This story is part of the Asli Parivarik Sukh Aur Anand series
बेटी के दृष्टिकोण से-
सबसे पहले तो मै ये कहना चाहूंगी, कि मैंने सेक्स ये शब्द सहेलियों से सुना और जाना की इसमें मज़ा बहुत आता है। और बॉयफ्रेंड के साथ या फिर अपने पति के साथ यह करना पड़ता है, जिसमें बहुत सुख है।
लेकिन मैंने यह कभी नहीं सुना कि घर में भी यह सब होता है या करते है। आखिर यह तो पाप है घर में कौन करेगा, कुछ भी? क्यों की हम सब भक्ति आध्यात्म से भरपूर कहां इन सब बातो में पड़ेगें।
फिर सहेलियों ने ये बताया की उन्होंने कुछ कहानियों में पढ़ा है, कि यह कुछ घरों में बंगाल में होता है। जैसे कि माँ और बेटे में शारीरिक संबंध और बाप बेटी मे, भाई बहन में।
लेकिन मुझे ये सब सुन कर बहुत घिन आई, लेकिन सहेलियों ने कुछ इस तरह से उन कहानियों को पेश किया की मेरी पैंटी गीली हो गयी। जैसे कि बेटे का माँ के पेट को छूना या पेटीकोट या पैंटी को माँ के नींद में होते हुए महसूस करना।
या बहन के स्तनों को जाने अंजाने हाथो से महसूस करना, पिताजी के पैरो की सेवा करते करते उनकी मर्दानी जांघो को ताकना या जांघो को सहलान और अंडरवियर की झलक देखना इत्यादि।
दूसरी विशेष बात यह होती है, कि घरवालों को हम से ज्यादा हमारी फिकर होती है तो इसलिए फिर मै भी सहेलियों के बताने के बाद कहानियां पढ़ने लग गयी। फिर माँ ने और पापा ने इन सब बातों की जानकारी मुझे दी, और उन्होंने हि मुझे चरम सुख का अनुभव कराया।
इससे मुझे जो मेरा टेंशन में रहने वाला मूड था और सिर में दर्द रहता था, थकान रहती थी अब वह चली जाने लग गयी। मै अब बहुत रिलैक्स रहने लग गयी, पहले मै बहुत शर्माती थी।
जैसे माँ को शरम आई, भैया के साथ सोने में वैसे ही मुझे भी शर्म आई। लेकिन मेरी लज्जा को मेरे पापा ने समझ लिया. और उन्होंने उनके तरीके से मुझे नॉलेज ज्ञान दिया।
बाद में उन्होंने मुझे शारीरिक सुख की अनुभूति करवाई, जैसे कि होने वाले पति को प्यार से कैसे जीतें। शारीरिक सुख का कैसे आंनद पति को दें, जिससे वह बाहर के किसी औरत कि और आकर्षित ना हो।
और वो अपने हि घर में ही जम कर सुख दे, और मुझसे ले भी। मुझे मेरे पापा पर गर्व है क्यों की उन्हें मेरे भविष्य की चिंता है, वह हमारे भले की कामना करते हैं।
इसलिए उन्होंने मुझे सेक्स का गहरा आंनद लेना सिखाया है। खुद उंगली को भिगोकर कैसे योनी में गहरा अंदर घुसा के घुमाना और अंदर बाहर करना। यह सब करके हमारी आंख जो धीमे से लगती है, उसका चरम आंनद महसूस करना फिर वहीं भीगी हुई उंगलियों को लिपटा हुआ रस उसको चखना।
वाह क्या बात है…!! मज़ा आ गया, आगे आगे तो जैसे कि मदन दाने को जो लड़की के योनी (चूत) पे होता है। उसे जीभ से कैसे चटवाना या गीला कर के चूस वाना, पंखुड़ियों में जीभ से उनको पूरा मुंह में लेकर चूसना और चाटना।
आखिर में जीभ को पूरा कड़क लंबा करके जितनी हो सके उतनी योनी में डालकर रस को चूसना और घूमाते ही रहना, और उसी वक़्त हमारा चेहरा देखने लायक होता है।
मुझे लगता है कि दुनिया में हर एक पापा ने अपने जवान बेटी को बिस्तर पर यह सेक्स का चरम गहरा आंनद देना चाहिए। पापा के गैरमौजूदगी में भैया मुझे वह सुख देते है, क्यूंकि भैय्या का स्टैमिना बहुत है वो मेरा हो जाने के बाद भी रुकते ही नहीं है।
वो बस करते हि रहते है, मै सुख मै चिल्लाती हूं आह् आह तो उन्हें बड़ा सुख मिलता है। ऐसे स्टैमिना की सबके दीदियों या बहनों के भाइयों को जरूरत है। बहनों को भी ऐसे भाइयो को अपने प्यार से सुख देना चाहिए।
