हैलो दोस्तों, मेरा नाम है निशा, और मैं आपके लिए एक और नई मजेदार सामूहिक चुदाई की कहानी ले कर आई हूं। आज मैं आप लोगों को इस कहानी में बताऊंगी कि कैसे मैंने ट्रेन में 4 लोगों के साथ ग्रुप चुदाई का मजा लिया। पहले मैं आप लोगो को मेरे बारे में बात देती हूं।
मेरा नाम निशा है। मैं देखने में एक सुंदर रूप रंग की लड़की हूं। मेरा साईज दूध 30″, कमर 28″, और गांड 32″ है। ये कहानी उस समय की है, जब मैं ट्रेन से अकेले सफर कर रही थी। मुझे मेरे गांव से शहर आना था। मेरी ट्रेन समय रात के 8 बजे का था। मैंने टॉप और एक जीन्स पहनी थी।
मेरे डब्बे में चार लड़के सफर कर रहे थे। उनकी सीट भी मेरी सीट के पास थी। सब एक ही शहर के थे, और सब आपस में बातें कर रहे थे। वो लोग देखने में काफी अच्छे घर के लग रहे थे। अभी सफर शुरू हुआ था तो सब लोग बात कर रहे थे, जिससे पता चला कि उन्हें भी सुबह ही उतरना था। मेरी लोवर बर्थ थी तो मैं नीचे बैठ कर मोबाइल चला रही थी।
तभी उसमें से एक ने पूछा: कहा तक जाना है आपको?
मैंने बोला: लास्ट स्टॉप तक।
उसने बताया: हमें भी वहीं तक जाना है।
फिर उन चारों ने आपने नाम बताए। उनके नाम थे अमर, दीपक, चेतन, पीयूष। बात करते-करते टाइम काफी हो गया था, और रात का समय होने से ट्रेन काफी खाली थी। डिब्बे में जादातर लोग सो गए थे। हमारी सीट के पास सिर्फ हम 5 लोग थे, 4 वो लड़के और एक मैं अकेली। अमर बात करते-करते मेरे बगल में आ कर बैठ कर बात करने लगा। बात करते-करते हाथों को टच कर रहा था। उसका ये टच मैं समझ रही थी, कि वो क्या चाहता था।
मैं भी मौका समझी और कुछ नहीं कहा। उसकी हिम्मत बढ़ गई। वो मेरी जांघ को सहलाने लगा। तो ये सब उसके दोस्त लोग देख रहे थे। उनमें से दीपक उठ कर मेरी दूसरी साईड बैठ कर दूसरी जांघ सहलाने लगा। मुझे धीरे-धीरे जोश आ गया। मैं भूल गई कि वो 4 और मैं अकेली थी।
सब लोग सो रहे थे, इसलिए मेरी झिझक दूर हो गई। मैं भी आज मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। पहली बार मुझे एक साथ 4 लंड का स्वाद मिलने वाला था। मैं भी अमर का साथ देने लगी। मैं धीरे-धीरे उसके लंड पार हाथ फेर रही थी पेंट के ऊपर से। ये देख कर सामने बैठे पीयूष और चेतन सामने से मेरे दूध को सहलाने लगे। 4 लोगों के हाथ एक साथ मेरे जिस्म में मानो आग लगा रहें हो।
अमर और दीपक ने आपने-अपने लंड पैंट से बाहर निकाल लिये। अमर का लंड करीब 7 इंच का होगा और 3 इंच मोटा, दीपक का 6 इंच और 3 इंच मोटा। मैंने दोनों के लंडों को हाथों में लेकर मजे से सहलाना शुरू किया, और सामने बैठे पीयूष और चेतन टॉप और ब्रा ऊपर करके बूब्स को तेज-तेज मसलने और चूसने लगे। मेरी सिसकी निकलने लगी। मैं तेजी से अमर और दीपक के लंड को हिलाने लगी।
फिर पियूष अमर की जगह में आ गया और अपना लंड निकाल कर मेरे हाथों में दे दिया। उसका लंड करीब 5.5 इंच लम्बा और 2.5 मोटा था। अब अमर मेरे मुंह के सामने खड़ा हो गया। मैं समझ गई वो क्या चाहता था। मैंने उसका लंड मुंह में ले लिया, और मजे से चूसने लगी। उसका लंड बड़ा होने की वजह से मेरे मुंह में अंदर तक जा रहा था।
करीब 15 मिनट की लंड चुसाई में उसने लावा मेरे मुंह में छोड़ दिया, जिसे मैं पी गई। फिर एक-एक करके सब ने मेरे मुंह में अपना-अपना लंड दिया। मैं सब का माल पी गई। मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी।
मैंने फिर कहा: अब मुझे चोदो।
सबसे पहले अमर रेडी हुआ। उसने एक-एक करके मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, टॉप, जीस, ब्रा-पेंटी सब निकाल कर एक जगह रख दिया।
फिर मेरे से कहा: एक चादर निकल लो। कोई आया तो ढक कर लेट जाना।
वैसे भी रात में कोई नहीं आने वाला था। मैंने एक चादर निकाल कर रख ली। फिर मैं लेट गई तो पियूष मेरी चूत को चाटने लगा। मेरी सिसकियां निकलने लगी। 10 मिनट चूत चटाने के बाद अमर मेरे ऊपर आ कर अपना लंड मेरी चूत के पास सेट किया। चूत गीली होने की वजह से अंदर चला गया, पर लंड बड़ा होने से मेरी चीख निकल गई।
अमर बोला: चिल्लाओ नहीं, लोग उठ जाएंगे।
मैंने बोला: घोड़े जिसे लंड डालोगे, तो आवाज आएगी ना।
