Site icon Desi Kahani

ऑटो से चुदाई तक का नया सफर-2 (Auto Se Chudai Tak Ka Naya Safar-2)

पिछला भाग पढ़े:- ऑटो से चुदाई तक का नया सफर-1

देसी कहानी के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। दोस्तों जैसा कि आपने मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग में पढ़ा, कि अपने ऑफिस से वापस आते वक्त, ऑटो में एक मस्त गदराए जिस्म वाली, एक गरीब औरत से मेरी मुलाकात होती है। फिर उसकी मदद करने के बहाने, मैं उसे पटा लेता हूं, और ऑटो में गरम करता हूं। फिर उसके बाद गेस्ट हाउस के कमरे में उसकी चुदाई करना शुरू करता हूं। अब आगे की कहानी कुछ इस तरह से आगे बढ़ती है-

दोस्तों मैंने सरला को अपनी बाहों में कस कर जकड़ा हुआ था, और मेरा लंड उसकी चूत में पूरा अंदर तक घुसा हुआ था। मैंने धीरे-धीरे अपनी गांड आगे-पीछे करके उसकी चूत को अपने लंड से मथना चालू किया।

मेरा लंड सरला की चूत में पूरा अंदर तक जाता, और फिर बाहर निकल आता। मैं ऐसे ही अंदर-बाहर करके उसकी चूत को चोदे जा रहा था। मैंने उसके होठों से अपने होठ चिपकाए रखे थे, जिससे कि उसकी सिसकियां ज्यादा ज़ोर से निकल कर, बाहर किसी और को सुनाई ना दे जाए।

मैं कभी अपने झटके एक-दम तेज़-तेज़ करके लगातार 5-6 धक्के लगा देता, तो कभी एक-दम धीरे-धीरे उसकी चूत की पेलाई करता। सरला भी पूरे मज़े में अपनी कमर ऊपर उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे लंड से मथवा रही थी। मैं सरला के ऊपर लेटे हुए, उसकी चुदाई तब तक करता रहा, जब तक सरला खुद नहीं बोली, कि अब दूसरी तरह से चोदो।

तो फिर मैं सरला के ऊपर से उठ कर, उसके ऊपर लेट गया, और सरला मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को अपनी चूत पे लगा कर मेरे ऊपर बैठ गई। मेरा लंड बड़े आराम से उसकी चूत में पूरा अंदर तक समा गया। सरला अब खुद मेरे लंड के ऊपर-नीचे उछल-उछल कर अपनी चूत चुदवाने लगी।

मैं सरला के बड़े-बड़े स्तनों को पूरी ताकत से दबाने और मसलने लगा। सरला बड़े मज़े के साथ पूरे जोश में मेरे लंड पर अपनी गांड ऊपर-नीचे करके अपनी चूत चुदवाने में लगी हुई थी। सरला कभी आगे-पीछे होती, तो कभी ऊपर-नीचे उछलती।

फिर थोड़ी देर बाद सरला मेरे ऊपर लेट गई, और मुझे नीचे से चोदने के लिए बोली। तो फिर मैंने नीचे से उसकी चूत को चोदना चालू किया। मैं कभी तेज़ धक्के लगाता, तो कभी धीरे-धीरे चूत में लंड अंदर-बाहर करता। सरला तो जैसे गोंद की तरह मुझसे चिपकी हुई थी, और हमारी चुदाई का पूरा मज़ा उठा रही थी।

थोड़ी देर तक सरला मेरे ऊपर ही लेटी रही, और मैं उसे धीरे-धीरे चोदता रहा। लेकिन फिर उसके बाद मैंने सरला को एक-दम कस के जकड़ लिया, और उसे अपनी बाहों में पूरा समेट लिया। फिर वैसे ही सरला को कसके जकड़े हुए, मैं ऊपर उठ कर बैठ गया। हम दोनों के नंगे जिस्म एक-दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे, कि हमारे बीच में से हवा भी नहीं गुजर पाती।

