पिछला भाग पढ़े:- मेरी चुदक्कड़ चाची-2
जैसा कि आपने पिछ्ले पार्ट में पढ़ा कि कैसे मैंने चाची, रमेश, और सुरज की बातें सुन ली, और नहाते समय चाची के मधमस्त बदन का आनंद लिया। अब कहानी में आगे बढ़ते हुए आगे की कहानी आपको बताता हूं।
रात का समय हो चुका था। मैं, चाचा, और सुरज (चाची का भाई) खाना खा कर हाल में बैठ गये। चाची किचन में अपना काम कर रही थी। कुछ एक घंटे तक हम बातें करते रहे। तभी वहां रमेश आया और चाचा, सुरज, और रमेश तीनों बाहर चले गये।
चाची ने मेरा बिस्तर हाल में ही लगा दिया, और चाची अपने रूम में जाके सो गयी। मैं समझ गया था कि छत पर तीनों की मस्त पार्टी चल रही थी, और फिर मैं भी सो गया, क्योंकि उनकी पार्टी अब लम्बी चलने वाली थी।
खैर मैं अपने प्लान से रात को ग्यारह बजे उठा, और स्टोर रूम में जा कर वहां रखी पुरानी कुर्सियों के पीछे छिप गया। कमरे में काफी अंधेरा था। करीब दस मिनट बाद चाची और सुरज वहां पर आये, और आते ही दोनों एक-दूसरे से लिपट गये। सूरज ने चाची को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठो के साथ अपने होंठ जोड़ दिए।
अब दोनों एक-दूसरे के लिप्स चूस रहे थे। काफी मज़ेदार किस कर रहा था सूरज। साथ में चाची की गांड भी दबा रहा था। फिर उसने चाची का पल्लू हटाया, और उसका ब्लाउज खोलने लगा। पर ब्लाउज ना खुलने पर सुरज ने ब्लाउज फाड़ कर फेंक दिया और उसके बाद ब्रा में कसे चाची के बूब्स में अपना मुंह डाल के चाटने लगा। उसका सर चाची के बूब्स में दबा रहा था।
चाची की खुशबु उसको मदहोश कर रही थी, और वो चाची की गर्दन पर काट रहा था। फिर उसने चाची की साड़ी निकाल दी, और पेटीकोट भी नीचे गिरा दिया। अब वो चाची के पीछे आ गया और पीठ पर किस करते हुए उसकी ब्रा खोल कर गिरा दी। फिर उसने अपने कपड़े उतारे, और अंडरवियर में आ गया। उसने चाची को पीछे से बाहों में भर लिया और उसके साथ चिपक गया।
अब दोनों के गरम बदन एक-दूसरे के साथ चिपके हुए थे। उसके हाथ चाची के बूब्स पर थे, और वो बूब्स मसल रहा था। उसका लंड चाची की गांड पर महसूस हो रहा था। फिर उसने चाची की पैंटी में हाथ डाल लिया, और चाची की गर्दन को चूमते हुए उसकी चूत सहलाने लगा। उतनी देर में रमेश वापस आ गया।
दोनों को ये सब करते देख रमेश का लंड खड़ा हो गया। वो भी जल्दी से नंगा हो गया और घुटनो के बल चाची के सामने बैठ गया। फिर उसने चाची की पैंटी पकड़ी और उसको खींच कर निकाल दिया। अब जिस चूत को सूरज मसल रहा था रमेश ने उसमे अपनी जीभ डाल ली।
सूरज ने अपने दोनों हाथ चाची के बूब्स पर रख लिए। अब रमेश नीचे चाची की चूत चाट रहा था, और सूरज चाची के बूब्स मसल रहा था, और चाची की गर्दन और शोल्डर्स पे किस कर रहा था। चाची का तो बुरा हाल हो गया था। उसकी अहह अहह की सिसकारियां निकल रही थी। फिर सूरज ने रमेश को नीचे लेटने को कहा।
रमेश नीचे ज़मीन पर लेट गया। उसके बाद उसने चाची को उसके ऊपर लंड को चूत में लेके बैठने को कहा। वो रमेश के ऊपर बैठी और उसके लंड को अपनी चूत में ले लिया। फिर उसने चाची को रमेश के ऊपर लिटा दिया। असल में वो चाची की गांड मारना चाहता था। उसने चाची के पीछे आके चाची के चूतड़ खोले, और चाची की गांड का छेद चाटने लगा। इससे उसको मज़ा आने लगा।