फिर उसने धीरे-धीरे अपना लंड पूरा अंदर डाल दिया। फिर लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। में आ आ आह आई आई की आवाजें निकाल रही थी, और अपनी गांड उठा-उठा कर चुदाने लगी। पीयूष मेरे मुंह के पास आया। मैं लंड मुंह में लेकर चूसने लगी, और चेतन और दीपक मेरी चूची से खेल रहे थे। मैं एक हाथ से चेतन का लंड पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने आपको चेतन के लंड साईज नहीं बताया। उसका भी लंड 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था।
अमर ने 15 मिनट मेरी चूत को चोदा। फिर दीपक उसकी जगह आ गया। उसने भी 10 मिनट चोदा। फिर पीयूष आया उसने भी 10 मिनट चोदा। अब अमर बोला-
अमर: तुम मेरे ऊपर बैठो।
वो मेरी गांड मारना चाहता था। मैं अमर के ऊपर बैठ गई। उसने मेरी गांड में थूक लगाया, और धीरे से लंड अंदर डालने लगा। मैंने पहले गांड ज्यादा नहीं मरवाई थी, तो मुझे दर्द हो रहा था। धीरे-धीरे अमर ने पूरा लंड गांड में डाल दिया। मेरी तो चीख निकल गई। फिर आ आ आई आई उई उई उई कर के चुदाने लगी।
अमर बोला: क्या गांड है तेरी निशा, बहुत ही टाइट।
मैंने कहा: हां 1-2 बार मरवाई है बस।
अब चेतन ने लंड मेरी चूत में सेट किया, और उसने भी लंड मेरी चूत में अंदर डाल दिया, और फिर अमर और चेतन एक साथ मुझे चोदने लगे। मैं एक हाथ से दीपक के लंड से खेल रही थी, तो पियूष के लंड को मुंह से चूस रही थी। ऐसा लगा रहा था कि ये चुदाई चलती रहे, और चेतन और अमर दोनों मुझे एक साथ चोद रहे थे।
मैं तो सातवें आसमान में थी, और एक बार अपना पानी निकाल चुकी थी। पहली बार में 4 लंड से एक साथ चुद रही थी। मैं अपनी गांड उठा-उठा कर उनका साथ दे रही थी। अमर और चेतन ने 25 मिनट चोदा। फिर दोनों ने आपने लावा गिरा दिया।
अब उन दोनों की जगह पीयूष और दीपक ने ले ली। उन दोनों ने भी मुझे 20 मिनट चोदा, और मैं दो बार अपना पानी निकाल चुकी थी। अब हम 5 थक गए, तो थोड़ा आराम किया करीब 30 मिनट बाद हमने फिर से चुदाई का खेल शुरू किया। उससे पहले हमने देखा कोई जाग तो नहीं रहा था। देखा तो सब सो रहे थे। हमने फिर अपनी-अपनी जगह ली। इस बार मैं घुटनों पर बैठ गई और चारों लोग खड़े हो गए।
मैं एक-एक करके उनके लंड मुंह में ले कर चूस रही थी, और हाथ से हिला रही थी। 10 मिनट के बाद सभी के लंड फिर से उछलने लगे। इस बार मैं घोड़ी बन गई। मेरे सामने चेतन बैठा था। पीछे से अमर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। मैं एक हाथ से पियूष का लंड हिला रही थी, और दीपक मेरे चूची से खेल रहा था। अमर कभी लंड मेरी गांड में डालता, तो कभी चूत में। एक झटका चूत में, तो एक गांड में। ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं आह आआ ऊह आई आई की आवाजें निकाल-निकाल कर चुदवा रही थी।
मैं जब तक 2 बार झड़ चुकी थी। अमर 20 मिनट बाद मेरी गांड में झड़ गया। उसके बाद पियूष ने मुझे चोदना शुरू किया। उसने भी 15 मिनट चोदा। फिर चेतन ने भी 10-15 मिनट चोदा और लास्ट में दीपक ने 15 मिनट चोदा। चार-चार लंड से चुदवा कर मैं तो बहुत थक गई थी।
टाइम देखा तो रात के 2 बजे थे। मैं कपड़े पहन कर बाथरूम गई। आ कर उन लोगों से बात कर रही थी। 1 घंटे बात करने के बाद एक राऊंड और करने का प्लान बना। फिर से उन चारो ने मिल कर मेरे कपड़े उतारे, और अमर किस करने लगा, तो दीपक दूध पीने लगा, पियूष चूत चाटने लगा, और चेतन चूची से खेलने लगा। मैं फिर से गरम होने लगी। मैं भी दो लंड हाथ में ले कर हिलने लगी। पियूष ने करीब 10 मिनट मेरी चूत चाटी। फिर से एक-एक करके चारों ने चोदना शुरू किया।
पीयूष ने गांड में लंड दिया, तो चेतन ने चूत में, और अमर ने मुंह में। दीपक का लंड मैं हाथ से हिला रही थी। सब जगह लंड से मैं बहुत उत्तेजित थी। मैंने आज 7-8 बार अपना पानी निकाला, और बहुत मजे से चुदी। सब ने मिल के 30 मिनट चोदा। फिर एक-एक करके मेरे मुंह में अपना-अपना माल निकाला। मैं सारा माल पी गई।
फिर सब ने बोला: निशा तुम्हें चोद के बहुत मजा आया।
मैंने भी कहा: मुझे भी तुम चारों का लंड लेके बहुत अच्छा लगा।
फिर कपड़े पहन कर मैं सो गई। सुबह उन सब ने उठाया।
जाते-जाते उन लोगो ने बोला: कभी और मजे लेने हो, तो ये नंबर लो (अमर ने नंबर दिया), कॉल कर लेना। फिर मैं आपने घर आ गई।
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