पति हूँ फिर भी उसके लंड का जूस मैं पिला दूंगा।
पराये मर्द से चुदने की खुशीयाँ मैं दिला दूंगा।
अगर तुम चोदने वाले को सब अपनी शरम देदो।
अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने ग़म देदो।
सूरज की जाँघों के बीच खड़ा उसका लंड मेरी बीवी की जाँघों के बीच छिपी चूत में कपड़ों के माध्यम से घुसने की नाकाम कोशिश में लगा हुआ था। यह हालात मेरी बीवी के लिए अकल्पनीय थे। मैंने भी कार के पीछे से यह सारी हरकत देख ली थी।
अपने होशोहवास समभालते हुए सूरज ने मेरी बीवी के गालों पर एक हलकी सी चुम्मी देते हुए उसके कानों में कहा, “रीता, तुम तुम्हारी तस्वीरों और वीडियो से कहीं ज्यादा खूबसूरत हो।” फिर सूरज सीधे खड़े हुए, और मेरी ओर कार के ऊपर से देखते हुए बोला, “राज तुम वाकई में बहुत भाग्यशाली हो कि रीता दिन रात तुम्हारे साथ रहती है। किरण बिल्कुल सही कह रही थी। तुम्हारी रीता कमाल की कमसिन सुन्दर है। मैं क्या बताऊं मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं है।”
और फिर रीता की और सर घुमा कर सब सुनें ऐसे बोला, “रीता तुम वाकई में बहुत ही ज्यादा सुन्दर हो।” इस तरह किरण के पति सूरज द्वारा ताकत से खींच कर सूरज के सख्त बदन से लिपटाये जाने पर और उस तरह जोश से गाल पर चुम्बन किये के बाद और सूरज के अंग से अंग मिला कर किये हुए उतने ताकतवर आलिंगन के बाद मेरी बीवी रीता को ऐसा एहसास हुआ, कि अगर आस-पास में आते-जाते लोग ना होते, तो किरण का पति उसे वहीं के वहीं रीता के और अपने कपड़े निकाल कर नंगी रीता को जमीन पर लिटा ही देता और खुद उस पर सवार हो कर रीता को वहीं चोदने लग जाता।
किरण के पति सूरज ने अपनी बाहों में रीता को ऐसे जकड़ा था कि रीता को छोड़ने के बाद सूरज की उंगलियों के निशान मेरी बीवी की पीठ पर दिखने लगे थे। रीता ने सूरज के तगड़े लंड को भी अपनी चूत को कोंचते हुए महसूस किया था।
उस समय मेरी पत्नी की क्या मनोदशा होगी, वह तो वहीं जाने।सूरज के आलिंगन के उस पूरे घटनाक्रम के दरम्यान मेरी पत्नी रीता तो बेचारी मुझे देखती ही रही। कुछ देर के लिए वह कुछ भी बोलने लायक नहीं रही थी। जब सूरज ने मेरी पत्नी की सुंदरता की तारीफ़ की, तो बरबस ही रीता के मुंह से निकल पड़ा, “थैंक यू।”
उस समय अगर कोई और बीवी होती तो शायद काफी लाल-पीली हुई होती। पर किरण का भी जवाब नहीं था। वह इठलाती हुई बड़े ही जोश के साथ कुछ देर तक तालियां बजाने के बाद रीता का हाथ अपने हाथ में लेकर अपने पति से बोली, “देखा, मैंने कहा था ना? मेरी दोस्त किसी खूबसूरत एक्ट्रेस से कम नहीं। अरे मैं खुद अगर मर्द होती तो राज से रीता को कभी का उड़ा कर ले गयी होती।”
सूरज ने अपनी बीवी किरण का हाथ थाम कर किरण को प्यार से मेरी और हलके से धकेलते हुए कहा, “डार्लिंग, तुम औरत ही रहो और रीता को उड़ाने का काम मुझे करने दो? राज बड़ा ही हैंडसम है। तुम राज को उड़ा कर ले जाओ मुझे कोई दिक्क्त नहीं।”
किरण अपने पति की बात सुन कर इठलाती हुई मेरे पास आयी और मुझे प्यार भरी नज़रों से देखती हुई मुझसे चिपक कर खड़ी हो गयी। मेरी पत्नी रीता सूरज के इस तरह कस कर किये हुए तगड़े आलिंगन के बाद जैसे एक तरह की तंद्रा में हो ऐसे बर्ताव कर रही थी।
किरण ने उसे अपने पति के बहुत ज्यादा सेक्सी होने के बारे में पहले से ही इतना डरा दिया था। ऊपर से सूरज ने भी रीता को इस तरह सेक्सी आलिंगन, चुम्मा आदि किया तो रीता समझ गयी थी कि सूरज ने उसे चोदने का मन बना लिया था।
