ना तो मैं राहुल के बच्चे की माँ बन पा रही थी और ना ही हम अशोक और पूजा के साथ कोई डील फाइनल कर पाए थे कि पूजा राहुल के बच्चे को पैदा कर सके।
उसके कुछ दिनों बाद राहुल के माँ बाप ने मुझे उनसे मिलने बुलाया. मुझे थोड़ी ख़ुशी मिली कि शायद राहुल ने अपने माँ बाप को समझा दिया हैं कि वो मुझे ऐसे ही स्वीकार करने को तैयार हैं।
मै उनसे मिलने पहुंची पर राहुल वहां नहीं था। उन्होने मुझे स्वीकार करने नहीं बुलाया था पर इमोशनली ब्लैकमैल करने बुलाया था। उन्होने मुझको दूहाई दी कि मै क्युँ उनके बेटे की पीछे पड़ी हूँ और उसकी ज़िन्दगी खराब करने पर तुली हूँ. मेरे चक्कर में उसने किसी और से शादी के लिए मना कर दिया था।
उनकी इतनी जायदाद हैं, उसका वारीस कौन होगा! उनको अपने बेटे से इतने अरमान हैं कि उसका छोटा परिवार हो, बच्चा हो, पर मै तो उनको कुछ नहीं दे सकती. उन्होने मुझ जैसे बच्चे वाली तलाकशुदा औरत को भी भारी मन से स्वीकार किया था और अब मै माँ नहीं बन सकती फिर तो मै उनके किसी काम की ही नहीं थी।
उन्होने मुझे बहुत समझाया कि मै उनके बेटे का पीछा छोड़ कर उन बुढ़े माँ बाप पर अहसान कर दू. अगर मुझे पैसे चाहिये तो वो चाहे उतना दे सकते हैं पर मै उनके बेटे की ज़िन्दगी से दूर हो जाऊ.
मेरे सिर पर तो पहाड़ टूट पड़ा. मुझे इतनी जली कटी तो कभी सुनने को नहीं मिली थी। उनको तो मेरी नीयत पर ही शक था कि मै उनकी सम्पति हड़पने के लिए यह सब कर रही हूँ और मै लालची हूँ.
मै वहां से इतना सुनने के बाद रोते धोते निकली थी। मेरा तो दुनिया से मोह ही भंग हो गया था। उनकी बातें मुझे बहुत बुरी तरह से चुभ रही थी।
देखा जाऐ तो वो सही भी थे. उनके बेटे में कोई कमी नहीं हैं। उनको किसी अच्छे खानदान की खुबसूरत बहू मिल जाएगी जो सही तरीके से माँ भी बन सकती थी।
राहुल मेरा आखिरी सहारा था और मै उसको छोड़ना नहीं चाहती थी पर हमेशा अपने बारे में सोचने वाले स्वार्थी होते हैं। राहुल मेरे प्यार की खातिर इतना त्याग कर रहा था कि अपने माँ बाप से भी बगावत कर ली थी।
अगर मुझे राहुल से सच्चा प्यार हैं तो मुझे भी त्याग करना होगा। मैंने भारी मन से फैसला कर लिया कि राहुल से नाता तोड़ लुंगी ताकि वो अपनी नयी ज़िन्दगी शुरु कर पाये।
ऑफिस में रूबी से मिली और मैंने उसको अपनी सारी कहानी पहली बार बताई.
रूबी: “मुझे अच्छा लगा कि तुम्हारी लाईफ सेट हो जाएगी पर मुझे पता हैं, तलाकशुदा औरतो का जीवन क्या होता हैं। मै तुम्हारी जगह होती तो स्वार्थी बन जाती और राहुल को कभी नहीं छोड़ती. मगर मुझे पता हैं तुम ऐसा नहीं करोगी. तो फिर तुमने क्या सोचा?”
मैं: “मेरे समझाने से तो वो मानेगा नहीं. मै राहुल का दिल तोडूंगी, ताकि वो मुझे भूल जाऐ और अपनी नयी ज़िन्दगी शुरु करे”
रूबी: “क्या करने वाली हो तुम?”
