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Drishyam, ek chudai ki kahani-28

हेल्लो, अब आगे की हिन्दी सेक्स कहानी पढ़िए और मजे लीजिये!

कमल ने फ़ौरन आरती का ब्लाउज को आगे से खोल दिया और आरती की ब्रा के हुक भी खोल दिए और आरती की दोनों चूँचियों को नंगा कर दिया। आरती का ब्लाउज और ब्रा निकाल फेंकी नहीं।

आरती की नंगी मस्त अल्लड़ चूँचियों को देख कर कमल पागल हो गया। आरती के भरे हुए स्तन पुरे फुले होते हुए भी आरती की छाती पर ऐसे सख्ती से खड़े थे जैसे दो पहाड़ हों। उन पहाड़ों पर जैसे कोई पेड़ बिलकुल शिखर पर हों ऐसी आरती की दो करारी निप्पलेँ उन दो पहाड़ों पर बिलकुल बिच में ही आरती के स्तनोँ की अद्भुत मादकता को उजागर करती हुईं शोभायमान थीं।

कमल ने अपने होँठ से उन करारी निप्पलोँ को चूमना, चाटना और काटना शुरू किया। कमल कभी आरती के पुरे गुब्बारे को चूस कर अपने मुंह में ले लेता तो कभी दोनों स्तनों के बिच अपना सर रख कर उनकी नरम लचक का अनुभव करता। आरती कमल को बार बार, “यह क्या कर रहे हो? छोडो मुझे। यह गलत है।” कहती हुई कमल का सांकेतिक विरोध जरूर कर रही थी।

पर अब कमल समझ चुका था की आरती की चूत कमल का लण्ड लेने के लिए फड़फड़ा रही थी। पर आरती उसे यह संकेत दे रही थी की कमल को चाहिए की आरती के ऊपर कुछ जबरदस्ती का दिखावा करे ताकि अगर पकडे गए तो उसे बादमें यह कहने का मौक़ा मिले की कमल ने उस पर जबरदस्ती की थी।

कमल ने एक हाथ से आरती के घाघरे का नाडा खोल दिया और उसकी पैंटी निचे की और खिसका ने लगा। आरती ने कमल का हाथ पकड़ कर उसे रोकने की नाकाम कोशिश की पर कमल सुनने के मूड में नहीं था। उसे किसी भी हाल में उस दिन आरती को चोदना ही था।

कमल ने आखिर आरती की पैंटी को आरती के पाँव से निकाल कर आरती को नंगा कर ही दिया। कमल ने महसूस किया की आरती ने भी अपने पाँव खिसका कर पैंटी को निकलवाने में कमल की सहायता जरूर की थी। इससे कमल को पूरा यकीन हो गया की आरती उस शाम उससे जरूर चुदवायेगी।

पूरी नंगी हो जाने पर आरती जंगली बिल्ली की तरह पलंग पर छटपटाने लगी। एक तरफ उसके बदन में चुदवाने की कामवासना की आग भड़क रही थी तो दूसरी तरफ एक स्त्री सहज लज्जा उसे अपने अंग ढकने के लिए मजबूर कर रहे थे।

आरती ने अपनी चूत पर एक हथेली ढकते हुए अपने पाँव एक दूसरे से सटा कर बंद कर दिए और कमल से बिनती करते हुए बोली, “कमल तुमने जो करना था कर लिया। अब बस करो आगे मत बढ़ो।”

कमल ने आरती की चूत के ऊपर से आरती का हाथ हटाते हुए कहा, “जानेमन अभी मैंने कहाँ किया है जो मैं करना चाहता हूँ? अभी तो मुझे तेरा सील तोड़ना है। आज मैं तुझे वह अनुभव दिलाऊंगा जो तुम्हारे कॉलेज में तुम्हारी सब सखियाँ ले चुकी हैं। देखो, मैं जानता हूँ की तुम भी वही चाहती हो जो मैं चाहता हूँ…

शायद तुम अपना शील और सील अपने पति के लिए बचाकर रखना चाहती हो। पर अब वह ज़माना लद गया जब शादी करने वाली हर लड़की अपना सील और शील होने वाले पति के लिए बचा कर रखती थी। ना तो आजकल हर लड़का शादी से पहले यह दावा कर सकता है की उसने किसी भी लड़की को नहीं चोदा…

ना ही हर पति शादी के समय यह अपेक्षा रखता है की उसकी होने वाली पत्नी का कौमार्यभङ्ग नहीं होना चाहिए। तो वह चिंता छोडो और मेरा साथ दो। देखो आरती, अब यह सब नाटक बंद करो और प्यार से मेरी बात मानो वरना मैं इसी वक्त बाहर जा कर सब को चिल्लाकर बुलाऊंगा और कहूंगा की तुम मुझे चोदने के लिए बाध्य कर रही हो…

