादा जोश भर दिया। मैं उसके स्तनों को चूमता और चूसता हुआ धीरे-धीरे नीचे की तरफ आने लगा।

फिर मैंने उसकी नाभि में अपनी जीभ फिराई। इससे सरला एक-दम से बिस्तर पे बिल्कुल कसमसा सी गई। उसने बिस्तर पर बिछी हुई चादर को अपने हाथों से कस के जकड़ लिया। मैं उसके पेट को चूमता हुआ, उसकी नाभि में जीभ चलाता हुआ, उसके पेटीकोट को नीचे खींच कर उतार देता हूं।

सरला ने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी थी। उसने ना तो ब्रा पहनी थी और ना ही चड्डी पहनी थी। तो मेरी आंखों के सामने उसके हल्के छोटे बालों वाली उसकी चिकनी नरम चूत आ गई। उसकी चूत तो एक-दम उत्तेजना के कारण पूरी फूल चुकी थी। उसकी चूत से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था।

सरला ने शर्म के मारे अपना मुंह हाथों से ढक लिया था, तो मैं उसको ऐसे देख कर हंस दिया और सरला की टांगों को पूरा खोल कर फैला दिया। उसकी चूत भी ऊपर से काली थी। लेकिन जब मैंने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपने दोनों हाथों की उंगलियों से पूरा खोला, तो अंदर से उसकी चूत पूरी गुलाबी थी।

मैंने फिर तुरन्त अपनी जीभ से उसकी गीली चिकनी चिपचिपे पानी से पूरी तरह से लिसलिसा चुकी चूत की चटाई शुरू कर दी। सरला तो जैसे एक-दम बिना पानी की मछली के जैसे बिस्तर पर छटपटाने लगी, तड़पने लगी। उसकी सिसकियों की आवाज़ बढ़ती जा रही थी।

अम्ममम आह आह अम्ममम आह आह ऐसी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियां भरने लगी, तो मैंने तुरंत उसका ब्लाउस उसके मुंह में ठूस दिया और धीरे से बोला: बाहर लोग तेरी आवाज सुन लेंगे तो हम दोनों की बैंड बजा देंगे। इसीलिए अपनी आवाज़ पर काबू रख।

सरला भी फिर अपने ऊपर काबू रखने की कोशिश करने लगी, कि उसकी सिसकारियां ज्यादा जोर से ना निकल जाएं। फिर मैंने अपना काम करना वापस चालू कर दिया। सरला की चूत तो पूरी गीली और चिकनी हो चुकी थी।

मैंने भी ज्यादा वक्त ना‌ लेते हुए अपनी पैंट खोली और फटाफट पैंट उतार कर अपना सख्ती से खड़ा लोहे जैसा लंड सरला की चूत में एक बार में पूरा घुसा दिया। सरला की तो जैसे जान ही निकल कर हलक तक बाहर आ गई। सरला के मुंह में उसका ब्लाउस अगर नहीं होता तो पूरे मंदिर में उसकी आवाज़ सुनाई दे जाती।

इतनी जोर से उसकी चीख निकली थी। मैंने फिर सरला को शांत होने के लिए कहा, तो वो ब्लाउस मुंह से निकाल कर बोली: देव आपका लंड है या लोहे का मोटा सरिया है? मेरी चूत ने इतना मोटा लंड आज तक कभी नहीं लिया है। मेरे पति का लंड भी पतला और छोटा सा था। मुझे तो जब वो चोदता था तो मुझे कुछ महसूस ही नहीं होता था। लेकिन आज आपके बाबू ने तो मेरी रानी को अंदर तक चीर दिया है। मेरी रानी आपके बाबू को झेल नही पाएगी देव।

तो मैं बोला: डरने की कोई बात नहीं है सरला मेरी जान! तुम मेरे लंड को बड़े आराम से अपनी रानी के अंदर ले लोगी। मुझे पूरा यकीन है। देखो अभी भी मेरा बाबू तुम्हारी रानी के अंदर पूरा घुसा हुआ है ना। और मैं तुम्हे एक-दम प्यार से धीरे-धीरे ही चोदूंगा। तुम्हे ज्यादा दर्द नहीं होने दूंगा मेरी जान।

ऐसा बोल कर मैंने सरला को अपनी बाहों में कस कर जकड़ लिया, और नीचे से अपनी गांड़ आगे-पीछे करके धीरे-धीरे से सरला की चूत की चुदाई चालू कर दी।

अब दोस्तों इसके आगे हमने और क्या-क्या किया? मैंने और सरला ने और कौन-कौन से चुदाई के आसनों का उपयोग किया? सरला मेरे साथ कितने दिन और रुकी? और हमने और कितनी बार चुदाई करी? ये सब मैं आपको इस कहानी के अगले भाग में बताऊंगा।

तब तक के लिए मैं आपके विचारों और प्रतिक्रियाओं का इंतजार करूंगा। मेरी कहानी को पढ़ कर आप अपनी राय मुझे मेल के जरिए भेज सकते हैं। मेरी मेल आईडी है: [email protected]
मेरी कहानी पढ़ने के लिए आप सबका दिल से आभार और धन्यवाद।