मैं: “बेवफाई करुंगी. मै कुछ ऐसा करुंगी कि मै राहुल की नजरो में गिर जाऊ. मुझे तुम्हारी मदद चाहिये होगी. मै राहुल के सामने किसी और को किस करुंगी. तुम्हारे यहाँ इतने आशिक हैं, किसी को इस काम के लिए मना सकती हो?”
रूबी: “यार प्रतिमा, यह सब मत कर. चीजे गलत भी हो सकती हैं। राहुल तुझसे प्यार करता हैं। उसका दिल टूटा तो फिर कभी ना जुड़े यह भी हो सकता हैं। वैसे भी तुम्हे त्याग करने की जरुरत नहीं. उसके बुढ्ढे माँ बाप कितने साल ज़िंदा रहेंगे . फिर तो तुम और राहुल ही रहोगे ना. तुम दोनो अपने लिए जियो, किसी और के लिए नहीं”
मैं: “मुझे तो बुरी परिस्तिथि में भी ज़िंदा रहने की आदत हैं। मै सिर्फ अपना प्रयास करुंगी, बाकी सब ठीक ही होगा”
रूबी: “हमारे ऑफिस में जो लड़का हैं अमन, वो जल्दी ही जॉब छोड़ने वाला हैं। मै उसको तैयार कर लुंगी. तुमको किस करते देखने के बाद राहुल वैसे ही उसको जॉब से निकाल देगा, तो फर्क नहीं पड़ेगा”
मैं: “ठीक हैं तुम उसको समझा देना”
अगले दिन रूबी मुझे फिर मिली.
रूबी: “कब करना हैं बता दो?”
मैं: “आज ही करना हैं”
रूबी: “आज नहीं, कल करते हैं। उसने इस नाटक के बदले चोदने की शर्त रखी हैं। वो अकेला नहीं हैं, उसके 3-4 दोस्त और भी हैं। सब मिलकर चोदना चाहते हैं”
मैं: “मै यह नहीं कर सकती”
रूबी: “तुम्हे कुछ नहीं करना हैं। वो मै आज रात करवा लुंगी. तुम्हारी दोस्ती की खातिर मै इतना तो कर ही सकती हूँ”
मैं: “हम किसी और की मदद ले लेंगे”
रूबी: “कौन अपनी जॉब खतरे में डालेगा. जो मिल रहा हैं कर लेते हैं”
मैं: “मगर इतने लोगो के साथ एक साथ. तुमने इतने के साथ कभी किया हैं?”
रूबी: “हर चीज कभी ना कभी तो पहली बार करते ही हैं। मेरी चिंता मत कर.”
मुझे रूबी के लिए बहुत बुरा लग रहा था। मेरी वजह से वो 3-4 मर्दो से एक साथ चुदवाएगी. अगले दिन मै अपने सबसे बड़े इम्तिहान के लिए तैयार थी। बहुत नर्वस थी पर करना तो था ही. मुझे रूबी मिली, उसकी तबियत खराब लग रही थी और कुछ लंगड़ाते हुए चल रही थी।
मैं: “क्या हुआ तुम्हे? अमन तैयार हैं ना?”
रूबी: “साला हरामी, 3-4 की बजाय 5 दोस्तों को साथ ले आया। बुरी तरह थका दिया मुझे. मगर तुम फिर सोच लो, तुम्हे ये करना हैं!”
