यह इस देसी इन्सेस्ट स्टोरीज का बोनस एपिसोड है: अशोक को डायरी लिखने का बहुत शौक हैं, ये मुझे अच्छे से पता था. हिल स्टेशन से घूम कर आने के दो दिन बाद, एक बार वह अपना लैपटॉप खुला रखकर जल्दी में बाथरूम में चला गया.
मैंने उत्सुकतावश उसकी डायरी के पन्नो की फोटो ले ली. आज का बोनस एपिसोड अशोक के साइड की कहानी हैं उन दो दिनों में हिल स्टेशन पर उसके साथ क्या हुआ.
पहला दिन:
हम होटल पहुंच चुके थे पर राज अपनी वाइफ के साथ अभी तक नहीं आया था. काफी समय बाद राज से आमने सामने मिलना होगा, पर असल इंतज़ार राज का नहीं पायल से मिलने का था.
जिस दिन से राज की शादी में पायल को उस दुल्हन के लिबास में देखा था उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया था.
उस दिन मैं ये कामना कर रहा था कि कोई चमत्कार हो और मेरे दोस्त का मेरे प्रति प्यार जाग जाये और उसकी बजाय मुझे सुहागरात मनाने दे पायल के साथ.
खैर वो कामना तो पूरी हो ना सकी, पर उसके बाद जब जब पायल मेरे सामने आती मेरा मुझ पर काबू रखना बहुत मुश्किल हो जाता.
आज काफी समय बाद मैं एक बार फिर पायल को फिर देख पाउँगा, ये विचार आते ही मेरे शरीर में एक अजब सी सिहरन हो रही थी.
आखिर राज का फ़ोन आया कि वो होटल पहुंच चुके हैं. मैं तो मिलने को तड़प रहा था और एक मिनट भी ओर नहीं रुकना चाहता था. पर प्रतिमा ने रोक दिया कि वो लोग थके आये हैं तो फ्रेश होने को थोड़ा समय दिया जाये.
एक एक सेकंड मुश्किल था पर फिर मिलना हुआ. पायल का खूबसूरत चेहरा एक बार फिर देख कर जैसे दिल की प्यास बुझ सी गयी. राज को गले लगाया, सोचा काश पायल भी गले लग जाए तो दिल को थोड़ा सुकून मिले, पर वो तो हुआ नहीं.
पायल का वजन थोड़ा बढ़ा हुआ लग रहा था, पर उसका आकर्षण ऐसा था कि मेरी नज़रे उस पर से हट नहीं रही थी. मेरा तो उसको देख कर मन भी नहीं भरा था कि उसकी थकान की वजह से हम तीनो को वहा से जाना पड़ा.
फ़ोन की घंटी बजी, विश्वास नहीं हुआ कि पायल का फ़ोन था.
उसने मुझे ये बताने से रोका कि फ़ोन उसने किया हैं और मुझे बिना किसी को बताये अपने कमरे में आने को कहा. मुझे समझ नहीं आया क्या हुआ. मैं रिसेप्शन से फ़ोन आने का बहाना बना पायल के कमरे पर पंहुचा. रास्ते में मैं यही सोच रहा था कि क्या वो भी मेरी तरफ आकर्षित थी.
पायल ने मुझे बताया कि राज का शायद किसी ओर महिला से चक्कर चल रहा है. राज काफी समय से उससे ढंग से बात नहीं करता और बहुत कुछ छुपाता हैं.
फिर पायल ने मुझे कुछ नंबर भी दिए जो उसके हिसाब से राज की महिला मित्र के थे. वो मुझसे चाहती थी कि मैं उन नम्बरो पर फ़ोन करके उसको बताऊ कि वो कौन लोग हैं.
मैं तुरंत बाहर गया और पब्लिक फ़ोन से उन नंबरो को घुमा कर पता करने की कोशिश की कि वो किसके हैं. उनमे से एक नंबर किसी महिला ने उठाया था. ज्यादा तो कुछ पता नहीं चल पाया पर जो भी मालुम चला मैंने आकर पायल को बता दिया.
