This story is part of the Aakhiri Dagar, Purane Humsafar series
मैंने नितिन के साथ डांस कर पूजा को अहसास कि वो भी अशोक के साथ खुल कर डांस कर सकती हैं। अब बारी पूजा की थी अशोक के साथ हॉट डांस करने की करने की ।
पूजा तुरंत उठ गयी और अशोक उसका हाथ पकड़े उसको डांस के लिए खुली जगह ले आया। पहली ही स्टेप में अशोक ने पूजा के एक घुटने के पीछे थोड़ा ऊपर जांघो से पकड़ा और उसकी टांग मोड़ते हुए अपनी अपनी कमर से चिपका दिया। जिसकी से पूजा की चूत का हिस्सा अशोक के लंड के हिस्से टकरा गया।
फिर अशोक ने पूजा के ब्लाउज से झांकती उसकी नंगी पीठ को पकड़ अपनी तरफ खिंच कर पूजा की छाती का उभार अपने सीने से दबा लिया और अपना चेहरा पूजा के चेहरे के एकदम करीब ले आया जहा दोनो के होंठ सिर्फ एक इंच दूरी पर थे.
पूजा के होंठ एक बार तो चूमने के लिए जैसे खुल गए पर अशोक ने उसको फिर अपने से दूर कर खड़ा किया और डांस की दुसरी स्टेप की तरफ बढा.
पूजा अब अशोक के हाथ की कठपुतली बन चुकी थी। अशोक ने अब पूजा के शरीर को मनचाहे तरीके से कभी इधर ऊधर तो कभी हाथ पैर फैलाते हुए कभी अपने से चिपका दिया तो कभी हवा में उठा दिया।
अशोक ने पूजा की कमर को दबाते हुए उसको पिछे की तरफ झुका दिया और उसके गले में अपने होंठ चिपका कर होंठो को रगड़ते हुए उसके सीने तक ले आया जहा ब्लाउज बंधा था।
फिर पूजा को सीधा खड़ा करते हुए ब्लाउज के ऊपर ही चूमते हुए दोनो मम्मो के बीच से अपने होंठ चूमते हुए पूजा के पेट पर अपने होंठ रख उसकी नाभी को गीला कर दिया।
पूजा अब पूरी तरह उस नशे में डुब चुकी थी। वो गंभीरता से अपने शरीर पर अशोक के हाथ और होंठो की छुअन को एन्जॉय करने लगी थी।
जब जब अशोक के होंठ पूजा के नंगे बदन के हिस्से को छुते तो पूजा की एक आह से निकल जाती और उसके होंठ खुले के खुले रह जाते.
डांस करते हुए एक वक्त ऐसा आया जब पूजा और अशोक एक दूजे के सामने बाहों में लिपटे थे और दायें बायें हिल रहे थे.
अनायास ही पूजा ने अशोक की आँखों में झांकते हुए अपने होंठ खुद ही अशोक के होंठो के पास ले आयी। उस हल्की रोशनी में पूजा की लिपस्टिक में चमकते होंठ अशोक के होंठ को हल्का सा छू गए.
एक चिंगारी सी सूलग उठी और एक सेकण्ड में ही दोनो के होंठ जब एक दूसरे से दूर हुए तो एक लार की डोरी से बंध गए थे जैसे किसी गौंद से चिपक गए हो ऐसा लगा।
पूजा तुरंत अशोक से दूर होने लगी और पलट गयी पर अशोक ने उसको उसके पेट से पकड़ लिया और एक बार फिर उसके नंगे कंधे पर अपने होंठ रख चुम लिया।
पूजा अब सिर और पलके झुकाये आहें भरने लगी थी। कंधे को चूमते अशोक के होंठ अब गले की तरफ बढे और वहां चूमने लगे और फिर कानो के पीछे.
ये देखकर मेरी खुद की कुर्सी की सीट नीचे से गरम हो गयी थी। पूजा भी नशे में डुब चुकी थी और आंखे बंद हो चुकी थी।
पूजा के कानो के पीछे चूमते हुए अशोक ने चालाकी से पूजा के कंधे पर एक हाथ रख वो पिन निकाल जिसने पूजा की साड़ी के पल्लू को कंधे से बाँध रखा था।
एक झटके में साड़ी का चमचमाता पल्लू नीचे जा गिरा और सामने थी पूजा की छाती जो ब्लाउज के अंदर ही पूजा की तेज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो फुल रही थी।
पूजा की सांसें अब और तेज हो गयी थी और साथ ही उसकी छाती का उभार भी तेजी से आगे पिछे हो रहा था। पूजा के ब्लाउज के हूक जैसे कभी भी टूटने वाले थे और वो ब्लाउज खुलने वाला था।
अशोक ने पूजा के पेट को और भी कस कर पकड़ लिया। पूजा की साँसों के साथ उसका पतला पेट भी तेजी से बहुत ज्यादा अंदर बाहर हो रहा था। उसका पेट इतना अंदर जा रहा था कि शायद उसकी साड़ी उसके पेटीकोट से बाहर अपने आप ही आ जाएगी.