इस आशंका से वैसे ही रीता आधी बावरी हो गयी थी। सूरज के पहली मुलाक़ात में ही उसे इस तरह का इतना तगड़ा सेक्सी आलिंगन देने के कारण वह बहुत नर्वस और ढीली पड़ गयी थी। रीता के चेहरे पर जिस तरह सूरज की हरकतों से हवाइयां उड़ रहीं थी, उसे देख कर मुझे लग रहा था कि उस समय मेरी बीवी की पैंटी और उसका घाघरा तक उसकी चूत से निकले हुए पानी से जरूर भीग गया होगा।
सूरज से मेरी मुलाक़ात भी औपचारिकता से कुछ बढ़ कर लगी मुझे। सूरज मेरे करीब आया और मुझसे हाथ मिलाता हुआ बोला, “तुम दोनों से मिल कर बहुत अच्छा लगा मुझे। देखो राज, मेरी बात को ध्यान से सुनना और समझना।
अच्छे दोस्त बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। जीवन में अच्छे दोस्तों से दोस्ती बनाये रखना। मुझे तुम और तुम्हारी पत्नी अपना बहुत ही करीबी और अच्छा दोस्त समझना। तुम मुझसे और किरण से दोस्ती करके निराश नहीं होंगे।”
यह कह कर सूरज ने अपनी जेब में से अपना विज़िट कार्ड निकाला, और मेरे हाथ में थमा दिया। उसमें सूरज और किरण दोनों के सेल फ़ोन नंबर थे। सूरज ने कहा, “तुम मुझे या किरण को आधी रात में भी फ़ोन कर सकते हो। याद रहे मुझे या किरण को बेधड़क फ़ोन करने से बिल्कुल मत हिचकिचाना।”
सूरज के फ़ोन पर उसके बाद तुरंत ही एक फ़ोन कॉल आ गया। शायद कुछ जरुरी सा कॉल था। हमने एक दूसरे से “हेलो, हाय” किया और वह अपनी कार में और मैं अपनी मोटर साइकिल पर बैठ कर, अपनी-अपनी पत्नीयों के साथ, हम दोनों अपने-अपने घर जाने के लिए निकल पड़े।
इस मुलाक़ात के दूसरे दिन जब रीता और किरण मिले तब किरण रीता का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गयी, और किरण ने रीता की पीठ थपथपाते हुए रीता से कहा, “रीता, कल मेरे पति ने कुछ ज्यादती ही कर दी थी तुम्हारे साथ। पर तुमने उसका साथ दिया इसके लिए थैंक यू यार।
मेरे पति ने उनके इस तरह के बर्ताव के लिए सॉरी कहा है। सॉरी कहते हुए उन्होंने तुम्हारे लिए यह उपहार भेजा है। मेरे पति जब भी सॉरी अथवा थैंक यू कहते है, तो कोई ना कोई उपहार जरूर भेजते हैं।” यह कह कर किरण ने अपने हैंडबैग में से एक निहायत ही खूबसूरत पर्स निकाला और रीता के हाथ में थमा दिया।
पर्स काफी खूबसूरत और महंगा था। रीता कुछ हिचकिचाए या मना करे उसके पहले ही किरण ने वहां से चलते हुए कहा, “मेरे पति ने दोनों हाथ जोड़ कर यह रिक्वेस्ट की है कि इसके लिए तुम मना मत करना। तुम्हारे साथ की इस मुलाक़ात के बाद मेरे पति तो वाकई तुम्हारे दीवाने हो गए हैं। वह फिर से तुमसे मिलना चाहते हैं।” रीता जाती हुई किरण को देखती ही रह गयी।
रीता ने जब पर्स खोला तो उसके अंदर “थैंक यू” लिखी हुई एक पर्ची मिली और स्त्रियों के प्रसाधन का कुछ महंगा सामान भी मिला।
रीता किरण और सूरज के ऐसे अपनापन भरे बर्ताव से खुश हो कर क्लास में चली गयी। इस मुलाक़ात के बाद किरण और रीता का रिश्ता काफी घना होता गया। रीता की स्कूल में किरण शिक्षक अच्छी मानी जाती थी। बच्चों को अच्छे तरीके से पढ़ाती थी और शिक्षक वर्ग और बच्चों में काफी लोकप्रिय थी।
वैसे किरण काफी परिपक्व थी पर जैसे ही क्लास ख़तम होता था और रीता से मिलती थी तो किरण की शक्सियत एक-दम बदल जाती थी। रीता के कहने के अनुसार तो किरण जब रीता से मिलती थी, तो मिलते ही वह एक शिक्षक नहीं एक चुलबुली नटखट छोटी सी नन्ही लड़की बन जाती थी।
किरण रीता का हाथ थाम कर उससे कई तरीके की बातचीत करने लगती थी। अक्सर किरण का कहना यही होता था कि जिंदगी जीने के लिए है, रोने-धोने के लिए नहीं। रोने-धोने के लिए तो पूरा जीवन पड़ा है। जवानी तो मौज करने के लिए है और रीता को भी बिंदास हो कर जिंदगी का आनंद लेना चाहिए।
रीता घर वापस आ कर किरण की कही हुई बात जब मुझे कहती थी, तब मैं उसे यही कहता था कि मेरा भी वही मानना था कि जिंदगी को एन्जॉय करना चाहिए।
