पिछला भाग पढ़े:- बस में मां के साथ बेटी फ्री-2
दोस्तों मेरी आंटी सेक्स कहानी के अगले पार्ट में आपका स्वागत है। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे मैंने आंटी की चूत ऐसे चूसी, कि वो चुदाई की भीख मांगने लगी। अब आगे-
मैंने अपना मुंह हटाया चूत से और बोला कि, “पूरे कपड़े निकल दो अपने, और बोलो कि बेटा चोद दो। फिर डालूंगा मैं अंदर।”
आंटी: बेटा चोद दे मुझे, ऐसे ही चोद दे, कपड़े नहीं।
मैं: नहीं, नंगी करके ही चोदूंगा। पहले बोलो कि बेटा अपनी मां को चोद दे नंगी करके।
और चूत में 3 उंगली डाल दी अंदर तक। आंटी जोर से चीखी और आंखे बंद करके बोली: आह मां, मेरी चूत! बेटा चोद दे अपनी मां को। और मत तड़पा। बहुत दिनों से कोई लंड नहीं लिया चूत में। तू अपनी मां को नंगी करके अपना लंड डाल दे।
मैंने फिर अपना लंड निकाला, और आंटी की चूत पर रगड़ने लगा, जिससे आंटी और ज्यादा तड़पने लग गई, और सिसकारियां लेने लगी। उसके बाद मैंने लंड का टोपा आंटी की चूत में डाला। आंटी भी अपनी आँखें बंद करके बोली कि, आह, पूरा अंदर देदो।”
फिर मैंने जोर लगाया, और आंटी की चूत में लंड घुसता चला गया। चूत एक-दम कसी हुई थी, टाइट, शायद उनका पति चोदता नहीं था उन्हें, या फिर लंड छोटा होगा उसका। मैंने बाहर देखा तो वो लड़की अपनी चूत मसल रही थी, और देख रही थी मुझे।
मैंने आंटी के पैर फैलाए, और पूरा लंड चूत में घुसा दिया। आंटी एक-दम तिलमिला उठी, और अपने पैरों को मेरी कमर पर बांध कर अपनी तरफ खींचने लगी। मैंने आंटी की चूचियां पकड़ी, और नंगी आंटी को चोदने लगा। आंटी की चूत इतनी गरम और टाइट थी, कि मेरा हाल बुरा हो रहा था। चूत से इतना पानी आ रहा था, कि बस की सीट पूरी गीली हो गई। फिर मैं आंटी को चोदने लगा। उनकी चूचियां पकड़ कर मसलने लगा, और जोर-जोर से शॉट मारने लगा।
आंटी: आह मां, चोदो, और जोर से डालो। पूरा जड़ तक डालो। लंड बहुत मजा दे रहा है। कब से परेशान कर रखा था तुमने। अब कर लो अपने मन की पूरी। जो मन करे करो। जैसे मन हो वैसे करो, कोई नहीं रोकेगा तुम्हें अब।
मैं: हां, हां, आह, बहुत मजा आ रहा है आंटी आपको चोदने में। आपकी चूत बहुत मस्त है एक-दम। ऐसा मजा दे रही है जैसे कभी चुदी ही ना हो। एक-दम जन्नत हो आप। आज पूरी रात खूब पेलूंगा तुम्हें। घोड़ी बना कर पेलूंगा, गांड चाटूंगा तुम्हारी कुतिया।
आंटी बस सिसकारियां लिए जा रही थी, और मैं घपा-घप आंटी की चूत चोदे जा रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने आंटी को एक साइड मुंह करके सोने को कहा। फिर एक पैर को उठा कर चूत में लंड पेल दिया।
आंटी: आह आह, ऐसे कौन डालता है? करो अब, चोदो मुझे।
मैं: आंटी अभी तो देखती जाओ कैसे-कैसे चोदता हूं मैं आपको। पूरी रात बाकी है। अभी तो चूत का सारा पानी निकालना है। आंटी आपकी गांड भी बहुत मस्त है, भरी हुई है। गांड भी मारूंगा मैं आपकी।
और फिर मैं जोर-जोर से चोदने लगा। अब पूरा लंड आंटी की चूत में जा रहा था एक-दम अंदर तक, और आंटी भी खूब गांड हिला-हिला कर चुदवा रही थी। 10-15 झटकों के बाद मेरा माल निकल गया, और आंटी की चूत भर गई। मैंने आंटी का पैर नीचे किया, और आंटी के ऊपर ही लेट गया।
आंटी: आह, कितना गरम पानी हैं, आआ, मेरी चूत भर दो अपने गर्म पानी से आह।
थोड़ी देर आंटी सिसकारियां लेती रही। फिर शांत हुई और मेरी पीठ को दबोच कर अपनी चूचियों पर मुझे सुला ली, और बोली कि, “बेटा अब सो जाओ आराम से। सब कर लिया ना अब तो तुमने?”