मैं: “मेरी वजह से तुम्हारी यह हालत हुयी, तुम्हारा त्याग मै बेकार नहीं जाने दूंगी. मै और अमन मेरे केबिन में किस करेंगे. तुम राहुल को मेरे केबिन में किसी बहाने भेज देना”
मेरे इस फैसला से रूबी मुझसे ज्यादा निराश थी. राहुल के आने का समय होने वाला था और मैं अपने केबिन में थी।
अमन मेरे केबिन के बाहर राहुल के आने का इंतजार कर रहा था। जैसे ही उसे राहुल के आने की भनक लगी और वो मेरे केबिन में घुस गया।
मेरे हाथ पैर थर थर कांप रहे थे। अमन मेरे करीब आया और मुझे अपना शर्ट भी खोल कर मम्मे दिखाने को कहा ताकि प्रभाव ज्यादा आये, पर मैंने उसको मना कर दिया।
उसने अपने होंठ आगे लाकर बुरी तरह से मेरे होंठ कस के दबा दिए और फिर चूसने लगा, जैसे कोई भड़ास निकाल रहा हो. फिर उस कमीने ने अपने एक हाथ से शर्ट के ऊपर से मेरा एक मम्मा बुरी तरह से दबोच लिया।
मुझे बहुत दर्द हुआ और मै उसका हाथ हटाटी उसके पहले ही मेरे केबिन का दरवाजा खुला और राहुल अंदर आया।
मैने अमन को दूर हटाया और उसने मुझे चूमना छोड़ा पर मम्मा फिर भी दबोचे रखा। फिर राहुल का गुस्से वाला चेहरा देखकर उसने मेरा मम्मा छोड़ा और केबिन से बाहर चला गया।
मैने ऐसी शक्ल बनाते हुए नजरे झुका ली जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो .
राहुल: “तुम ये सब क्युँ कर रही हो? मुझे पता हैं तुम ऐसी नहीं हो. मै भी तुम्हे इतनी आसानी से नहीं छोड़ुंगा”
फिर वो बाहर चला गया। मैंने और रूबी ने इतना त्याग किया और राहुल पर ज्यादा असर नहीं हुआ था। मै थोड़ी देर बाद राहुल के केबिन में गयी।
मैं: “राहुल, मै तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकती. बेहतर होगा तुम अपने माँ बाप की मर्जी से किसी अच्छी सी लड़की से शादी कर घर बसाओ.”
राहुल: “मुझे क्या करना हैं, मुझे मत सिखाओ”
कुछ समय ऐसे ही निकला, राहुल मुझे ऐसे ही मनाता रहा पर मै नहीं मानी. मैंने उस से दूरी बना ली थी। रूबी भी मुझे समझाती रही कि ऐसा मत करो.
मेरा एक साल का नोटिस पिरीयड खत्म हुआ और कोर्ट ने मुझे अशोक से तलाक दिलवा दिया। पूजा अपने खुद के तलाक पूरा होने का इंतजार कर रही थी ताकि अशोक से शादी कर ले पर वो साथ रह रहे थे.
राहुल मुझ पर भी दबाव डालता रहा कि मुझे उस से शादी कर लेनी चाहिये पर मै अपनी ज़िद पर अड़ी थी। मगर वो सुनने को तैयार ही नहीं था।
फिर हार मान कर मैंने उसको 2 दिन बाद अपने जन्मदिन के दिन मेरे घर आने को कहा. उसने ख़ुशी से मुझे गले लगा दिया। उस दिन मै उस से आखिरी बार गले मिली थी।
मैने रूबी से फिर मदद मांगी.
मैं: “राहुल नहीं मान रहा हैं। मैंने उसको 2 दिन बाद अपने जन्मदिन के दिन अपने घर बुलाया हैं”
रूबी: “क्या बात हैं! तुम उस से शादी करने को तैयार हो!”
मैं: “नहीं, उसका दिल अच्छे से तोड़ना हैं। वो जब मेरे घर आएगा, तब वो मुझे किसी के साथ चुदते हुए देखेगा. मुझे तुम्हारी मदद चाहिये। तुम अपने दीवाने किसी मर्द को भेज दो”
रूबी: “तुम पागल हो गयी हो! तुम्हे पता हैं ना अमन ने पिछली बार क्या किया था। अपने 5 दोस्तों को ले आया था। सारे मर्द ऐसे ही होते हैं, फायदा उठाएंगे तुम्हारा”
मैं: “अब बस आर पार का फैसला हो जाने दो. 5 क्या वो 10 मर्दो को भी ले आये, मुझे मंजूर हैं”
रूबी: “तुने निर्णय कर लिया और नहीं मानेगी मतलब?”