तुम्हारे सब कपडे मेरे पास है। अब तुम नंगी हो। अगर तुम में हिम्मत है तो ऐसे ही नंगी भाग कर बाहर जाओ और चिल्लाओ। बेहतर यही है की हम भी दूसरे लोगों की ही तरह चुपचाप मजे लें। तुम भी मजे लो और मैं जो करता हूँ मुझे करने दो।”

आरती समझ गयी की कमल जो कह रहा है वह सच है। अब उसके पास कमल जो कहता है वह करने के अलावा कोई चारा नहीं था। आरती ने बिना कुछ कहे अपना हाथ चूत से दूर हटा लिया और धीरे से अपने पाँव खोल दिए।

कमल फ़ौरन आरती की चूत के पास अपना मुंह ले जाकर आरती की चूत चाटने लगा। लगता था कमल को चूत चाटने में महारथ प्राप्त था। कमल की जीभ के स्पर्श होते ही आरती का पूरा बदन ना सिर्फ काँप उठा, बल्कि आरती की चूत में ऐसी गजब की फड़फड़ाहट शरू हो गयी जिसे रोकना आरती के लिए असंभवसा था।

चाहते हुए भी आरती अपनी सिसकारियां रोक नहीं पा रही थी। वह बार “ओह…. आह…..” कर अपनी उत्तेजना जाहिर कर रही थी। आरती समझ गयी की अब उसे कमल को रोकना उसके बस में नहीं था और वह रोकने की कोशिश भी नहीं करेगी।

आरती से रहा नहीं जा रहा था। उसके सहन करने की सिमा आ चुकी थी। आरती का पूरा बदन अजीब सी उत्तेजक मौजें महसूस कर रहा था। यह मौजें एक के बाद एक जैसे जैसे कमल की जीभ आरती की चूत के दाने को स्पर्श करती, जोर से तूफ़ान सी ऊँची उठती और आरती का मष्तिष्क चकरा उठता।

अचानक जैसे भूचाल सा आ गया जब कमल ने आरती की चूत में उंगली डाल कर दो उँगलियों से चोदना शुरू कर दिया। आरती लेट ना सकी और बैठ गयी। कमल अब आरती की टाँगों के बिच से हट कर आरती के ऊपर झूमता हुआ आरती के चेहरे की भावभंगिमा देख रहा था।

कमल ने आरती का उन्माद उसके चेहरे की बड़ी तेजी से बदलती हुई भाव भंगिमाओं की अभिव्यक्ति से देखा। कमल आरती को ऐसे कामातिरेक पर पहुंचाना चाहता था जो आरती ने उससे पहले कभी अनुभव ना किया हो। कमल ने आरती की चूत में उँगलियों से चोदने की रफ़्तार और तेज कर दी।

आरती इस रफ़्तार को बर्दाश्त ना कर पायी और उठ कर “ओह…. अरे….. आह….. कमल…… यह तुम….. क्या…. कर रहे हो….. मुझे चोदो……. बस करो यार…..” कहती हुई पलंग पर ढेर हो कर गिर पड़ी।

कमल आरती के ऊपर लेट कर उसके होँठों पर अपने होंठ दबा कर आरती के होँठ चूसने लगा। आरती भी अब कोई विरोध प्रतिरोध करने की स्थिति में नहीं थी। अब उसे कमल से चुदवा कर अपनी चुदाई की शुरुआत करनी ही थी।

आरती ने कमल से कहा, “अब यहां तक पहुँच ही गए हो तो पूरा करो। अपने कपडे भी निकालो और चोदो मुझे।” ऐसा कह आरती ने कमल के बदन के निचे, दोनों बदनों के बिच में हाथ डाल कर कमल की ज़िप खोलने का प्रयास किया।

कमल ने फ़ौरन अपनी पतलून निकाल फेंकी। कमल के जांघिये में से उसका तगड़ा लण्ड नजर आ रहा था। कमल के वीर्य के रिसने से उसका जांघिया पूरा गीला हो चुका था।

कमल ने अपने पाँव हिला कर जांघिये को उतार फेंका। अब दो नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे हुए पलंग पर क़दरत के भेंट दिए हुए कामुक रस का आस्वादन कर रहे थे। आरती के हाथ के स्पर्श से ही कमल का लण्ड अपने आप लंबा और मोटा होने लगा हो ऐसा आरती को लगा। वैसे ही कमल का लंड काफी लंबा और मोटा था।

आरती ने कमल के लण्ड को अपनी उँगलियों से महसूस किया और अपनी चूत की पंखुड़ियों के बिच कुछ देर तक रगड़ा। जैसे ही कमल आरती की चूत में लण्ड डालने जा रहा था की उसे बाहर के लोहे के गेट के खुलने की आवाज सुनाई दी। लगता था माँ आ गयी थी।

आरती ने भी जब बाहर के गेट के खुलने की आवाज सुनी तो एकदम चौक कर कमल को धक्का मार कर हटा दिया और हफडातफडी में अपने कपडे ढूंढने लगी।