मैंने बाहर उस लड़की को देखा तो वो बस हमें ही देख रही थी। लेकिन इस बार उसने भी अपनी पूरी बर्थ को बंद कर लिया, सिर्फ हल्की सी खोल के देख रही थी। मैं भी आंटी की ओर सो गया। लगभग रात को 3 बजे मेरी आंख खुली, तो आंटी मेरे साइड में सो रही थी, और अभी भी वो पूरी नंगी थी। आंटी ने मेरे ऊपर अपना एक पर रख रखा था, और मेरे मुंह को अपने बूब्स में दबा रखा था।
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा, और इस बार मैंने सोच लिया था कि आंटी को घोड़ी बना के पेलूंगा। मैं फिर से चूचियों को मसलने लग गया, और गांड को सहलाने लग गया। मैंने आंटी को किस्स किया, और थोड़ी ही देर में आंटी जग गई। आंटी ने मेरे सर पर हाथ रखा, और अपनी और खींचा। फिर अपने पैर से मेरी कमर को जकड़ कर बोली-
आंटी: बेटा सोना नहीं है आज? फिर से मन हो गया?
मैं: क्या करुं, ये मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। आपकी चूत की गर्मी और आपकी गांड मुझे पागल करे जा रही है। मुझे आपकी गांड देखनी है, उसे चाटना है।
इतना बोल कर मैं आंटी की गांड के छेद में उंगली करने लगा। आंटी मेरा लंड पकड़ कर बोली: आह, दिखा तो जरा।
फिर उसे अपनी चूत में घुसा कर बोली: मेरा बच्चा लो, अब खुश कर लो। लेकिन पीछे नहीं, वहां नहीं करते।
मैं: ऐसे नहीं आंटी। आज आप मेरी बात मान लो, और मैं आपको बहुत मजा दूंगा। आप मुंह में लेलो ना।
आंटी: नहीं, मुझसे नहीं होगा, तुम ऐसे ही कर लो।
मैंने आंटी को मनाया और कहा कि, “ठीक है, आप मेरे मुंह पर बैठ जाओ, मैं चूत चाटूंगा आपकी।”
फिर आंटी मेरे मुंह पर आ गई। यार उनकी गांड देख के मैं पागल हो गया, और चाटने लगा चूत को। थोड़ी देर बाद हम 69 में आ गए, और आंटी मेरा लंड मुंह में लेने लगी।
शुरू में तो आंटी सिर्फ बाहर से चाट रही थी, और मेरे आंड से खेल रही थी, उन्हें किस्स कर रही थी। लेकिन फिर मैं उनकी चूत और जोर से चाटने लगा, और उंगली अंदर डालने लगा, तो वो भी लंड मुंह में लेने लगी। लगभग 1 घंटे तक मैंने आंटी की चूत चाटी, और आंटी ने भी खूब अच्छे से चूत चटवाई।
वो मेरे मुंह पर चूत को रगड़ने लगी, और लंड को पूरा मुंह में भर के चूसने लगी थी। फिर आंटी ने सिसकारी लेते हुए कहा कि, “उफ्फ बेटा, अब लंड डाल दे, और नहीं सहा जा रहा।”
मैं: आंटी घोड़ी बनो, फिर डालूंगा।
आंटी एक बार में ही घोड़ी बन गई, और मैंने पीछे आकर लंड डाल दिया, जो एक ही बार में अंदर घुस गया। फिर आंटी को मैं चोदने लगा। इस बीच आंटी 2 बार अपनी चूत से पानी छोड़ चुकी थी। फिर थोड़ी देर बाद मैंने आंटी से कहा कि, “मैं थक गया, अब आप मेरे ऊपर आ जाओ।”
आंटी मेरे ऊपर आकर बैठ गई, और लंड को अपनी चूत में घुसा लिया। आंटी किस्स करते हुए बोली कि, “बेटा आज तुमने मुझे बहुत मजा दिया है।” ये कह कर आंटी उपर नीचे होने लगी, और मैं उनके बूब्स को मसलने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें अपनी तरफ खींचा, और नीचे से शॉट मारने लगा। 10 मिनट बाद ही आंटी एक-दम अकड़ गई, और मुझे नोचने लगी। वो जोर-जोर से आहे भरने लगी, “और जोर से बेटा, चोद दो, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। बहुत मजा आ रहा है। आह मर गई।”
फिर आंटी ने मुझे एक-दम कस के पकड़ लिया, और फिर शांत हो गई। मैं दना-दन चोदे जा रहा था। आंटी बोली कि, “अब रुक जाओ, दर्द होने लगा है।” तभी किसी ने हमारी बर्थ के पास से आवाज दी, “मम्मी, मम्मी।” ये सुन के आंटी एक-दम शोक हो गई, और पसीने आने लगे।
मैं: क्या हुआ? कौन है?