नीचे से रमेश धीरे-धीरे अपना लंड चाची की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। फिर सूरज ने अपने लंड को हाथ में लिया जो 7 इंच का था और आयल से पूरा भिगो लिया। जब उसने उसको ऐसा करते देखा तो मैं समझ गया कि वो गांड मारने की तैयारी में था। चाची को पता था कि बहुत दर्द होने वाला था। लेकिन अब वो साला कहा मानने वाला था।
उसने रमेश को बोल दिया कि उसको पकड़ कर रखे। फिर जब तक वो कुछ कर पाती, उसने चाची की गांड के छेद पर लंड रख कर ज़ोर का धक्का मारा। आयल की वजह से लंड गांड को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। उसकी चीख मारने से पहले रमेश ने अपने मुंह से उसका मुंह बंद कर दिया। सूरज ने ताबड़-तोड़ धक्कों से पूरा लंड चाची की गांड में डाल दिया। उसको बहुत दर्द हो रहा था।
लेकिन रमेश उसको किस करके और उसके बूब्स चूस कर उसको गरम करता जा रहा था। 5 मिनट सूरज उसको झटके मारता रहा और चूत में तो लंड था ही। फिर उसको मज़ा आने लगा और वो खुद भी गांड हिला-हिला कर दोनों लंड का मज़ा लेने लगी। अब तीनों आराम से सेट हो गए, और दोनों तेज़ी से चाची की चूत और गांड तोड़ने लगे।
रमेश नशेड़ी हालत में खुद पर काबू नहीं कर पाया, और उसका मुठ भी बीच में ही निकल गया। दोनों की चुदाई से चाची की चूत 3 बार झड़ चुकी थी। चाची पूरी बेहाल होकर खटिया पर लेट गयी। सुरज ने चाची को साईड में लिटाया, और दोनों पैरो को कन्धों पे रख दिया और चाची की चूत में लंड सेट कर
एक ही बार में अंदर डाल दिया। चाची जोर से आवाज निकालने लगी आहह आआह्ह्ह, और जोर से पूरा अंदर डाल, और जोर से कर।
सुरज लगातार चाची को पेलता रहा, और साईड में रमेश थक कर लेटा रहा। दस मिनट के बाद सुरज ने चाची को उठाया, और खुद खटिया पर बैठ गया। चाची को पकड़ कर अपने पैरों पर बिठा लिया। इतना थकने के बाद भी चाची उसके लंड पर जम कर उछल रही थी। सुरज भी पूरी जान से ठोक रहा था।
अब रमेश तो आंखें बन्द कर लेटा हुआ था, और सुरज चाची को ठोकने में लगा हुआ था। तभी मैं धीरे से उठा और रमेश के कपड़ों में ताकत की चार गोलियां रखी थी। उन गोलियों को निकाल कर मैंने अपने पास रख लिया। अब मेरा प्लान खतम हुआ और मैं वापस कुर्सियों के पीछे जाकर छिप गया।
चाची की ठुकाई से वो जम कर उछल रही थी, और उनके गदराए मम्मे आपस में टकरा कर उछल रहे थे। दस मिनट तक ठोकने के बाद सुरज झड़ने वाला था। उसने चाची को खड़ा किया और नीचे बैठा दिया। चाची भी अपने रसीले मम्मों के बीच में लंड फसा कर सहलाने लगी। फिर कुछ देर बाद सुरज चाची के मुंह पर सारा माल निकाल दिया। चाची उंगलियों से सारा माल चाट गयी।
सुरज के झड़ते ही रमेश उठा और अपने कपड़ों में से गोली निकालने लगा। सुरज भी खड़ा हो गया और रमेश के पास गया। रमेश को गोली नहीं मिल रही थी। वो और सुरज दोनों हैरान थे, दोनों के औजार ठंडे पड़ गये थे। रमेश सुरज पर शक कर रहा था, और दोनों आपस में लड़ने लगे। पर कोई फायदा नही था। चाची थकी हुई लेटी रही, और चाची की चूत का पूरा भोंसड़ा बन गया था।
दोनों अपने ठंडे औजार के साथ उठे और कपड़े पहन कर जाने लगे।