मैं: “हां”
रूबी: “मै नहीं चाहती कि तू यह सब करे, पर तुने निर्णय कर ही लिया हैं तो मै अमन जैसे किसी को नहीं भेजुंगी. मेरा वो पडौसी याद हैं जो तुम्हारी चूत के पानी का दीवाना हैं। वो सीधा इंसान हैं। वो चलेगा तुम्हे? थोड़ी उम्र ज्यादा हैं पर वो तुम्हे परेशान नहीं करेगा”
मैं: “कोई भी चलेगा, मुझे कौन सी शादी करनी हैं। मुझे तो शादी तोड़नी हैं”
रूबी: “ठीक हैं मै उसको भेज दूंगी”
मैं: “तुम भी आ जाना, तुम वहां रहोगी तो अच्छा लगेगा”
मेरे जन्मदिन वाले दिन सुबह से ही मेरा मन नहीं मान रहा था। मुझे नहीं पता था कि मै जो करने वाली हूँ वो काम करेगा या नहीं पर मुझे कोशिश तो करनी थी।
राहुल जितनी बजे आने वाला था उस से एक घंटा पहले ही रूबी अपने पडौसी को लेकर आ गयी थी। उसके पडौसी को पहली बार देखा था, हालांकि वो मेरे चूत के पानी से पहले ही मिल कर चख चुका था। वो एक 45 साल का अधेड़ उम्र का आदमी था। इतने बड़ी उम्र के आदमी से मैंने कभी चुदवाया नहीं था।
रूबी ने मुझको एक और बार सोचने की सलाह दी पर मै तो कब का सोच चुकी थी। उसकी जॉब खतरे में ना पड़े इसलिए मैंने उसको राहुल के आने से पहले अंदर ही छुप जाने को बोला.
राहुल समय का बहुत पक्का था मुझे पता था। उसके आने के आधे घंटे पहले हमने कार्यक्रम शुरु कर दिया। मै और पडौसी अपने सारे कपड़े उतार नंगे हो गए.
एक जवान औरत और वो भी इतने अच्छे फिगर वाली, वो अधेड़ पडौसी तो आंखे फाड़ता हुआ पागल सा हो गया था। रूबी खिड़की पर नजर रखे थी ताकि राहुल के आते ही हमें खबर कर दे.
पडौसी ने मेरे बदन को अच्छे से छूकर मजे लिए. ख़ास तौर से मेरे मम्मो से उसका हाथ ही नहीं हट रहा था। दो बार उसने मेरे मम्मो को अपने दांतो से काटा कर निशान भी बना दिया था।
मेरी कमर, चूत, गांड को अपनी उंगलियों से अच्छे से दबा कर मजे लिए और मेरे होंठो को भी काटा दिया था।
उसने मेरी चूत में ऊँगली घुसा कर उसे अच्छे से रगड़ा. मेरी आहें निकलना शुरु हो गया था और वो और भी तेजी से अपनी ऊँगली रगड़ने लगा। फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा।
अपनी जुबान जब उसने मेरी चूत में रगड़ी तो मेरी चूत का पानी चखते ही वो खुश हो गया। उसको क्या पता कि वो यह पानी पहले ही चख चुका था।
उसको मेरी चूत का पानी इतना पसंद आया कि वो कुछ मिनट तक वो ही करता रहा। फिर उसका मन भरा तो मैंने उसको चोदना शुरु करने को कहा.