आंटी: मेरी बेटी है बाहर।
तभी मैंने देखा कि वो लड़की जो हमें देख रही थी, वो बाहर खड़ी थी, और मेरे देखते ही तुरंत अंदर आ गई। आंटी खुद को ढकने की कोशिश करने लगी, और मैंने भी अपने लंड पर शर्ट डाल दिया था।
लड़की: मम्मी ये सब क्या है? कल रात से आप हो अंदर, और ये सब कर रही हो। लेकिन आप तो नीचे वाली बर्थ पर थी ना, फिर ऊपर कैसे?
ये अब मुझे बाद में समझ आया, कि ये क्या हो रहा था। दअरसल आंटी की बर्थ नीचे वाली थी, और साथ में एक वृद्ध औरत की भी। ऊपर वाली पर मैं और एक बुड्ढे अंकल जो कि नीचे वाली बुड्ढी औरत के हसबैंड थे, वो थे। उन अंकल से ऊपर चढ़ा नहीं गया, इसलिए उन्होंने आंटी से रिक्वेस्ट करके उन्हें ऊपर भेज दिया, और खुद नीचे अपनी वाइफ के पास चले गए। उस लड़की को लग रहा था, कि उसकी मम्मी नीचे ही थी, लेकिन वो उपर थी।
आंटी: शिवानी तुम, यह, तुम तो पीछे थी, सो रही थी।
लड़की का नाम शिवानी था, जो मुझे बाद में पता चला।
वो बोली: हां मम्मी, मैं तो सो ही रही थी। और कब से इस लड़के को आपके साथ ये सब करते हुए देख रही थी। लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि वो औरत आप ही हो। मुझे लग रहा था कि कोई और है।
मैं चुप-चाप सुन रहा था बस, और आंटी को देखे जा रहा था।
शिवानी: मम्मी आप ऐसा कैसे कर सकती हो? मुझे शर्म आ रही है कि आप ऐसी औरत हो।
आंटी: बेटी ये अब गलती से हुआ। मैं ये नहीं करना चास रही थी। सब ऐसे हुआ कुछ समझ नहीं आया।
मैं: तुम भी तो कब से देख के मजे कर रही हो। अगर तुम्हारी मम्मी कर रही है तो तुम्हे प्रॉब्लम हो रही है? कोई और औरत होती तो मजे।
शिवानी: तुम बीच में मत बोलो। ये सब तुमने ही किया होगा।
आंटी रोने लगी, और माफी मांगने लगी। लेकिन उनकी बेटी गुस्से में बस कुछ भी बोल रही थी। वो पापा को बताने की धमकी देने लगी, तो आंटी और ज्यादा डर गई।
मैंने आंटी को धीरे से कहा कि, “आंटी एक ही तरीका है, जिससे सब ठीक हो सकता है।” मैंने भी मौके का फायदा उठाने की ठान ली, और आंटी को बोल दिया कि, “अगर आपकी बेटी भी मेरे साथ ये सब कर ले, तो फिर वो किसी को कुछ भी बोलेगी।”
आंटी: तुम पागल हो। वो मेरी बेटी है, ये सब नहीं हो सकता।
मैं: तो फिर वो बताएगी। अब आप देख लो।
उनकी बेटी बस गुस्से से हमें देख रही थी, और फोन में किसी का नंबर निकलने लगी।
आंटी: शिवानी, पापा को फोन मत करो। मैं हाथ जोड़ती हूं।
तब तक शिवानी पापा को फोन कर चुकी थी। लेकिन शायद नेटवर्क की वजह से लग नहीं रहा था।
आंटी मुझे बोली कि, “कुछ करो प्लीज।”
मैं: ठीक है। लेकिन एक ही तरीका है, और आपको साथ देना पड़ेगा। अब जो होगा देखा जाएगा।
इतना बोलते ही मैंने लड़की का फोन छीना, और उसे अपनी तरफ खींचा। फिर किस्स करने लगा। मैं जानता था कि वो एक-दम गरम थी, तो जल्दी ही हिम्मत हर जाएगी।
शिवानी मेरी रंडी बहन कैसे बनी, ये अगली स्टोरी में बताऊंगा।