वो बहुत रुआंसी हो गयी थी, मैंने उसको सांत्वना देने की कोशिश की. उसका रोता हुआ चेहरा देख कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था. वो मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगी. मेरे तो पुरे तन बदन में आग लग गयी जब उसने मुझे पहली बार छुआ.
मेरा हाथ बरबस ही उसकी पीठ और कंधो पर था और उसे ढांढस बंधा रहा था. उसका एक मम्मा मेरे सीने को छू रहा था और उसके उन नाजुक अंगो को छु जाने से मेरे शरीर में करंट दौड़ गया.
उसके दूसरे मम्मे के आगे का नुकीला भाग मेरे सीने को थोड़ी थोड़ी देर से चुभ रहा था. पैंट में मेरा लंड खड़ा हो गया था.
इससे पहले कि मैं अपने आप से नियंत्रण खो दू और पायल की नजरो में गिर जाऊ, मैंने उसको अपने आप से दूर किया और उसको चिंता ना करने की सलाह दी. मैंने उसको वादा किया कि मैं राज से बात करूँगा और उसको समझाऊंगा.
मैं उसके कमरे से तो बाहर आ गया पर सोचने लगा मैंने एक अच्छा मौका खो दिया. थोड़ी सी और देर में वो शायद मेरे सामने आत्मसमर्पण कर देती.
मेरा लंड अभी भी कड़क था, अपने कमरे में जाने की इच्छा नहीं थी. मैं रिसेप्शन के पास बने बाथरूम में पंहुचा और पायल को अपने सामने सोचते हुए मैंने हस्तमैथून किया.
रिसेप्शन से जाकर थोड़ी जानकारी जुटाई और फिर अपने रूम पर आ गया.
प्रतिमा मुझसे रात को सोते वक़्त शायद कुछ उम्मीद कर रही थी और मेरे पाजामे में भी हाथ डाल दिया था. पर मेरा तो हो चूका था तो उसकी मदद नहीं कर पाया.
दूसरा दिन:
सुबह पायल का मिजाज बिलकुल बदला हुआ था. कल शाम को जितना निराश लग रही थी आज उतना ही खिली खिली थी. शायद कल रात को मेरी सांत्वना से उसको अच्छा लगा या फिर राज हिल स्टेशन के माहौल में आकर बदल गया था.
शायद पहला कारण ही सही था, पायल सुबह से ही मेरे साथ रही, वो मुझसे से चिपक चिपक कर फोटो ले रही थी. कही वो मुझमें रूचि तो नहीं ले रही थी राज की बेवफाई से तंग आकर.
मेरे सारे सवालों का जवाब जल्द ही मिल गया जब पायल ने अकेले जंगल में मौका देखकर मुझे किस कर दिया. पायल के उस पहले चुम्मन को मैं ज़िंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा. उसके वो नरम होंठ और उनसे छूटता प्रेम रस मेरे होठों को गीला कर रहा था.
मुझे ज्यादा कुछ समझ नहीं आया, शायद इतनी देर से मेरे साथ रहने की वजह से वो मुझ पर इतना यकीन करने लगी थी.
आस पास प्रतिमा और राज नहीं थे तो हम एक छुपी हुई जगह आ गए. मैंने पहली बार पायल के वो मम्मे देखे जिनको देखने के लिए मैं सालों से तड़प रहा था.
मेरा पूरा शरीर रोमांच से कांप रहा था. मेरा लंड पायल की चूत में जाने को लालायित हो रहा था. जब वो अंदर घुसा तो जैसे एक बहुत बड़ी राहत मिली. मेरे लंड में इतनी फड़फड़ाहट थी कि अगर मैं उसके अंदर डाल हिलता नहीं तो भी मेरा हो जाता.