इन सब के बीच पूजा दायें बायें हिल रही थी और पिछे से चिपके अशोक के लंड से रगड़ खा रही थी। वो बेसुध थी कि उसका पल्लू सीने से हट चुका हैं। अशोक को लगा कि पूजा उसके वश में आ चुकी हैं। उसने उसका हाथ जो पूजा की नाभी के ऊपर था उसे नीचे खिसकाना शुरु किया.
जैसे ही तेज लेती साँसों से पूजा का पेट अंदर गया, अशोक ने अपनी दो उंगलिया पूजा के पेटीकोट में जरा सी उतार दी. अशोक की उंगलिया पेटीकोट में जाते ही पूजा कड़क हो गयी।
पूजा ने अपनी सांस रोक ली और अपने पेट और पेटीकोट में जगह बनाए रखी। अशोक की चारो उंगलिया अब
पूजा के पेटीकोट में उतरने लगी और पूरी उंगलिया अब पेटीकोट के अंदर थी।
पूजा ने सांस लेना शुरु कर अपने पेटीकोट को टाइट कर लिया और अशोक का हाथ अंदर फिसलना बंद हुआ और वहीं रुक गया। अगली सांस अंदर जाते ही अशोक ने अपना हाथ उसके पेटीकोट से बाहर निकाल दिया।
अशोक ने पूजा के कानो के पीछे चूमना बंद किया और उसको घुमाते हुए अपने सामने किया. पूजा की नशीली आंखे खुली और अशोक की आँखों में झाँकने लगी।
अशोक ने पूजा की चूत के हिस्से को अपने लंड के हिस्से से चिपकाया । अशोक ने पूजा की कमर पर हाथ रख ऊपर के हिस्से को पीछे झुकाया और अपने होंठ पल्लू हटने के बाद खुल चुके नंगे सीने पर रख दिया।
पूजा अभी भी डांस करते लहरा रही थी और उसकी चूत अशोक के लंड से रगड़ खा रही थी। अशोक ने पूजा के मम्मो के ठीक ऊपर के भाग पर ब्लाउज के बाहर झांकते मम्मो के उभार पर अपनी जीभ लगा ली.
पूजा ने तुरंत झटका खाते हुए लहराना बंद किया और सीधी होकर पीछे हट गयी और तेजी से अपना पल्लू उठा कर फिर अपने सीने पर रख अपनी छाती को छुपा लिया।
अशोक फिर पूजा की तरफ बढा पर पूजा ने उसको हाथ आगे कर रोक दिया। फिर पूजा ने मुझे और नितीन को देखा, जैसे वो कोई गुनाह करती पकड़ी गयी थी।
मैने ताली बजाना शुरु किया ताकि पूजा थोड़ी नार्मल हो जाए और फिर नितीन और अशोक ने भी ताली बजाई. पूजा गंभीर चेहरा बनाए अब टेबल की तरफ चलते हुए आने लगी।
नितीन: “हमारे इस प्राइवेट रूम का समय खत्म होने वाला हैं। हम ऊपर रूम में चलते हैं, गिफ्ट अदला बदली कर लेते हैं”
पूजा: “रूम !! वो किसलिए?”
नितीन: “तुम्हारे लिए सरप्राइज हैं, मैंने सोचा आज रात हम होटल रूम में ही रुकेंगे. वहीं पर गिफ्ट भी अदला बदली कर लेते हैं”
अशोक: “तुम दोनो लड़कियां रूम में जाओ, हम पेमेन्ट करके आते हैं”
मैने चाबी ले ली और पूजा को लेकर रूम की तरफ ले आयी। पूजा को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा हैं। मै और पूजा अब रूम का ताला खोल कर अंदर आये. पूजा इधर ऊधर देखने लगी पर उसे वहां कोई गिफ्ट बॉक्स नहीं दिखा.
पूजा: “रूम बुक करने की जरुरत थी! हर साल तो नहीं करते. यहाँ कोई गिफ्ट भी नहीं दिख रहा”
मैं: “थोड़ा सब्र करो, तुम्हारा गिफ्ट नितीन अभी लेकर आएगा. वैसे डांस करते क्या हो गया तुम्हे. फिर से बहक गयी थी क्या?”
पूजा अब बुरी तरह से शर्मा गयी थी। उसके हाथ साड़ी के अंदर छुपे थे पर वो बुरी तरह कांप रहे थे.