यही राखी का उपकार है और कर्तव्य है। अगर सोचा जाए तो दुनिया के हर एक लड़की ने अपने भाइयों से शादी से पहले यह चरम सुख लेना ही चाहिए। इससे दिमाग को शांति सुकून एवम् रिलैक्स फील होता है।
हर एक भाई माँ के शरीर के बाद बहन के शरीर से आकर्षित होता है, यह बहुत सी बहनों को नहीं पता होता है। आशा करता हूं कि मेरे इस वक्तव्य से सभी बहनों और भाइयों को प्रेरणा मिलेगी।
आखिर में माँ का सहज दृष्टिकोण –
मैं एक शादीशुदा पैतालीस साल की औरत हूं, मुझे हमेशा लगता था कि मेरा परिवार हर वक़्त सुखी रहे परिपूर्ण सुख से रहें। यह सब को बलैंस घर में सिर्फ एक औरत एक माँ और एक बहु ही करती है।
लेकिन इन सब मै उसका शरीर कितनी परेशानियां झेलता है, सिर्फ १० मिनट का सुख नहीं होता है। उसके लिए हर एक स्त्री को शारीरिक भूख बहुत रहती हैं, उसे २ से ३ घंटे कड़क लिंग की जरूरत अपने गीली योनी में होती है।
जिससे वह दिन भर खुश रहती है, अगर यह सुख उसे रोज ना मिले तो वह परेशान रहती है। उसके दिमाग पे टेंशन के कारण, यह सुख पूर्ण रूप से उसे नहीं मिलता है।
इसलिए कभी कभी घुस्सा या चिड चिडा पन बच्चो पे निकाला जाता है, इसलिए मेरे पति को लगता था कि मेरी इस शारीरिक इच्छा पूर्ति पुर्नरूप से मेरा जवान बेटा ही पूरा कर सकता है।
इसकी कदर बहुत कम घरों में कि जाती है, और ज्यादा तर में नहीं की जाती। लेकिन एक औरत को ज्यादा तर प्यार की जरूरत महसूस होती है, और वह प्यार रातवाला ज्यादा से ज्यादा होना बहुत जरूरी हो गया है।
जब मुझे मेरे पति ने यह सब बताया, तो मै शॉक में आ गई मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ इन सब बातो पर की यह सब भी घरों मै होता है। और इससे भी लोग सुख कैसे के सकते है, और उसमें में भी एक माँ और बेटी ..छी..!!
लेकिन फिर मैंने इसपे पति की तरह सोचना शुरू किया, तब मुझे में महसूस हुआ कि पति मेरे सुख के लिए इतना करना चाहते है। तो मै भी क्यों पीछे रहूं और फिर मैंने कुछ बाते मेरी सहेलियों से सुनी थी।
कि जवान लडको का स्टैमिना ज्यादा रहता है, और उनके लंड का गाढ़ा पानी पीने से ताकत मिलती है जो दिमाग को शांत रखता है। क्यूंकि पति के लंड के पतले पड़े हुए पानी का मज़ा तो अब रहा हि नहीं है।
पति के बार बार समझाने के बाद मै हार गई, और मेरी भी शारीरिक भूख की मजबूरी थी लेकिन जब पहली बार मेरे जवान बेटे ने मुझे सुख दिया। मै तो रूक ही नहीं रही थी। मेरी योनि से पानी का झरना बह रहा था।
उस रात बेटे ने रात के ३ बजे तक मुझे प्यार किया, मेरी नीली साड़ी बिस्तर के निचे पड़ी हुई थी। काले रंग का पेटीकोट नाड़े के साथ मेरे दाहिने और पड़ा हुआ और कथिया रंग की पैंटी जिसपे छोटे छोटे फूल के डिजाइन थे, वह बिस्तर के बाजू के कुर्सी पर पड़ी हुई थी।
मेरी काली ब्रा बेटे के हाथ में। यह पहली रात का दृश्य था। इससे यह सिलसिला इस तरीके से बढ़ा कि कभी कभी हम तीनों जैसे की मेरी बेटी मै मेरे बेटे से सुख लेते हैं।
मुझे चोदने के वक़्त मेरा बेटा कंडोम का इस्तमाल नहीं करता, क्यों की गाढ़े गरम गरम पानी का मज़ा तो माँ की चूत में ही महसूस होता है। अगर आपसे पर्सनल कहूं तो हर एक माँ ने अपने बेटे से चूत की अच्छी तरह से ठुकाई कर लेनी चाहिए।
जब भी मेरा बेटा मेरे ऊपर रहता है तो उसका कड़क लंड मेरी चूत कि गहराई में बच्चे दानी को ठोक रहा होता है, और ऊपर वह मेरी जीभ को चूस रहा होता है। तो आप लोग समझे की कितना सुख एक माँ को मिलता होंगा, मेरे आशीर्वाद हमेशा उसके साथ रहेंगे।
अब आप बताए कि घर का सच्चा सुख किसमें है, आप यह मुझे जरूर कमेन्ट में लिख कर बताइएगा।