मैं उठ कर बैठा और सरला को बिस्तर पर प्यार से लिटा दिया। फिर उसकी टांगें मोड़ कर वापस उसको चोदने लगा। मैंने उसे थोड़ी देर तक बस उसके ऊपर चढ़ कर चोदा। फिर उसके बाद मैं उससे अलग हुआ और बिस्तर के नीचे उतर गया। सरला को मैंने उसकी गांड से पकड़ कर फिर बिस्तर के किनारे पे खींचा।

सरला बस मुझे ये सब कुछ करते हुए चुप-चाप देखे जा रही थी, और मैं जो उसके साथ कर रहा था, वो मुझे करने दे रही थी। मैंने फिर सरला की टांगें खोली और मोड़ दी, और उसके चूत में अपना मुंह लगा कर उसकी चूत को चाटने लगा।

मैंने जैसे ही अपनी जीभ सरला की चूत के ऊपरी दाने पर चलाई, तो सरला सिसकियां लेने लग गई। वो आहें भरने लग गई। ऊंह आह अम्ममम ऐसी मादकता से भरी सिसकारियां भरने लगी। मैंने सरला की चूत को चाटने के साथ, उसके अंदर अपनी दो ऊंगली भी डाल दी, और दोनों ऊंगलीयां तेजी से अंदर बाहर करके, उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा। सरला की चूत पूरी गीली और चिकनी हो गई थी।

सरला ने चादर को कस कर अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया, और खुद ही अपनी कमर ऊपर उठा कर और आगे-पीछे करके खुद से चूत को चटवाने और चुदवाने लगी।सरला का बदन धीरे-धीरे अकड़ने लगा। ऐसा लग रहा था कि जैसे वो अब कभी भी अपने चरम उत्कर्ष पर पहुंच जाएगी। और ऐसा ही हुआ। जवानी तो उसके अंदर वैसे भी भरी हुई थी, जो उस वक्त मैंने देख भी लिया।

वो मादकता से भरी हुई आहें भरते हुए, एक-दम से फिर ढीली पड़ गई और एक-दम गहरी-गहरी सांसे भरने लगी। उस वक्त मंदिर का वो कमरा उसकी सिसकारियों और गहरी सांसों की आवाज़ से गूंज रहा था। लेकिन मेरा उसको अच्छे से चोदना अभी भी बचा हुआ था।

सरला बोली: बस करो देव, अब और नहीं करते ना। मैं बहुत थक गई हूं। अब आपका ये हथियार मेरी चूत और ज्यादा नहीं झेल पाएगी।

तो मैं बोला: अरे मेरी प्यारी सरला, अभी तो तुम्हे चरमसुख मिला है। लेकिन मेरा लंड तो अभी तक पूरा तन कर खड़ा हुआ है। इसका तो कुछ इलाज़ करना पड़ेगा ना।

तो सरला बोली: अच्छा ठीक है, मैं आपके राजा बाबू को अपने मुंह में भर लेती हूं, और अच्छे से इसको चूस-चूस कर इसका इलाज कर देती हूं।

ऐसा बोल कर सरला बिस्तर पर अपने घुटनों पर बैठ गई, और मैं बिस्तर पर खड़ा हो गया। अब सरला ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा, और अपने मुंह में डाल कर अच्छे से चूसने लगी।

मैंने सरला का सिर पीछे से पकड़ा और अपना लंड उसके मुंह में अंदर गले तक घुसा दिया। सरला के मुंह से लंड चूसते वक्त गप-गप, गप-गप, गौक-गौक, ऐसे आवाज़ आने लगी। सरला की सांसें रुक जाती, अगर और थोड़ी देर तक मैं ऐसे उससे अपना लंड चुसवाता तो।

तो सरला ने खुद ही मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया, और सांसे लेते हुए गुस्से से बोली: आह! हाय! मर जाती अभी मैं। कैसे करते हो देव बाबू? आराम से करो ना।

तो मैं बोला: मुझे ऐसे लंड चुसवाने में ज्यादा मज़ा आता है, सरला रानी!