पूजा: “तुम्हे ऐसा लगा? नितीन ने पता नहीं क्या सोचा होगा। मैंने कुछ गलत किया क्या? बताओ ना”
मैं: “तुमने एक ही चीज गलत की थी कि अपने आप को दबा रही थी। अपने दिल की बात छुपाओ मत. नितीन को तो तुम्हारा डांस बहुत पसंद आया। ऐसा टूट कर डांस किया कि मजा आ गया। उसने ताली भी तो बजाई थी”
पूजा: “अच्छा? मेरा तो पल्लू भी कब गिरा पता ही नहीं चला. मुझे बहुत बुरा लग रहा हैं”
पूजा की तेज तेज सांसें एक बार फिर शुरु हो चुकी थी। उसने अपने दोनो हाथों को आपस में बाँध लिया था और उसकी छाती तेजी से धड़क कर ऊपर नीचे हो रही थी।
मैं: “तुमने इस से पहले कभी किसी पराये मर्द के साथ डांस किया हैं?”
पूजा: “नहीं”
मैं: “तुम पहले कभी डांस करते वक्त बहकी हो?”
पूजा: “नहीं”
मैं: “इसका क्या मतलब हैं, तुम्हे पता नहीं चला?”
पूजा: “क्या!”
पूजा की सांसें अब और भी तेज हो चुकी थी और शरीर कांपने लगा था
मैं: “तुम्हे शायद जरुरत हैं”
पूजा: “किसकी?”
मैं: “तुमको अशोक पसंद आ गया हैं”
पूजा: “कैसी बातें कर रही हो तुम. वो तुम्हारा पति हैं। मै उसके बारे में ऐसा कुछ नहीं सोचती”
मैं: “तो फिर तुमने उसको रोका क्युँ नहीं जब वो तुम्हे चुम रहा था”
पूजा की जुबान अब लड़खड़ा गयी थी।
पूजा: “वो सिर्फ डांस का पार्ट था”
मैं: “उसने तुम्हारा पल्लू गिराया, वो भी डांस था?”
पूजा: “वो..वो गलती से गिर गया होगा”
मैं: “उसने तुम्हारे पेटीकोट में हाथ डाल दिया था, तुमने रोका भी नहीं”
पूजा: “मुझे ..पता नहीं चला”
मैं: “क्युँ कि तुम उसके नशे में थी, वो तुम्हे पिछे से चिपक रगड़ रहा था और तुम उसका साथ दे रही थी”
पूजा: “तुम ऐसी बातें क्युँ कर रही हो! तुम्हे यह सब लगा।..तुमने मुझे रोका क्युँ नहीं? तुम्हारा पति दुसरी औरत के साथ यह सब कर रहा था था तो उसको भी रोकना चाहिये था।”
मैं: “तुम दोनो इतना एन्जॉय कर रहे थे, कोई कैसे रोकता”
पूजा: “नहीं यह झूठ हैं। मुझे डांस करना ही नहीं चाहिये था। तुमने यह सब महसूस किया तो नितीन ने भी सब देखा होगा कि कैसे मै बहक रही थी, उसने पता नहीं मेरे बारे में क्या सोचा होगा”
मैं: “शांत हो जाओ, नितीन को कुछ बुरा नहीं लगा। वो तुम्हारे लिए खुश था। अगर नितीन यह अब मेरे साथ करता तो तुम क्या करती ? तुम मुझे और नितीन को रोकती या मजे से डांस करने देती?”
पूजा: “पता नहीं”
तभी दरवाजे पर दस्तक हुआ और मैंने जाकर दरवाजा खोला. नितीन और अशोक अब कमरे के अंदर आये. पूजा अभी भी कांपते हुए मूर्ति की तरह रुआंसी खड़ी थी।
मैं: “क्या देख रही हो पूजा, नितीन तुम्हारा गिफ्ट लाया हैं, नहीं चाहिए?”
उसने नितीन को देखा, मगर नितीन के हाथ में कोई गिफ्ट नहीं था। मैं, नितीन और अशोक अब पूजा के सामने दो हाथ की दूरी पर खड़े थे.
मैं: “आज तुम्हे और नितीन को अब तक का सबसे अच्छा सालगिरह का गिफ्ट मिलेगा”
मैने अपना हाथ नितीन के कंधे पर लगा कर अपना सीना और बाकी का शरीर नितीन से सटा लिया।
मैं: “नितीन का गिफ्ट में खुद हूँ, और पूजा, आज रात तुम्हारा गिफ्ट अशोक हैं”
पूजा खुश होने के बजाय अभी भी शॉक में खड़ी थी। मैंने नितीन को छोड़ा और आगे बढ़कर पूजा का हाथ पकड़ अशोक की तरफ खिंचना चाहा.
पर तभी पूजा का एक हाथ दनदनाता हुआ आया और मेरे गाल पर आ पड़ा. एक तेज चटाक की आवाज हुयी और मेरा चेहरा उस आघात से दुसरी तरफ मुड़ गया।
पूजा को हमारा अदला बदली का आईडिया पसंद नहीं आया और मुझे तमाचा मार दिया। अब इसका मेरी ज़िन्दगी पर क्या असर होगा अगले एपिसोड में पढ़िए।