हेलो दोस्तों, मैं प्रथा (बदला हुआ नाम), हाजिर हूं एक सेक्स कहानी लेकर। लेकिन यह कहानी इस बार मेरी है, जो कि मेरे आशिक के द्वारा सुनाई जा रही है। इस कहानी को सुनिए और आनंद लीजिए।
तो दोस्तों मैं हूं सोहन (बदला हुआ नाम), और आज मैं अपनी प्रेमिका प्रथा के साथ हुए अनुभव को साझा कर रहा हूं।
मैं और मेरी प्रेमिका प्रथा दोनों ही मध्य प्रदेश से संबंध रखते हैं, और जहां एक ओर मैं छत्तीसगढ़ अंचल का निवासी हूं (जैसा कि आपको पता है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पहले एक ही हुआ करता था, इसलिए मैं भी खुद को मध्यप्रदेश का मानता हूं, और मेरी प्रेमिका प्रथा को छत्तीसगढ़ की संस्कृति भी बहुत पसंद हैं)। वहीं दूसरी ओर प्रथा मूल रूप से मध्य प्रदेश के मध्य में ही है। गोपनीयता के लिए मैंने स्थान का नाम नहीं बताया।
यह बात है जनवरी 2025 की, जब मैं अपने आंचल छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश जा रहा था और प्रथम और मेरी मुलाकात सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से हुई थी, जहां पर हम तीन-चार महीने बात किये, और एक-दूसरे के नजदीक आ गए। धीरे-धीरे प्रेम उपजा, और हम दोनों को जैसे एक-दूसरे का सच्चा प्यार मिल चुका था। बस अब हमारा मिलन बाकी था।
हमने एक दूसरे को सिर्फ वीडियो कॉल, ऑडियो कॉल, और सोशल मीडिया अकाउंट में ही देखा था, और आमने-सामने नहीं देखे थे। हालांकि हम दोनों के बीच में प्राइवेट चैट और प्राइवेट कॉल होते थे, लेकिन अब बस मिलने की बेताबी थी।
फिर जैसे-तैसे मैंने अपना काम निपटा कर जनवरी 2025 में मध्य प्रदेश की धरती में कदम रखा, और फिर एक दिन 11 जनवरी 2025 को मैं उस स्थान की बस पर बैठ गया, जहां पर मेरी प्रेमिका प्रथा रहती थी। वो बस का सफर धीरे-धीरे बेचैनी बढ़ा रहा था मेरी, क्योंकि हम पहली बार मिलने वाले थे।
फिर शाम को 5:00 बजे बस वहां रुकी, जहां पर मेरी प्रेमिका रहती थी। प्रथा कोचिंग करती थी और साथ में रूम में रहती थी। वह मुझे लेने आई बस स्टैंड और फिर हम दोनों साथ में उसके रूम चल दिए। बातों-बातों में मैंने उसकी तारीफ की कि-
मैं: तुम फोटो से तो अधिक सुंदर हो रियल देखने में।
और ऐसे ही हम उसके कमरे पर पहुंच गए। कमरे पर जाते ही मैं उसके बेड पर बैठ गया, और वह मेरे लिए मक्के की रोटी और अंडे की सब्जी बनाने की तैयारी करने लगी। जैसे ही वह मक्के की रोटी बना रही थी, एक दो तीन चार रोटी बन गई, लेकिन पांचवी रोटी नहीं बन रही थी। तो मैंने शरारत करते हुए, उसकी कमर मैं हाथ डाल कर, उसके हाथों में अपने दोनों हाथ लेकर, आटा गूंथना चाहा, और उसे छेड़ता रहा।
मेरी हरकत से वह शर्मा गई और फिर मुझे प्यार से धक्का देकर वापस अपने काम पर जुट गई। मैं फिर एक बार वापस आटा गूंथने आया, और प्यार से उसके कानों को सुनते हुए आता गूंथने लगा और रोटी बनाने की कोशिश करने लगे। इस बार उसने मजाक से बेलन हाथ में लिया, और बोली-
प्रथा: तुम चुप-चाप बैठो। मैं बना रही हूं (और हंसते हुए मुझे छुड़ा लिया)।
मेरे से छूटने के बाद ही उससे मक्के की रोटी बन गई। रोटी बनाने के बाद वो बोली-
प्रथा: थोड़ी देर बात करते हैं, और सब्जी बाद में बना लूंगी।
रोटी बनाने के बाद उसने एकाएक मुझे जोर से आलिंगन कर लिया। प्रथा के इस अनमोल स्पर्श को पकड़ मेरा रोम-रोम रोमांचित हो चुका था। जैसे मेरी रूह में मेरी प्रेमिका बस गई हो। उसके बाद मैं भी उसे ज़ोर से गले लगा लिया, और हम दोनों प्यार के इस समंदर में डूबते चले गए। उसके बाद उसने प्यार से मेरा माथा चूमा, और फिर देखते ही देखते हमारे लब एक-दूसरे के आगोश में हो गए, और हम दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे।
सच्चे प्रेम का सच्चा स्पर्श पाकर हम दोनों बेतहाशा एक-दूसरे के होठों को कस रहे थे। फिर करीबन 10 मिनट किसिंग करने के बाद हम दोनों अलग हुए, और एक-दूसरे की आंखों में प्यार से देखने लगे, और फिर एकाएक हमने एक-दूसरे को गले लगा लिया।
उसके बाद मैंने कहा: मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूं।
फिर प्रथा ने कहा: तुम मेरी जान हो। मेरा बच्चा हो।
मैंने उसकी मेहंदी देखी, जो उसने मेरे लिए लगाई थी, एक दिन पहले पैरों में, और 2 दिन पहले हाथों में लगाई थी। जिसका रंग काफी निखर गया था, और जिसमें मेरे नाम का प्रथम अक्षर S लिखा हुआ था। मैंने उसके हाथों और पैरों दोनों की मेहंदी को अपने होठों से चूम लिया, और उसे आई लव यू कहा। बदले में उसने भी मुझे आई लव यू मेरी जान कहा।
उसके बाद वह अंडे बनाने में व्यस्त हो गई, और मैं भी मोबाइल चलाने में बिजी हो गया। जब खाना बन गया तो हमने एक-दूसरे को अपने हाथों से खाना खिलाया। उसने अपनी कोमल उंगलियों से मुझे खाना खिलाया, और मैंने अपने हाथों से प्रथा को खाना खिलाया। ये हमारे लिए एक बेहद अनोखा अहसास था।
खाना खाने के बाद मैं जो गिफ्ट उसके लिए लाया था, वह दिया उसको, जिसमें दो डेरी मिल्क चॉकलेट्स, दो चिप्स पैकेट, सेव का पैकेट, और भुने हुए चने भी थे। इसके अलावा मैंने उसे हाथों का ब्रेसलेट दिया। मेरे पास एक अनोखा गिफ्ट था, लेकिन उसे कैसे दूं यह सोच रहा था। जब उसने सब खा लिया, और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मेरे द्वारा लाई गई चॉकलेट और ब्रेसलेट को अपलोड की, उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे को गले लगा कर लेट गए।
मैंने उसे कहा: मेरे पास और एक गिफ्ट है, लेकिन उसे कैसे दूं?