ज्यादा समय नहीं हुआ था कि मैंने उसको डॉगी स्टाइल चोदना शुरू किया था कि वो हड़बड़ाहट में हट गयी. मुँह को लगी प्याली जैसे मेरे हाथों से छूट गयी.
जो कुछ भी हुआ उसके लिए वो आरामदायक महसुस नहीं कर रही थी. उसके हाथ थर थर कांप रहे थे जैसे उसने कोई गुनाह कर दिया हो. शायद उसको पकडे जाने का डर था.
मैंने उसको बहुत समझाने की कोशिश की के इसमें कुछ गलत नहीं, खासकर जब राज खुद ही किसी औरत के साथ चक्कर चला रहा था. पर वो मानने को तैयार नहीं हुई.
हम लोग फिर से कपडे पहन धीरे धीरे आगे चल पड़े. मगर राज और प्रतिमा गुम गए, उनको जल्द ही ढूंढ निकाला, वो दोनों भी हमें ही ढूंढ रहे थे.
शाम को होटल लौटते वक़्त पता नहीं पायल को फिर क्या हुआ कि उसने मुझसे मसाज करवाने की ठान ली. शायद वो राज को जलाना चाहती थी. पायल की मसाज करते मुझे मजा आने लगा था.
आगे जो हुआ उसके बारे में मैं सोच भी नहीं सकता था, पायल एक के बाद एक धमाके कर रही थी और बाकी हम सारे लोग उसका साथ दे रहे.
मुझे पायल के मम्मे दबाने का मौका मिला और फिर हम लोग इतना खुल गए कि मैं उसकी चूत की मसाज भी कर रहा था.
हलांकि पायल के इस खेल में प्रतिमा भी पीस गयी, राज जैसा बेवफा आदमी मेरी बीवी की चूत चाट रहा था और पायल उसका भरपूर साथ दे रही थी, सिर्फ खुद को जिताने के लिए. पायल को अच्छे से पता था कि राज बेवफा हैं फिर वो उसका साथ कैसे दे सकती हैं.
पायल जब मेरी गोद में एक पत्नी के अधिकार की तरह आकर बैठी तो मेरी दिल की कलिया खिल गयी, यहाँ तक कि उसने खुद मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मो पर रख दिए.
इस चक्कर में बेवफा राज ने प्रतिमा के कपड़ो में हाथ डाल दिया, गुस्सा तो बहुत आया पर पीना पड़ा.
फिर वो साथ में सोने वाला खेल शुरू हुआ, मुझे पायल के नंगे बदन से अपना नंगा बदन छुआने का अवसर मिला और मैंने भी जी भर के मजे लिए, अपनी भावनाये कैसे रोकी मुझे ही पता था.
मैं ये भी भूल गया कि प्रतिमा को राज ने नंगी कर चिपका के लेटा था और उसके अंगो पर हाथ फेर रहा था. पर उस वक़्त मैं स्वार्थी हो गया था.
प्रतिमा और राज के सोने के बाद मैंने अपना गीला लंड पायल की चूत में उतार दिया, पर उसने मुझे तुरंत मना कर दिया. इसके बावजूद मैं उसको झटके मारता रहा कि उसको अच्छा लगेगा पर वो थोड़ा नाराज हो गयी और खुद ही मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल दिया.
तीसरा दिन:
शायद मैंने राज पर भरोसा कर ये गलती कर दी थी. सुबह उठते ही पायल मुझे यकीन दिलाने लगी कि राज ने प्रतिमा को भी बेवफाई में शामिल कर लिया हैं. मैं ये मानने को तैयार नहीं था. प्रतिमा से बात करके भी मुझे ये बात साफ़ हो गयी थी कि ये भ्रम हैं.
पायल ने मुझे उकसा कर एक बार फिर वही खेल खेला. चादर लगने के बाद मैं और सब्र नहीं कर सका. मैंने पायल की चूत में लंड डाल ही दिया, क्युकी मुझे पता था कि वो मुझे मना कर भी नहीं सकती थी क्युकि सामने राज था.