कुछ अक्लमंदी से आरती ने पैंटी के अलावा कोई कपड़ा निकाल फेंका नहीं था। कमल ने भागते हुए आरती की पैंटी उसे दे दी और खुद अपनी पेण्ट चढ़ा कर जैसे तैसे खड़ा हो रहा था की माँ कमरे में दाखिल हुई।

कमल की माँ के कमरे में घुसते ही माँ ने देखा की आरती अपने ब्लाउज के बटन बंद कर रही थी और कमल अपने हाथ से अपने पतलून की ज़िप को बंद करने की कोशिश कर रहा था। माँ ने कमरे के कोने में कमल का जांघिया भी देख लिया था।

आरती ने जैसेतैसे अपने कपडे ठीक किये और चुपचाप अपनी मामी के सामने गुनेहगार सी खड़ी हो गयी। जिस हालत में मामी ने उन्हें देख लिया था तो कोई बचाव करना बेकार था। कमल हड़बड़ाता बिना कुछ बोले फुर्ती से अपने हाथ में अपना जांघिया ले कर कमरे से बाहर निकल गया और अपने कमरे में चला गया।

मामी के चेहरे पर गहरे सदमे के निशान साफ़ नजर आ रहे थे। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा की उनका ही बेटा अपने बुआ की बेटी को चोदने की कोशिश करेगा। आरती पलंग के पास एक खम्भे की तरह खड़ी मामी क्या कहेगी और कैसे डाँटेगी उसका इंतजार करती हुई वहीँ खड़ी रही।

मामी के चेहरे पर के भाव देखना आरती के लिए काफी मुश्किल था। नजरें झुकाये खड़ी आरती के पास जा कर मामी ने आरती के कंधे पर हाथ रखा और मामी बोली, “बेटा, मैं क्या कहूं तुम्हें यह सब देख कर? क्या कमल ने तुम पर जबरदस्ती की थी?”

आरती ने एक नजर उठा कर मामी की और देखा और फिर नजर झुका कर अपना सर हिला कर “ना” का इशारा किया। मामी को यह कहना बेकार था की कमल ने कुछ तो जबरदस्ती की थी, क्यूंकि आखिर आरती की भी तो सहमति थी उसमें। अगर आरती चाहती तो कमल उस को मजबूर नहीं कर सकता था।

मामी ने फिर आरती से पूछा, “क्या कमल ने सब कुछ कर लिया तुम्हारे साथ?”

आरती ने फिर से सर हिला कर कहा, “नहीं।”

“तुम दोनोंने अपने कपडे तो निकाल ही दिए थे ना?” मामी ने पूछा।

आरती ने अपना सर हिला कर कहा, “हाँ.”

“मतलब कमल ने अंदर तो नहीं डाला ना?” मामी ने कुछ झिझकते हुए पूछा।

आरती ने फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, “नहीं।”

मामी ने कहा, “अब मैं तुम्हें यहां नहीं रख सकती। तुम्हें अब तुम्हारे घर जाना होगा। मैं कमल को जानती हूँ। वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा। यह बहुत गलत हुआ। भगवान का लाख लाख शुक्र है की उसने अंदर नहीं डाला। अगर मैं लेट आती तो वह डाल देता ना? बोलो?”

आरती ने सर हिला कर “हाँ” का इशारा किया।

मामी ने कहा, “देखो बेटी, मैं जानती हूँ की इस उम्र में मन तो करता है हर लड़की का। गर तुम किसी और लड़के के साथ होती तो मैं शायद इतनी दुखी नहीं होती। पर हमारा खून का रिश्ता है। कमल तुम्हारा भाई है। कमल तो लफंडर है। उसको तो अक्ल नहीं है। पर तुम लड़की हो तुम पर ज्यादा जिम्मेदारी है। तुम्हें सोचना चाहिए था। हाँ शायद कमल ने तुम पर जबरदस्ती जरूर की होगी, पर तुम यह मुझे बताना नहीं चाहती शायद। अपने भाई का गुनाह शायद तुम अपने सर पर ले रही हो।”

मामी ने आरती से और कुछ नहीं कहा। पर दूसरे दिन कमल को उसके पापा ने खूब फटकार लगाई। दूसरे ही दिन आरती कमल के घर से वापस अपने गाँव चली गयी। यह तय हुआ की आरती की फाइनल परीक्षा देने के लिए आरती की माँ आरती के साथ एग्जाम सेंटर पर जायेगी और आरती वहाँ से ही परीक्षा दे कर बिना मामा के घर गए वापस अपने गाँव चली जायेगी।

आरती की माँ को भी इस कानामे के बारे में मामी ने हलके से बता दिया था। तभी से आरती की माँ को आरती की शादी की चिंता सताने लगी थी।

पढ़ते रहिये, कहानी आगे जारी रहेगी!

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