रमेश: आज आखरी दिन में तेरी किस्मत अच्छी थी, वरना तेरी मारने का तो अभी और भी मन है ।
चाची: तुम दोनो में तो अब कुछ जान भी नहीं बची है। अब मेरी चूत तो प्यासी ही तड़प जाएगी ।
सुरज और रमेश स्टोर रुम से बाहर चले गये। रमेश आगे से चला गया और सुरज छत पर सो गया। चाची स्टोर रूम में लेटी रही, और उनकी चूत में से माल गिर रहा था। अब चाची भी उठ कर अपने कपड़ों को समेट रही थी। तभी मैं बाहर आया, और चाची मुझे देख कर डर गयी।
इससे पहले चाची चिल्लाती, मैंने उन्हें जम कर चूम लिया, चाची हाथों से मुझे थका रही थी, पर मैंने उन्हें अपने जिस्म से लगा कर चूमना शुरु किया। धीरे-धीरे उनके गदराए बदन को चूमा और मम्में दोनों हाथों से सहलाने लगा।
मैं: चाची आज दोपहर का मजा अधूरा था, अब तो आप भी मेरे लिए तड़प रही हो।
फिर चाची मुसकुराती हुई बोली: आजा अभी मेरी प्यास खत्म नहीं हुई है। देखती हूं तेरे में कितनी जान है अनुज।
चाची मेरे कपड़े निकाल कर मेरा बदन चूमने लगी और में चाची की कमर से हाथ ले जाते हुए, उनके पीछे से चूत में उंगली करने लगा। चाची की चूत गीली हो रही थी। मैं रफ्तार बढ़ाते हुए जोर-जोर से उंगलिया डालने लगा, और चाची का बचा हुआ माल निकल गया।
माल निकलते ही चाची नीचे बैठ गयी और मैंने चाची का सिर पकड़ कर पूरा लंड चाची के मुंह में भर दिया। मैं जोर-जोर से चाची के मुंह को आगे-पीछे करने लगा।पांच मिनट बाद चाची के मुंह से लार टपकने लगा, और चाची का सिर मैंने छोड़ दिया।
चाची सांस लेती हुई बोली: साले इतना जोर से कोन करता है? और तेरा इतना बड़ा लंड मैंने आज तक नही लिया। मेरी तो सांस ही रुक गयी थी ।
उनके मुंह में थूक से मेरा पूरा लंड गीला हो चुका था। अब मैंने चाची को उठाया, और वापस खटिया पर लिटा दिया। चाची भी मेरा लंड अपने अंदर लेने को तैयार थी। मैं चाची के ऊपर लेटा और अपना लंड चूत में सेट कर एक ही बार में अंदर डाल दिया। चाची की तो आवाज़ ही निकल गयी, पर मैं नहीं रुका और जोर लगा कर पेलते रहा। आधे घंटे तक पेलने के बाद मैंने चाची को पलटाया और उनकी गांड में पेलना शुरु कर दिया।
कुछ दस मिनट बाद मैं चाची की गांड में सारा माल निकाल कर झड़ गया, और चाची के बाजू में लेट गया। अब चाची मुझसे चिपक कर लेटी रही।
चाची: वाह रे आज तो तूने मेरी पूरी प्यास खतम कर दी। तेरे अंदर तो बहुत जान है।
अब मैं उठ कर कपड़े पहनने लगा, और चाची अपनी साड़ी लपेट रही थी। इतनी ठुकाई के बाद चाची ठीक से खड़ी भी नहीं हो रही थी। चाची लंगड़ा कर चल रही थी। फिर मैंने चाची को गोद में लिया, और उठा कर उन्हें उनके रुम में लिटा दिया। चाची की गांड पर क्रीम लगाने के बाद वो सो गयी और मैं वापस हाल में जाकर सो गया।
खैर मैं कुछ तीन-चार दिन और गांव में रहा। चाची और मैंने बहुत चुदाई की। कभी खेतो में, तो कभी किचन में, पर चाची जैसी मरदाना औरत को पहली बार चोदना अजग ही मजा था। खैर में अब वापस शहर जाने की तैयारी करने लगा। चाची को आखरी बार एक जम कर चुम्मी दी, और गांड दबा कर मैं शहर के लिये निकल गया।
दोस्तो, अगर आपको कहानी अच्छी लगी तो मुझे जरुर बताये, तांकि आगे भी मैं ऐसी कहानियां लिख सकूं।