पर मैं गलत था, उसने राज को अपनी मदद को पुकारा पर राज को ये सब एक जाल लगा और मदद को नहीं आया. कही न कही पायल को भी मजा आने लगा था. मैंने बिना आवाज किये जितना कर सकता था उतना उसको चोदने के मजे लिए.
पर ये खेल शायद मुझ पर ही भारी पड़ा, राज को एक बार फिर मौका मिला प्रतिमा के साथ सोने का. जैसे ही उसका लंड प्रतिमा की चूत के पास आया मुझे बुरा लगा, ये राज भरोसे के काबिल नहीं. पायल ने उन पर चादर डाला फिर तो माहौल बिलकुल ही बदल गया.
मैं मन ही मन जल रहा था कि कही राज कुछ गलत ना कर बैठे. पर प्रतिमा के चेहरे पर चढ़ी मस्ती को देख कर मेरा मन हल्का भी हुआ.
पायल तो उनका चादर खींचने वाली थी. मैं निर्णय नहीं कर पा रहा था कि पायल वो चादर खींचे या ना, अगर खींच दिया और सच में राज प्रतिमा को चोद रहा होगा तो क्या होगा. मैं इसी सच को मान कर आगे बढ़ा कि चादर में कुछ नहीं हुआ था.
कार में जब सजा के बारे में पता चला तो एक बार तो सदमे में आ गया. फिर लगा कही ये मेरा सपना सच होने जैसा तो नहीं. मेरा सदा सपना रहा कि मैं और प्रतिमा किसी ओर जोडे के साथ मिलकर एक दूसरे के पार्टनर को चोदे. दो दो मिनट के लिए ही सही वो सपना कही न कही सच होने जा रहा था.
प्रतिमा जब राज का लंड अपने मुँह में ले चूस रही थी तो मुझे पहले थोड़ी जलन हुई. उसने अपने मुँह में जमा राज का वीर्य थुंका तो मुझे अच्छा लगा कि उसके लिए ये मजा नहीं सच में सजा हैं.
फिर जब राज ने प्रतिमा को चोदना शुरू किया, तो प्रतिमा ने अपना चेहरा मुझसे छुपा लिया. मुझे उसकी नारी लज्जा पर गर्व हुआ.
एक मर्द और औरत की कमजोरी उसके नाजुक अंग होते हैं, जब उसके साथ वो सब कुछ हो रहा था फिर भी उसे मेरा ख्याल था.
उसने अपना शरीर जरूर कुछ मिनटों के लिए राज को दे दिया था पर मन से वो मेरी ही थी. मगर कही न कही मेरा वो एक ओर सपना पूरा कर रही थी. मैं हमेशा उसको किसी ओर के साथ चुदता देखना चाहता था.
राज ने जब प्रतिमा की गांड मारना शुरू किया तो मुझसे उसका दर्द नहीं देखा गया. वो मुझे भी कभी कभार ही अपने पीछे से करने देती थी पर यहाँ तो मज़बूरी थी. राज पर गुस्सा भी आया कि उसने ज़रा भी नरमी नहीं बरती.
यहाँ तक कि वो प्रतिमा की गांड में ही झड़ गया. उन छह मिनटों में मेरा लंड कड़क हो गया था. मैं राज से अपना बदला निकालने के लिए पायल को निशाना बनाना चाहता था.
पायल भी जिस तरह से मेरा लंड मुँह में डाल अच्छे तरीके से हिला रही थी वो कला तो प्रतिमा के पास भी नहीं हैं. मेरा तो पानी वही निकलना शुरू हो गया था और जिस तरह से पायल ने मेरा वीर्य अपने गले के नीचे उतार दिया मुझे लगा कि वो मुझे स्वीकार कर चुकी हैं.