प्रथा ने कहा: दे दो।
मैंने कहा: ठीक है, तुम आंखें बंद करो, और हाथ ऊपर करो।
फिर धीरे से मैं उसकी टी-शर्ट उतार दिया, और उसके ऊपरी अंडर गारमेंट्स को उतार कर मैंने उसे एक जालीदार एवं ट्रांसपेरेंट ब्रा अपने हाथों से पहनाई। उसके बाद मैंने उसे टी-शर्ट भी पहना दी।
मेरे मन में उस समय तक वासना नहीं थी, क्योंकि मैं प्रथा से सच्चा प्यार करता था। इसीलिए उसे बिना कपड़ों के देख कर भी मैंने कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। इसके बाद हम पुनः वापस एक-दूसरे की बाहों में बाहें डालकर लेट गए।
इसके बाद प्रथा ने कहा: मुझे लगा तुम कुछ करोगे, लेकिन तुमने तो कुछ किया ही नहीं (और हंसने लगी)।
तो मैंने कहा: यदि तुम्हारा मन हो तब ही मैं करूंगा। तुम्हारी अनुमति के बिना मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा।
तभी उसने शरारती अंदाज में कहा: मेरा बच्चा, जो तुमने पहनाया हो उसे उतरना भी पड़ेगा (और उसकी इस बात पर मैं शर्मा गया)।
अब मैं उसे किस्स करने लगा, और इसके बाद हम दोनों धीरे-धीरे वस्त्रहीन होने लगे। मैं उसके शरीर के एक-एक अंग को चूमने लगा, जिससे वह काफी सिहर उठती। उसके बाद मैं उसके स्तनों को ऐसे चूस रहा था, जैसे एक बच्चा अपनी मां के स्तनों को चुसता है। इस चूसने में वात्सल्य का भाव था, ना ही कोई भारीपन या वहशीपन था।मैं बड़े प्यार से ही प्रथा के कोमल स्तनों का रस ले रहा था।
प्रथा उमम आह करने लगी। उसके बाद मैं नीचे बढ़ा और उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी, जिससे मेरी प्रेमिका सिहर उठी और इश्श इश्श आह्ह्ह्हा कहने लगी। इसके बाद मैं अपनी प्रेमिका प्रथा की शेव की हुई कोमल टांगों को चूमने लगा, जिससे वो रोमांचित हो उठी, और मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ने लगी। वो आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ मेरी जान कहने लगी।
उसके बदन के हर एक अंग को चूमने के बाद मैंने उसकी ग्राम योनि में अपनी उंगली को डाला, जिससे वह काफी रोमांचित हो उठी। उसके बाद मैंने दो उंगली डाली, और अंदर-बाहर करने लगा। इसके बाद मैं अपना लिंग योनि की दीवार पर रगड़ने लगा, और क्लिटोरिस को हाथों से छेड़ने लगा, जिससे प्रथा आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ उफ्फ करने लगी।
धीरे से मैंने अपना लिंग उसकी योनि में डाला, और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा, जिससे प्रथा को अनोखे आनंद की प्राप्ति हो रही थी, और वह आह्ह्ह्हा आह्ह्ह्हा उफ्फ उफ्फ कहने लगी।
तकरीबन 10-15 मिनट करने के पश्चात ही प्रथा ने कहा: आज के लिए इतना ही।
और फिर मैं भी अपनी काम क्रीड़ा को रोक दिया, और हम दोनों ऐसे ही निर्वस्त्र होकर नींद की गहराइयों में डूब गये। जब हम सुबह उठे, तो सूर्य की किरणों में अपनी प्रेमिका प्रथा को ऐसे निर्वस्त्र देख कर मुझे उसके भोले चेहरे पर बड़ा ही प्रेम आ रहा था। क्योंकि वहां सोते हुए बहुत ही प्यारी दिख रही थी।
कहानी लंबी चलेगी, क्योंकि यहां तीन दिन तीन रातों की कहानी है, तो इंतजार कीजिए अगले भाग का, और जानिए कि आगे हमने क्या-क्या किया, और कैसे इस सच्चे प्रेम के पहले अनुभव में हम एक-दूसरे में खो गए।
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