किरण ने अपनी जिंदगी के बारे में मेरी पत्नी रीता से कई तरह की बातें की। किरण ने शादी के पहले अपने एक बॉयफ्रेंड से शारीरिक सम्भोग का आनंद लिया था। यह बात किरण ने उसके पति सूरज को शादी से पहले बता दी थी। सूरज ने भी किरण की इस बात को स्वीकार कर लिया था। उसे इस बात से कोई आपत्ति नहीं थी।
सूरज के भी शादी से पहले कुछ लड़कियों से शारीरिक सम्बन्ध थे। यह सब सुन कर रीता काफी हैरान थी। रीता उसकी जो भी बात किरण से होती थी उसके बारे में मुझे बताती रहती थी।
रीता की परवरिश कुछ अलग से माहौल में होने के कारण उसके लिए किरण की बातों को एक-दम स्वीकार करना कुछ मुश्किल सा तो था। पर टीवी इंटरनेट और दूसरे मीडिया के माध्यमों से मर्यादाओं का दायरा छोटा होता जा रहा था। वह रीता भी समझ रही थी।
कॉलेज के समय की जवानी की तरंगें रीता ने भी अनुभव की होंगी। रीता ने मुझे यह भी कहा था कि कॉलेज में उसके पीछे दो लड़के पड़े हुए थे। उसकी दोस्ती उनसे हुई थी और वह दोनों लड़के रीता से छेड़-छाड़ करते रहते थे। पर रीता ने उन्हें ज्यादा मौक़ा नहीं दिया और बात वहीं ख़तम हो गयी। यह रीता का कहना था। वास्तव में कुछ हुआ या नहीं वह तो रीता ही जाने।
मेरी पत्नी रीता एक साधारण माध्यम वर्ग के परिवार से थी और उसी तरह के संस्कार उसके माता-पिता ने उसे दिए थे। अक्सर हमारे यहां माध्यम वर्ग के परिवार में लड़कियों को हिदायत दी जाती है कि वह लड़कों से ज्यादा घना संपर्क ना रखें और अकेले में, सुनी, अनजानी या अंधेरी जगहों पर लड़कों से ना मिलें। लड़कियों के जाने-आने के समय पर भी माँ-बाप काफी सख्त निगरानी रखते हैं। आजकल के माहौल में यह ठीक भी है।
रीता को अक्सर उसके कॉलेज में रीता के दोस्त लड़के लडकियां पटाखा कह कर बुलाते थे। इससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि रीता दिखने में काफी खूबसूरत थी। रीता के फिगर की ख़ास बात यह थी कि उसके मम्मे और उसके नितम्ब भारी और फ़ौरन ध्यान आकर्षित करने वाले थे।
रीता के स्तनों के लिए मैं यही कहूंगा कि रीता के स्तन भारी होने के बावजूद भी जब नंगे होते थे कभी झुके हुए नहीं होते थे। रीता के स्तनों की निप्पलें हमेशा ऊपर की ओर दिखती हुईं उत्तेजक स्थिति में फूली ही नजर आतीं थीं। रीता ने अपना वजन काफी नियंत्रण में रखा था। चेहरा गोल और नाक नक्श काफी सुरम्य और सरल होने के कारण रीता निहायत ही खुबसुरत दिखती थी।
रीता काफी हद तक कमल हसन की बेटी श्रुति हसन की तरह दिखती थी। मैंने पहली बार रीता को देखते ही उसका नाम श्रुति रख दिया था। हालांकि रीता को यह नाम और तुलना दोनों पसंद नहीं थे। वह कहती थी, “मैं रीता ही ठीक हूँ।”
रीता कई बार मुझसे किरण से हुई बातों का जिक्र करती थी। वह कहती थी कि किरण और सूरज अपने जीवन में काफी खुले विचार रखते हैं। रीता के संस्कार उस तरह के विचारों से मेल नहीं खाते थे। तब मैं उसे यही कहता था कि शादी के कुछ सालों बाद पूरी परिपक्वता आने पर शादीशुदा जोड़े अनुभव करने लगते हैं कि जैसे हमें खाने में, कपड़े पहनने में, और घूमने फिरने में विविधता चाहिए, वैसे ही हमें सेक्स में भी कभी-कभी कुछ-कुछ विविधता चाहिए।
हाँ यह सच है कि साधारणतया तो घर का खाना ही अच्छा होता है पर कभी-कभी बाहर का खाना चाहिए। वैसे ही सेक्स में भी कुछ विविधता बुरी नहीं होती। यही मैं रीता को समझाने की कोशिश कर रहा था। पर शायद मुझसे कहीं ज्यादा किरण रीता को समझा रही थी और शायद मुझसे कहीं ज्यादा रीता की दोस्त किरण मेरी पत्नी रीता को समझा भी पा रही थी।
आगे की कहानी अगले पार्ट में।