उसके बाद मैंने उसकी चूत को जमकर चोद प्रतिमा का बदला भी लिया. मैं तो उसकी चूत में ही झड़ने वाला था पर कोई बात नहीं मैंने अपना बाकि का काम उसकी गांड में कर के हिसाब चुकता कर दिया.
बाद में सोचा, अच्छा ही हुआ जो सजा का टास्क हुआ, इस बहाने छह मिनट के लिए ही सही, मेरा एक सपना पूरा हुआ पार्टनर की अदला बदली का.
ये भी ठीक ही हुआ की हम चारो के मन में अब कोई गुस्सा या बदले वाली भावना नहीं रही थी. कही ना कही हम चारो ने इसको अच्छे तरीके से निभाया था.
बरसो बाद नदी में नंगे नहाने का आनंद मिला. प्रतिमा को सामान्य होते देख मुझे ख़ुशी हुई. उसे राज से कोई शिकायत नहीं थी और उस घटना को भूल वो एक अच्छे दोस्त की तरह पेश आ रही थी. मेरे कहने पर वो उसकी गोद में भी बैठ गयी.
जब पायल बिना कपड़ो के मेरी गोद में आकर बैठ गयी, तो मेरी शरीर में फिर तरंगे पैदा होने लगी थी. चोदने की इच्छा तो बहुत हो रही थी पर प्रतिमा और राज के सामने कैसे मुमकिन था.
एक बार सोचा वो सजा फिर शुरू हो जाए, और इस बार दो मिनट की लिमिट ना हो.
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राज और प्रतिमा जब पायल के मम्मो को चाट रहे थे तो मेरी भी बड़ी इच्छा हुई और दूसरे आमंत्रण के बाद तो जैसे मैं पायल पर टूट ही पड़ा.
जिसके शरीर को आप पसंद करते हो उसको इस तरह छूने का मौका मिले तो कौन छोड़ेगा. खास तौर से पायल की कोक भरी चूत को चाटने का स्वाद मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाउँगा.
जब राज ने प्रतिमा के चूत पर कोक डाल चाटना शुरू किया, तो मुझे उसकी मंसा समझ में आयी कि मुझे पायल के साथ लगा कर वो प्रतिमा के मजे लूटने चाहता था.
शायद मैं भी उससे यही बात काफी समय पहले कहना चाहता था पर कभी कह नहीं पाया. मैंने उसका बुरा नहीं माना बल्कि अच्छा लगा जिस तरह प्रतिमा सिसकिया निकालते हुए मजे ले रही थी.
औरतो के अंगो को चाटने तक ठीक था पर राज ने मेरा लंड भी पायल के मुँह में डालने को बोल दिया. मुझे लगा सब लोगो का मूड वैसे भी तैयार हैं तो मैं ज्यादा झिझका नहीं.
जब मामला चोदने तक पहुंच गया तो मैं ठिठक गया. मन में चाहता था कि प्रतिमा भी पास में लेटे लेटे मेरी आँखों के सामने चुदवाये.
पर राज ने बोला उसका ऐसा कोई इरादा नहीं और प्रतिमा भी इस बात से खुश थी तो मैं ज्यादा जोर नहीं देना चाहता था.
मैंने पायल को चोदना शुरू कर दिया वो भी राज और प्रतिमा के आँखों के सामने. थोड़ी घबराहट भी थी कि वो दोनों क्या सोचेंगे पर पायल का लाल चेहरा देख कर मैं सब भूल गया.
पहली बार पायल को आगे से चोद कर मजा आने लगा. वो मुझे ओर उत्तेजित कर रही थी.
ज़िन्दगी में पहली बार बिना मज़बूरी के मैं प्रतिमा के सामने किसी और औरत को चोद रहा था. ये सोच कर ही मेरे शरीर में खून तेजी से दौड़ रहा था.
मैं ज्यादा जोर लगाने के लिए बैठ कर चोदने लगा ताकि मैं प्रतिमा का चेहरा भी पढ़ पाता कि उसको कैसा लग रहा हैं. प्रतिमा मेरा साथ देते हुए पायल के मम्मे चूसने लगी. मुझे लगा उसकी भी इसमें रजा हैं और शायद उसकी भी इच्छा हो रही होगी.