उसने पहले अपना लंड मुझे चूसने को बोला. उसके लंड पर छोटे छोटे बाल उगे हुए थे और मुझे उसको चूसना पड़ा. रूबी को चोद चोद कर उसके लंड की जवानी बरकरार थी।
राहुल के आने में कुछ ही मिनट बचे थे और मैंने उसको चोदना शुरु करने को बोला. वो भी अपना लंड चुसवा कर खुश था।
मै अब सोफे पर लेट गयी और वो मेरे ऊपर पूरा लेट गया। पर मैंने उसको मेरे मुंह से दूर रहने को कहा. ताकि राहुल मेरी शक्ल ठीक से देख पाये।
वो फिर मेरी दोनो टांगो के बीच बैठ कर अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा। उसके पहले मैंने उसको कंडोम पहना दिया ताकि उसकी कोई बीमारी मुझे ना लगे।
उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल चोदना शुरु कर दिया। मैंने सुना था कि आदमी और घोड़ा कभी बुढ़े नहीं होते. जितनी जिसकी ताकत से मुझे चोद रहा था मुझे लग गया कि वो कहावत सही हैं।
वो काफी अनुभव के साथ मुझे तरीके से चोद रहा था। उसको पता था कि औरत को खुश कैसे करते हैं। मै अपनी चूत में पड़ते धक्को से जो आहें निकाल रही थी उन्हे वो पढ़ रहा था।
कुछ धक्को के बाद ही उसको पता चल गया कि मुझे कितना अंदर और किस दिशा में चोदने से मुझे ज्यादा मजा आएगा. उसने अब उसी चीज पर ध्यान किया और मुझे एक ही जगह चोदना शुरु कर दिया। तभी रूबी दौड़ते हुए आयी.
रूबी: “राहुल आ गया हैं और साथ में एक बड़ा गिफ्ट लाया हैं। तुम्हे अभी भी यह करना हैं?”
एक बार तो मै सोच में पड़ गयी। राहुल के सामने ये सब करना ठीक नहीं था। मगर मै निर्णय कर चुकी थी और इसी में उसके माँ-बाप की भलाई भी थी।
मैं: “तुम दरवाजा थोड़ा खुला छोड़ दो ताकि वो सीधा अंदर आ जाऐ। फिर तुम अंदर जाकर छुप जाओ”
रूबी ने वैसा ही किया और अंदर छुप गयी। पडौसी अभी भी मुझे तबियत से चोद रहा था। मेरी सिसकियां तो पहले ही निकल रही थी। मैंने अपनी सिसकियां थोड़ी बढा दी थी। नहीं बढ़ाती तो भी पडौसी के लंड के झटको से मै वैसे ही बेहाल हो चुकी थी।
उसके झटके अचानक बढ़ गए थे। इतनी खुबसूरत औरत के अच्छे फिगर को चोदते शायद उसके जड़ने का समय भी जल्दी आ गया था।
राहुल ने मेरा नाम पुकारा और फिर दरवाजा खुलने की आवाज आयी। मैंने आंखे बंद कर दी और सिसकियां भरती चुदवाती रही. राहुल की लगभग चिखते हुए मेरा नाम लेने की आवाज आयी।
मैने आंखे खोल कर देखा, राहुल की आंखे गुस्से में लाल थी और वो सदमे में मुझे चुदते हुए देख रहा था।
इधर पडौसी जड़ने लगा था और तेज दहाड़े मारते हुए मुझे बहुत तेज झटके मारने लगा, मै भी लगभग चीख पड़ी थी।
मै राहुल को देख आहें भरते हुए चुदवाती रही. राहुल ने अपने हाथ में पकड़ा गिफ्ट वहीं नीचे पटक दिया।
राहुल बाहर चला गया और जाते जाते जोर से दरवाजा बंदकर गया। पडौसी मेरी चूत में जड़ चुका था और मुझ पर पूरा लेट गया था।
पडौसी अब मेरे ऊपर से उठा और मेरे आंसू टपकने शुरु हो चुके थे। सामने रूबी खड़ी थी जिसकी खुद की आंखे नम थी।
उसने आगे बढ़कर मुझे उठाया और गले से लगा दिया और हम दोनो एक साथ रो रहे थे. पडौसी को कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा हैं। मेरा काम हो चुका था।
क्या मैं राहुल का दिल तोड़ने में कामयाब हो पायी और अब मेरा क्या होगा ये जानिए अगले एपिसोड में।
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