मैं आगे बोला: सरला बिस्तर पर उल्टी, पेट के बल लेट जा, और अपनी ये बड़ी सी गांड ऊपर उठा ले।

तो सरला वैसे ही अपनी गांड ऊपर उठा कर पेट के बल लेट गई। इसके कारण उसकी गांड और चूत का छेद, पूरा खुल कर साफ दिखने लगा। फिर मैंने भी अपना सख्त खड़ा लंड, उसकी चूत में धक से डाल दिया और इस बार शुरू से, एक-दम तेज़-तेज़ और पूरी ताकत से धक्के लगा कर चोदने लगा।

एक बार में 6-7 ज़ोरदार धक्के लगाता, फिर धीरे-धीरे धक्के लगाता जाता। सरला तो मेरे उसको ऐसे चोदने से बिल्कुल पागल ही हो चुकी थी। मैंने उसके मुंह में उसका ब्लाउस ठूस दिया, जिसके कारण वो ज्यादा ज़ोर से चिल्ला नहीं पा रही थी। फिर मैंने अपने धक्के लगाने और तेज़ कर दिए। सरला को ऐसे कुतिया बना कर चोदने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मेरा लंड सरला की चूत की दीवारों को पूरा अंदर तक चीर कर घुस रहा था, और बाहर निकल रहा था। मैं बस धका धक तेज़-तेज़ धक्के मार कर सरला की चूत का भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था। सरला को मैंने काफी देर तक कुतिया बना कर चोदा, जिसके कारण सरला की चूत सूज कर फूल गई थी।

मैंने फिर सरला को पलटाया, और उसकी एक टांग अपने कंधे पर रख कर वापस उसको चोदने लगा। लेकिन इतनी देर से चोदते रहने की वजह से, अब मेरा लंड भी अपना दही निकालने वाला था। तो मैंने अपने धक्के और तेज़ लगाने चालू किए और थोड़ी देर बाद सरला की चूत मेरे साफे गाढ़े पानी से पूरी लपलपा गई।

सरला की चूत अपने पानी से भरने के बाद मैं उसके बगल में लेट गया, और सरला भी मुझसे चिपक कर लेट गई। ऐसे ही हम दोनों थोड़ी देर के लिए लेटे ही थे, कि मेरा फोन बजता है। मैंने देखा कि मेरे घर से मेरी मां का फोन था। तो मैंने फोन उठाया और बोला कि मैं बस घर पहुंचने ही वाला था।

ऐसा बोल कर मैंने फोन काटा और जल्दी से अपने कपड़े पहन कर, सरला को बोला: आज तुम यहां आराम से सो जाओ और कल सामने अस्पताल चली जाना। कुछ समस्या या परेशानी होगी, तो मुझे बताना मैं मदद कर दूंगा।

फिर मैं उसके कमरे से निकला और अपने घर चला गया। मैंने रस्ते में ऑटो से आते वक्त सरला से उसका फोन नंबर भी ले लिया था। उसके पास वो छोटा वाला नोकिया का पुराना फोन था। तो दोस्तों ये कहानी का दूसरा भाग। आप लोगों को कैसा लगा? मुझे अपने मेल और कहानी के कमेंट बॉक्स में लिख कर जरूर बताना। मेरी मेल आईडी है-jordan.ivan.2024@gmail.com

इसके आगे मैंने और सरला ने क्या-क्या किया, हम लोग और कहां-कहां गए, ये सब मैं आपको इस कहानी के तीसरे और आखिरी भाग में बताऊंगा। तब तक आप सबका दिल से आभार, और ऐसे ही सब अपनी सेक्स लाइफ के मजे लेते रहे। धन्यवाद।

Exit mobile version