मैंने राज को इशारा कर दिया कि वो प्रतिमा को चोद सकता हैं. राज तो मेरे इशारे का ही इंतजार कर रहा था, उसने जल्दी से प्रतिमा को पीछे से ही चोदना शुरू कर दिया.
प्रतिमा थोड़ा विरोध करने लगी पर मुझे लगा वो शर्म के मारे नखरे दिखा रही होगी. पर उसकी चिंता शायद गर्भवती हो जाने की थी. मैंने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज को इशारे से रोका. तब तक प्रतिमा हमसे नाराज हो चुकी थी.
मुझे लगा हमारा खेल बर्बाद हो गया, प्रतिमा अभी इन सब चीजों के लिए तैयार नहीं हुई हैं. हमने शायद जल्दबाजी कर दी. हम दोनों उसको मनाने गए. राज ने आगे बढ़ कर वो जिम्मेदारी संभाली और मुझको फिर पायल के पास भेज दिया.
मैं भी पायल को अधूरा नहीं छोड़ना चाहता था. वापस पायल के पास आकर मैंने उसको फिर से चोदना शुरू कर दिया था. अब पता नहीं हम दोनों कितने समय बाद मिले इसलिए मुझे अगले काफी समय के लिए एक साथ चोदना था.
खुले आसमान के नीचे किसी दूसरे की बीवी को उसी की इजाजत से चोदने का क्या मजा हैं वो मुझे पता चला. जिसको चोदने के सपने खुली आँखों से देखते हैं अगर उसी को हकीकत में चोदने का मौका मिल जाये तो फिर क्या कहना.
मैं अपना एक सपना जी रहा था. मुझे नहीं पता मेरे लंड ने इतना सारा पानी कभी एक साथ निकाला हो. पायल की पूरी चूत अंदर बाहर से मेरे और उसके पानी से भर चुकी थी.
हम दोनों उठ कर एक साथ नदी में कूद पड़े और एक दूसरे को रगड़ कर नहलाने लगे. मैं तो भूल ही गया कि प्रतिमा नाराज हुए बैठी हैं. पायल उसको लेने गयी और खाली हाथ लौट आयी. पर उसने दिलासा दिया कि वो अब ठीक हैं और थोड़ी देर में आ जाएगी.
राज जब उसको लेकर आया तो प्रतिमा अपनी मदमस्त चाल में चलती हुई आ रही थी. उसके मम्मे चलने के साथ ही उछलते हुए आ रहे हैं थे. उसे देख कर मुझे लग गया कि वो अब मुझसे नाराज नहीं होगी.
उसने आकर मुझे गले लगा कर माफ़ कर दिया. उसने मेरे गुनाह माफ़ कर दिए, वो भी ऐसा गुनाह करती तो शायद मैं भी उसे बड़ा दिल रखते हुए माफ़ कर देता.
जाते जाते मैंने राज को धन्यवाद दिया कि उसने मुझे अपनी बीवी को चोदने का मौका दिया, उसने भी मुझसे वादा लिया कि अगली बार जब हम फिर घूमने जायेंगे तब मैं उसका ये अहसान चुका दू.
मुझे उस दिन का इंतज़ार रहेगा जब हम चारो फिर से एक साथ घूमने जायेंगे, इस बार मैं प्रतिमा को पहले ही इन सब चीजों के लिए तैयार कर लूंगा. मेरा अदला बदली कर चोदने का सपना शायद अगली बार पूरा हो जाये.
डायरी समाप्त
मैं अपने गर्भवती होने की संभावना के चलते परेशान थी, और इस घटना के अगले ही सप्ताह एक और घटना मेरे साथ घट गयी. अब वो अगली एक नयी देसी इन्सेस्ट स्टोरीज में बताउंगी.